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एसडीएम क्या होता है और एसडीएम कैसे बने?

यहां पर एसडीएम कौन होता है, एसडीएम कैसे बने (SDM Kaise Bane), एसडीएम के लिए योग्यता, एसडीएम की सैलरी, एसडीएम की शक्तियां क्या होती है आदि के बारे में विस्तार से जानकारी जानेंगे।

भारत में प्रशासनिक लेवल के सरकारी पदों को प्राप्त करने की इच्छा लगभग सभी विद्यार्थियों में होती है। क्योंकि प्रशासनिक सेवा अधिकारी का पद बहुत ही इज्जत और सम्मानजनक होता है। इसके साथ ही इसमें काफी पावर भी मिलता है।

एसडीएम भी प्रशासनिक अधिकारी का ही एक पद है। लेकिन एसडीएम बनना इतना भी आसान नहीं। क्योंकि जितना सम्मानजनक यह पद है, उतना ही इस पद को पाने का कॉन्पिटिशन भी है।

SDM Kya Hota Hai Aur Kaise Bane

हर साल 400 से 500 एसडीएम पद की भर्ती निकलती हैं, जिसमें लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं। ऐसे में लाखों उम्मीदवारों के बीच सिलेक्शन पाने के लिए काफी मेहनत और निरंतरता की जरूरत है।

कुछ-कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो 5-6 सालों तक एसडीएम की तैयारी करते हैं फिर भी वह एसडीएम नहीं बन पाते हैं। लेकिन मेहनत और लगन सच्ची हो तो कभी ना कभी एसडीएम बनने के लक्ष्य को जरूर पूरा किया जा सकता है।

एसडीएम क्या होता है? (SDM Kya Hota Hai)

एसडीएम की फुल फॉर्म Sub Divisional Magistrate होती है। वहीं हिंदी में इन्हें उप-प्रभागीय न्यायाधीश कहा जाता है। एसडीएम किसी भी जिले के उपखंड का मुख्य नागरिक अधिकारी होता है।

प्रत्येक जिला कई अलग-अलग खंडों में विभाजित होता है, जिसे तहसील भी कहा जाता है और हर तहसील में एक एसडीएम नियुक्त किया जाता है। इस तरह तहसील की पूरी जिम्मेदारी एक एसडीएम के हाथों में होती है।

  • एसडीएम का मुख्य कार्य विशेष उपखंड में कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है।
  • तहसील के सभी जमीन व्यापार की देखरेख करना एसडीएम की जिम्मेदारी होती है, जमीन व्यवस्था, जमीन का लेखा-जोखा एसडीएम ऑफिसर के पास होता है।
  • सरकार के द्वारा बनाई गई किसी योजना को जिले के तहसील में सही तरह से लागू करना और इस योजना का आगे भी अच्छे से निर्वहन करने की जिम्मेदारी एसडीएम की होती है।
  • इन सब के अतिरिक्त जिले में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को सही तरीके से आयोजित करने की जिम्मेदारी भी एसडीएम के पास होती हैं।
  • वाहन और दुकान इत्यादि के लाइसेंस जारी करना, विभिन्न प्रकार के पंजीकरण करवाना, विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना जैसी कई जिम्मेदारी एसडीएम पर होती हैं।
  • इतना ही नहीं एक एसडीएम कई आपराधिक मामलों की सुनवाई भी करता है।
  • एसडीएम को संपूर्ण क्षेत्र का विकास करना, नवीनीकरण कराना और प्राकृतिक आपदा से पीड़ित व्यक्तियों को सहायता पहुंचाना जैसे काम भी करने होते हैं।

SDM के लिए योग्यता

  • एसडीएम बनने के लिए उम्मीदवार का किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक पास होना जरूरी है।
  •  उम्मीदवार का ग्रेजुएशन में किसी भी विषय से कम से कम 55% अंकों के साथ पास होना जरूरी है।
  • आरक्षण श्रेणी में आने वाले उम्मीदवार को कम से कम 50% अंकों के साथ स्नातक पास होना जरूरी है।

एसडीम कैसे बने? (SDM Kaise Bane)

एसडीएम बनने के दो तरीके हैं पहला यूपीएससी परीक्षा देकर और दूसरा स्टेट पीसीएस परीक्षा देकर। UPSC, union public service commission के द्वारा आयोजित परीक्षा है, जो हर साल ली जाती है।

