कोकोपीट क्या है? (फायदे, उपयोग और कैसे बनाया जाता है)

आपने नारियल तो देखा ही होगा। नारियल एक खोल के अंदर होता है और उस खोल में फाइबर की तरह कई सारे लंबी-लंबी इंटीरियर होते हैं। यही कोकोपीट का मुख्य आधार है, जिससे कोकोपीट बनाया जाता है।

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कोकोपीट क्या है?, इसके क्या फायदे हैं और इसका क्या उपयोग है, यह कब से बनना प्रारंभ हुआ है?, इस तरह की संपूर्ण जानकारी इस पोस्ट में बताने जा रहे है।

कोकोपीट क्या है? (फायदे, उपयोग और कैसे बनाया जाता है)

कोकोपीट क्या है?

कोकोपीट नारियल की भूसी से काॅयर फाइबर के समापन के दौरान बनाने वाला एक उत्पाद है, जिसे की काॅयर डस्ट कंपोस्ट या पुरानी मल्च की धूल को इकट्ठा किया जाता है। फिर उसे सूखने के लिए छोटे से एक तलाब के ब्लॉक में डाला जाता है, जिसमें यह कई महीनों तक सूखता रहता है।

भिन्न-भिन्न ग्रैनयुलैरिटी और घनत्व के बाद इसे कूटकर पाउडर बनाकर कोकोपीट बनाया जाता है, तब जाकर यह किसी के बागवानी के लिए या फिर पौधों को उगाने के लिए बनता है और यह खास करके आजकल औद्योगिक स्तर पर काफी उपयोग किया जाता है।

कोकोपीट के बहुत सारे उपयोग हैं। इसे कई रूपों में उपयोग किया जाता है, खास करके कोकोपीट का मुख्य उपयोग पौधों के रोपण के लिए किया जाता है। कोकोपीट खास करके नारियल की भूसी है लेकिन इसे विभिन्न प्रकार की तकनीकों से गुजार कर नारियल के छिलके की भूसी को काॅयर फाइबर के रूप में बनाया जाता है, जो कि वजन में बहुत ही हल्की होती है, बहुत ही स्पंजी होती है, यह गैर रेशेदार होती है और काॅर्क सामग्री भी है।

90 के दशक के शुरुआत में ही कोकोपीट की बागवानी के रूप में उपयोग की जाने लगी थी तब से ही सामग्री की मांग बढ़ने लगी थी। कोकोपीट को दुनिया भर में इसी नाम से ज्यादा जाना जाता है। अमेरिका में कोको पीट कोको काॅयर कहा जाता है, मध्य पूर्व में काॅयर पिथ के रूप में जाना जाता है।

कोकोपीट खास करके एक प्राकृतिक खाद है और इसमें 100% कार्बनिक और जैव-अवक्रमणीयर पदार्थ है। कोकोपीट नारियल फाइबर के समापन प्रक्रिया का उत्पाद था लेकिन अब नहीं। यह अपना नारियल फाइबर समापन प्रक्रिया का सह-उत्पाद बन गया है।

कोको पीट 100% जैविक उत्पाद है। कोकोपीट में हाइड्रोपोनिक्स, मिट्टी के मिक्सर और कंटेनर प्लांट के बढ़ने के लिए एक विशिष्ट माध्यम बनाया गया है। कोकोपीट में साफ काॅयर में प्राकृतिक नियम के अनुसार हार्मोन और एंटीफंगल गुण डाले जाते हैं।

कोकोपीट हमें बाजार में कंप्रेस्ड बेल्स, ब्रिकेटस, स्लैब्स और डिस्कस के रूप में मिलती है। जो भी उपभोक्ता कोकोपीट को खरीदता है, वह सबसे पहले पानी में कोकोपीट को भूलने दे देता है। जिसके बाद कोकोपीट फैलने लगता है और वह मिट्टी की तरह बन जाता है और इसे पौधों के वृद्धि लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है क्योंकि यह सबसे ज्यादा जल को शोषित करके अपने अंदर रखती है और पेड़-पौधों को धीरे-धीरे नमी देती है।

