हिंदी व्याकरण में बहुत सारे भाग है, जिसमें समास मुख्य रूप से शामिल है। समास बहुत ही बड़ा हिस्सा हिंदी ग्रामर का माना जाता है। हिंदी व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के साथ-साथ समास भी मुख्य रूप से हिंदी व्याकरण का अंग है।
समास हिंदी व्याकरण की एक प्रमुख शाखा है। समास हिंदी भाषा में शब्द निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर एक विद्यार्थियों के लिए समास को समझना बहुत ही जरूरी है, इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
क्योंकि आगे हम यहां पर समास क्या होता है, समास की परिभाषा, समास के कितने प्रकार होते हैं और समास के उदाहरण इत्यादि के बारे में जानने वाले हैं।
समास किसे कहते है?
जब भिन्न अर्थ वाले दो शब्द एक दूसरे के साथ मिलकर किसी नए अर्थ को बनाएं तो उसे समास कहते हैं। समाज में कभी-कभी प्रथम पद गौण होता है, द्वितीय पद प्रधान होता है तो कभी-कभी प्रथम और द्वितीय दोनों ही पद गौण होते हैं तो कभी कभी दोनों ही पद प्रधान होते हैं।
कभी-कभी समास में प्रथम पद विशेषण होते हैं और दूसरा पद विशेष्य होते हैं, इस तरह जब दो भिन्न अर्थ वाले शब्दों को जोड़ा जाता है तो प्रथम शब्द दूसरे शब्द की विशेषता बताता है।
समास में पहले पद को पूर्व पद कहा जाता है, वहीँ दूसरे पद को उत्तर पद कहा जाता है। इस तरह कह सकते हैं कि समास वाक्यों का संक्षिप्तीकरण करता है अर्थात यह कम शब्दों में अधिक अर्थ को बयां करता है।
उदाहरण
- देश निकाल
- राष्ट्रीयनायक
- पीतांबर
उपयुक्त उदाहरण में देख सकते हैं कि यह तीनों ही एकल शब्द है, लेकिन यह बड़े अर्थ को दर्शा रहे हैं। जैसे कि देश निकाल जिसका अर्थ होता है देश से निकालना, जिसे संक्षिप्त में देश निकाल बनाया गया है।
वहीँ राष्ट्र नायक, जो राष्ट्र का नायक होता है। पितांबर पीले रंग का वस्त्र, यहां इतने बड़े वाक्य को ना कह कर इसका संक्षिप्त रूप पितांबर का प्रयोग किया गया है।
समास-विग्रह
जैसा हमें पता है कि समाज में दो पदों का योग होता है और इन दोनों पदों को अलग करने की क्रिया को ही समास विग्रह कहा जाता है। जब समास विग्रह किया जाता है तो दोनों पदों के बीच का, के, की, से, और, में, के, लिए इत्यादि कई प्रकार के विभक्ति चिह्न जुड़ जाते हैं और फिर दोबारा उन दोनों पदों को जोड़ने पर यह सभी विभक्ति चिन्ह हट जाते हैं।
- देशवासी = देश का वासी
- माता-पिता = माता और पिता
- यथामती = मती के अनुसार
- राजा-रंक = राजा और रंक
- चतुर्भुज = चार हैं भुजाएं जिसकी
समास के कितने भेद होते है?