वहीं PCS, state public service commission के द्वारा आयोजित होती है। हर एक राज्य में पीसीएस परीक्षा आयोजित होती है। इस तरह यूपीएससी और पीसीएस दोनों ही परीक्षा के जरिए एक उम्मीदवार एसडीएम ऑफिसर बन सकता है।

लेकिन यूपीएससी के द्वारा बने एसडीएम और पीसीएस के द्वारा बने एसडीएम के पावर में थोड़ा अंतर होता है। इसके साथ ही प्रमोशन के अवसर यूपीएससी से बने एसडीएम के पास ज्यादा होता है।

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एसडीएम बनने के लिए उम्र सीमा

वैसे तो एसडीएम ऑफिसर बनने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 40 वर्ष निर्धारित की गई है। इस तरह 21 से 40 वर्ष के बीच का कोई भी उम्मीदवार एसडीएम परीक्षा के लिए आवेदन कर सकता है।

लेकिन आरक्षण श्रेणी में आने वाले उम्मीदवारों को उम्र सीमा में छूट दी गई है, जो इस प्रकार है:

  • एससी/एसटी कैटेगरी में आने वाले उम्मीदवारों के लिए अधिकतम उम्र 45 वर्ष निर्धारित की गई है।
  • ओबीसी केटेगरी में आने वाले उम्मीदवारों को भी उम्र सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जाती है।
  • पीडब्ल्यूडी कैटेगरी में आने वाले उम्मीदवारों को उम्र सीमा में 15 वर्ष की छूट दी गई है।
  • अगर कोई उम्मीदवार राज्य या जिला स्तर के किसी भी खेल का खिलाड़ी है तो उसे भी उम्र सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जाती है।

हालांकि उपरोक्त उम्र सीमा यूपीएससी परीक्षा के लिए निर्धारित की गई है। लेकिन एसडीएम के लिए राज्य में भी पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा कंडक्ट कराई जाती है, जिसमें न्यूनतम आयु 21 वर्ष है।

लेकिन अधिकतम आयु हर राज्यों में अलग-अलग हो सकती हैं, जिसकी जानकारी उम्मीदवार स्टेट पीसीएस की वेबसाइट पर एग्जाम के दौरान निकलने वाली नोटिफिकेशन से प्राप्त कर सकता है।

एसडीएम बनने के लिए फिजिकल एलिजिबिलिटी

चूंकि एसडीएम यह एक लोक प्रशासन से जुड़ा हुआ पद है। इसलिए इसमें कोई भी फिजिकल क्राइटेरिया निर्धारित नहीं किया गया है। जो भी उम्मीदवार एसडीएम के लिए शिक्षा और उम्र की रिक्वायरमेंट को पूरा करता है, वह एसडीएम बन सकता है।

इसमें उम्मीदवार के फिजिकल एलिजिबिलिटी कोई मायने नहीं रखती है। यहां तक कि एक दिव्य दिव्यांग उम्मीदवार भी एसडीएम के लिए योग्य हो सकता है।

एसडीएम में बस कर्तव्यनिष्ठ और कड़क अधिकारियों की जरूरत पड़ती है, जो अपने पदों पर रहकर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वाह कर सके।

एसडीएम परीक्षा का पैटर्न

एसडीएम बनने के लिए तीन स्टेज में परीक्षा ली जाती है:

  • प्रारंभिक परीक्षा (prelims)
  • मुख्य परीक्षा (मेन्स)
  • इंटरव्यू

प्रारंभिक परीक्षा

  • प्रीलिम्स पेपर ऑब्जेक्टिव बेस्ड पेपर होता है, जो कंप्यूटर पर लिया जाता है। इसमें प्रत्येक प्रश्नों के चार विकल्प दिये जाते हैं। प्रीलिम्स पेपर में दो तरह के पेपर होते हैं पेपर 1 और पेपर 2।
  • पेपर 1 सामान्य अध्ययन का होता है, जिसमें कुल 200 अंकों के 100 प्रश्न पूछे जाते हैं। जिसके लिए 2 घंटे का समय दिया जाता है। प्रत्येक गलत प्रश्न पर 1/3 नेगेटिव मार्किंग भी होती है।
  • पेपर 2 को CSAT कहा जाता है। इसमें भी वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें 200 अंकों के कुल 180 प्रश्न होते हैं और कुल 2 घंटे का समय दिया जाता है।
  • पेपर 1 के अंक मेरिट में जाते हैं लेकिन पेपर 2 क्वालीफाइंग नेचर का होता है, जिसमें 33% अंक लाना अनिवार्य होता है।