जो कि पौधों के लिए काफी लाभकारी साबित होती है। कोकोपीट की गठरी को पानी में आसानी से घुलाया जा सकता है। पानी डालने पर यह सामग्री हल्की होने के वजह से अपने मूल वजन से 8 गुना बढ़ जाती है।

आजकल बढ़ती जनसंख्या की वजह से जमीनों की कमी हो गई है और इसके वजह से हमारे लिए पौधों को उगाने के लिए मिट्टी की भी काफी कमी हो गई है और यह आसानी से हमें नहीं मिल पाती है। इसी कमी को दूर करने के लिए कोकोपीट एक अच्छा और आसान उपलब्ध होने वाला एक प्राकृतिक मिट्टी ही है और इसमें अच्छी तरह से पौधे उगते हैं और यह पर्यावरण क्षति का कारण भी नहीं बनते हैं।

इसीलिए सभी लोगों के लिए कोकोपीट एक अच्छा विकल्प बन गया है, जो कि एक प्राकृतिक मिट्टी है और इसके चोपन से हमें कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि कोकोपीट ज्यादा समय से यूज कर रहे हैं तो उससे हम फिर से ही यूज कर सकते हैं।

कोकोपीट को फिर से पुनर्चक्रण के द्वारा हम उसका उपयोग कर सकते हैं। कोकोपीट खास करके नारियल की भूसी के अंदर के बने गुर्दे से बनाई गई एक प्रकार की मिट्टी है जो कि स्वाभाविक रूप से एंटीफंगल होती है और इसके बीज बहुत ही उत्कृष्ट विकल्प माना जाता है।

इसका उपयोग इतनी आसानी से किया जाता है। कोकोपीट की तरह नारियल के छिलके से और भी कई तरह के पदार्थ बनाए जाते हैं जैसे कि रसिया, चटाई, सर्फिंग के रूप में भी नारियल के छिलके का उपयोग किया जाता है। नारियल के छिलके का उपयोग हम सोफा बनाने में भी करते हैं और इस प्रकार कोकोपीट एक नया तरीका है।

नारियल के छिलकों के उपयोग का कोकोपीट बागवानी के लिए एक अच्छा मिट्टी का संशोधन है। जो भी अपने बालकनी में छोटे पौधे लगाने के लिए या फिर हाइड्रोपोनिक उत्पाद के लिए कोकोपीट का बहुत ही आसानी से उपयोग कर लेते हैं।कोकोपीट पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है और इससे हम कई बार उपयोग में ला सकते हैं। बस इसे थोड़ा सा खुला छोड़ देना है धूप में और फिर से हम इसे सुखाकर अच्छे से और इसमें फिर से पौधे को उगा सकते हैं।

कोकोपीट एक तरह की मिट्टी ही है और मिट्टी से इसकी तुलना की जाए तो कोकोपीट अपने अंदर काफी नमी को सूखे रखती है। खास करके बरसात में मिट्टी में जो पौधे लगे रहते हैं, उसमें जल्दी फंगस यह कीड़े मकोड़े लग जाते हैं। लेकिन कोकोपीट में पानी को अवशोषित करने की जो शक्ति होती है, इस वजह से बरसात के दिनों के लिए कोकोपीट पौधों के लिए बहुत ही अच्छा होता है। यह जड़ों को धीरे-धीरे पानी देती रहती है।

कोकोपीट एक प्रकार का फाइबर ईट है। मिट्टी के साथ मिश्रित करके हवा की जेब को बनाता है और पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन देता है। नारियल के चिप्स भी इसमें उपलब्ध होते हैं, मिट्टी को हवा देते समय पानी को रोक कर रखता है। इसमें एक संयोजन का उपयोग किया जाता है, उस के माध्यम से आप प्रत्येक किस्म के पौधे लगा सकते हैं।

