आपने बहुत से छात्र नेताओं के बारे में सुना होगा। हालांकि ज्यादातर छात्रसंघ अध्यक्ष अपने कॉलेज तक प्रख्यात होते हैं लेकिन कुछ छात्र संघ नेता अपने अच्छे कार्यों से देश भर में प्रसिद्ध हो जाते हैं।
ऐसे ही एक पूर्व युवा छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी है, जो मात्र 2 वर्षों में ही इतना प्रख्यात हो गए कि अब उनके चाहने वालों ने उन्हें विधानसभा चुनाव तक लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और जीत भी दर्ज करवाई।
इन्होने राजस्थान एक शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ा। मैदान में इनके सामने सबसे उम्रदराज आमीन खान, जो कि 5 बार विधायक रह चुके है व कांग्रेस के मजबूत दावेदार थे, कांग्रेस के बागी फ़तेह खान और बीजेपी से स्वरुप सिंह थे।
शिव विधानसभा क्षेत्र से रविद्र सिंह भाटी ने सभी मजबूत दावेदारों को जीतने में पसीने छूटा दिए आखिर में रविन्द्र सिंह भाटी ने 3950 वोटों से जीत दर्ज की।
इस लेख में रविंद्र सिंह भाटी का परिचय (Ravindra Singh Bhati Biography in Hindi) विस्तार से जानेंगे। इस जीवन परिचय में रविंद्र भाटी कौन है, इनकी डेट ऑफ बर्थ, इनका परिवार, शिक्षा, राजनीति जीवन, मोबाइल नंबर आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
रविंद्र सिंह भाटी का जीवन परिचय (Ravindra Singh Bhati Biography in Hindi)
नाम | रवीद्र सिंह भाटी |
जन्म और जन्मस्थान | 3 दिसम्बर 1997, दुधोड़ा, बाड़मेर (राजस्थान) |
पेशा | पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, राजनेता, विधायक |
पिता | शैतान सिंह भाटी |
माता | अशोक कंवर |
पत्नी | धनिष्ठा कंवर |
कास्ट (caste) | राजपूत |
शिक्षा | BA – LLB |
स्कूल | आदर्श विद्या मंदिर, हरसानी (बाड़मेर) मयूर नोबल्स एकेडमी, बाड़मेर |
कॉलेज | जय नारायण विश्वविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान |
मोबाइल नंबर | 07742158035 |
रवीद्र सिंह भाटी का जन्म और परिवार
रविंद्र सिंह भाटी का जन्म 3 दिसंबर 1997 को राजस्थान के बाड़मेर की गडरारोड तहसील के दुधोड़ा नामक गांव में एक राजपूत परिवार में हुआ था।
इनकी माता का नाम अशोक कंवर और पिता का नाम शैतान सिंह भाटी है। दोनों ही अध्यापक के पद पर काम कर चुके हैं। रविंद्र सिंह भाटी विवाहित है, इनकी पत्नी का नाम धनिष्ठा कंवर है। इनके दो बेटे है, जिनका नाम दिव्यराज सिंह भाटी और देवेंद्र सिंह भाटी है।
हालांकि इनके परिवार में कोई भी राजनीतिक क्षेत्र से संबंध नहीं रखता है। उसके बावजूद इन्होंने करियर के रूप में राजनीति को चुना है। इनको चाहने वाले इन्हें रवसा नाम से जानते हैं।
रवीद्र सिंह भाटी की शिक्षा
रविंद्र सिंह भाटी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा राजस्थान के बाड़मेर जिले के आदर्श विद्या मंदिर हरसानी एवं मयूर नोबल्स एकेडमी से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए इन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
यहां से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद साल 2015 में राजस्थान की प्रसिद्ध विश्वविद्यालय जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में एलएलबी के लिए दाखिला लिया।
रवीद्र सिंह भाटी का राजनीति जीवन
रविंद्र सिंह भाटी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2019 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव में भारी जीत प्राप्त करके की थी।
साल 2016 से ही ये राजनीति में सक्रिय हो गए थे। जय नारायण विश्वविद्यालय के उस समय के अध्यक्ष कुणाल सिंह के साथ उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी। जिसके बाद यह उनके साथ मिलकर छात्र हितों के लिए कई सारे धरना प्रदर्शन भी किये। छात्रों की हित के लिए आवाज भी उठाते रहे।
इस तरह साल 2019 तक कुणाल सिंह के साथ मिलकर छात्र हित के कई कार्यो में योगदान दिया। फिर साल 2019 में छात्र संघ के अध्यक्ष के चुनाव आयोजित हुए।
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार पर्चे भर रहे थे। रविंद्र सिंह इस पद के लिए चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उन्हें ABVP के द्वारा टिकट नहीं मिला, जिसके कारण इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का सोचा।
निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद इन्होंने 1294 वोट से भारी जीत हासिल करके एक रिकॉर्ड बना डाला। क्योंकि राजस्थान के इस जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के अब तक के इतिहास में कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार इतने ज्यादा वोट से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव नहीं जीता था। ऐसे में रविंद्र सिंह भाटी के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
कोरोना महामारी के कारण छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं होने की कारण यह 2019 से 2022 तक जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष पद पर रहे।
हालांकि रविन्द्र सिंह भाटी ही नहीं बल्कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भारत के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे बड़े राजनीतिक नेता ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जय नारायण विश्वविद्यालय से ही की है।
रविंद्र सिंह अपनी सरल भाषा शैली और अच्छे व्यक्तित्व के कारण ज्यादातर विद्यार्थियों की नजरों में थे, जिन्होंने इन्हें साल 2019 के जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
चुनाव में जीत प्राप्त करने के बाद इन्होंने उन सभी विद्यार्थियों को अपने जीत का श्रेय दिया, जिन्होंने इन्हें विश्वास दिलाया कि वे इस पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने उन सभी छात्रों को धन्यवाद प्रकट किया, जो इनके साथ खड़े रहे।
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रविंद्र सिंह भाटी के द्वारा बेरोजगारों के हल्ला बोल का नेतृत्व
रविंद्र सिंह भाटी कई बार विश्वविद्यालय में जमीन के मुद्दे, छात्र-छात्राओं की पढ़ाई को लेकर कई बार आवाज उठाते हुए नजर आए हैं। यही कारण है कि छात्रों के बीच में उनकी छवि काफी ज्यादा बढ़ चुकी है।
एक बार फिर छात्र हितों के लिए इन्होंने 13 सितंबर 2021 को राजस्थान के हर कॉलेज से भ्रष्टाचार, तानाशाह, फिस राहत की मांग को लेकर एक आंदोलन जारी किया, जिसमें जयपुर विधानसभा का घेराव किया गया।
इस आंदोलन में सभी छात्र-छात्राओं को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इन्होंने राजस्थान के लगभग सभी प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में जाकर भाषण दिया।
इन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से ही युवा छात्रों का शोषण किया जा रहा है। जब भी वह अपने हक के लिए आवाज उठाते हैं तो प्रशासन उनके आंदोलन को दबा देते हैं। ऐसे में सभी छात्र-छात्राओं को और प्रत्येक विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्षों को मिलकर इस आंदोलन में भाग लेना होगा।
इस आंदोलन में रविन्द्र सिंह भाटी ने विशेष रूप से बेरोजगारी आंदोलन का नेतृत्व किया। तकरीबन 5000 से भी ज्यादा छात्र छात्रा राजस्थान विधानसभा के सामने एकत्रित हुए और सभी ने बढ़-चढ़कर रविंद्र सिंह भाटी का साथ दिया।
हालांकि उनकी इस रैली को और प्रदर्शन को बंद करने के लिए प्रशासन और पुलिस कर्मियों के द्वारा विशेष प्रकार के काम भी किए गए। यहां तक कि पीएसी बल भी तैनात किए गए। पुलिसकर्मी और पीएसी बल के द्वारा किए गए अनेकों प्रकार के प्रयास से भी इस रैली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, वे अपनी जिद पर डटे रहे।
रविंद्र सिंह भाटी किसी भी कीमत पर छात्रों की मांग, उनकी आवाज को विधानसभा तक पहुंचाना चाहते थे। उनका कहना था कि जब तक हम अपनी बात सरकार को नहीं बताएंगे तब तक हम इस रैली को बंद नहीं करेंगे। इसीलिए उन्होंने खुद इस आंदोलन का नेतृत्व किया था।
इस आंदोलन में सभी छात्र-छात्राओं ने राजस्थान विधानसभा को चारों तरफ से घेर लिया था और अपने इस प्रदर्शन को जारी रखा जब तक कि सरकार घुटने ना टेक दें।
मातृभाषा में लगाव
रविंद्र सिंह भाटी एक प्रसिद्ध छात्र संघ नेता है। आज ये काफी ऊंचे मुकाम तक पहुंच चुके हैं। लेकिन उसके बावजूद जरा सा भी घमंड नहीं है। यह बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। अपनी भाषा शैली के कारण ही लोगों के बीच ज्यादा प्रसिद्ध है।
इन्हें राजस्थानी भाषा के अतिरिक्त हिंदी और अंग्रेजी भाषा का पूरा ज्ञान है लेकिन उसके बावजूद यह जब भी किसी इंटरव्यू या कार्यक्रम के मंच पर बोलते हैं तो सदैव अपनी मातृभाषा मायड़ भाषा का ही प्रयोग करते हैं।
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रविंद्र सिंह भाटी के द्वारा छात्र हित के लिए किए गए कार्य
रविंद्र सिंह भाटी की खासियत यही है कि यह हर एक छात्र के मार्मिक दर्द को समझते हैं, हर एक छात्र की समस्या को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझ कर हल करते हैं, उनकी मदद करते हैं।
