ख्वाहिश जन्नत की, एक सजदा गिरां गुजरता है, दिल में है खुदा मौजूद, क्यूं जा-ब-जा फिरता है।
तेरी चाहत के भीगे जंगलों में मेरा तन मोर बनकर नाचते है.
हम अपनी म्यार ज़माने से जुदा रखते हैं, दिल में दुनियां नहीं इश्क़ -ए- ख़ुदा रखते हैं।
अपनी छवी बनाय के जो मैं पी के पास गई जब छवी देखी पीहू की तो अपनी भूल गई
दिल भी सूफी है साहब शब्द बिखेर कर इबाददत करता है।
मज़्जिलो का खबर सिर्फ जाने खुदा’ मोहब्बत है रहनुमा फकीरों का.
चुप – चाप बैठे है, आज सपने मेरे लगता है हकीकत ने सबक सिखाया है…
जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये, मुआफ करना यारो इतने सूफी हम नहीं हुये।
और किया इल्जाम लगाओगे हमारी आशिक़ी पर हम तो साँस भी आपके यादो से पॉच के लेते है.
आज फिर जो मुर्शीद को याद किया, यूं लगा जैसे दिल के आईने को साफ किया।
इंसान लोगो को किया दे गा जो भी देगा मेरा खुदा ही देगा मेरा क़ातिल ही मेरे मुनसिब है किया मेरे हक़ में फैसला देगा
सोचता हूँ कि अब अंजाम-इ-सफर क्या होगा, लोग भी कांच के हैं, राह भी पथरीली है..
सारे ऐब देखकर भी मुर्शीद को तरस है आया, हाय! किस मोम से खुदा ने उनका दिल है बनाया।
उसने किया था याद हमे भूल कर कही पता नहीं है तबसे अपनी खबर कही
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं , नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है, जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है।
पोछा था मैं ने दर्द से की बता तू सही मुझको ये खनुमान ख़राब है तेरे भी घर कही
मंजिलो की खबर खुदा जाने , इश्क़ है रहनुमा फ़कीरो का
तलब मौत की क्यूं करना गुनाह ए कबीरा है, मरने का शोंक है तो इश्क़ क्यों नहीं करते।
एक दिन कबर में होगा ठिकाना याद रख आएगा ऐसा भी एक जमाना याद रख.
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’ जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना
Sufi Shayari in Hindi
अतीत के गर्त में भविष्य तलाश करना एक बेवकूफी है, जो वर्तमान में रहकर भविष्य संवारे, वो सच्चा सूफी है।
परिंदा आज मुझे शर्मिंदा गुफ़्तार न करे ऊंचा मेरी आवाज़ को कोई दीवार न करे.
एक ऐसी रात भी है जो कभी नहीं सोती ये सुन कर सो न सका रात भर नमाज़ पढ़ी हमने
तेरी आरजू में हो जाऊं ऐसे मस्त मलंग, बेफिक्र हो जाऊं दुनिया से किनारा करके।
जरा करीब से गुजरा तो हमने पहचाना वो अजनबी भी कोई आशना पुराण था.
दुनिया में तेरे इश्क़ का चर्चा ना करेंगे, मर जायेंगे लेकिन तुझे रुस्वा ना करेंगे, गुस्ताख़ निगाहों से अगर तुमको गिला है, हम दूर से भी अब तुम्हें देखा ना करेंगे।
जाने कैसे जीतें हैं वो जो कभी तेरे सीने से लगे हैं, मेरे साकी, हम तो नैन लड़ाकर ही बेसुध से पड़े हैं।
हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या
इश्क़ में आराम हराम है, इश्क़ में सूफ़ी के सुल्फ़े की तरह हर वक़्त जलनाहोता हैं,
इबाब की सूरत हो के अघ्यार की सूरत हर जगह में आती है नजर यार की सूरत
न अपनी रूह पर पकड़, न धन दौलत चली संग, न दीन दुनिया अपनी हुई, न ढूंढ पाये हरी रंग किस बात का वहम, किस बात का अहंकार किस बात की कि मैं मेरी, किस बात की थी जंग
मोहब्बते मेहरबान मुर्शीद मेरे तू आजा, के अब हम सबक वफा का भूलने लगे।
सदगरी नहीं ये इबादत खुदा की है ओ बेखबर जाजा की तमन्ना भी चोर दे
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल, इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है…
छूकर भी जिसे छू ना सके वो चाहत है (इश्क़) कर दे फना जो रूह को वो इबादत है (इश्क़)
जग में आ कर इधर उधर देखा तू ही आया नज़र जिधर देखा
फीके पड जाते हैं दुनियाभर के तमाम नज़ारे उस वक़्त, सजदे में तेरे झुकता हूँ तो मुझे जन्नत नज़र आती हैं।
पूछा मैं दर्द से कि बता तू सही मुझे ऐ ख़ानुमाँ-ख़राब है तेरे भी घर कहीं कहने लगा मकान-ए-मुअ’य्यन फ़क़ीर को लाज़िम है क्या कि एक ही जागह हो हर कहीं
न ले हिज़्र का मुझसे तू इम्तिहां अब, लगे जी ना मेरा तेरे इस दहर में।
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।