कोकोपीट आपको अपने आसपास बागवानी करने के लिए अच्छा ऑप्शन है। इसे आप बाजार से फाइबर ईट के आकार का खरीद कर ला सकते हैं और एक जोड़े में 5 गैलन बाल्टी पानी को डाल दें क्योंकि कोकोपीट काफी हल्की होती है और अपने मूल्य वजन से 8 गुना ज्यादा यह बन जाती है। अब इसे पानी में 2 घंटे के बाद भूलने दे और उसके बाद निकाल ले अब इसे किसी भी छोटे-छोटे गमले में डालकर इसमें पौधे का रोपण किया जा सकता है।

अगर आप इसमें चाहे तो कुछ उर्वरक का मिश्रण भी डाल सकते हैं क्योंकि पौधों के लिए काफी पोषक तत्व का काम करती है। कोकोपीट में खास करके पोटेशियम के साथ-साथ जस्ता लोहा मैगनीज और तांबा भी होता है, जो कि मिट्टी की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए काफी जरूरी होती है।

कोकोपीट एक प्रकार का जलवाहक है इसलिए इस में नमी हमेशा बनी रहती है। जिसके वजह से पौधों को सूखने का दर्द कम होता है और इससे पौधों के विरोध में 40% वृद्धि होती है। कोको पीट हमेशा गीली ही रहती है जिससे कि पौधों को बार-बार पानी देने की आवश्यकता नहीं रहती है और जिन लोगों का समय भी बचाती है।

कोकोपीट के उपयोग

  • कोकोपीट का सबसे बड़ा उपयोग बागवानी के लिए किया जाता है।
  • कोकोपीट का उपयोग करके हम पर्यावरण में हो रही, गर्मी को कम करने का एक अच्छा माध्यम है। जिससे कि ग्रीन हाउस में जो आजकल गर्मी बढ़ती जा रही है, उसे कम करने में एक अच्छा विकल्प है।
  • मिट्टी में जो वातावरण को संजोने की उसमें नमी बनाने की उसकी उर्वरता को बनाने रखने की जो क्षमता होती है ।उससे कहीं ज्यादा बेहतर कोकोपीट में नमी बनाए रखने की, उसकी ओर बढ़ता की क्षमता बड़ी होती है।
  • कोकोपीट पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण यह एक अच्छा विकल्प बन जाता है। पौधों को लगाने के लिए और इसके वजह से यह काफी टिकाऊ है और इसका खास करके ग्लोबल वार्मिंग में अच्छा योगदान दे रही है।
  • कोकोपीट एक प्रकार का प्राकृतिक जैविक खाद है।
  • मिट्टी में भी कोकोपीट को मिलाकर गमले में लगाया जाता है। जिससे कि मिट्टी में नमी बनाए रखी जा सकती है। बफरिंग की क्षमता में सुधार लाने के लिए यह एक प्रमुख घटक है।
  • कोकोपीट का खास करके उपयोग नर्सरी में किया जाता है। बीज के अंकुरण के लिए, पौधे उगाने के लिए क्योंकि पौधों की अंकुरण के लिए नमी बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण होता है और बीज के अंकुरण के लिए कोकोपीट एक आदर्श परिस्थिति बनाए रखती है।
  • कोकोपीट अपने वजन में काफी हल्की होती है और इसमें नमी बनाए रखने की क्षमता सबसे अधिक होती है। तो जो लोग अपने छतों पर अपने बालकनी में बागवानी करने के लिए सोचते हैं, उसके लिए कोकोपीट एक सबसे अच्छा विकल्प है।
  • आजकल कोकोपीट का सबसे ज्यादा औद्योगिक उपयोग किया जाता है।
  • कोकोपीट एक स्पंजी संरचना के साथ-साथ एक अच्छा जल अवशोषण भी है।
  • क्योंकि कोकोपीट नारियल के छिलकों से बनाया जाता है उसी तरह नारियल के छिलके का उपयोग कई तरह के उपयोग में लाए जाते हैं। जैसे कि फ्यूज प्लग इंसुलेटर के रूप में कण बोर्डों के रूप में।
  • पशु विस्तर या मार्चिंग के रूप में भी कोकोपीट का उपयोग किया जाता है

