ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है~इक़बाल
अपने प्यार को देख कर अक्सर ये एहसास होता है, जो तक़दीर में नहीं होता वही इंसान ख़ास होता है.
देख कर मेरा नशीब मेरी तकदीर रोने लगी लहू के अल्फाज़ देखकर तहरीर रोने लगी हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई सूरत को देखकर खुद तस्वीर रोने लगी
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली
तेरे दामन में गुलिस्तान भी हैं वीराने भी, मेरा हासिल मेरी तकदीर बता दे मुझको.
टूट कर चाहने वालो के दिल क्यों टूटते हैं …. इश्क की राहों में ही ज्यादा कांटे क्यों मिलते हैं ! जिनके दिल मिलते हैं ….. उनके तकदीर क्यों नही मिलते हैं !! राहों में सिर्फ पत्थर ही क्यों मिलते हैं …. एक पल की ख़ुशी के लिए तड़प जाते वो हैं !!! उन्हें बहाने के लिए सिर्फ आंसू मिलते हैं …. प्यार के फूल तो उनके लिए बागों में भी नही खिलते हैं !!!!
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही जिसकी तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
दिल गँवा कर भी मोहब्बत के मज़े मिल न सके, अपनी खोई हुई तक़दीर पे रोना आया
हाय किस ख़ूबी से लूटा बेवफ़ा तक़दीर ने, तेरी बर्बादी का अय दिल हर फसाना और है,,
कड़ी से कड़ी जोड़ दो तो जंजीर बन जाती हैं, मेहनत अच्छे से करों तो तकदीर बन जाती हैं.
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नाकामी का मकान भी मुम्किन न रहेगा तक़दीर से मिल कर कोई तदबीर करेंगे
तकदीर बनाने वाले तुमने तो कोई कमी नहीं की, अब किस को क्या मिला यह मुकद्दर की बात है.
Taqdeer Shayari in Hindi
क्यों कोसे है तक़दीर को करता रेह तू अच्छी करनी सब कुछ हासिल होगा तुझे बस सोच बदल ले तू अपनी
काश खुदा इक पल दे मुझे अपनी तक़दीर लिखने को । तो में उस पल में,,,,में अपनी ज़िन्दगी के सारे पल तेरे नाम कर दू
वो अयादत को मेरी आये हैं लो और सुनो आज ही ख़ूबी ए तक़दीर से हाल अच्छा है
अहल-ए-हिम्मत ने हुसूल-ए-मुद्दआ में जान दी और हम बैठे हुए रोया किये तक़दीर को
नामुमकिन हर ख्वाईश को, सँभालता और जीता हूँ दिल मे माथे की तक़दीर को यूँ ही, ढूंढता हूँ हाथ की लकीर मे
तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतज़ार में है
तकदीर के खेल से नाराज नहीं होते | जिंदगी में कभी उदास नहीं होते | हाथों किं लक़ीरों पे यक़ीन मत करना | तकदीर तो उनकी भी होती हैं , जिन के हाथ ही नहीं होते |
तकदीर ने यह कहकर, बङी तसल्ली दी है मुझे कि, वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,जिन्हें मैंने दूर किया है
कुछ तकदीर हार गई ! कुछ सपने टुट गये ! कुछ गैरों ने बर्बाद किया ! कुछ अपने छोड गये …..
वस्ल भी तक़दीर में है,हिज्र भी मौत के साए में अब है ज़िन्दगी
कोई वादा ना कर कोई इरादा ना कर ख्वाहिशो में खुद को आधा ना कर ये देगी इतना ही जितना लिख दिया खुदा ने इस तक़दीर से उमींद ज्यादा ना कर
उन्हें देखकर अक्सर ये अहसास होता है जो तकदीर में नही होता वही खास होता हैं
कुछ तकदीर हार गई, कुछ सपने टूट गये कुछ गैरों ने बर्बाद किया, कुछ अपने छोड़ गये
तकदीर भी इंसान को क्या-क्या रंग दिखती हैं शिखर पर पहुँचाने से पहले हुनर सिखाती हैं
बड़ी मुद्दत से मेरे दिल में एक तस्वीर बैठी है तेरी जुल्फों के छाँव में मेरी तकदीर बैठी हैं
खुशियाँ तकदीर में होनी चाहिए तस्वीर में हर कोई मुस्कुराता हैं
वक़्त सिखा देता है इंसान को फ़लसफ़ा जिन्दगी का फिर तो, नसीब क्या, लकीर क्या और तकदीर क्या
तकदीर का खेल बड़ा निराला होता हैं कभी न कभी तकदीर से हर कोई हारा होता हैं
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।