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सांसद किसे कहते हैं?

Sansad Kise Kahte Hai:नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम लोग जानेंगे सांसद किसे कहते हैं? और सांसद में कौन-कौन से सदस्य होते हैं? उन सदस्यों का कौन-कौन सा कार्य होता है? और सांसद भारत में कौन सा कार्य करता है और सांसद में सदस्यता लेने के लिए कौन सी योग्यता होनी चाहिए? और सांसद का चुनाव कैसे होता है? संसद के कितने दिन के कार्यकाल होते हैं? और संसद में क्या कार्य होता है? सांसद की शक्तियां एवं यदि आप सांसद बनना चाहते हैं तो आपको क्या करना होगा? इंसान संबंधों की जानकारी आज की इस लेख में मिलेगी।

Sansad Kise Kahte Hai
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दोस्तों आप इसलिए को ध्यान से पूरा पढ़े ताकि आपको सांसद से संबंधित सारी जानकारियां एक ही पोस्ट में आपको मिल जाए और दूसरे पोस्ट पढ़ने की आपको आवश्यकता ना पड़े।

सांसद किसे कहते हैं? | Sansad Kise Kahte Hai

सांसद क्या है?

सांसद एक केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाला विधायिका का एक प्रमुख अंग होता है, जिसमें सांसदीय प्रणाली की जाती है। संसदीय प्रणाली का मतलब वेस्ट मिनिस्टर मॉडल होता है। संसदीय प्रणाली अपनाने के कारण भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में सांसद एक बहुत ही विशेष केंद्रीय स्थान कहलाती है। संविधान के पांचवें भाग के अंदर आने वाले अनुच्छेद 79 से 122 में सांसद का गठन संरचना एवं अधिकारियों प्रक्रिया अवधी विशेषाधिकार व शक्तियां आदि के बारे में वर्णन मिलता है।

सांसद का गठन कब हुआ?

संविधान के अनुसार भारत के सांसद में तीन अंग पाए जाते हैं। जिसमें से पहला राष्ट्रपति, दूसरा लोकसभा व तीसरा राज्यसभा कहलाता है।

1954 में राज्य परिषद के स्थान पर राज्यसभा आया और जनता का सदन के स्थान पर लोकसभा शब्द को अपनाया गया था, जिसमें कि राज्यसभा को उच्च सदन कहते हैं। और लोकसभा को निचला सदन कहते हैं। राज्यसभा में राज्य के अंतर्गत वह संघ राज्य क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले प्रतिनिधि होते हैं और लोकसभा में संपूर्ण भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व किया जाता है।

इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति किसी भी सांसद के किसी भी सदन में सदस्य नहीं होते हैं और ना ही वह सांसद में कभी बैठते भी हैं। लेकिन भारत के राष्ट्रपति सांसद के अभिन्न अंग कहलाते हैं क्योंकि भारत के राष्ट्रपति सांसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने वाले कोई भी विधेयक तब तक विधि में नहीं आते, जब तक की उसे राष्ट्रपति अपने स्वीकृति ना दे दे। इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति सांसद के कुछ चुनिंदा कार्य को भी संपूर्ण करते हैं।

उदाहरण: भारत के राष्ट्रपति दोनों सदनों के सत्र को आहूत करने का कार्य करता है और लोकसभा को विघटित भी करने की क्षमता रखता है और जब सांसद में सत्र चल रहे होते हैं। तो भी वह अध्यादेश जारी कर सकते हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि इस मामले में भारत का संविधान ब्रिटेन की पद्धति पर आधारित होता है। ब्रिटेन में सांसद ताज हाउस ऑफ लॉर्ड वह हाउस ऑफ कॉमंस से मिलकर बना हुआ है। इसी के विपरीत यदि हम अमेरिका का सांसद के बारे में बात करें, तो अमेरिका में राष्ट्रपति विधानमंडल का महत्वपूर्ण अंग नहीं होता है और अमेरिका में विधानमंडल को कांग्रेस के नाम से ही व्यक्त किया जाता है और कांग्रेस के अंतर्गत आने वाले सीनेट हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव हाउस कहलाते हैं।

संसदीय पद्धति में कार्यकारी अंगों और विधायकों को परस्पर एक दूसरे पर निर्भरता पर जोर दिया जाता है। इसी प्रकार ब्रिटेन की संसद में ताज और हमारे भारत के सांसद में राष्ट्रपति एक ही तरह वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति पद्धति वाली सरकार कार्यकारी और विधाई अंगों को अलग अलग करने पर जोर देती है। इसीलिए अमेरिका के राष्ट्रपति कांग्रेस का घटक नहीं मानती है।

दोनों सदनों की संरचना

राज्यसभा की संरचना में राज्यसभा में सदस्यों की संख्या निर्धारित की गई है जो कि 250 है राज्यसभा की संरचना में पहले 238 सदस्य राज्यों से वह संघ राज्य क्षेत्रों से प्रतिनिधि होते हैं जबकि बाकी के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।

राज्यसभा के इन सारे सदस्यों में 229 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं और और 4 संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसके अलावा बाकी के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। इसीलिए यह राष्ट्रपति द्वारा दिए गए कार्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे।

संविधान के अनुसार संविधान में लिखी चौथी अनुसूची में राज्यसभा को राज्यों के संघ के राज्य क्षेत्र के सीटों में आवंटन का वर्णन दिया गया है।

सांसद किसे कहते हैं?

