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अदरक की खेती कैसे करें?, पूरी जानकारी

घर पर चाय बनाते समय ज्यादातर लोगों के यहां अदरक का प्रयोग किया जाता है। अदरक स्वास्थ्य के दृष्टि से भी लाभकारी है। इसके साथ ही भोजन में खुशबू और स्वाद लाने के लिए भी अनेक तरह से अदरक का प्रयोग किया जाता है।

भारत के कई राज्यों में अदरक को अलग-अलग नाम से बुलाया जाता है। जैसे मराठी में इसे अली कहा जाता है, कन्नड़ में अल्ला और बंगाली में आदा कहा जाता है।

Adrak ki Kheti Kaise Kre

भारत में उत्तर सहित दक्षिण भारत के राज्यों में भी अदरक काफी मात्रा में उगाया जाता है। अदरक की खेती से काफी ज्यादा फायदा होता है। क्योंकि यह बाजार में काफी अच्छे कीमत पर बिक जाता है।

यही कारण है कि अदरक की खेती ज्यादातर लोग करना चाहते हैं। लेकिन अदरक की खेती करने से पहले अदरक की खेती संबंधित सही जानकारी होना भी जरूरी है।

अगर आप भी अदरक की अच्छी फसल चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ सकते हैं। जिसमें हमने adrak ki kheti kaise karen उससे संबंधित सारी जानकारी विस्तार पूर्वक बताई है।

अदरक के उपयोग

  • अदरक का प्रयोग खास करके औषधि के रूप में किया जाता है। अदरक में विटामिन सी, आयरन, फास्फोरस, कैलशियम, मैग्निशियम, क्रोमियम, कॉपर, जिंक जैसे विभिन्न पोषक तत्व होते हैं।
  • इसका प्रयोग सर्दी, जुखाम, खांसी, पीलिया जैसी अनेकों रोगों में लाभकारी दवा बनाने के लिए होता है। इसके अतिरिक्त इसका काढ़ा पीने से सर्दी जुखाम की समस्या ठीक हो जाती है।
  • अदरक में बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की अद्भुत क्षमता होती हैं, इसलिए नियमित रूप से इसके सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  • अदरक का सेवन करने से शरीर में फ्री रेडिकल्स की समस्या खत्म हो जाती है।
  • इसके साथ ही गले के संक्रमण की संभावना भी कम हो जाती है।
  • स्वास्थ्य की दृष्टि से अदरक बहुत ही लाभकारी है लेकिन इसके अतिरिक्त खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए भी अदरक का प्रयोग किया जाता है। खाने में मसाले के रूप में अदरक का प्रयोग किया जाता है जो खाने का स्वाद बढ़ा देता है।

अदरक की फसल से लाभ

अदरक की खेती से काफी अच्छा लाभ है। 8 महीने के अंदर ही यह फसल तैयार हो जाता है और एक हेक्टर खेत में कम से कम 15 से 20 टन अदरक की फसल बहुत आराम से हो जाती है।

बाजार में ₹80 से ₹90 किलो अदरक बिक जाता है। ऐसे में प्रति हेक्टर अदरक की खेती से 20 से 25 लाख रुपए का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

इतना ही नहीं किसान कच्ची अदरक से ज्यादा मुनाफा अदरक के सोंठ को बेच कर कर सकता है। अदरक की सोंठ बाजार में कच्ची अदरक से ज्यादा भाव पर बिकती है।

क्योंकि इसका प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। अच्छी क्वालिटी की सोंठ बाजार में ₹225 से ₹300 प्रति किलोग्राम के आसपास भी बिक जाती है।

अदरक की किस्में

अदरक की कई सारी किसमें है। इसके गुणवत्ता और पैदावार के हिसाब से इसको जो उन्नत किस्मों की श्रेणी में बांटा गया है। जिसमें जगह और अधिक उत्पादन के लिए कई संकर और देसी किस्म का प्रयोग किया जाता है।

अदरक की खेती में संकर प्रजाति की IISR verda और सुप्रभात दोनों ही प्रख्यात किसमें है। आईआईएसआर किस्म के पौधे रोपाई के 200 दिन के बाद अच्छी पैदावार दे देते हैं।

वहींसुप्रभा से 230 दिनों में अच्छी पैदावर हो जाती है। इसके अलावा हिमगिरी और आई आई एस आर महिमा जैसे कुछ और भी संकर किस्में है।

अदरक की साधारण या देसी किस्म की प्रजाति में हिमाचल किस्म का पौधा लोकप्रिय है।

अदरक की खेती कैसे करें?