समास कितने प्रकार के होते हैं: समास के मुख्य रूप से 6 प्रकार होते है, जो निम्न है:
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद समास
- बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास इस तरह का समास है, जिसमें पहले पद में अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर इत्यादि जैसे अव्यय लगे होते हैं। इस प्रकार के समास में दोनों पदों के मेल से बना अर्थ प्रधान रहता है।
उदाहरण
- अनजाने = बिना जाने
- समस्तपद = अव्यय विग्रह
- आजीवन = जीवन भर
- अप्रत्यक्ष = आंख के पीछे
- यथोचित = जितना उचित हो
अव्ययीभाव समास के बारे में गहराई से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें अव्ययीभाव समास (परिभाषा और उदाहरण)
तत्पुरुष समास
इस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है। साथ ही प्रथम पद गौण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है।
इस प्रकार के समास का समास विग्रह करते वक्त दोनों पदों के बीच ‘का’, ‘के’, की, ‘के लिए’ जैसे वर्णो का लोप लग जाता है और इनका दूबाया समास करने पर समस्त कारकिय चिन्हों को पुनः जोड़ दिया जाता है।
- युद्धक्षेत्र = युद्ध का क्षेत्र
- देशद्रोही = देश को धोखा देने वाला
- आत्मघाती = स्वयं को मारने वाला
- यशप्राप्त = यश को प्राप्त
- कुलश्रेष्ठ = कुल में श्रेष्ठ
तत्पुरुष समास के विभिन्न या शब्दों के समास विग्रह करते वक्त दोनों पदों के बीच लगने वाले विभिन्न लोप के आधार पर इसे 6 भागों में बांटा गया है।
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- संप्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- संबंध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष
तत्पुरुष समास के इस भाग में ‘को’ का लोप होता है।
- मनोहर = मन को हरने वाला
- जगसुहाता = जग को सुहाने वाला
करण तत्पुरुष
करण तत्पुरुष के शब्दों के समास विग्रह में दोनों पदों के बीच ‘से’ का लोप होता है।
- धर्मभ्रष्ट = धर्म से भ्रष्ट
- देशनिकाला = देश से निकाला
- नेत्रहीन = नेत्र से हीन
- रनविमुख = रन से विमुख
संप्रदान तत्पुरुष
संप्रदान तत्पुरुष समाज के समास विग्रह के दौरान दोनों पदों के बीच ‘के लिए’ का लोप हो जाता है।
- समाचार पत्र = समाचार के लिए पत्र
- काकबलि = काक कौआ के लिए बलि
- क्रीड़ास्थल = क्रीडा के लिए स्थल
- आरामकुर्सी = आराम के लिए कुर्सी
- विधान भवन = विधान के लिए भवन
- विधानसभा = विधान के लिए सभा
अपादान तत्पुरुष
अपादान तत्पुरुष के शब्दों का समास विग्रह करते वक्त अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ का लोप हो जाता है।
- धनहीन = धन से हीन
- सेवानिवृत्त = सेवा से निवृत्त
- देशनिर्वासित = देश से निर्वासित
संबंध तत्पुरुष
इस प्रकार के समास में समास विग्रह करते वक्त ‘का, के, की’ जैसे संबंध कारक चिन्ह का लॉक हो जाता है।
- कृष्णमूर्ति = कृष्ण की मूर्ति
- सचिवालय =सचिव की आलय
- गोबरगणेश = गोबर का गणेश
- ब्राह्मणपुत्र = ब्राह्मण का पुत्र
- देशवासी = देश के वासी
- जीवनसाथी = जीवन का साथी
अधिकरण तत्पुरुष
इस प्रकार के समास में समास विग्रह करते वक्त दोनों पदों के बीच ‘में’ अधिकरण कारक का चिन्ह लगता है।
- नगरवास = नगर में वास
- पेटदर्द = पेट में दर्द
- स्वर्गवासी = स्वर्ग में बसने वाला
- कुलश्रेष्ठ = कुल में श्रेष्ठ
- मुनिश्रेष्ठ = मुनियों में श्रेष्ठ
तत्पुरुष समास के बारे में गहराई से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें तत्पुरुष समास (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
कर्मधारय समास
कर्मधारय समास के दोनों पदों में से पहला पद गौण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है। पहला पद विशेषण होता है, वहीँ दूसरा पद विशेष्य होता है। इसके साथ ही प्रथम एवं द्वितीय पद के बीच में उपमेय और उपमान का संबंध होता है।
