Home > Poems > नदी पर कविताएं

नदी पर कविताएं

Poem on River in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहां पर हमने नदियों पर हिन्दी कविताएँ शेयर की है। यह हिंदी कविताएं कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगी।

Poem on River in Hindi

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह Hindi Poem on River पसंद आयेंगी। तो चलिए जानते कुछ नदी पर कविताएं:

नदी पर कविता – Poem on River in Hindi

वो एक नदी है

हिमखंडों से पिघलकर,
पर्वतों में निकलकर,
खेत खलिहानों को सींचती,
कई शहरों से गुजरकर
अविरल बहती, आगे बढ़ती,
बस अपना गंतव्य तलाशती
मिल जाने मिट जाने,
खो देने को आतुर
वो एक नदी है।

बढ़ रही आबादी
विकसित होती विकास की आंधी
तोड़ पहाड़, पर्वतों को
ढूंढ रहे नई वादी,
गर्म होती निरंतर धरा,
पिघलते, सिकुड़ते हिमखंड
कह रहे मायूस हो,
शायद वो एक नदी है।

लुप्त होते पेड़ पौधे,
विलुप्त होती प्रजातियां,
खत्म होते संसाधन,
सूख रहीं वाटिकाएं
छोटे करते अपने आंगन,
गौरेया, पंछी सब गुम गए,
पेड़ों के पत्ते भी सूख गए
सूखी नदी का किनारा देख,
बच्चे पूछते नानी से,
क्या वो एक नदी थी।

Nadi Par Kavita

यदि हमारे बस में होता,
नदी को उठाकर घर ले आते।

अपने घर के ठीक सामने,
उसको हम हर रोज बहाते।

कूद-कूद कर उछल-उछल कर,
हम मित्रों के साथ नहाते।

कभी तैरते कभी डूबते,
इतराते गाते मस्ताते।

‘नदी आई है’ आओ नहाने,
आमंत्रित सबको करवाते।

सभी उपस्थित भद्र जनों का,
नदिया से परिचय करवाते।

यदि हमारे मन में आता
झटपट नदी पार कर जाते।

खड़े-खड़े उस पार नदी के
मम्मी मम्मी हम चिल्लाते।

शाम ढले फिर नदी उठाकर
अपने कंधे पर रखवाते।

लाए जहां से थे हम उसको
जाकर उसे वहीं रख आते।

खड़े-खड़े उस पार नदी के
मम्मी मम्मी हम चिल्लाते।

शाम ढले फिर नदी उठाकर
अपने कंधे पर रखवाते।

लाए जहां से थे हम उसको
जाकर उसे वहीं रख आते।

Read Also: झरने पर कविता

नदी

नदी निकलती है पर्वत से,
मैदानों में बहती है।
और अंत में मिल सागर से,
एक कहानी कहती है।

बचपन में छोटी थी पर मैं,
बड़े वेग से बहती थी।
आँधी-तूफान, बाढ़-बवंडर,
सब कुछ हँसकर सहती थी।

मैदानों में आकर मैने,
सेवा का संकल्प लिया।
और बना जैसे भी मुझसे,
मानव का उपकार किया।

अंत समय में बचा शेष जो,
सागर को उपहार दिया।
सब कुछ अर्पित करके अपने,
जीवन को साकार किया।

बच्चों शिक्षा लेकर मुझसे,
मेरे जैसे हो जाओ।
सेवा और समर्पण से तुम,
जीवन बगिया महकाओ।

नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है

नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है
देख देख के अपने आप को शरमाती लाजियाती है।

खेल रही है वो पानी से और उससे पानी
ऐसा लगता है जलपरियों की कोई रानी
गोरे गोरे बदन से उसके निकल रहे हैं शोले
डोल रही है उसकी जवानी खाती है हिचकोले।

मस्त जवानी से नदिया के पानी को गरमाती है
नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है।

पानी उसके बदन को चूमे, चूम चूम कर झूमे
मछली की तरहा तैरे वह इधर उधर भी घूमे
नागिन की तरहा पानी की लहरों पे लहराए
पेड़ पे जैसे कोई डाली फूलों की बलखाए।

पानी ले ले कर हाथों में नदिया का उछ्लाती है
नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है।

भीगी साड़ी के पीछे से झाँक रहा है जोबन
सोच रही है देखे कोई आकर उसका यौवन
कोई मुझको अंग लगाए कोई मुझसे खेले
अंग अंग छुए वह मेरा और बाहों में ले ले।

तन को थिरकाती है अपने और मन को बहलाती है
नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है।

-सतीश शुक्ला ‘रक़ीब’

Poems on Rivers in Hindi

नदी को बोलने दो,
शब्द स्वरों के खोलने दो।
उसकी नीरव निस्तब्धता,एक खतरे का संकेत है।
यह इस बात की पुष्टि है,
कि नदी हुई समाप्त,
शेष रह गई रेत है।
बहती हुई नदी,
जीवन का प्रमाण है,
राष्ट्र का है गौरव,
जीवंतता की पहचान है।

