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वन नेशन वन इलेक्शन क्या है? इसके फायदे और नुकसान

One Nation One Election Kya Hai: देश में आज कल एक ही मुद्दे पर चर्चा होती नजर आ रही है वो है ‘वन नेशन वन इलेक्शन‘। यह कोई नया मुद्दा नहीं है। देश में पहले भी वन नेशन वन इलेक्शन की तहत 1950 और 60 के दशक में चार बार चुनाव लड़े गए है।

इतना ही नहीं साल 2018 से ही केंद्र सरकार इस मुद्दे पर कई बार जोर देती नजर आई है। आखिर में केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर एक समिति का गठन किया है और इस समिति का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को बनाया गया है।

जिसके तहत केंद्र सरकार ने पहली बार पांच दिवसीय विशेष सत्र (Special Session) बुलाया है, जो 18 से 22 सितंबर के बीच आयोजित है। हालाँकि इस स्पेशल बैठक का एजेंडा अभी तक गुप्त रखा गया है।

One Nation One Election Kya Hai
One Nation One Election Kya Hai

कमेटी में अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अलावा अमित शाह, अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आज़ाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी अन्य सदस्य भी शामिल है।

आखिर में सवाल यह है कि वन नेशन वन इलेक्शन क्या है? (One Nation One Election Kya Hai) व इसके फायदे और नुकसान क्या हो सकते है? इस आर्टिकल के द्वारा हम इस विषय पर जानकरी शेयर करेंगे।

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है?

जैसा कि सभी लोग जानते है कि वर्तमान समय में राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग अलग होते है।

‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के तहत लोकसभा (भारत की संसद का निचला सदन) और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ, एक ही दिन या एक निश्चित समय सीमा के भीतर कराने का विचार है।

सरकार का कहना है कि एक दिन पर ही चुनाव करने से पैसे और समय दोनों की बचत होगी और सरकार का ज्यादा समय जनकार्यों में लगा रहेगा।

पहले भी हुए है वन नेशन वन इलेक्शन

आजादी के बाद साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो चुके हैं। लेकिन 1967 के बाद कई बार लोकसभा और विधानसभाएं अलग-अलग समय पर भंग होती रही, जिस कारण से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

लेकिन यह मुद्दा फिर से साल 1983 में चुनाव आयोग ने उठाया। उसके बाद साल 1999 में विधि आयोग की रिपोर्ट में भी एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया।

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ जोर दिया था।

वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्राथमिक लाभ यह है कि चुनाव कराने की लागत कम हो जाएगी। प्रत्येक अलग अलग चुनाव के लिए भारी मात्रा में वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2009 के लोकसभा चुनाव में 1100 करोड़ और 2014 के लोकसभा चुनाव में 4000 करोड़, 2019 के लोकसभा चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए। अगर सब कुछ इसी तरह चलता रहा तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था और विकास को भारी नुकसान होगा।

एक साथ चुनाव होने से प्रशासनिक और सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा। कई चुनाव चक्रों के दौरान बार-बार प्रशासनिक और सुरक्षा बलों का उपयोग करने की आवश्यकता व्यय बढ़ाती है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के कार्यान्वयन के साथ, सरकार चुनावी मोड में रहने के बजाय शासन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकती है।

एक साथ चुनाव से मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी क्योंकि लोगों के लिए एक साथ कई मतपत्र डालना अधिक आसान होगा। जो मतदाता बाहर सुदूर स्थानों या दूसरे राज्यों में काम करते हैं, उन्हें वोट डालने के लिए बार-बार यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। चुनावी राज्यों पर बार-बार आचार-संहिता नहीं लागू करना पड़ेगा।

देश में बार बार चुनाव होने पर बड़ी संख्या में कर्मियों को तैनात करना पड़ता था, जिसमें स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों शामिल होते है। जिसकी वजह से अन्य क्षेत्रों में, खासकर शैक्षणिक व्यवस्था बाधित होती है। एक राष्ट्र, एक चुनाव के तहत शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों को भी केवल एक ही बार परेशान होना पड़ेगा।

चुनाव प्रयोजनों के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग सार्वजनिक संचार में बाधा डालता है। कई सरकारी कार्यालय और विभाग निष्क्रिय हो जाते हैं, जिसका लोगों के दैनिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है। अत: एक राष्ट्र में एक ही चुनाव कराने से इन सभी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कई चुनाव चक्र के दरमियान विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं मतदाताओं को पैसे देकर या झूठे वादे करके धोखा देने के लिए विभिन्न अवैध और गैरकानूनी प्रथाओं का उपयोग करते है, जिसकी वजह से कई बार अयोग्य उम्मीदवारों का चयन हो जाता है, जो हमारे लोकतंत्र के लिए यह निश्चित तौर पर अच्छा संकेत नहीं है।

एक साथ चुनाव होने से सरकार पर बोझ कम होगा और वह सुशासन और जनता के सामान्य कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने में अधिक सक्षम होगी।

हालाँकि महत्वपूर्ण लाभ होने के बावजूद, “एक राष्ट्र, एक चुनाव” में कुछ महत्वपूर्ण खामियाँ भी है, जिन्हें पहचानने और जांचने की आवश्यकता होगी।

वन नेशन वन इलेक्शन से होने वाले नुकसान

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करने के लिए संविधान और अन्य कानूनी ढांचे में भी बदलाव की जरूरत होगी। एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी और फिर इसे राज्य विधानसभाओं में ले जाना होगा।

अगर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे तो चुनाव के परिणाम आने में देरी होगी क्योंकि दोनों के ही डेटा को प्रॉसेस करने में समय लगेगा।

राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अक्सर कई मुद्दों पर लड़े जाते हैं। जहां राष्ट्रीय पार्टियां राष्ट्रीय मुद्दों पर जोर देती हैं, वहीं क्षेत्रीय पार्टियां स्थानीय मुद्दों पर जोर देती हैं। इसलिए यह संभव है कि स्थानीय पार्टियाँ स्थानीय समस्याओं पर पर्याप्त रूप से ध्यान देने में असक्षम होंगी।

विभिन्न प्रचार गतिविधियों, चुनाव प्रचार खर्च और रणनीति के मामले में क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय दलों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। नतीजतन, कई क्षेत्रीय दल इसका विरोध कर सकते हैं। चिंता यह है कि स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों पर भारी पड़ सकते हैं, जिसका राज्य-स्तरीय चुनावों के नतीजों पर असर पड़ेगा।

वन नेशन वन इलेक्शन के तहत स्थानीय, क्षेत्रीय दलों को स्थानीय मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिल सकते, इससे क्षेत्रीय और स्थानीय पार्टियों के बीच राजनीतिक झगड़ा पैदा हो सकता है।

यदि चुनाव एक साथ होते हैं, तो यह अनुमान लगाया जाता है कि इस बात की पर्याप्त संभावना है कि मतदाता राज्य और राष्ट्रीय सरकार दोनों के लिए एक ही पार्टी का समर्थन करेंगे।

विरोध क्यों हो रहा?

बीजेपी के इस एक नेशन एक चुनाव विचार पर विपक्ष जमकर विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि अगर 5 साल में एक ही बार पूरे देश में चुनाव होगा तो सरकार की जनता की तरफ जवाबदारी कम हो जाएगी।

उनका यह भी कहना है कि राज्य और देश के मुद्दे अलग अलग होते हैं। एक नेशन एक चुनाव होने से मतदाता के जजमेंट पर असर पड़ता है। आम आदमी पार्टी पहले से ही इस बिल को असंवैधानिक और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ बता चुकी है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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