हालांकि उपमान भी उपमेय का ही विशेषता बताने का कार्य करता है। कर्मधारय समास का जब समास विग्रह किया जाता है तो दोनों पदों के बीच में “के समान है, जो, रूपी” इत्यादि शब्दों का लोप होता है।
उदाहरण
- भुजबंद = भुज है जो बंद
- महादेव = महान है जो देव
- परनारी = पराई है जो नारी
- नील कमल = नील के समान कमल
- पीतांबर = पीत है जो अंबर
कर्मधारय समास के बारे में गहराई से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें कर्मधारय समास (परिभाषा और उदाहरण)
द्विगु समास
द्विगु समास में भी तत्पुरुष समास की तरह ही प्रथम पद गौण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है। इसके साथ ही यह कुछ हद तक कर्मधारय समास के समान ही होता है।
क्योंकि कर्मधारय समास की तरह ही द्विगु समास का पहला पद विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है, लेकिन दोनों में अंतर बस यही होता है कि द्विगु समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है बल्कि कर्मधारय समास में पहला पर किसी भी प्रकार का विशेषण हो सकता है।
लेकिन हां यदि कोई शब्द में पहला पद संख्यावाची विशेषण है, लेकिन उसका समास विग्रह करने के दौरान द्वितीय पद के साथ समाहार शब्द का प्रयोग न किया जाए तो प्रथम पद संख्यावाची विशेषण होने के बावजूद यह कर्मधारय समास का उदाहरण होगा। इस बात का ध्यान रखें।
- चतुर्थभवन = चार भवनों का समाहार
- त्रिधातु = तीन बातों का समाहार
- पंचतंत्र = पाँच तंत्रों का समाहार
- अष्टसिद्धियां = आठ सिद्धियों का समाहार
- चवन्नी = चार आनों का समाहार
- तिरंगा = तीन रंगों का समूह
द्विगु समास के बारे में गहराई से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें द्विगु समास (परिभाषा और उदाहरण)
द्वंद समास
इस प्रकार का समास है, जिसमें दोनों ही पद प्रधान होते हैं। अर्थात कि इनमें से कोई भी पद गौण नहीं होता है। द्वंद समास में दो पदों के बीच में ‘ – ‘ का चिन्ह लगा होता है, जो इसका पहचानने है।
द्वंद समास के दोनों पदों का समास विग्रह करते समय दोनों शब्दों के बीच समुच्चयबोधक अव्यय और तथा का प्रयोग किया जाता है। वहीँ उन समास विग्रह किए गए दोनों शब्दों को दोबार जोड़कर द्वंद समास बनाते समय यह समुच्चयबोधक अव्यय हट जाते हैं।
- राजा-रानी = राजा और रानी
- दिन-रात = दिन तथा रात
- भूल-चूक = भूल या चूक
- दाल-रोटी = दाल और रोटी
द्वंद समास के बारे में गहराई से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें द्वंद्व समास (परिभाषा और उदाहरण)
बहुव्रीहि समास
इस समास में दोनों पद में से कोई भी पद प्रदान नहीं होता है। प्रथम और द्वितीय दोनों ही पद गौण होते हैं। परंतु दोनों ही पद मिलकर किसी तीसरे पद की विशेषता बताते हैं और वह तीसरा पद ही प्रधान होता है।
उदाहरण के लिए त्रिलोचन। यदि हम इसकी रचना देखें तो यह शब्द त्रि और लोचन दो पदों से मिलकर बना है, लेकिन यहां पर त्रि और लोचन दोनों में से कोई भी पद प्रधान नहीं है। यहां पर दोनों ही पद मिलकर किसी तीसरे पद अर्थात की महादेव को संबोधित कर रहे हैं।
एक तौर पर देखा जाए तो त्रिलोचन इन दो शब्दों में प्रथम पद त्रि विशेषण है और द्वितीय पद लोचन विशेष्य है। इस तरह यह कर्मधारय समास का भी उदाहरण हो सकता है। वहीँ इसके प्रथम पद में संख्यावाचक शब्द अर्थात तीन होने के कारण यह द्विगु समास को भी दर्शाता है।
लेकिन इसका समास विग्रह करने पर ऐसे तीसरे पद की विशेषता बता रहा है, जिसके तीन नेत्र हैं अर्थात कि वह महादेव है। इस तरह कह सकते हैं कि बहुव्रीहि समास में दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद के बारे में बताते हैं।
- पीतांबर = पीला है वस्त्र जिसका (भगवान विष्णु)
- चारपाई =चार हैं पाए जिसके (पलंग)
- तिरंगा = तीन रंग हैं जिसके (राष्ट्रीय ध्वज)
