Gandhi Jayanti Speech in Hindi: भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इसी दिन को पूरा देश गाँधी जयंती के रूप में मनाता हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने गांधीजी के बारे में कहा था कि आने वाली नई पीढ़ियों को इस बात पर यकीन करना मुश्किल होता कि ऐसा हाड़-मांस का व्यक्ति कोई धरती पर हुआ होगा।
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आन्दोलन और स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के महान नेता महात्मा गाँधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने नामक व्यक्ति ने गोली मारकर हत्या कर दी ही। उनके जन्मदिन को भारत के साथ-साथ पूरा विश्व विश्व अहिंसा दिवस और गाँधी जयंती के रूप में मनाता हैं।
इस मौके पर हम बहुत ही सरल भाषा में गाँधी जयंती पर कुछ भाषण (Gandhi Jayanti Speech) शेयर कर हैं जो शिक्षक तथा विद्यार्थियों दोनों के लिए उपयोगी हैं। आप इस Gandhi Jayanti Speech in Hindi इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं में कर सकते हैं।
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गाँधी जयंती पर भाषण | Gandhi Jayanti Speech in Hindi
यहां पर हम कुछ 2 October Speech in Hindi शेयर कर रहे हैं, जिन्हें आप गान्धी जयन्ती के अवसर पर विभिन्न जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों में बोल सकते हैं।
1. गांधी जयंती पर भाषण | Gandhi Jayanti Speech in Hindi
वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व पाप, हिंसा और आतंकवाद से ग्रसित हैं और लोग इसका समाधान भी हिंसा द्वारा ही निकालने का प्रयास करती आ रही हैं फिर भी इस प्रकार की समस्या कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। ऐसी परिस्थितियों में गांधीजी की अहिंसा की शिक्षा सार्थक नजर आती दिखती हैं।
गांधीजी ने शांति और अहिंसा का रास्ता अपनाकर न केवल देश को अंग्रेजों से आज़ादी दिलवाई बल्कि देश के विभाजन के बाद भी तनाव की स्थितियों को काबू करने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया। उनके इन्हीं आदर्शों के कारण आज बापू पूरे विश्व में अहिंसा के प्रतिक के रूप में पहचाने जाते हैं। वर्ष 2007 से सयुंक्त राष्ट्र संघ उनके जन्मदिन 2 अक्तूबर को “विश्व अहिंसा दिवस” के रूप में मनाता आ हैं।
आज की युवा पीढ़ी को 70 साल बाद इस बात पर यकीन करना मुश्किल होता हैं कि अंहिंसा और शांति के रास्ते पर चलकर बापू ने देश को अंग्रेजों से आज़ादी दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी कथन महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्स्टाइन ने कहा था कि “1 हजार साल बाद दुनिया को मुश्किल होगा इस बात पर यकीन करना कि ऐसा कोई हाड़-मांस का बना व्यक्ति इस धरती पर आया होगा”
अगर दुनिया गांधीजी के तीन बंदरों वाले छोटे से सन्देश को भी जीवन में उतार लें तो उनकी आधे से अधिक समस्याओं का समाधान तो आसानी से हो जायेगा। गांधीजी तीन बंदरों में एक अपने कान ढके हुए हैं जो इस बात का प्रतिक हैं कि बुरी बातें नहीं सुननी चाहिए। दूसरा आँख ढके हुए हैं इसका अर्थ हें कि बुरी चीजों को नहीं देखना चाहिए और तीसरा बन्दर जो अपने मुंह पर हाथ रखे हुए हैं, वह इस बात का सूचक हैं कि बुरी बातें नहीं बोलनी चाहिए।
गांधीजी स्कूल के दिनों में एक औसत विद्यार्थी थे जो सामान्य अंकों से पास होते थे। लेकिन उनके जीवन में ऐसे आदर्श और मापदंड स्थापित किये जिसका अनुकरण आज पूरी दुनिया करती है। बापू ने अंग्रेजों के खिलाफ किसानों से जबरन नील की खेती करवाने का विरोध किया। इसके साथ ही गुजरात में नमक कानून को तोड़ने के लिए दांडी मार्च, बिहार के चंपारण से सत्याग्रह जैसे कई सफल आन्दोलन किये। उन्होंने समाज में व्याप्त गरीबी, छुआछूत, जातिप्रथा, विधवा विवाह जैसी कुरीतियों को मिटाने के कई जनांदोलन किये।