हमारे देश में सांसद सत्ताधारी लोगों का केंद्र होता है, जहां कानून और व्यवस्था कुल लागू करना और उसे सुचारू रूप से चलाने का नियम बनाया जाता है। इसके अलावा स्थानीय निकायों मैं कुछ ऐसी शक्तियां होती जिसमें कि कुछ कानून बनाने और लागू करने की मान्यता प्राप्त होती है। लेकिन यह सारे कानून केंद्रीय निकाय के अधीन आती है जोकि सर्वोच्च होता है और यह स्थानीय निकायों को अतिरिक्त बल देती है।

राष्ट्रपति राज्यसभा और लोकसभा के तीनों के सदस्यों को सांसद कहलाता है। जब भी कभी देश में नया कानून लाना होता है, तो यही तीनों सदस्य मिलकर नया कानून पारित करते हैं और बिना इन तीनों सदस्यों के मर्जी के कोई भी कानून पारित नहीं किया जाता।

यदि कोई कानून पहले से ही पारित हुआ हुआ है या हो गया है लेकिन उसे हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। जिसमें की सभी सांसद लोकसभा राज्यसभा और राष्ट्रपति तीनों मिलकर वोटिंग करते हैं। जिसमें से यदि दो तिहाई बहुमत मिलती है, तो यह कानून हटाने के लिए होता है।

सांसद के सदस्य बनने के लिए कौन सी योग्यता होनी चाहिए?

संसद के सदस्य को बहुत सारे बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। एक सांसद बनने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए।

  1. संसद के सदस्य के लिए आपको किसी भी सरकारी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
  2. लोकसभा में सदस्यता पाने के लिए आपको भारत का नागरिक होना आवश्यक होता है।
  3. किसी भी सांसद में सदस्यता पाने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष रखी गई है।
  4. संसद का सदस्य बनने के लिए आपको दिमागी रूप से पागलिया या फाइनेंसियल रुप से दिवालिया नहीं होना चाहिए।
  5. यदि आप संसद के सदस्य बनना चाहते हैं तो आपको संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने चाहिए।
  6. मेंबर ऑफ पार्लियामेंट यानी कि संसद के सदस्य कौन होते हैं।

संसद के सदस्य को अंग्रेजी में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता है या संक्षेप में एमपी भी बोला जाता है। संसद के सदस्य को वोटों के द्वारा बहुमत मिलने पर चुना जाता है। संसद के सदस्य राज्यसभा के सदस्य भी होते हैं। सांसद के सदस्य को संसद में कहा जाता है। परंतु संसद के सदस्य शब्द का ज्यादातर इस्तेमाल लोकसभा सदन के सदस्यों के द्वारा ही किया जाता है लेकिन राज्यसभा के सदस्यों को विधायक कहा जाता है।

सांसद का चुनाव कैसे किया जाता है?

सांसद के चुनाव विभिन्न प्रकार के होते हैं। सरकार लोकसभा राज्यसभा और राष्ट्रपति के बहुमत का भाग होता है। लेकिन लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्य बनने के लिए अलग-अलग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जोकि निम्नलिखित दर्शाया गया है।

लोकसभा के सदस्य बनने के लिए

लोकसभा के सदस्य का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से आम लोगों या आम जनता के द्वारा किया जाता है। जिसमें इन लोकसभा के सदस्य की अधिकतम संख्या 552 रहती है। जिसमें कि 530 सदस्य राज्यों की और 20 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की होती है।

प्रत्येक राज्यों में लोकसभा के सदस्यों की सीटों का आवंटन राज्य की जनसंख्या के अनुसार होता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वर्गों के लोगों के लिए 131 सीट रिजल्ट रहती है। जिसमें से 84 सीट अनुसूचित जाति के लिए और 47 सीट अनुसूचित जनजाति की वर्गों के लिए रहती है।

राज्यसभा के सदस्य बनने के लिए

राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव विधान सभा के सदस्यों के द्वारा ही होता है। जिसमें की विधान परिषद के सदस्य ही वोट नहीं डाल सकते। राज्यसभा की सदस्य की चुनाव के लिए सभी विधायक अपने उम्मीदवार को ही वोट देते हैं। जिसके बाद दूसरी और तीसरी बार नाम अंकित करने के बाद कम से कम 10 सदस्यों की आवश्यकता पड़ती है जिसके फलस्वरूप राज्य सभा के सदस्यों की उन सीटों को विभाजित कर दिया जाता है।

राज्यसभा के सदस्यों में उसके प्रतिनिधि की संख्या जनसंख्या के आधार पर निर्भर करती है। राज्यसभा में सदस्यों की कुल 250 सीटें होती है। राज्यसभा में कुल 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा चुने जाते हैं और 238 संघ राज्य क्षेत्रों और राज्यों के द्वारा चुने जाएंगे।

सांसद के कार्यकाल कितने वर्षों की होती है?