कोई भी छात्र जब भी इनके पास मदद के लिए आया, इन्होंने तुरंत प्रभाव से हर प्रकार से उनके लिए सहायता उपलब्ध करवाई। छात्र हितों के लिए यह हमेशा ही तत्पर रहे।
हर एक अवसर पर इन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जैसे कि रिटायरमेंट हो चुके स्टाफ के लिए पेंशन शुरू करवाने की मांग हो या फिर यूनिवर्सिटी के जमीन पर अवैध रूप से कब्जा को छुड़वाना हो या फिर छात्रों के अन्य मांग के लिए आवाज उठाना हो। हर एक प्रदर्शन में इन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया उनके साथ खड़े रहे।
यही कारण है कि रविन्द्र सिंह भाटी छात्रों के बीच बहुत ही प्रख्यात है और इसीलिए छात्र चाहते हैं कि यह अपने राजनीतिक क्षेत्र में और भी ज्यादा आगे बढ़े, राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़कर केंद्र स्तर तक अपने छात्रों की समस्याओं को पहुंचाएं।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में रविन्द्र सिंह भाटी
राजस्थान में आयोजित होने वाले विधानसभा चुनाव में बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से रविंद्र सिंह भाटी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
इन्होनें युवा दिवस पर अपने क्षेत्र शिव में रन फॉर रेगिस्तान मैराथन का आयोजन किया था, जिसमें 10 हजार से भी ज्यादा युवाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। इस मैराथन को नॉन पॉलिटिकल मानते हुए सभी पार्टियों के जनप्रतिनिधियों को निमंत्रण दिया गया था।
रविंद्र सिंह भाटी का कहना है शिव विधानसभा क्षेत्र के लोग आज भी कई सारी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं, जिसमें रोजगार, बेहतर शिक्षा और भी कई सारी परेशानियां शामिल है।
शिव विधानसभा क्षेत्र में भाटी जनता को सर्वोपरी मानकर विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करके सभी मतदाताओं की समस्याओं को सुन रहे हैं। इन्होंने शिव जन संवाद यात्रा के तहत कई क्षेत्रों का दौरा कर विभिन्न समस्याओं को सुना और काफी समस्याओं का हर तुरंत किया।
28 अक्टूबर 2023 को रविन्द्र सिंह भाटी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। लेकिन इसके 9 दिन बाद ही शिव विधानसभा क्षेत्र से टिकट रविन्द्र सिंह की जगह पर स्वरूप सिंह खारा को दी गई। इस कारण भाटी का पार्टी से मोह भंग हो गया और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।
3 दिसम्बर 2023 को राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी हुए, जिसमें रविन्द्र सिंह भाटी ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और 4790 मतों से जीत हासिल की।
शिव विधानसभा सीट पर रही सबकी नजर
राजस्थान की यह एकमात्र ऐसी सीट थी, जिस पर पूरे देश की नजर थी। क्योंकि यहां पर पंचकोणीय मुकाबला था और सभी दावेदार मजबूत दावेदार थे।
यहां सबसे उम्रदराज आमीन खान (85 साल) जो कि कांग्रेस से विधायक थे और उन्हें 10वीं बार कांग्रेस से टिकट मिली थी (1980 से लगातार), कांग्रेस से बागी फतेह खान और स्वरुप सिंह के बीच मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में रविंद्र सिंह भाटी ने बाजी मार कर शिव विधानसभा के विधायक बने।
शिव विधानसभा के नतीजे निम्न रहे थे:
कुल मतदान हुआ | 83.28 प्रतिशत |
रविंद्र सिंह भाटी (निर्दलीय) | 79,495 मत (3950 मतों से विजय) |
फतेह खान (निर्दलीय) | 75,545 मत |
आमीन खान (कांग्रेस) | 55,264 मत |
स्वरूप सिंह खारा (भाजपा) | 22,820 मत |
रविंद्र सिंह भाटी net worth
रविन्द्र सिंह भाटी ने शिव विधानसभा से नामांकन के साथ शपथ पत्र भरा था तब उसमें अपनी सम्पति का विवरण दिया था। उसके अनुसार इनके पास कुल एक लाख पचास हजार रूपये और इनकी पत्नी के पास एक लाख रूपये है।
इनके शिव में दो बैंक खाते हैं जिसमें एक खाते में 35834 और दूसरे में 10000 रूपये है। इसके अलावा इनके पास 30,900 रूपये के गहने है और इनकी पत्नी के पास 19 लाख 32 हजार के गहने है।
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निष्कर्ष
इस लेख में राजस्थान का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी का जीवन परिचय (Ravindra Singh Bhati Biography in Hindi) जाना।
यह एक सच्चे छात्र हितैषी होने के साथ ही सेवा भावी और सामाजिक कार्यकरता है। अपनी माटी के प्रति प्रेम, छात्र हित के लिए हमेशा तत्पर रहना, अपनी सरल भाषा शैली और सौम्यता के कारण यह यहां के छात्रों के दिलों में बसते हैं।
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