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2. महात्मा गांधी जी पर भाषण | Mahatma Gandhi Speech in Hindi
जैसा की हम सभी को ज्ञात हैं कि आज हम सब राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जिन्हें प्यार से पूरा देश प्यारे बापू के नाम से जानता हैं, आज यानी 2 अक्तूबर को उनका जन्मदिन हैं और इसी मौके पर हम सभी उनकी जयंती मानने के लिए इकठ्ठा हुए हैं।
महात्मा गाँधी जयंती के मौके पर मुझे इस मंच पर बोलने के लिए अवसर प्रदान किया इसके लिए मैं सभी अपने शिक्षकगणों का धन्यवाद करना चाहता हूँ।
2 अक्टूबर 1869 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था, इनके बचपन का नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। इनके पिता करमचंद गाँधी जो गुजरात के राजकोट शहर के दीवान थे और उनकी माताजी पुतलीबाई जो एक साधारण गृहणी थी।
गांधीजी बचपन में बेहद शर्मीले स्वभाव के बच्चे थे। जैसा की भारत में उन दिनों माता-पिता अपने बच्चों की शादी बहुत ही कम उम्र में करवा देते थे तो गांधीजी की शादी भी मात्र 13 वर्ष की आयु में हो गयी थी। उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गाँधी था। गांधीजी ने अपनी स्कूली और कॉलेज शिक्षा पूरी करने के बाद वकालत की पढाई करने इंग्लैड चले गये थे, लेकिन वकालत के पेशे को अपने स्वभाव के अनुकूल न पाकर वापस अपनी मातृभूमि भारत लौट आये।
गांधीजी एक सफल नेता के रूप में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह नामक एतिहासिक आन्दोलन किया, 1942 में अंग्रजों के खिलाफ फिर एक बार “भारत छोडो” नाम से बड़ा आन्दोलन किया जिससे अंग्रेजी सरकार की जड़े हिल गयी। दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ हैं जब किसी देश को अहिंसा और शांति के द्वारा आज़ादी मिली हो।
महात्मा गाँधी प्रेरणादायक जीवन और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने के उद्देश्य से उनके जन्मदिन 2 अक्तूबर को हम गाँधी जयंती के रूप में मानते हैं।
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3. महात्मा गांधी जयंती पर भाषण | Speech on Gandhi Jayanti in Hindi
आज हम देश की महान शख्सियत महात्मा गाँधी जी की जयंती मानने के लिए इकठ्ठा हुए है। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था लेकिन पूरी दुनिया उन्हें प्यारे बापू और गांधीजी जैसे नामों से जानती है। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रपिता भी कहा जाता हैं। गांधीजी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
गांधीजी को पूरी दुनिया आज स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रवादी और अहिंसावादी नेता के रूप में याद करती है। उन्होंने अंग्रेजी सरकार को सत्य और अहिंसा के बल पर घुटनों के बल पर ला दिया और यह साबित कर दिया कि अपने हक़ के लिए अहिंसा और सत्य के सहारे भी लड़ा जा सकता है।
गांधीजी ने सदैव अपने जीवन में अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चले और दूसरों को भी इसके लिए जीवनभर प्रेरित करते रहे। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अहिंसा और सत्य इस दुनिया के सबसे ताकतवर हथियार हैं। गांधीजी के पिता करमचंद एक सरल व ईमानदार व्यक्ति थे, वे गुजरात के राजकोट राज्य के दीवान पद पर कार्यरत थे। उनकी माताजी पुतली बाई धार्मिक विचारों वाली महिला था, गांधीजी अपनी माता से काफी प्रभावित थे। उन्होंने 1883 में 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा नाम की महिला से शादी की।