  • अदरक की खेती के लिए उचित मात्रा में धूप की जरुरत होती है। इसलिए अदरक की बुवाई का उचित समय अप्रैल से मई माना जाता है। हालांकि अदरक की जून में भी बुवाई की जा सकती है लेकिन तब अदरक के कंद के सड़ने की संभावना रहती हैं।
  • अदरक की खेती से पहले भूमि के पीएच का मान जरूर चेक करना चाहिए। अदरक की खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7 होना चाहिए।
  • अदरक की खेती सबसे अच्छी बलुई दोमट मिट्टी में होती है क्योंकि इसमें जल निकास की उत्तम व्यवस्था होती है। अदरक की खेती करते हैं तो उससे पहले खेत को अच्छे तरीके से तैयार करना जरूरी है। इसके लिए खेत को पहले गहरी जुताई करनी चाहिए।
  • जुताई करने के बाद कुछ दिनों तक खेत को खुले ही छोड़ देना चाहिए, जिससे मिट्टियों में धूप अच्छे से लगती है।
  • दो-तीन दिन के बाद खेत में अच्छे से पानी डालकर मिट्टी को भिगो देना चाहिए। जब खेत का उपरी भाग सुखा दिखने लगे तब इसे दोबारा जुतवा लें।
  • इस तरीके से खेत की मिट्टी भूरभूर हो जाएगी, जिसके बाद इस पर पाटा लगाकर इसे जूता कर समतल कर सकते हैं ताकि खेत में अच्छे से जल निकासी हो।
  • अब अदरक की खेती के लिए लंबी लंबी कतारें बना लें। ध्यान रहे कि कतारों के बीच की दूरी कम से कम 30 से 40 सेंटीमीटर हो और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
  • अब 5 सेंटीमीटर गड्ढा करके उसमें अदरक का बीज डालना चाहिए। उसके बाद खेत में हल्की छाया भी लगना जरूरी है। इससे अदरक के उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • अदरक के बीज थोड़े महंगे मिलते हैं, इसलिए बीजों को खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कंद खराब तो नहीं है। उसके बाद इन्हें खेत में रोकने से पहले स्ट्रिप्टोसाइक्लिन का घोल बनाकर उस पर छिड़क देना चाहिए, जिससे बाद में पौधों में जीवाणु जनित रोग नहीं लगेंगे।
  • अदरक के फसल को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए इसके साथ हल्दी, मिर्च, प्याज जैसी सब्जियां भी होगा सकते हैं।
  • फसल बुवाई के 30 से 40 दिन के बाद प्रारंभिक सिंचाई कर सकते हैं। वैसे अदरक की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। एक बार प्रारंभिक सिंचाई हो जाने के बाद 15 से 20 दिनों के अंतराल में पौधों को हल्का हल्का पानी दे सकते हैं। अगर बारिश का मौसम हो तो पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है।
  • अदरक की खेती होने में कम से कम 8 महीने का समय लगता है। जब अदरक के पौधे की पत्तियां पीले रंग की दिखाई देने लगती है तब अदरक की खुदाई कर सकते हैं।

अदरक की खेती के लिए उर्वरक

अदरक के पौधे के अच्छे विकास के लिए और जल्दी वृद्धि के लिए उर्वरक का उपयोग करना जरूरी है। अदरक के पौधों की रोपाई कंदो के रूप में की जाती है। इसलिए उचित मात्रा में उर्वरक डालना जरूरी होता है।

अदरक की खेती के लिए किस तरह का उर्वरक प्रयोग करना है यह खेत की मिट्टी पर निर्भर करता है। इसलिए उर्वरक डालने से पहले खेत की मिट्टी का जांच करवा लें। क्योंकि जिस मिट्टी में जिंक की मात्रा कम होती है, उसमें जिंक का छिड़काव करना जरूरी होता है।

