आज की तिथि (Aaj Ki Tithi)
दिन | |
तिथि | |
नक्षत्र | |
करण | |
योग | |
राशि |
आज का विशेष
श्री हनुमान चालीसा | शिव चालीसा | श्री दुर्गा चालीसा |
श्री शनि चालीसा | यदा यदा ही धर्मस्य | शांति पाठ |
माँ दुर्गा देवी कवच | शिव तांडव स्तोत्र | श्री पांडुरंग अष्टकम् |
हिंदू तिथि गणना
हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि चंद्र दिवस या सूर्य और चंद्रमा के बीच बढ़ने वाले समय के अनुसार 12 डिग्री पर समय बढ़ने से अलग तिथि बन जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र दिवस का समय अलग हो सकता है। यह समय 21 घंटे से लेकर 26 घंटे के बीच में अलग-अलग हो सकता है।
वैदिक ज्योतिष गणना के अनुसार एक चंद्र महीना में 30 तिथि होती है, जिसे एकादशी, द्वादशी इस तरह से देखा जाता है।
इसमें 15 तिथि कृष्ण पक्ष और उसके बाद 15 तिथि शुक्ल पक्ष के अंतर्गत आती है। 15 तिथि के बाद अमावस्या और उसके बाद 15 तिथि के बाद पूर्णिमा होती है।
उसके बाद फिर से अगले महीने यही क्रम चलता रहता है। जिस प्रकार से अंग्रेजी कैलेंडर में अंग्रेजी महीनों के नाम होते हैं। ठीक उसी प्रकार हिंदी कैलेंडर में भी हिंदी महीनों के नाम होते हैं।
तिथियों के नाम
- प्रतिपदा तिथि
- द्वितीया तिथि
- तृतीया तिथि
- चतुर्थी तिथि
- पंचमी तिथि
- षष्ठी तिथि
- सप्तमी तिथि
- अष्टमी तिथि
- नवमी तिथि
- दशमी तिथि
- एकादशी तिथि
- द्वादशी तिथि
- त्रयोदशी तिथि
- चतुर्दशी तिथि
- अमावस्या
- पूर्णिमा
आज से लगभग तकरीबन 40-50 वर्ष पहले आज की तरह तारीख तथा अंग्रेजी कैलेंडर के बारे में कोई भी नहीं जानता था। उसी समय भारत में मुख्य रूप से हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि की गणना की जाती थी।
तिथि के अनुसार ही सभी तरह के कार्य किए जाते और तिथि के अनुसार ही घटनाओं का जिक्र किया जाता था। यहां तक कि आज के समय में भी सनातन धर्म से संबंधित सभी तरह के व्रत और त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं।
निष्कर्ष
हिंदू धर्म में तिथि का काफी ज्यादा महत्व है। सनातन धर्म के सभी तरह के पर्व, त्यौहार, उत्सव इत्यादि हिंदू पंचांग के कैलेंडर की तिथि के अनुसार ही होते हैं। इसीलिए वर्तमान समय में हिंदू पंचांग का बहुत महत्त्व है।
मंत्र एवं श्लोक
गायत्री मंत्र | महामृत्युंजय मंत्र | हनुमान जी के मंत्र |
शनि देव मंत्र | गणेश मंत्र | श्री कनकधारा स्तोत्र |
शिव मंत्र | श्री राम मंत्र | सूर्य मंत्र |