Maharishi Valmiki Jayanti Wishes in Hindi
महर्षि वाल्मीकि जयंती बधाई सन्देश | Maharishi Valmiki Jayanti Wishes in Hindi
वाल्मीकि जी का जीवन हमें सिखाता है
कि वे अच्छे या बुरे नहीं पैदा हुए हैं,
यह हमारे कर्म हैं जो हमारी महानता
को निर्धारित करते हैं। हैप्पी वाल्मीकि जयंती
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु
गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा
तस्मै श्री गुरुवे नमः
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
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दर्शन देख देख मै जिवा..
चरण धोए धोए मै पिवा..
वाल्मीकि प्रभु सबसे ऊचें..
मै सबना तो नीवा !! जय वाल्मीकि
maharishi valmiki jayanti hindi
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।
तिन्हहि बिलोकत पातक भारी,
निज दुख गिरि सम रज करि जाना।
मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
गुरु होता सबसे महान
जो देता है सबको ज्ञान
आओ इस वाल्मीकि जयंती
पर करें अपने गुरु को प्रणाम
Happy Valmiki Jayanti
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जैसे पके हुए फलो को गिरने की सिवा कोई भय नहीं,
वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं.
जय महर्षि वाल्मीकि जी
Maharishi Valmiki Jayanti Wishes in Hindi
आपण ज्ञान आणि पैसा गोळा करू शकता
आणि प्रतिष्ठा आणि शक्ती, पण प्रेम गमावले तर
मग आपण खरा दरवाजा चुकविला
वाल्मीकि जयंतीच्या हार्दिक शुभेच्छा
महर्षि वाल्मीकि जी ने लिखी
कथा श्री राम जी की
हमको बताई ऋषिवर ने
बातें महापुराण रामायण की
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
सुख दुःख हैं जीवन के मेहमान आते हमारे पास बिन बुलाये
अहंकार का करो नाश तुम ये जीवन का दुश्मन कहलाये.
महर्षि वाल्मीकि जयंती
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला।
तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥
काम बात कफ लोभ अपारा।
क्रोध पित्त नित छाती जारा॥
कर दिया महा चमत्कार आपे निर-गुन
बालक का कर दिया जीवन उद्धार गुरु जी के चर्नो
में मेरा बार बार परनाम! महर्षि वाल्मीकि जयंती
वाल्मीकि जयंती के शुभ अवसर पर
मेरे सब देश वासियों को, भाई बहनों को, माता पिता को
दिल से शुभकामनाए.. हैप्पी वाल्मीकि जयंती
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चड्डदी कला विच रहदे पुत वाल्मीकि दे..
चड्डदी कला विच रहदे पुत वाल्मीकि दे..
ओ नाम प्रभु डा लेनदे.. पुत वाल्मीकि दे.
रामायण के हैं जो रचयिता संस्कृत के हैं जो कवि महान
ऐसे हमारे पूज्य गुरुवर जिनके चरणों
में हमारा प्रणाम हैप्पी वाल्मीकि जयंती
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valmiki jayanti shubhechha
Maharishi Valmiki Jayanti Wishes in Hindi
लिख दी जिसने कथा पवित्र सीता-राम की
साथ ही बताई भक्ति रामभक्त हनुमान की
प्रेम भाई भरत और लक्ष्मण का अनूठा
कैसे माँ कौशल्या दशरथ से भाग्य रूठा
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
राम-सीता हैं मेरे पूज्य प्रभु इनके चरणों में करूँ में
नमस्कार जब भी हो नया सुनहरा सवेरा
राम-राम नाम जपूँ में बार-बार
वाल्मीकि जयंती की सुभकामनाएँ
बिना बात यार किसी के हाथ न लगाता,
हम देसिया का खून होवे आग ते भी ताता,
यो जिसकी हवा में मुह फुल रया से तेरा,
तेरी जाड़ा में भारे एक मुक्का भतेरा,
पकड़ के न्याड़ धरती में गाड़दा,
लाईये न होड़ सारे चल्ले हाथ जोड़,
वाल्मीकि के सा बेटा कती तोड़ पाड़दा,
बड़ा खुद ने बतावे जो ये अकड़ दिखावे,
सुण मिन्ट भी लग्गे तेरी सारी झाड़ दा !!
महर्षि वाल्मीकि सुनाए कथा भगवान की
कथा महापुराण रामायण की
सीता- राम, लक्षमण और हनुमान की
जय वाल्मीकि समाज की
जय महर्षि वाल्मीकि जी की
दया का सागर है महर्षि वाल्मीकि
ज्ञान का स्रोत है महर्षि वाल्मिकी
रामायण के सृजन है प्रभु वाल्मीकि
एसे महान गुरु की जयंती पर आप सब को बधाई !!
तुमने सिखाया उंगली पकड़ कर चलना हमे
तुमने बताया गिरने के बाद संभालना कैसे
तुम्हारी वजह से आज हम पहुंचे इस मुकाम पे
वाल्मीकि जयंती के दिन करते आभार सम्मान से
आप सभी के जीवन में खुशियाँ आये,
कोई दुःख न रहे और सब ख़ुश रहे,
मेरी और से आप सभी को
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाए !!
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maharishi valmiki jayanti in hindi
आप ज्ञान और पैसा और प्रतिष्ठा और शक्ति
इकट्ठा कर सकते हैं, लेकिन अगर प्यार से चूक गए है
तो आप असली दरवाजा चूक गए हैं।
वाल्मीकि जयंती
भगवान वाल्मीकि जी.. हमारे इस
जीवन रूपी नाव को पार लगाना
और जीवन में आने वाली हर
मुसीबत का सामना करने का बल देना
जय जय वाल्मीकि जी की
मिले आशीर्वाद ऋषि वाल्मीकि से विद्या मिले
आपको देवी सरस्वती से मिले धन माँ लक्ष्मी से
सब सुख मिले श्री राम से.. जय महर्षि वाल्मीकि !!
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Maharishi Valmiki Jayanti Wishes in Hindi
उत्साह बड़ा बलवान होता है;
उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है ।
उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है ।
मनुष्य जैसा भी अच्छा या बुरा कर्म करता है,
उसे वैसा ही फल मिलता है । कर्त्ता को
अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है ।
क्रोध की दशा में मनुष्य को कहने और न कहने योग्य
बातों का विवेक नहीं रहता । क्रुद्ध मनुष्य कुछ भी कह सकता है
और कुछ भी बक सकता है ।
उसके लिए कुछ भी अकार्य और अवाच्य नहीं है ।
सत्य ही संसार में ईश्वर है; धर्म भी सत्य के ही आश्रित है;
सत्य ही समस्त भव – विभव का मूल है;
सत्य से बढ़कर और कुछ नहीं है ।
किसी को जब बहुत दिनों तक अत्यधिक दुःख भोगने
के बाद महान सुख मिलता है तो उसे विश्वामित्र मुनि
की भांति समय का ज्ञान नहीं रहता – सुख का
अधिक समय भी थोड़ा ही जान पड़ता है ।
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