Karnal Kirori Singh Bainsla Biography In Hindi: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुर्जर समाज के नेता थे। देश भर में प्रचलित गुर्जर आरक्षण आन्दोलन इनके नेतृत्व की तहत हुआ था।
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हम यहाँ आज इस आर्टिकल में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जीवन परिचय यानि की कर्नल किरोड़ी सिंह कौन थे? और उन्होंने गुर्जर जाति के लिए क्या क्या काम किये? उनके बारे में विस्तार से बताएँगे तो इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जीवन परिचय | Karnal Kirori Singh Bainsla Biography In Hindi
नाम | कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला |
जन्म और जन्म स्थान | 12 सितंबर 1939, मुंडिया गांव, करौली (राजस्थान) |
पिता का नाम | बच्चू सिंह बैसला |
पत्नी का नाम | स्वर्गीय रेशम देवी गुर्जर |
बच्चे | 3 बेटे और 1 बेटी |
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म और शिक्षा
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में 12 सितंबर 1939 के दिन हुआ था। शुरुआत की शिक्षा इन्होने अपने गाँव में ही की फिर आगे की पढाई भरतपुर और जयपुर के महाराजा कॉलेज में पूरी की।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का परिवार
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पिता का नाम बच्चू सिंह बैसला है। इनकी पत्नी का नाम रेशम देवी गुर्जर था, जिनकी 1996 में मृत्यु हो गई थी। इनकी पत्नी 1994 में ग्राम पंचायत मुड़िया की सरपंच बनी थी।
किरोड़ी सिंह बैंसला की शादी बचपन में ही हो गई थी। इनके 4 संतान है, जिसमें एक बेटी और 3 बेटे है। बेटी रेवेन्यु सर्विस में और दो बेटे सेना में हैं और एक बेटा प्राइवेट कंपनी में कार्यरत है।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के करियर की शुरुआत
बचपन से ही किरोड़ी सिंह को पढ़ने लिखने का शौक था, इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षक के तौर पर काम किया। लेकिन पिता के भारतीय फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज के प्रति कुछ ज्यादा ही था। इसलिए उन्होंने शिक्षक के नौकरी छोड़कर सेना में जाने का पक्का मन बन लिया और आखिर में भारतीय सेना में भर्ती हो गए।
सिपाही से कर्नल बनने तक का सफर
सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने भारत के दो बड़े युद्ध 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान उन्हें युद्धबंदी बना लिए।
किरोड़ी सिंह बड़े जांबाज़ सिपाही थे। उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ सेना में काम किया, जिसके चलते उन्हें कर्नल के ओहदे से नवाजा गया। उनकी बहादुरी के कारण उन्हें साथी कमांडो और सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ और ‘इंडियन रेम्बो’ के उपनाम से बुलाते थे।
कर्नल से गुर्जर समाज के नेता तक का सफर
सेना से रिटाटर होने के बाद किरोरी सिंह राजस्थान वापस आ गए। उन्होंने देखा की राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया और सरकारी नौकरी में भी उन्हें स्थान दिया गया, लेकिन सरकार ने गुर्जर समाज के लिए कोई कदम नही उठाये। गुर्जर समाज के लोगों के लिए उन्होंने लड़ना शुरू किया। गुर्जर समाज के हक़ के लिए उन्होंने कई आंदोलन किये जैसे की रेल रोको आंदोलन, रेल की पटरी के बीच धरना करना।
किरोरी सिंह का नाम तब प्रसिध्ध हुआ जब उन्होंने 3 सितंबर 2006 के दिन अपने समर्थको के साथ करौली के हिण्डोन क़सबे में दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग को पहली बार रोका और सरकार से गुर्जरों को ओबीसी कोटे के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग की।
किरोरी सिंह का राजनीती के तरफ कदम
किरोरी सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा से सीट से पहली बार चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उसे बाद उन्होंने बीजेपी को छोड़ दी लेकिन वह साल 2019 में फिर से लोकसभा चुनाव दौरान बीजेपी में शामिल हो गए।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बारे में रोचक तथ्य
- किरोरी सिंह बैंसला मुग़ल शासक बाबर और अब्राहम लिंकन से भी प्रभावित थे।
- बचपन में उनकी अच्छी आदतों के चलते माता-पिता ने उन्हें करोड़ों में से एक नाम दिया – किरोड़ी।
- गुर्जर जाति के साथ-साथ वो चार अन्य छोटी जातियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की थी।
- किरोड़ी सिंह सिर पर चटक रंग की पगड़ी और गवई धोती पहनते थे।
- 2008 में गुर्जर आरक्षण के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राज को अपनी सरकार गवानी पड़ी थी।
- किरोड़ी सिंह दो बार कोविड-19 पॉजिटिव हो चुके थे।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का 82 वर्ष की उम्र में 31 मार्च 2022 को निधन हो गया था।
FAQ
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुर्जर समाज के नेता थे, जिन्होंने सरकार से गुर्जरों को ओबीसी कोटे के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी और उसके लिए गुर्जर आरक्षण आन्दोलन भी चलाये थे।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के चार सन्तान है, जिस में दो बेटियां और दो बेटे है।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की मृत्यु 31 मार्च 2022 सुबह में जयपुर, राजस्थान में उनके निवास पर सांस लेने में दिक्कत की वजह से हुई।
स्वर्गीय रेशम देवी गुर्जर
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला क जन्म 12 सितंबर 1939 को मुंडिया गांव, करौली (राजस्थान) में हुआ था।
निष्कर्ष
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला एक ऐसे नेता थे, जिसकी वजह से सरकार की धड़कने बढ़ जाती थी। देश की बेटियों को शिक्षा देने के लिए वो हमेशा सबको आग्रह करते रहते थे। अपनी अंतिम सांस तक उन्होंने गुर्जर आरक्षण के लिये संघर्ष किया।
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