अगर आप एसडीएम बनने के लिए पीसीएस की परीक्षा दे रहे हैं तो ऐसे में आप जिस राज्य के पीसीएस की परीक्षा दे रहे हैं, उस राज्य से संबंधित सामान्य अध्ययन के प्रश्न भी पूछे जाते हैं।

मुख्य परीक्षा (मेन्स)

प्रीलिम्स परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवार मेंस परीक्षा के लिए बैठ सकते हैं। मेंस परीक्षा प्रीलिम्स से काफी कठिन होती है।

  • मुख्य परीक्षा लिखित परीक्षा होती है। इसमें कुल 9 पेपर होते हैं, जिसमें केवल 7 पेपर के अंक ही मेरिट में जोड़ते हैं।
  • मुख्य परीक्षा में दो पेपर भाषा आधारित पेपर होते हैं और प्रत्येक 300-300 अंकों के होते हैं। यह क्वालीफाइंग नेचर का होता है, जिसे क्वालीफाई करने के लिए कम से कम 25% अंक लाना अनिवार्य होता है।
  • मुख्य परीक्षा में 7 पेपर जनरल स्टडीज और निबंध पर होते हैं। इसमें एक पेपर निबंध का होता है, जिसमें 250 अंकों का निबंध लिखने के लिए दिया जाता है और कुल 3 घंटे का समय मिलता है।
  • पेपर 2, 3, 4 और 5 सामान्य अध्ययन के होते हैं और प्रत्येक में 250 अंकों के प्रश्न होते हैं और प्रत्येक के लिए 3 घंटे का समय मिलता है।
  • प्रीलिम्स के पेपर 6 और 7 वैकल्पिक (optional) होते हैं, जिसमें उम्मीदवार अपने मनपसंद विषय का चयन कर सकते हैं और उसी से आधारित 250-250 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • इस तरह मुख्य परीक्षा क्वालीफाइंग पेपर को छोड़कर कुल 1750 अंको की होती है।

साक्षात्कार (Interview)

  • मेंस परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों का यूपीएससी बोर्ड के द्वारा 45 मिनट का इंटरव्यू लिया जाता है।
  • यूपीएससी का इंटरव्यू कुल 275 अंकों का होता है, जिसमें उम्मीदवार एक पैनल के सामने बैठते हैं और उनके प्रश्नों का जवाब लेते हैं।
  • उम्मीदवार की मानसिक, प्रशासनिक योग्यता, सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, कॉमन सेंस, पर्सनालिटी और प्रेशर हैंडलिंग जैसी एबिलिटी के गुणों को परखने के लिए लिया जाता है।
  • एसडीएम एक बहुत ही बड़ा और जिम्मेदारी का पद है, जिसके कारण एक सही कैंडिडेट का चुनाव हो सके, जो इस पद के लिए योग्य है। ऐसे में उनकी योग्यता का जांच करने के लिए ही इंटरव्यू लिया जाता है।

एसडीएम का सिलेक्शन प्रोसेस

जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि एसडीएम बनने के लिए यूपीएससी या स्टेट पीसीएस की परीक्षा देनी पड़ती है और इन दोनों परीक्षाओं में कई सारे अन्य पद भी आते हैं।

ऐसे में इन परीक्षा में जो भी उम्मीदवार उत्तीर्ण हो जाते हैं, उन्हें अंकों के आधार पर पद अलॉट किए जाते हैं। एसडीएम के लिए अंकों का जो रेंज निर्धारित किया गया होता है, उस रेंज में जो भी उम्मीदवार अंक लाए होते हैं, उन्हें एसडीएम का पोस्ट अलॉट कर दिया जाता है।

इस तरीके से एसडीएम पद के लिए सिलेक्ट होने वाले उम्मीदवारों को अंत में ट्रेनिंग के लिए मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में भेजा जाता है। वहीं जो लोग स्टेट पीसीएस की परीक्षा देकर एसडीएम बने होते हैं, उनकी ट्रेनिंग संबंधित राज्य स्तर अकादमी में होती है।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

एसडीएम परीक्षा का सिलेबस

एसडीएम की परीक्षा में सिविल सर्विस एपटीट्यूड, सामान्य अध्ययन और किसी एक भारतीय भाषा का विस्तृत रूप से अध्ययन करना पड़ता है।