हर वर्ष की भांति आज भी हम 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती मना रहे हैं, उनके महान कर्मों को याद कर उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। भारत में 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाया जाता हैं और विश्वभर में आज यह दिन “अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है। भारत की आज़ादी में गांधीजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इसलिए पूरा देश उन्हें बापू और राष्ट्रपिता जैसे नामों से जानते हैं।
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4. महात्मा गांधी स्पीच इन हिंदी | Mahatma Gandhi in Hindi Speech
उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि, गुरुजन और मेरे प्यारे साथियों आज हम सभी 2 अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती मानने के लिए एकत्रित हुए हैं।
आज 2 अक्तूबर को महान अहिंसावादी नेता महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था, उनके बचपन का नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। पूरा देश उन्हें बापू, राष्ट्रपिता और गांधीजी जैसे नामों से जानता है। उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
गांधीजी के पिता का नाम करमचंद गाँधी व माता का नाम पुतली बाई थी, उन्होंने 13 वर्ष की आयु में विवाह किया था, उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गाँधी था। गांधीजी ने इंग्लैड से वकालत की पढाई पूरी की।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह नाम का एतिहासिक आन्दोलन किया था और उसके बाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ अंग्रजों भारत छोड़ो नाम का आन्दोलन। इस प्रकार के आन्दोलन से जनता अंग्रेजों के खिलाफ हो गयी और मजबूरन अंग्रेजी सरकार को भारत छोड़कर जाना पड़ा और हमें आज़ादी मिल गयी।
लेकिन बापू बहुत दिनों तक आज़ादी का जश्न नहीं मना पाए और 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। लेकिन बापू आज मरकर भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।
5. महात्मा गांधी पर भाषण हिंदी में | Speech on Gandhiji in Hindi
2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर में करमचंद गांधी और पुतलीबाई के घर एक नन्हे बच्चे का जन्म होता हैं। उस समय कौन जानता था कि यह लड़का बड़ा होकर देश का नेतृत्व करेगा और दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ायेगा। सालों से गुलामी की बेड़ियों में जकड़े देश को आज़ाद करवाएगा।
बापू ने सम्पूर्ण मानव जाती को अहिंसा और सत्य का पाठ पढ़ाया, उनके आदर्शों को उन्होंने अपने जीवन में तो उतारा ही साथ ही साथ उनका जीवन औरों के लिए भी प्रेरणा बना। बापू ने पूरी दुनिया को नई राह दिखाई और गुलामी झेल रहे लोगों को आज़ादी की राह दिखाई। समाज में व्याप्त बुराइयों का बापू ने भरपूर विरोध किया और जीवन पर्यन्त उन बुराइयों से मिटाने के लिए संघर्षरत रहे।
गांधीजी सादा-जीवन उच्च विचार में यकीन रखते थे। वे दिखावे और झूठ से कोसों दूर थे। आज अगर युवा गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में उतरना शुरू कर दें भारत का भविष्य कुछ और ही होगा। आज अगर विश्वभर में शांति, प्रेम और वात्सल्य का वातावरण स्थापित करना हैं तो गांधीजी के विचारों को अपनाना अत्यंत आवश्यक हैं।
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6. गाँधी जयंती पर भाषण | Speech on 2 October in Hindi
आज 2 अक्तूबर का दिन हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन हैं, इसी दिन 1869 को महान अहिंसावादी संत महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था, जिन्हें हम प्यार से बापू नाम से पुकारते हैं और इस दिन को पूरा देश गाँधी जयंती के रूप में मनाता हैं। भारत के अलावा विश्वभर में इसे “अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता हैं, जो हम सभी भारतवासियों के लिए बड़े गर्व की बात है।
