संबंधवाचक विशेषण (Sambandh Vachak Visheshan): विशेषण जो हिंदी व्याकरण की मुख्य शाखा है। विशेषण के बारे में विद्यार्थियों को कक्षा 6 में आने के बाद पढ़ाना शुरू किया जाता है, जो विद्यार्थी के भविष्य में कई सालों तक काम आता है। विशेषण के बारे कई बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी विशेष रूप में पूछा जाता है।
इस लेख में आपको संबंधवाचक विशेषण से जुड़ी पूरी जानकारी देखने को मिलेगी। यहां पर संबंधवाचक विशेषण की परिभाषा और उदाहरण के बारे में विस्तार से समझाया गया है।
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संबंधवाचक विशेषण किसे कहते है?
संबंधवाचक विशेषण की परिभाषा: ऐसे विशेषण शब्द जिनके उपयोग किसी भी वस्तु या व्यक्ति एक दूसरे के संबंध को बताने के लिए किया जाता है, या ऐसे विशेषण शब्द जिनका प्रयोग किसी दो के बीच में संबंध बताने के लिए किया जाता है। उन शब्दों को संबंधवाचक विशेषण कहते हैं।
संबंध वाचक विशेषण में कोई भी दो वस्तुओं के बीच संबंध बताते हुए उन वस्तुओं की विशेषता बताई जाती है। इस प्रकार के विशेषण में अंदरूनी शब्द का प्रयोग क्रियाविशेषण को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
संबंध वाचक विशेषण के मुख्य उदाहरण
- पेट के अंदरूनी हिस्से में चोट लगी है।
इस वाक्य में अंदरूनी शब्द का प्रयोग पेट और चोट के बीच में संबंध बताने के लिए किया गया है। इस प्रकार के शब्दों को संबंध वाचक विशेषण का मुख्य उदाहरण माना जाता है।
- घर के अंदरूनी हिस्से में एक व्यक्ति खड़ा है।
ऊपर दिए गए इस वाक्य में अंदरूनी शब्द का प्रयोग घर और आदमी के बीच संबंध बताने के लिए किया गया है। इसलिए इस वाक्य को संबंध वाचक विशेषण का उदाहरण माना जाता है।
- हृदय शरीर का अंदरूनी हिस्सा होता है।
ऊपर दिए गए वाक्य में अंदरूनी शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द बाहरी शरीर और अंदर के शरीर के बीच में संबंध बता रहा है। यहां पर क्रिया विशेषण शब्द का निर्माण होता है। इसलिए इस वाक्य को संबंध वाचक विशेषण के अंतर्गत रखा गया है।
- उसकी आंख के अंदरूनी हिस्से में चोट लगी है।
ऊपर दिए गए इस उदाहरण में साफ साफ दिखाई दे रहा है कि आंख के अंदरूनी हिस्से में चोट लगी है। इस अंदरूनी शब्द का प्रयोग आंख के बाहर और अंदर के बीच में संबंध बताया गया है और इसीलिए इस वाक्य को संबंध वाचक विशेषण के अंतर्गत रखा गया है।
- मंगल का भीतरी इलाका बहुत गर्म है।
ऊपर दिए गए इस उदाहरण में भीतरी शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द जिसके माध्यम से क्रिया विशेषण का निर्माण होता है और यहां पर भीतरी शब्द के जरिए मंगल के अंदर और बाहर के इलाके के बीच संबंध बताया जा रहा है। इसीलिए इस वाक्य को संबंध वाचक विशेषण के अंतर्गत रखा गया है।
निष्कर्ष
हमने यहां पर संबंधवाचक विशेषण (Sambandh Vachak Visheshan) की परिभाषा और उदाहरण के बारे में विस्तार से जाना है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह समझ आ गया होगा। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे।
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