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जैविक खेती क्या है और कैसे करें?, पूरी जानकारी

विश्व की जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में खाद उत्पन्न की समस्या भी बढ़ रही है। ज्यादा से ज्यादा खाद उत्पादन करने के लिए किसान तरह-तरह के रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है।

लेकिन रासायनिक खाद से उत्पादित खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही नुकसानदायक होता है और न केवल स्वास्थ्य बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

Organic Farming in Hindi

रासायनिक खादों के कारण जमीन की उर्वकता भी घट जाती है। ऐसे में जरूरी है कि दुनिया भर के किसान रासायनिक खादों का कम इस्तेमाल करते हुए जैविक खेती शुरू करें।

जैविक खेती के कई फायदे हैं। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं आती। लेकिन बहुत से लोगों को नहीं पता कि जैविक खेती क्या है

इस लेख में jaivik krishi kya hai, जैविक खेती की आवश्यकता, जैविक खेती के लाभ, जैविक खेती कैसे करें और जैविक खेती से संबंधित अन्य जानकारी दी है।

जैविक खेती किसे कहते हैं?

जैविक खेती को अंग्रेजी में organic खेती कहा जाता है। जैविक खेती, खेती की एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक अर्थात खरपतवारनाशक के जगह पर जीवाश्म खादो का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि गोबर की खाद, कंपोज्ड की हुई साग सब्जियों से बनी खाद, जीवाणु कल्चर, हरि खाद इत्यादि।

इस तरीके से जैविक खाद में प्रकृति में जो तत्व पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रकृति में उपलब्ध जीवाणु, मित्र कीट और जैविक कीटनाशक ही फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाते हैं।

इस तरीके से ऑर्गेनिक खेती पूरी तरह से रासायनिक खादों के बिना होती है, जिसमें ना केवल शुद्ध साग सब्जियां और फसल प्राप्त होते हैं बल्कि जमीन की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है।

जैविक खेती के उद्देश्य

  • ऑर्गेनिक खेती का मुख्य उद्देश्य जमीन की उर्वरक शक्ति बनाए रखना एवं बिना रसायन के ऑर्गेनिक सब्जी उपजाना है।
  • जैविक खेती का उद्देश्य फसलों को ऐसे पोषक तत्व उपलब्ध कराना है, जो फसलों में अघुलनशील हो ताकि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले सूक्ष्म जीवों पर असरदार बने।
  • जैविक खेती का उद्देश्य लोगों को शुद्ध साग सब्जी एवं खाद्य उपलब्ध कराना है।
  • जैविक खेती में फसलों के साथ पशुओं की देखभाल करना, उनका रखरखाव करना, उनके आवास और उनके खानपान जैसी चीजों पर ध्यान रखने का उद्देश्य है।
  • जैविक खेती का उद्देश्य कीटनाशक दवाइयों एवं फसलों के रोग को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नुकसानदायक दवाइयों के छिड़काव को रोकना है।
  • जैविक खेती का उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है।
  • जैविक खेती का उद्देश्य जंगली जानवरों की सुरक्षा एवं प्राकृतिक जीवन को सुरक्षित करना है।
  • जैविक खेती का उद्देश्य प्राकृतिक गोबर खाद के प्रयोग को बढ़ावा देना है एवं रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल को रोकना है।

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती के कई सारे लाभ है। अगर हर कोई जैविक खेती के लाभ से परिचित हो जाए तो जैविक खेती को बढ़ावा देना आसान हो सकता है।

  • जैविक खेती के उपयोग से पहला फायदा होता है शुद्ध और ऑर्गेनिक साग सब्जी प्राप्त होती है। क्योंकि इसमें रसायनिक खादों का उपयोग नहीं किया जाता है।
  • जैविक खेती से किसानों का रासायनिक खाद को खरीदने का खर्चा बच जाता है।
  • जैविक खेती के लिए जैविक खादों का प्रयोग किया जाता है, जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है। इसके अतिरिक्त भूमि की गुणवत्ता भी बढ़ती हैं।
  • जैविक खेती से अधिक मात्रा में फसल उत्पन्न होते हैं, जिससे किसानों को भी लाभ प्राप्त होता है।
  • जैविक खेती के कारण भूमि के जल धारण की क्षमता बढ़ती है, जिससे पानी के वाष्पीकरण में कमी आती है और पौधों में लंबे समय तक पानी बना रहता है। इस तरह सिंचाई के लिए पानी में थोड़ी बचत होती है।
  • जैविक खेती से पर्यावरण को भी काफी लाभ होता है। इससे भूमि का जल स्तर बढ़ने के साथ ही मिट्टी खाद्य पदार्थ और जमीन में होने वाले प्रदूषण कम होते हैं।
  • जैविक खेती में प्राकृतिक खाद के रूप में पशुओं का गोबर एवं कचरे का प्रयोग किया जाता है, जिससे कचरे की निकासी होती है।
  • जैविक खेती में पशुओं का गोबर इस्तेमाल करने से गोबर का सही जगह पर इस्तेमाल होता है और मक्खी मच्छर से होने वाली बीमारियों पर रोकथाम भी होती हैं।