- विषधर= विष को धारण किया है जिसने (महादेव)
- गजानन = गज के समान आनन है जिसका (गणेश)
उपयुक्त बहुव्रीहि के सभी उदाहरण में प्रथम और द्वितीय दोनों ही पद गौण हैं और दोनों ही पद मिलकर तीसरे पद को दर्शा रहे हैं।
बहुव्रीहि समास के बारे में गहराई से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें बहुव्रीहि समास (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
संधि तथा समास में अंतर
कई लोगों को संधि और समास के अंतर में भ्रम रहता है कि क्या दोनों एक ही है। क्योंकि दोनों का ही विग्रह किया जा सकता है। लेकिन संधि दो या दो से अधिक वर्णों से मिलकर बना होता है, वहीँ समास दो शब्दों का मेल होता है।
संधि का विग्रह संधि विच्छेद कहलाता है, वहीँ समास का विग्रह समास विग्रह कहलाता है। संधि विग्रह करते वक्त वर्णों का विग्रह होता है, वहीँ समास का विग्रह करते वक्त दो शब्दों का विग्रह होता है। उदाहरण के लिए
- विद्यालय विद्या + आर्य
- महोत्सव महा + उत्सव
समास के उदाहरण
- घुड़सवार = घोड़े पर सवार
- पीतांबर = पीले रंग का वस्त्र
- नीलांबर = नीला है अंबर
हालांकि संधि और समास दोनों ही दो अलग-अलग वर्ण और शब्दों के मेल से एक नए शब्द को बनाते हैं और यह वाक्यों को संक्षिप्तीकरण भी करते हैं।
FAQ
समास का अर्थ संक्षिप्तीकरण होता है। दो या दो से अधिक शब्दों से एक संक्षिप्त शब्द बनता है। उदाहरण के लिए घुड़सवार- घोड़े पर सवार, रसोईघर – रसोई के लिए घर।
समास का कुल 6 प्रकार है: द्वंद समास, द्विगु समास, तत्पुरुष समास, अव्यय समास, बहुव्रीहि समास,कर्मधारय समास।
पितांबर बहुब्रिय समास है। इसका समास विग्रह पीले रंग का वस्त्र होता है, जो भगवान विष्णु को संबोधित करता है।
बहुब्रिहि समास के शब्दों में दोनों में से किसी भी पद की प्रधानता नहीं होती है। दोनों ही पद मिलकर किसी अन्य तीसरे संज्ञा या विशेषण की विशेषता बताते हैं। उदाहरण के लिए लंबोदर, लंबोदर का समास विग्रह होता है लंबा उधर। लेकिन इसमें किसी भी पद की प्रधानता नहीं है। क्योंकि यह दोनों ही पद मिलकर किसी तीसरे की विशेषता बता रहे हैं। अर्थात यहां लंबा उदर का अर्थ भगवान गणेश से है।
राजदरबार तत्पुरुष समास को दिखाता है।
जिस समाज के वाक्य में का, की या के का लोप होता है उसे संबंध तत्पुरुष कहते हैं। रामायण = राम का अयन, देव मूर्ति = देव का मूर्ति।
देशनिर्वासित = देश से निर्वासित, धर्मविमुख = धर्म से विमुख, पदच्युत = पद से हटाया हुआ, धनहीन = धन से हीन, पापमुक्त = पाप से मुक्त, व्ययमुक्त = व्यय से मुक्त।
समास वाक्यों का संक्षिप्तीकरण होता है। इसमें दो शब्द मिलकर एक अलग अर्थ बनाते हैं। समास में दो पदों के बीच विभक्ति का लोप होता है। समास में कभी दो पदों के बीच में पहला पद प्रधान होता है तो कभी दूसरा पद प्रधान होता है तो कभी-कभी दोनों ही पद प्रधान होता है। यहां तक कि समास में कभी-कभी दोनों ही पद गौण होकर इसका अर्थ ही प्रधान हो जाता है।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको समास क्या होता है, समास की परिभाषा उदाहरण सहित, समास के कितने प्रकार होते हैं और उसके कुछ उदाहरण के बारे में बताया। समास हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है और हिंदी भाषा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। हिंदी साहित्य के लेखकों की लेखनी को समास ने और भी ज्यादा उत्कृष्ट बनाया है।
यह लेख सभी विद्यार्थियों के लिए बहुत ही जरूरी है। इसीलिए इस लेख को अपने सोशल मीडिया अकाउंट व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक इत्यादि के जरिए ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। इसको पढ़ने के बाद आपके मन में कोई भी प्रश्न हो या कोई भी सुझाव हो तो कमेंट में लिखकर जरूर बताएं।
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