अदरक के फसल के लिए खेत की जुताई की जाती है, उसी समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 से 15 गाड़ी पुराने गोबर खाद को डाल दें और फिर जुताई करके मिट्टी में उर्वरक को अच्छे से मिला दें।

उसके बाद खेत की आखिरी जुताई के समय भी एनपीके के कुछ मात्रा का छिड़काव कर सकते हैं। अदरक के बीज की रोपाई हो जाती है तो 40 दिन के बाद सिंचाई के साथ नाइट्रोजन भी मिला देना चाहिए।

अदरक के पौधे में लगने वाले रोग

अगर आप अदरक की अच्छी खेती करना चाहते हैं तो अदरक के पौधों से संबंधित रोग के बारे में जानना जरूरी है। सभी तरह के पौधों में कई प्रकार के रोग लगते हैं।

अदरक के पौधों में मुख्य रूप से 2 तरह के रोग प्रमुख है पहला तना बेधक कीट रोग। यह रोग अदरक के पौधों में कीट के रूप में देखने को मिलता है, जो पौधे के भीतरी तने कों खाकर अपने लार्वा को फैलाते हैं, जिसके कारण tana नष्ट होने लगता है।

इस रोग से अदरक के पौधों को बचाने के लिए 20 दिन के अंतराल में दो तीन बार मेलाथियान की उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।

अदरक के पौधे में दूसरा प्रमुख रोग पर्ण चित्ती रोग है। यह रोग अदरक के पौधों के पतियों पर देखने को मिलता है। जब यह रोग अदरक के पौधों पर लगता है तो उनकी पतियों पर धब्बे दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे यह धब्बे फैलते जाते हैं।

जिसके कारण पौधे का पत्ता प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाता है, जिसके कारण पूरा पौधा नष्ट हो जाता है।

इस बीमारी से अदरक के पौधे को बचाने के लिए 2 ग्राम सल्फर को 1 लीटर पानी में मिलाकर इस पर छिड़काव करना चाहिए, जिससे कुछ ही दिनों में अदरक के पत्तों पर यह धब्बे खत्म होने लगते हैं।

इन सब के अतिरिक्त भी अदरक के पौधे में जड़ बेधक, राइजोम शल्क, मृदु विगलन आदि जैसे रोग भी लगते हैं।

FAQ

अदरक को बढ़ने में कितने दिनों का समय लगता है?

अदरक के रोपाई के दो-तीन सप्ताह के बाद इसकी जड़े और टहहनियां बढ़ने लगती है। उसके बाद 8 महीने के अंदर यह फसल तैयार हो जाता है।

अदरक की खेती कितने महीने की होती है?

अदरक की फसल तैयार होने में 8 से 9 महीने का समय लग सकता है।

अदरक की खेती के लिए सही महिना क्या है?

अदरक की खेती को गर्माहट की जरूरत होती है, इसलिए अदरक की खेती के लिए सबसे उचित समय अप्रैल से मई के बीच माना जाता है, जो प्री मानसून वर्षा का समय होता है। लेकिन सिंचित परिस्थितियों में फरवरी से मार्च के बीच भी इसकी रोपाई की जाती है।

अदरक की खेती के लिए किस तरह की मिट्टी चाहिए?

अदरक की खेती के लिए उचित जीवाश्म और कार्बनिक पदार्थ युक्त मिट्टी अच्छी मानी जाती है। इसके साथ ही ऐसी मिट्टी होनी चाहिए, जिसमें जल निकासी की अच्छी सुविधा हो और मिट्टी का पीएच करीब 6 से 7 होना चाहिए।

अदरक की खेती के लिए किस तरह की जलवायु चाहिए?

अदरक की फसल के लिए उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंध जलवायु होनी चाहिए और अदरक के पौधों का अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत पडती है।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में adrak ki kheti kaise karen उससे संबंधित सारी जानकारी प्राप्त की। हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से अदरक की अच्छी फसल संबंधित सारे प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया होगा।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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