कोकोपीट के फायदे

  • कोकोपीट में कार्बनिक योगिक की स्थिति होती है जो कि जल की वृद्धि के लिए काफी महत्वपूर्ण है और पौधों की बीमारी के लिए कुछ प्राकृतिक रूप से प्रतिरोध क्षमता भी है। जैसे कि 5 वर्षों तक फसलों के उत्पादन में कोकोपीट काफी अच्छा भूमिका निभाता है।
  • सावधानीपूर्वक कोकोपीट का स्वच्छता के साथ उपयोग करने पर, फसल प्रबंधन के लिए कोकोपीट का उपयोग अल्पकालिक फसलों के साथ-साथ लगातार उत्पादित होने वाले। फसलों के लिए भी किया जाता है और यह 5 सालों तक इस में गुलाब जैसे फसलों का भी उपयोग उगाने में कर सकते हैं।
  • कोकोपीट एक प्राकृतिक मिट्टी की तरह हाइड्रोपोनिक फसलों को उगाने का सबसे अच्छा माध्यम है और यह पर्यावरण को भी कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं डालती है।
  • कोकोपीट में उचित जल धारण करने की क्षमता होती है और वायु को जड़ तक पहुंचाने के लिए भी कोकोपीट काफी महत्वपूर्ण होती है। जिससे कि कोकोपीट का तापमान कम हो जाता है और यह फसलों के लिए काफी लाभदायक साबित होता है।
  • कोकोपीट का उपयोग करके हाइड्रोपोनिक फसल उत्पादन करके अत्यधिक संसाधन के उपयोग से जुड़े न्यूनतम पर्यावरण को प्रभाव डालते हुए लगातार उपज और गुणवत्ता के साथ-साथ अत्यधिक फसल को उगाने का अवसर देती है। जिससे कि अत्यधिक गुणवंता वाले और उच्च उपज वाली सब्जी, फल, फूल, जैसे फसलों का लाभ किसानों को मिल पाता है।
  • कोकोपीट का उपयोग होम गार्डन इन अर्थात इनडोर और आउटडोर और लैंडस्कैपिंग के रूप में भी किया जाता है। कोकोपीट का उपयोग बागवानी और फूलों की खेती के लिए अत्यधिक लाभदायक होती है। कोकोपीट का उपयोग लोन और गोल्फ कोर्स के निर्माता के लिए भी काफी अच्छा विकल्प है।

कोकोपीट को कैसे बनाया जाता है?

नारियल के रेशेदार छिलके की भूसी को एक गड्ढे में पानी भरकर उसमें भिगोया जाता है। फिर से रस्सी, डोर मेट,अपहोल्स्टी, गद्दे, कार की सीटे, कालीन, इंसुलेशन, झाड़ू और ब्रश, ब्रिसल आदि के निर्माण के बाद जो भूसिया या काॅयर फाइबर बचती है, उसी के इस्तेमाल से कोकोपीट बनाया जाता है।

केवल बची हुई धूल का उपयोग करके कोकोपीट का निर्माण किया जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप कोकोपीट एक कचरे का ढेर है, जिसे की फेका नहीं जाता है। यही कचरे का ढेर एक पहाड़ की तरह बन जाता है और यह आज इतना मूल्यवान उत्पाद के रूप में बदल गया है और जो नारियल उद्योग के साथ-साथ पूरी दुनिया को बागवानी करने के लिए भी एक नई और आसान दिशा देती है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आप लोगों को कोकोपीट क्या है?, इसके क्या फायदे हैं और इसका क्या उपयोग है, यह कब से बनना प्रारंभ हुआ है?, इस तरह की संपूर्ण जानकारी प्रदान की है।

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