ना अदा से होंगी ना वफा से होंगी अब मोहब्बत जिससे भी होगी एग्जाम के बाद होंगी
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।
सारे सपने तोड़कर बैठे हैं,दिल का अरमान छोड़कर बैठे हैं.. ना कीजिये हमसे वफ़ा की बातें, अभी-अभी दिल के टुकड़े जोड़कर बैठे हैं…!
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी।
दिल के दरिया में धड़कन की कश्ती है, ख़्वाबों की दुनिया में यादों की बस्ती है, मोहब्बत के बाजार में चाहत का सौदा है, वफ़ा की कीमत से तो बेवफाई सस्ती है।
ढूंढ़ तो लेते अपने प्यार को हम, शहर में भीड़ इतनी भी न थी, पर रोक दी तलाश हमने, क्योंकि वो खोये नहीं बदल गए थे।
कैसे लोग बसते है इस जहाँ में, एक से वफ़ा कर नही सकते, दूसरे से दिल लगा लेते है..
बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले, बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं।
मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है, उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया…
हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम, होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम।
अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी, वर्ना हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे।
कितनी भी सच्ची मोहब्बत कर लो, वफा का लोग साथ छोड़ ही देते है.
यूँ है सबकुछ मेरे पास बस दवा-ए-दिल नही, दूर वो मुझसे है पर मैं उस से नाराज नहीं, मालूम है अब भी मोहब्बत करता है वो मुझसे, वो थोड़ा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं।
मेरे अलावा किसी और को अपना महबूब बना कर देख ले, तेरी हर धड़कन कहेगी उसकी वफ़ा मैं कुछ और बात थी…
उँगलियाँ आज भी इसी सोच में गुम हैं, कि कैसे उसने नए हाथ को थामा होगा।
मुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है, खुद बेवफ़ा हो के मुझसे वफ़ा मांग रहा है.
अब इस से बढ़ कर क्या हो एह्तायत-ए-वफ़ा, मैं तेरे शहर से गुजरूँ तुझे खबर न करूं.
वफाये मांगते फिरते है फकीरों की तरह अजीब लोग है कहते है मुहब्बत की है।
एक जाम उलफत के नाम, एक जाम मुहब्बत के नाम. एक जाम वफ़ा के नाम, पूरी बोतल बेवफा के नाम, और पूरा ठेका दोस्तों के नाम
मुझे भी बना दे ऐ खुदा -दिल तोड़ने वाला कबतक वफा करूँगा – बेवफाओ के शहर मे.
उन्हें बेवफा कहूँ तो तोहीन हो वफा की… . वो वफा निभा तो रहे है कभी इधर कभी उधर
मेरी वफा कि गवाही सितारे देते रहेँ, बस मेरे चाँद को ही मुझ पे यकीन ना आया.
टूट गए हम तुम्हे चाहते चाहते अब हमसे वफ़ा की उम्मीद ना करना।
मेरी किस्मत में है एक दिन गिरफ्तार-ए-वफ़ा होना मेरे चेहरे पे तेरे प्यार का इलज़ाम लिखा है.
उँगलियाँ मेरी वफ़ा पर न उठाना लोगों, जिसको शक हो वो मुझसे निबाह कर देखे।
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
बात वफाओं की होती तो कभी न हटते हम, खेल नसीब का था. उसे किस तरह तब्दील करते.
आज के दौर में उम्मीद वफ़ा कैसे रखें, धूप में बैठा है खुद पेड़ लगाने वाला.
बहुत रोती हैं वो आँखें जो मुहब्बत करती हैं, वफा की बूँदों में अधूरी कहानी लिख जाती हैं.
चलो छोड़ो ये बहस कि वफ़ा किसने की और बेवफा कौन है तुम तो ये बताओ कि आज तन्हा कौन है.
Bewafa Shayari In Hindi
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा, जिन्हे दावा था वफा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा.
किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो, लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो, मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना, कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो.
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं. वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं.
हर किसी की जिंदगी का एक ही मकसद है, खुद भले हों बेवफ़ा लेकिन तलाश वफ़ा की करते है.
थोड़ी दीवानगी मै लाऊगा, थोड़ी वफा तुम ले आना साझे में कर लेंगे फिर से कारोबार-ए- मौहब्बत.
बेवफा भी कैसे कह दूँ तुमको, वफा की बातें कभी हुई ही नही थी.
वो दिल क्या जो मिलने की दुआ न करे, तुम्हें भुलकर जिऊ यह खुदा न करे, रहे तेरी दोस्ती मेरी जिन्दगानी बनकर, यह बात और है जिन्दगी वफा न करे.
अगर इश्क करो तो अदाब-ए-वफा भी सीखो ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती.
Wafa Shayari in Hindi
इक़रार -ऐ-मुहब्बत ऐहदे-ऐ.वफ़ा सब झूठी सच्ची बातें हैं “इक़बाल” हर शख्स खुदी की मस्ती में बस अपने खातिर जीता है
तरस खाओ मुझ पर, बस इतना बताओ हमदम, तुम्हें वफ़ा नहीं आती, या तुमसे की नहीं जाती.
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो, वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना.
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम जौन एलिया
कैसी हया कहाँ की वफ़ा पास-ए-ख़ल्क़ क्या हाँ ये सही कि आप को आना यहाँ न था
जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा बार-हा आज़मा के देख लिया
बूढ़ों के साथ लोग कहाँ तक वफ़ा करें बूढ़ों को भी जो मौत न आए तो क्या करें
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
2 Lines Wafa Shayari
बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा क़हर होता जो बा-वफ़ा होता
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी किराए के घर थे बदलते रहे
मैं सोचती हूँ कि इक जिस्म के पुजारी को मेरी वफ़ा ने वफ़ा का सुहाग क्यूँ समझा
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी ‘क़तील’ मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया
मुझ से क्या हो सका वफ़ा के सिवा मुझ को मिलता भी क्या सज़ा के सिवा
न मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत न वफ़ा ही तुम्हें आई न जफ़ा ही आई
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद
वफ़ा शायरी हिंदी में
इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ वो वफ़ाएँ करने वाले बेवफ़ा क्यूँ हो गए
पाबंद-ऐ-वफा रहेंगे पर, कोई सफाई ना देंगे, साये की तरह तेरे साथ होंगे पर, दिखाई ना देंगे.
गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनके लेकर ज़िन्दगी ने वफ़ा कि तो कल फिर सिलसिले होंगे.
परवाह करने वाले रूला जाते है, अपना समझने वाले पराया बना जाते है, चाहे जितनी वफाऐं कर लो इनसे, न छोडेगे तुमको कहकर छोड जाते हैं.
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।
bahut hi acchi shayari