यह उर्वरता और जीवन प्रदान करती है,
खुद कष्ट सहकर दूसरों का कष्ट हरती है,
यह जीवनदायिनी है,
इसे अपने दुष्कर्मों,से न भयभीत करो,
यह नीर नहीं संचती है,
इसे नाले में न तब्दील करो
तुम्हारे पाप को ढोते-ढोते वह कुछ थक-सी गई है
ऐसा लग रहा है
कि वह कुछ सहम-सिमट सी गई है।

Read Also: जल पर कविता

छोटी-सी हमारी नदी

छोटी-सी हमारी नदी टेढ़ी-मेढ़ी धार,
गर्मियों में घुटने भर भिगो कर जाते पार।

पार जाते ढोर-डंगर, बैलगाड़ी चालू,
ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढालू।

पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम,
काँस फूले एक पार उजले जैसे घाम।

दिन भर किचपिच-किचपिच करती मैना डार-डार,
रातों को हुआँ-हुआँ कर उठते सियार।

अमराई दूजे किनारे और ताड़-वन,
छाँहों-छाँहों बाम्हन टोला बसा है सघन।

कच्चे-बच्चे धार-कछारों पर उछल नहा लें,
गमछों-गमछों पानी भर-भर अंग-अंग पर ढालें।

कभी-कभी वे साँझ-सकारे निबटा कर नहाना
छोटी-छोटी मछली मारें आँचल का कर छाना।

बहुएँ लोटे-थाल माँजती रगड़-रगड़ कर रेती,
कपड़े धोतीं, घर के कामों के लिए चल देतीं।

जैसे ही आषाढ़ बरसता, भर नदिया उतराती,
मतवाली-सी छूटी चलती तेज धार दन्नाती।

वेग और कलकल के मारे उठता है कोलाहल,
गँदले जल में घिरनी-भँवरी भँवराती है चंचल।

दोनों पारों के वन-वन में मच जाता है रोला,
वर्षा के उत्सव में सारा जग उठता है टोला।

-रवींद्रनाथ ठाकुर

क्यों नदियाँ चुप हैं

जब सारा जल
ज़हर हो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
जब यमुना का
अर्थ खो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

चट्टानों से लड़-लड़कर जो
बढ़ती रही नदी,
हर बंजर की प्यास बुझाती
बहती रही नदी!
जब प्यासा
हर घाट रो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

ज्यों-ज्यों शहर अमीर हो रहे
नदियाँ हुईं गरीब
जाएँ कहाँ मछलियाँ प्यासी
फेंके जाल नसीब?
जब गंगाजल
गटर ढो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

कैसा ज़ुल्म किया दादी-सी
नदियाँ सूख गई?
बेटों की घातों से गंगामैया
रूठ गईं।
जब मांझी ही
रेत बो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

-राधेश्याम बन्धु

नदी की धारा

कल कल करती नदी की धारा,
बही जा रही बढ़ी जा रही।

प्रगति पथ पर चढ़ी जा रही,
सबको जल ये दिये जा रही।

पथ न कोई रोक सके,
और न कोई टोक सके।

चट्टानों से टकराती है,
तूफानों से भीड़ जाती है।

रूकना इसे कब भाता है,
थकना इसे नहीं आता है।

सोद्देश्य स्व-पथ पर पल पल,
बस आगे बढ़ती जाती है।

कल -कल करती जल की धारा,
जौहर अपना दिखलाती है।

Read Also: बसंत ऋतु पर कविता

River Poem in Hindi

नदी निकलती है पर्वत से,
मैदानों में बहती है।

और अंत में मिल सागर से,
एक कहानी कहती है।

बचपन में छोटी थी पर मैं,
बड़े वेग से बहती थी।

आँधी-तूफान,
बाढ़-बवंडर,
सब कुछ हँसकर सहती थी।

मैदानों में आकर मैने,
सेवा का संकल्प लिया।

और बना जैसे भी मुझसे,
मानव का उपकार किया।

अंत समय में बचा शेष जो,
सागर को उपहार दिया।

सब कुछ अर्पित करके अपने,
जीवन को साकार किया।

बच्चों शिक्षा लेकर मुझसे,
मेरे जैसे हो जाओ।

सेवा और समर्पण से तुम,
जीवन बगिया महकाओ।

*******

Read Also: सर्दी पर कविता

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह नदी पर कविता (Poem on River in Hindi) पसंद आयेंगी। इन्हें आगे शेयर जरूर करें और हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं कि आपको यह कविताएं कैसी लगी। हमारे फेसबुक पेज को लाइक जरूर कर दें।

Read Also

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment