SDM क्या होता है और कैसे बने SDM Officer (SDM Kya Hota Hai Aur Kaise Bane): नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप जानते ही हैं कि आज के समय में सरकारी नौकरी को हासिल करना कोई छोटी बात नहीं है। आज के समय में सरकारी नौकरी के लिए बहुत ही ज्यादा प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। आप चाहे किसी भी क्षेत्र में चले जाओ, आपको वहां पर बहुत ही अधिक प्रतिस्पर्धा (Compitition) मिलेगी।

यदि आप SDM Officer बनाना चाहते है तो आपको इसके अनुसार मेहनत भी करनी पड़ेगी। आप किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने लिए आपको परिश्रम की जरूरत तो होगी ही। आज हम आपको यहां पर बताने जा रहे हैं कि आप SDM का काम क्या होता है (SDM kya hota hai), SDM कैसे बन सकते है (SDM kaise bane) और SDM के बारे में पूरी जानकारी।
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SDM क्या होता है और कैसे बने SDM Officer (SDM Kya Hota Hai Aur Kaise Bane):
SDM क्या होता है (What is SDM):
Sub Divisional Magistrate इसका पूरा नाम होता है और SDM को हिंदी में उप प्रभागीय न्यायाधीश कहते है। भारत में 29 राज्य है और इन राज्यों में कई जिले है। हर जिले का एक अलग SDM होता है। देश में राज्य के जिलों को तहसील में बांटा गया है। आपको बता दें कि भारत में एक उप मंडल मजिस्ट्रेट के पास आपराधिक प्रकिया संहिता 1973 के तहत कार्यजरी और मजिस्ट्रेट भूमिकाएं होती हैं यानि कि SDM अनेक प्रकार की जिम्मेदारियों को निभाते है।
SDM के कार्य (SDM’s Work):
यह पोस्ट एक बड़ी पोस्ट (Post) होती है, इस कारण इस पोस्ट को कई शक्तियां (Powers) दी जाती है। जो कि इस प्रकार है:
- विवाह पंजीकरण – जब शादी हो जाती है तो उसके बाद शादी का पंजीकरण करना SDM का काम होता है।
- निर्वाचन कार्य – SDM सभी कार्यों में से निर्वाचन का सबसे महत्वपूर्ण काम होता है। SDM ही राज्य के लोकसभा और विधानसभा के सदस्यों का चुनाव करवाता है और मतदाताओं की मतदाता सूची को जारी करना भी SDM का काम ही होता है।
- मजिस्ट्रेट कार्य – SDM ही दंड प्रकिया संहिता की धारा निवारक का संचालन करते है। SDM के पास यह अधिकार होता है कि यदि शादी के 7 साल के अन्दर महिला की मौत हो जाती है तो वह इस मुद्दे पर खुलकर पूछताछ कर सकता है।
- प्रमाण-पत्र जारी करना – प्रमाण-पत्र जारी करना भी SDM की जिम्मेदारी होती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और बाकी के सभी पिछड़े वर्ग साथ स्थानीय राष्ट्रीयता (Nationality) आदि के साथ ही वैधानिक प्रमाण-पत्र के अलग-अलग प्रकार को जारी करना साथ ही सम्पति के दस्तावेजों का पंजीकरण भी SDM के द्वारा ही किया जाता है।
- राजस्व कार्य – राज्य में चल रहे सभी भूमि अभिलेखों के सभी ब्यौरों की देख रेख करना। SDM का ही काम होता है और साथ ही भूमी का सीमांकन और म्यूटेशन आदि भी SDM की ही देखरेख में होता है।
इसे अलावा भी SDM का उपखंड के सभी तहसीलदारों पर भी प्रत्यक्ष नियंत्रण होता है। क्षेत्र में नवीनीकरण करवाना, प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगो तक सहायता पहुँचाना, विभिन्न प्रकार के लाइसैंस (License) जारी करवाना आदि SDM के प्रमुख कार्य होते है।
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SDM के लिए शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification for SDM):
इस पद के लिए छात्रों (Students) को किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय (University) से स्नातक की डिग्री होना बेहद जरूरी है और इस पद के लिए महिला और पुरुष दोनों ही आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उम्र की सीमा General वर्ग के लिए न्यूनतम 21 व अधिकतम 40 वर्ष, OBC वर्ग के लिए न्यूनतम 21 व अधिकतम 45 वर्ष, SC/ST वर्ग के लिए न्यूनतम 21 व अधिकतम 45 वर्ष और PWD के लिए न्यूनतम 21 व अधिकतम 55 वर्ष निर्धारित की गई है।
SDM कैसे बनें (SDM Kaise Bane):
SDM को उप प्रभागीय न्यायाधीश कहते है। सभी जिलो में एक SDM अधिकारी नियुक्त होता है। अभ्यर्थियों को SDM बननें हेतु दो विकल्प उपलब्ध है। पहला विकल्प राज्य स्तर सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Examination) और दूसरा विकल्प राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commision) के माध्यम से इस पद पर नियुक्ति प्राप्त कर सकते है।
इनकी परीक्षा तीन स्तरों में होती है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary examination)
- मुख्य परीक्षा (Main examination)
- इंटरव्यू (Interview)
इन तीन स्तर को पार करके SDM बना जा सकता है।
SDM का वेतन:
इस पोस्ट का मासिक वेतन 56,000 से 67,000 तक हो सकता है और अधिकतम वेतन 1 लाख तक भी हो सकता है।
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परीक्षा पैटर्न:
प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary examination):
यदि आप SDM बनना चाहते है तो यह आपके लिए पहला चरण होगा। इस परीक्षा के लिए 200 अंक निर्धारित होते है। इसके लिए सामान्य ज्ञान से सम्बंधित 2 प्रश्न पेपर (Question Pepars) होते है। प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य ज्ञान से सम्बंधित द्वितीय प्रश्नपत्र क्वालीफाईग अंको का होता है। इसमें अभ्यर्थी को 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है। परन्तु इस प्रश्न पत्र के अंक रैंकिंग (Ranking) में नहीं जोड़े जाते सिर्फ प्रथम प्रश्न पत्र के अंक जोड़े जाते है।
प्रारंभिक परीक्षा में अंको का निर्धारण:
S.No. | Question Pepar | Marks |
1. | सामान्य ज्ञान-1 | 200 |
2. | सामान्य ज्ञान- 2 | 200 |
मुख्य परीक्षा (Main examination):
इस परीक्षा में जो छात्र प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary examination) में उतीर्ण (Pass) होते है वही हिस्सा ले सकते है। इस परीक्षा में कुल 8 प्रशन पत्र होते है जिसमें करंट अफेयर्स, इतिहास, भूगोल, इंडियन पोलायटी (Indian Polity), जनरल साइंस (General Science), और सामान्य ज्ञान (General Knowledge) से सम्बंधित प्रश्न पूछें जाते है। यह परीक्षा बाकी परीक्षा से कठिन होती है जो छात्र इस परीक्षा को उतीर्ण कर लेता है फिर उस छात्र को इंटरव्यू (Interview) के लिए भेजा जाता है।
मुख्य परीक्षा में अंको का निर्धारण:
S.No. | Question Pepar | Marks |
1. | हिंदी | 150 अंक |
2. | निबंध | 150 अंक |
3. | सामान्य अध्ययन 1 | 200 अंक |
4. | सामान्य अध्ययन 2 | 200 अंक |
5. | सामान्य अध्ययन 3 | 200 अंक |
6. | सामान्य अध्ययन 4 | 200 अंक |
7. | वैकल्पिक विषय पेपर 1 | 200 अंक |
8. | वैकल्पिक विषय पेपर 2 | 200 अंक |
इंटरव्यू (Interview):
Interview में छात्र की योग्यता का आंकलन किया जाता है। इसमें आपका Interview लेने वाले पैनल को विश्वाश दिलाना होगा कि आप इस पोस्ट के लिए एकदम योग्य है और आप ये जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभा सकते है। यह 200 अंकों का होता है।
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