सामान्य अध्ययन के पेपर के लिए देश विदेश की घटनाएं, इतिहास, राजनीति, आर्थिक गतिविधियां, बेसिक साइंस जैसी कई क्षेत्रों संबंधित ज्ञान प्राप्त करने पड़ते हैं।

वहीं ऑप्शनल सब्जेक्ट में उम्मीदवार अपने ग्रेजुएशन का जो भी सब्जेक्ट मनपसंद के अनुसार चुनता है, उस सब्जेक्ट को अच्छे से पढ़ना पड़ता है।

एसडीएम बनने के लिए जो भी सिलेबस होता है, उसकी विस्तृत जानकारी वैकेंसी के दौरान नोटिफिकेशन में बता दी जाती है।

एसडीएम की सैलरी कितनी होती है?

एसडीएम 5400 ग्रेड पे का अधिकारी पद होता है। इस पद पर काम कर रहे अधिकारी का मासिक न्यूनतम वेतन 53,100 रुपये से 67,700 रुपये होता है।

हालांकि एक एसडीएम को वेतन के अतिरिक्त अन्य कई आकर्षक भत्ते भी मिलते हैं, जो इस प्रकार है:

  • एसडीएम को रहने के लिए सरकारी निवास मिलता है।
  • सरकारी निवास में उन्हें सिक्योरिटी गार्ड और रसोइया जैसी अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं।
  • एक एसडीएम को सरकारी वाहन भी प्राप्त होता है, जिसका पेट्रोल का खर्चा सरकार ही देती है।
  • एसडीएम को फ्री बिजली, फ्री टेलीफोन की सुविधा दी जाती है।
  • अगर एसडीएम सरकारी कामकाज से एक राज्य से दूसरे राज्य में जाए तो उसके निवास की सुविधा दी जाती है और ट्रैवलिंग का खर्चा भी सरकार देती है।
  • एसडीएम को आगे की पढ़ाई के लिए अवकाश भी दिया जाता है।
  • रिटायरमेंट के बाद उन्हें बहुत अच्छा खासा पेंशन भी मिलता है।

FAQ

यूपीएससी और पीसीएस परीक्षा के द्वारा एसडीएम बनने पर क्या अंतर होता है?

जो उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा के द्वारा एसडीएम बनते हैं, उन्हें भारत भर में कहीं भी सेंटर दिया जा सकता है। वहीं स्टेट पीसीएस परीक्षा के द्वारा एसडीएम बनने पर उन्हें संबंधित राज्य के अंदर ही काम करना होता है। यूपीएससी के द्वारा बनने वाले एसडीएम को पीसीएस के तुलना में प्रमोशन के अवसर ज्यादा प्राप्त होते हैं।

यूपीएससी और पीसीएस में क्या अंतर है?

दोनों ही प्रशासनिक स्तर की परीक्षा होती है। लेकिन यूपीएससी परीक्षा केंद्र स्तर की होती है, जिसका आयोजन केंद्र सरकार करती है। वहीं पीसीएस परीक्षा राज्य स्तर की होती है, जो हर एक राज्यों में आयोजित होती है।

एसडीएम बनने के लिए न्यूनतम आयु क्या होती है?

एसडीएम बनने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है।

एसडीएम प्रमोशन होकर क्या बनते हैं?

एसडीएम का प्रमोशन होने के बाद उन्हें डीएम बना दिया जाता है।

एक जिले में कितने एसडीएम हो सकते हैं?

प्रत्येक जिलों में एसडीएम की संख्या अलग-अलग होती है। दरअसल हर 1 जिलों में जितनी तहसील होती है, उसके अनुसार एसडीएम होते हैं। हर एक तहसील के लिए एक एसडीएम होते हैं।

एसडीएम और डीएम में क्या अंतर होता है?

एसडीएम जिले का मालिक कहलाता है। हर एक जिले में केवल एक एसडीएम होता है लेकिन कई सारे तहसील से एक जिला बनता है और एसडीएम तहसील के अंतर्गत काम करते हैं।

निष्कर्ष

इस तरह उपरोक्त लेख में आपने भारत का एक प्रशासनिक स्तर का पद एसडीएम से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त की। आज के इस लेख में एसडीएम कैसे बने, एसडीएम बनने के लिए योग्यता आदि जैसी कई महत्वपूर्ण चीजों के बारे में जाना।

हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके एसडीएम बनने के सपनों को साकार करने में मदद करेगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि जो भी एसडीएम बनना चाहते हैं, वे एसडीएम संबंधित सारी जानकारी प्राप्त कर सके।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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