साल 1869 के 2 अक्तूबर को गुजरात के पोरबंदर में एक नन्हे बालक का जन्म होता हैं। बच्चे के पिता करमचंद गाँधी और माता पुतलीबाई बेहद प्रसन्न थे और बच्चे का नाम रखा गया मोहन। मोहन शुरू से ही बेहद शर्मीला और शांत बच्चा था, उसे अन्य बच्चों की तरह शरारत करना पसंद नहीं था।
अपने माता-पिता के सादा-जीवन उच्च विचार और आदर्शों वाले जीवन ने बच्चे के मष्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ी, जो उनके जीवन पर्यन्त रही और पुरे जीवन में उन्हें मार्गदर्शन करती रही। वे अपने माता पिता के सच्चाई, ईमानदारी और अनुशासन के गुणों से बेहद प्रभावित थे और आसानी से उन्होंने अपने जीवन में भी लागू किया, जिसके कारण ही वे इतने महान व्यक्तित्व के धनी हो सके।
गांधीजी बचपन में गलत संगत के कारण बुरी आदतों के भी शिकार हुए लेकिन माता-पिता के संस्कारों ने बुराइयों को अधिक समय पर हावी नहीं होने दिया। कुछ समय तक बुराइयों की आदतों के कारण भीतर से आत्मग्लानी और पछतावे के कारण सभी सच्चाई अपने माता-पिता को बताना ही बेहतर समझा और पत्र लिखकर सभी सच्चाई को अपने माता-पिता के सामने रख दी। गांधीजी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि उन्हें ऐसा करने के बाद बहुत ही हल्कापन और ख़ुशी महसूस हुई। साथ ही ऐसा लगा जैसे उनके माथे पर से बड़ा भार हट गया हो।
कुछ इसी तरह की घटना उनके साथ कानून की पढाई के दौरान इंग्लैड में भी घटी, वहां पर भी पश्चिमी संकृति और वहां के वातावरण ने कुछ समय तक गांधीजी को प्रभावित किया और कुसंगति में फंस गये लेकिन एक बार फिर माता-पिता द्वारा सिखाये मूल्यों का पालन करते हुए बड़ी आसानी से उससे बाहर आने में कामयाब हुए।
इंग्लैड में वकालात की पढाई पूरी कर गांधीजी वापस भारत आये इसी दौरान वे अफ्रीका गयें वहां की एक घटना से गांधीजी को बेहद आघात लगा। वहां प्रचलित भेदभाव के कारण उनके पास प्रथम श्रेणी के डिब्बे का टिकट होते हुए भी उन्हें बाहर निकाल दिया क्योंकि वे काले थे। गांधीजी को इस अपमानजनक घटना ने भीतर से झकझोर दिया। इसके बाद उन्होंने इस प्रकार के भेदभाव से लड़ने का निर्णय लिया और पुन: भारत आये।
गांधीजी ने अन्याय के खिलाफ अंग्रेजों के लिए अहिंसा और सत्य नामक हथियारों का उपयोग किया, साथ ही “सत्याग्रह” आन्दोलन को अहिंसक रूप से कैसे लड़ा जाए इसके लिए रणनीति बनाई। इसमें गांधीजी को पूरे देश से लोगों का सहयोग मिला और सभी ने जमकर गांधीजी का समर्थन किया जिससे अंग्रेजी साम्राज्य की जड़े हिलने लगी।
अत्यधिक विरोध को अंग्रेजी सरकार सहन न कर सकी, उन्होंने बापू के साथ-साथ उनके स्वतंत्रता सेनानी सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। बावजूद इसके लोगों का अन्याय के लड़ने का जज्बा कम नहीं हुआ इसके बाद तो लोग दुगुनी गति से हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने लगे। गांधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन में लोगों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता था, उनके इस आन्दोलन में हर जाति व धर्म के लोग तन-मन और धन से सहयोग कर रहे थे।
बापू के इस आन्दोलन में हर धर्म और जाति का व्यक्ति पूरी तरह से सहयोगी बनकर इसे सफ़ल बनाने की कोशिश में लगा हुआ था, आन्दोलन में शामिल सभी लोग एक दुसरे को भाई-बहन के रूप में स्वीकार करते थे। सभी ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई और आज इसी का नतीजा हैं हम आज़ाद भारत में सांस ले पा रहे है।
मानव जाति के इतिहास में यह पहली घटना हैं जब अहिंसा और सत्य के बल पर किसी देश को आज़ादी मिली हो। पूरी दुनिया गांधीजी के इस प्रकार के विचारों से प्रभावित थी और आज भी लाखों लोगों के लिए गांधीजी का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं।
आज इस अवसर पर हम सभी एक साथ यह वचन लेते हैं कि गांधीजी के विचारों और आदर्शों को अपने जीवन में उतार कर इसे सार्थक बनाने का प्रयास करेंगे।
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