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श्री दुर्गा चालीसा (लिरिक्स, महत्व, नियम, फायदे)

Shree Durga Chalisa: दुर्गा चालीसा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ का हिस्सा है, जिसमें देवी दुर्गा के गुणों के बारे में बताया गया है। श्री दुर्गा चालीसा में नारीत्व शक्ति के बारे में बताया गया है। हम सब जानते हैं कि देवी दुर्गा शक्ति का प्रतीक है। संस्कृत भाषा में दुर्गा का तात्पर्य शक्तिशाली होता है, देवी दुर्गा का मतलब महिला शक्ति से है।

मां दुर्गा के बारे में जानना और उनका नाम लेने से ही हमारे मन से नकारात्मक शक्ति दूर हो जाती है और एक आत्मविश्वास का संचार होता है। जिस घर में रोजाना श्री दुर्गा चालीसा का पाठ होता होगा, वहां नकारात्मक शक्ति का वास नहीं हो सकता। मगर आज के लेख में हम आपको श्री दुर्गा चालीसा (महत्व, नियम, फायदे आदि) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने जा रहे है।

Shree Durga Chalisa
Image: Shree Durga Chalisa

श्री दुर्गा चालीसा देवी दुर्गा के गुणों को दर्शाती है। साथ ही इस चालीसा का रोज पाठ करने से घर में सुख शांति का वास रहता है। देवी दुर्गा के चालीसा से मन शांत होता है, घर में नकारात्मक शक्ति खत्म होती है और आपके रुके हुए सभी काम पूरे हो जाते है। मगर आपको पता होना चाहिए कि दुर्गा चालीसा पढ़ने का नियम क्या है और इससे किस प्रकार के फायदे होते हैं, जिसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है।

श्री दुर्गा चालीसा (लिरिक्स, महत्व, नियम, फायदे) | Shree Durga Chalisa

दुर्गा चालीसा क्या है?

दुर्गा चालीसा देवी दुर्गा के चरित्र और उनके असीम कृपा का वर्णन करता है। देवी दुर्गा शक्ति की प्रतीक है। शक्ति को अपने लिए प्रसन्ना करने हेतु आपको दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। दुर्गा चालीसा के बारे में आज से सालो पहले ऋषियों ने अलग-अलग हिंदू धर्म ग्रंथ में वर्णन किया है।

देवी दुर्गा का वर्णन करते हुए एक काव्य खंड के रूप में शक्ति की प्रतीक दुर्गा देवी के बारे में अनोखे तरीके से बताया गया है। जो भी भक्तगण रोजाना अपने परिवार के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करते है, उनपर देवी दुर्गा की असीम कृपा बरसती है। इसके साथ ही नवरात्रि के पूरे 9 दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी।।

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला।।

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे।।

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना।।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला।।

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।।

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा।।

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो।।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं।।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा।।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी।।

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता।।

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।।

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी।।

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै।।

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला।।

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत।।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी।।

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा।।

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब।।

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी।।

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें।।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।।

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो।।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो।।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी।।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा।।

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो।।

आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब बिनशावें।।

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।।

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला।।

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ।।

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै।।

देवीदास शरण निज जानी।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी।।

।।दोहा।।

शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक।।
।।इति श्री दुर्गा चालीसा।।

दुर्गा चालीसा का महत्व

देवी दुर्गा का पाठ करना इसलिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मन को शांति महसूस होती है। अगर आप का मनोबल गिर रहा है और आपका कोई भी काम रुका हुआ है तो केवल दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके अंदर आत्मविश्वास का संचार होगा। घर में किसी भी प्रकार का दुख है अगर है तो दुर्गा चालीसा का पाठ करने से घर के सभी दुख दर्द दूर होते हैं।

दुर्गा चालीसा एनर्जी से भरा हुआ एक ऐसा पाठ है, जो आपके शरीर में अद्भुत शक्ति का संचार करता है और शक्ति की देवी आप पर अपनी असीम कृपा बरसाती है, जिससे सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और घर में सुख शांति बनी रहती है।

श्री दुर्गा चालीसा के नियम

श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले आपको इसके नियम के बारे में मालूम होना चाहिए, जिसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है:

  • जिस दिन आपको दुर्गा चालीसा का पाठ करना है, उस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनकर सुबह सुबह देवी दुर्गा की पूजा कर लीजिए।
  • दुर्गा चालीसा पढ़ने से पहले एक छोटी सी लकड़ी या छोटी सी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी दुर्गा की मूर्ति रखें और उसकी पूजा करें।
  • श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने के बाद देवी दुर्गा की आरती उतारे, जिसमें फूल और रोली, सिंदूर और अगरबत्ती का इस्तेमाल करें।

श्री दुर्गा चालीसा के फायदे

  • नवरात्रि या किसी भी दिन अपने परिवार के साथ श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भौतिक अध्यात्मिक और भावनात्मक खुशी का अनुभव होता है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपका किसी भी प्रकार का रुका हुआ काम संपन्न हो जाता है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शरीर में एक पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है, जिससे शरीर को आंतरिक खुशी और शक्ति मिलती है।
  • दुर्गा चालीसा का रोजाना पाठ करने से निराशा, वासना, शारीरिक तकलीफ या किसी भी प्रकार के संकट का निराकरण होता है।

FAQ

श्री दुर्गा चालीसा क्या है?

दुर्गा चालीसा शक्ति की देवी दुर्गा के गुण और व्यक्तित्व को दर्शाने वाली एक अद्भुत काव्य खंड है जिसका रोजाना पाठ करने से भक्तों के मन में शक्ति और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है।

श्री दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?

श्री दुर्गा चालीसा का पाठ रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन कर एक लकड़ी के टुकड़े पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी दुर्गा की मूर्ति रखकर उसकी आरती करने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।

श्री दुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

हर रोज नवरात्रि के चना रोज सुबह उठकर दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए इसके अलावा रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भी घर में सुख शांति बनी रहती है।

श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से क्या होता है?

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शक्ति की देवी दुर्गा आप पर खुश होती है और आपके घर में सुख शांति बनी रहती है इसके साथ ही आपके रुके हुए कोई भी कार्य संपन्न हो जाते हैं।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने आपको श्री दुर्गा चालीसा (महत्व, नियम, फायदे आदि) के बारे में बताया है। हमने आपको सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया कि श्री दुर्गा चालीसा को पढ़ने के नियम क्या है और इससे किस प्रकार अपने घर परिवार में सुख शांति को बरकरार रख सकते है।

अगर इस लेख को पढ़ने के बाद आप श्री दुर्गा चालीसा के महत्व नियम और अन्य जानकारियों को सरल शब्दों में समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें। साथ ही किसी भी प्रकार के प्रश्न को कमेंट में पूछना ना भूले।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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