जैविक खेती के लिए सर्टिफिकेट

भारत में अगर आप जैविक खेती को शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी।

हर राज्य में कृषि विभाग के दफ्तर के द्वारा जैविक खेती के लिए सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। जो भी किसान जैविक खेती शुरू करना चाहते हैं, वह संबंधित राज्य सरकार के कृषि विभाग के दफ्तर में जाकर इससे संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इस सर्टिफिकेट का फायदा यह होता है कि उन्हें अपने जैविक उत्पाद को बेचने में आसानी मिलती है। जैविक मार्केट में भी बहुत आसानी से वे अपने फसलों को बेच सकते हैं।

हालांकि जैविक खेती का सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए जमीन से संबंधित अच्छी जानकारी होना जरूरी है।

जैविक खेती के लिए लागत

अगर आप जैविक खेती शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लागत की चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि जैविक खेती के लिए लोन बहुत आसानी से मिल जाता है।

अगर आपके पास कम से कम 5 एकड़ जमीन और जैविक खेती करने का प्रमाण पत्र है तो आप कम से कम 3 साल के लिए 5 एकड़ जमीन पर ₹100000 का लोन प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें 40 फ़ीसदी ऑर्गेनिक इनपुट और बाकी ट्रेनिंग के लिए पैसा खर्च होता है।

भारत में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार के तरफ से कई योजनाएं शुरू की गई है, जो निम्नलिखित है:

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चैन डेवलपमेंट
  • परंपरागत कृषि विकास योजना
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
  • मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के द्वारा पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना

जैविक खेती के सिद्धांत

  • जैविक खेती में पहला सिद्धांत यह है कि खेतों की जुताई बिल्कुल नहीं की जाती है। इसमें ना  जूताई किया जाता है और ना ही मिट्टी को पलटा जाता है। धरती खुद ही पौधों की जड़ों के प्रवेश और कैंचुवे और अन्य प्राकृतिक सूक्ष्म जीवो के जरिए अपनी जुताई कर लेती हैं।
  • जैविक खेती में दूसरा सिद्धांत यह है कि इसमें ना हल से ना शाकनाशियो से निराई गुड़ाई किया जाता है। इस तरह की खेती में खरपतवार को पूरी तरह खत्म करने के बजाय उनपर नियंत्रण किया जाता है।
  • जैविक खेती का तीसरा सिद्धांत है कि इसमें किसी भी तरह की तैयार खाद्य रासायनिक या खादों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • जैविक खेती के चौथे सिद्धांत के अनुसार इस खेती में रसायनों पर बिल्कुल निर्भर नहीं होना चाहिए। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने, खेतों को जोतने और उर्वरकों के उपयोग के कारण ही कमजोर फसल उगते हैं और फसलों में विभिन्न तरह के रोग बीमारियों जैसी समस्या खड़ी हुई है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करने से इसका संतुलन बिल्कुल सही बना रहता है और बिना रसायनों के प्रयोग से ही फसल अच्छे से उगता है।

जैविक खेती करने की प्रक्रिया

  • जैविक खेती को शुरू करने से पहले इसका प्रशिक्षण लेना बहुत ही जरूरी है ताकि जैविक खेती में आने वाली चुनौतियों को आसानी से हल किया जा सके। शुरुआत में जैविक खेती संबंधित जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्रीय या कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से राय ले सकते हैं।
  • उसके उसके बाद अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी को समझना जरूरी है। क्योंकि अलग-अलग क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी अलग-अलग होती है। इसलिए जैविक खेती करने से पहले मिट्टी का परीक्षण करना भी जरूरी है।
  • उसके बाद फसल का चुनाव करें कि आप कौन से फसल को जैविक तरीके से उगाना चाहते हैं। बाजार में जिन साग सब्जियों का ज्यादा डिमांड है, उस तरह के सभी हरी साग सब्जी को आप जैविक तरीके से उगा सकते हैं। जैविक खेती के लिए फसल का चुनाव खेती पर होने वाला फायदा, मिट्टी की गुणवत्ता और जलवायु पर निर्भर करती है। मिट्टी और जलवायु के अनुसार सही फसल का चुनाव कर सकते हैं।
  • जैविक खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी बढ़ावा देना चाहिए। क्योंकि जैविक खेती में प्राकृतिक गोबर खाद का प्रयोग किया जाता है। अगर किसान खेती के साथ पशु पालन भी करें तो उन्हें गोबर खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह घर पर ही गोबर और गोमूत्र से कई प्रकार के कीटनाशक दवा एवं खाद का निर्माण कर सकते हैं। इस तरह जैविक खेती के अतिरिक्त पशुपालन से अतिरिक्त आय का स्त्रोत भी उत्पन्न होगा।
  • जैविक खेती के लिए सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना का भी लाभ लिया जा सकता है। यदि पैसे की कमी है तो किसान जैविक खेती को शुरू करने के लिए इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर ₹50000 की सहायता राशि प्राप्त कर सकते हैं।
  • इस तरह जैविक खेती करने के लिए किसान को रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, उसके जगह जैविक उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।
  • मिट्टी के पोषण का ख्याल रखना चाहिए। मिट्टी को दबाव से बचाना चाहिए। कंपोस्ट व गोबर खाद का प्रयोग करना चाहिए।
  • किसान को फसल चक्र को अपनाना चाहिए, हरी खाद पर जोर देना चाहिए एवं लगातार एक ही फसल नहीं उगाना चाहिए। इसके साथ ही कीटनाशकों के उपयोग से बचना चाहिए।
  • जैविक खेती में किसानों को मृदा प्रबंधन के साथ खरपतवार प्रबंधन पर भी काम करना चाहिए।