संसद में लोकसभा के सदस्यों का कार्यकाल सिर्फ 5 वर्ष का ही होता है। इसके अलावा राज्यसभा के सदस्यों के कार्यकाल 6 वर्ष तक का होता है। राज्यसभा में हर 2 वर्ष के एक तिहाई सदस्य सेवा निर्मित कर दिए जाते हैं। परंतु उनकी वजह से राज्यसभा में कभी भी कोई भंग नहीं होता है।

सांसद का मूल कार्य क्या होता है?

सांसद के सदस्यों का मूल कार्य कार्यपालिका का नियंत्रण करना होता है। किसी भी विधानमंडल के अंतर्गत जो भी प्रमुख कार्य होते हैं। वह होता है कानून बनाना सांसद के सदस्य उन सभी विषयों पर कानून को बनाते हैं जो कि संघ सूची और समवर्ती सूची दोनों में आते हैं। संसद के सदस्यों का महत्वपूर्ण काम वित्त पर नियंत्रण रखना होता है, जितने भी प्रशासनिक महत्वपूर्ण नीति पर विचार विमर्श करना होता है।

वह सांसद के सदस्यों के द्वारा ही किया जाता है और इन्हीं के द्वारा उन पर परामर्श और निर्णय लिया जाता है। संसद के सदस्यों का मूल कार्य होता है। संविधान में संशोधन होने वाले सभी कार्य और उन संसाधनों संशोधनों को लोकसभा और राज्यसभा में भेज कर पेश करना। संसद के सदस्यों का काम राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की चुनाव के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संसद के सदस्य संसद के सदस्य मूल रूप से न्याय संबंधित कार्य करते हैं।

संसद के सदस्यों की शक्तियां कौन-कौन सी है?

संसद के सदस्यों की शक्तियां निम्नलिखित है।

  1. संसद के सदस्यों के पास विधि निर्माण की शक्तियां होती है।
  2. संसद के सदस्यों को वित्त पर पूरा अधिकार होता है।
  3. संसद के सदस्यों के द्वारा निर्मित विधि के द्वारा ही भारत में संचित निधि से धन को निकाला जा सकता है।
  4. संसद के सदस्य बहुत तरह के प्रस्तावों के द्वारा मंत्री परिषद पर नियंत्रण रख सकती है। और इसके अलावा मंत्री परिषद को सांसद के प्रति उत्तरदायी बनाए रखने का कार्य भी करती है।
  5. संसद के सदस्यों के द्वारा राज्यों का विघटन भी हो सकता है। और कई राज्यों को मिलकर एक राज्य को बनाने का विकारी सांसदों के द्वारा ही किया जाता है। इसके अलावा किसी भी विद्यमान राज्य को किसी दूसरे विधा मान राज्य में सम्मिलित करने का भी कार्य सांसद के हाथ में होता है।
  6. संसद के सदस्यों को संविधान में किसी प्रकार का संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है लेकिन यह अधिकार सीमित तौर पर ही है।
  7. संसद के सदस्य संविधान में संशोधन के द्वारा कभी भी संविधान को बदल नहीं सकती है क्योंकि उनको एक सीमित अधिकार दी गई है।
  8. संसद के सदस्यों निर्वाचित सदस्य कभी भी ही राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं ले सकते हैं और इसके अलावा संसद के सदस्य उपराष्ट्रपति को भी निर्वाचित कर सकती है।
  9. संसद के पास महाभियोग की शक्ति मौजूद होती है।
  10. संसद के सदस्यों की प्रतिमाह वेतन कितनी होती है।
  11. एक सांसद के सदस्य की वेतन एक लाख से 70000 के आसपास होती है।

सांसद का अंग्रेजी में फुल फॉर्म क्या होता है?

सांसद को अंग्रेजी में फुल फॉर्म में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट कहां जाता है और शॉर्टकट में एमपी बोला जाता है।

एक सांसद के सदस्य को कौन चुन सकता है?

संसद के सदस्यों को चुनने के लिए वोट किया जाता है। जिसमें भारत के नागरिक जो कि 18 वर्ष से के होते हैं, वह निर्वाचन के द्वारा मत देकर संसद के सदस्य को चुनते हैं।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के द्वारा आप सबको सांसद किसे कहते हैं?( Sansad Kise Kahte Hai) विषय में पूरी जानकरी मिल गई होगी। साथ साथ संसद के क्या कार्य है?और सांसद में सदस्यता लेने के लिए कौन सी योग्यता होनी चाहिए? के बारे में भी आपको बताया है। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और आर्टिकल को सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें।

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Ripal
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