जैविक उत्पाद की मार्केटिंग

जैविक खेती में बहुत से किसानों को जैविक उत्पादों के मार्केटिंग की चिंता होती है। लेकिन अब यह समस्या पूरी तरीके से खत्म हो चुकी है।

क्योंकि जैविक उत्पादकों को बेचने के लिए सरकार के द्वारा जैविक पोर्टल लॉन्च किया गया है। जहां पर बहुत आसानी से जैविक उत्पादकों को बेचा जा सकता है।

इसके अतिरिक्त कृषि एवं सहकारिता विभाग कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा भारत की सहभागिता प्रति भूमि प्रणाली लागू की गई है, जिसके तहत जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है।

यहां जैविक उत्पाद की स्वदेशी मांग को पूरा करने के लिए जैविक उत्पादों को रासायनिक उत्पाद से अधिक दाम पर खरीदा जाता है।

जैविक खेती के नुकसान

जैविक खेती के ज्यादातर फायदे ही हैं, इससे पर्यावरण को काफी ज्यादा फायदा है। लेकिन जैविक खेती की कुछ कमियां प्रभावी हो सकती है।

हालांकि इसके नकारात्मक प्रभाव इतने प्रभावशाली नहीं है। फिर भी सामाजिक रूप से इसके कुछ नुकसान इस प्रकार है:

  • जैविक खेती रासायनिक खेती की तुलना में थोड़ी महंगी है।
  • जैविक खेती में रासायनिक खेती की तुलना में ज्यादा श्रम करना पड़ता है।
  • जैविक खेती में पशु खाद का उपयोग होता है। ऐसे में घातक बैक्टीरिया पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है।
  • जैविक खेती में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं होता, जिसके कारण बहुत बार कीट के कारण फसल के बड़े हिस्से का नुकसान हो जाता है।
  • जैविक खेती में पारंपरिक खेती के तुलना में ज्यादा समय लगता है।
  • जैविक खेती करने के लिए सर्टिफिकेट लेना पड़ता है जबकि पारंपरिक खेती को कोई भी शुरू कर सकता है।
  • जैविक खेती में कुशलता के साथ ही जैविक खेती के सभी घटकों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।

FAQ

जैविक खेती का जनक किसे कहा जाता है?

जैविक खेती का जनक अल्बर्ट हार्वर्ड को माना जाता है।

भारत में जैविक खेती कब शुरू हुई थी?

भारत में जैविक खेती की शुरुआत गंभीर रूप से साल 2003-2004 से हूई है।

जैविक खेती करने वाला पहला राज्य कौन सा था?

भारत में जैविक खेती को शुरू करने वाला सबसे पहला राज्य सिक्किम है।

जैविक खेती में कौन से खाद का प्रयोग किया जाता है?

जैविक खेती में प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जाता है, जिसमें गोबर की खाद और जैविक कचरे की कंपोजड खाद शामिल है।

निष्कर्ष

जैविक खेती से फसल उत्पादन बढ़ते हैं, जिससे किसानों की आय भी पड़ती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां पर ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर है।

लेकिन रासायनिक खाद के इस्तेमाल से फसल को काफी नुकसान होता है। यदि किसान जैविक खेती करना प्रारंभ कर दें तो कई स्तर पर उन्हें लाभ प्राप्त होगा इसके साथ ही जैविक खेती से खाद्य आपूर्ति की समस्या भी हल होगी।

इस तरह जैविक खेती से किसानों एवं पर्यावरण दोनों को ही बहुत लाभ है। इसलिए जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना चाहिए।

यहां पर ऑर्गेनिक फार्मिंग क्या है, जैविक खेती किसे कहते हैं, जैविक खेती के प्रकार, ऑर्गेनिक खेती कैसे करें आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है।

हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में जैविक खेती संबंधित सारी जानकारी आपको मिल गई होगी।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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