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रतन टाटा का जीवन परिचय

Ratan Tata Biography in Hindi: रतन टाटा जाने-माने उद्योगपति, निवेशक और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष हैं। टाटा समूह जो भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की थी और उनके परिवार के पीढ़ियों ने इसका विस्तार किया, इसे और भी दृढ़ बनाया।

रतन टाटा, टाटा समूह में जुड़ने के बाद अपनी मेहनत, लगन और अपनी योग्यता के बल पर टाटा समूह को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया हैं। हालांकि आज भले ही इन्हें उद्योगपति के रूप में हर कोई जानता हो लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं।

Ratan Tata Biography in Hindi

रतन टाटा का निजी जीवन, इनके संघर्ष और टाटा ग्रुप में जुड़ने के बाद टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने का सफर बहुत ही प्रेरणादायक है। इसीलिए आज के इस लेख में हम रतन टाटा का जीवन परिचय लेकर आए हैं, जिसके जरिए हम आपको रतन टाटा के निजी जीवन से अवगत कराएंगे।

रतन टाटा का जीवन परिचय (Ratan Tata Biography in Hindi)

नामरतन टाटा
पेशाटाटा संस के पूर्व अध्यक्ष
जन्म28 दिसंबर 1937
जन्मस्थानसूरत (गुजरात)
मातासोनू टाटा
पितानवल टाटा
भाईजिम्मी टाटा
शिक्षाबी.एस. डिग्री संरनात्मक इंजीनियरिंग एवं वास्तुकला में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम
नागरिकताभारतीय
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
पुरस्कारभारत सरकार के द्वारा पद्मभूषण एवं पद्म विभूषण

रतन टाटा का शुरूआती जीवन

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात राज्य के सूरत शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम नवल टाटा था, जिन्हें रतन टाटा की दादी यानी की नबजबाई टाटा ने गोद लिया था। दरअसल नवजबाई टाटा के पति की मृत्यु के बाद वह अकेली पड़ गई थी, जिसके बाद उन्होंने रतन टाटा के पिता को गोद लिया था।

रतन टाटा की माता का नाम सूनी टाटा था। रतन टाटा के दो भाई हैं, जिनमें जिमी टाटा और दूसरा भाई नोएल टाटा है। हालांकि नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। रतन टाटा जब 10 साल के थे तभी इनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए, जिस कारण इनका और जिम्मी टाटा का लालन-पालन अलग-अलग हुआ।

रतन टाटा की शिक्षा

रतन टाटा ने अपनी आठवीं तक की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद की शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पूरी की। जब इनकी स्कूली शिक्षा पूरी हो गई तब कॉर्नेल विश्वविद्यालय से इन्होंने स्ट्रक्चर इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। 1962 में इनकी स्नातक की डिग्री पूरी होने के बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में प्रवेश लिया और 1975 में एडवांस मैनेजमेंट का कोर्स पूरा किया।

रतन टाटा की प्रेम कहानी

रतन टाटा ने अब तक शादी नहीं की। लेकिन बहुत कम ही लोग इसके पीछे का असली कारण जानते हैं। दरअसल रतन टाटा के जीवन में भी एक प्रेमिका थी, जिनसे उनकी मुलाकात अमेरिका में ही हुई थी। हालांकि यह इनके जीवन में एक इतिहास की तरह था, लेकिन इस इतिहास के बारे में भी इन्होंने अपने किसी एक इंटरव्यू में उजागर किया था।

उन्होंने बताया था कि जब वे लॉस एंजेलिस में थे तब स्नातक करने के बाद वहीँ एक आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी कर रहे थे। उस समय उनके पास खुद की कार भी थी और सब कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन अचानक से उनकी दादी के बीमार होने की खबर आई, जिसके कारण उन्हें अपने दादी को देखने के लिए कुछ समय के लिए भारत जाना था।

भारत जाने से पहले वे अपनी प्रेमिका से मिले और उसे वादा किया कि वे केवल उनसे ही शादी करेंगे। भारत से लौटने के बाद वे उनसे शादी कर लेंगे, उसके बाद वे भारत चले गए। लेकिन इसी बीच 1962 में भारत और चाइना के बीच जंग शुरू हो गई, जिसके कारण वे वापस लॉस एंजेलिस जा नहीं पाए और उनकी मुलाकात उनकी प्रेमिका से नहीं हो पाई।

उसके बाद उनकी प्रेमिका के घर वालों ने भी इस जंग को एक मुद्दा बनाकर इस रिश्ते को ठुकरा दिया और उसकी शादी किसी और से करवा दी। लेकिन रतन टाटा ने अपने प्रेमिका को जो वादा किया था, वह अपने वादे पर अडिग रहे और यही कारण है कि रतन टाटा ने अब तक शादी नहीं किया।

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रतन टाटा के करियर की शुरूआत

रतन टाटा के करियर की असली नींव तब रखी गई जब उन्हें टाटा ग्रुप के साथ काम करने का मौका मिला। हालांकि रतन टाटा ने तो अमेरिका में ही बसने का सपना बना लिया था और लॉस एंजिल्स कैलीफोर्निया में जोन्स एंड एमोंस में थोड़े समय के लिए काम करना शुरू कर दिया था।

लेकिन अचानक से उनकी दादी की तबीयत बिगड़ गई, जिसे देख रतन टाटा को वापस भारत आना पड़ा। हालांकि भारत में आने के बाद वे आईबीएम के साथ जुड़ गए लेकिन जेआरडी टाटा को यह पसंद नहीं आया कि रतन टाटा वहां पर काम करें।

इसीलिए उन्होंने रतन टाटा को टाटा ग्रुप में बुला लिया, जिसके बाद 1961 से रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के साथ काम करना शुरू किया। हालांकि शुरुआत में तो उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया। लेकिन बाद में धीरे-धीरे टाटा ग्रुप की और कंपनियों के साथ जुड़े और उसके बाद साल 1971 में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियों और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में डायरेक्टर इंचार्ज के तौर पर नियुक्त किया गया।

1981 में रतन टाटा टाटा ग्रुप के अध्यक्ष नियुक्त हुए। लेकिन, उस समय कंपनी घाटे में चल रही थी लेकिन कुछ साल के अंदर ही रतन टाटा ने अपने लग्न और मेहनत से कंपनी को काफी मुनाफे पर पहुंचा दिया, जिसके बाद 1991 में इन्हें टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी बना दिया गया।

जैसे ही रतन टाटा टाटा ग्रुप को संभालने लगे, टाटा ग्रुप की किस्मत ही बदल गई। इनके मेहनत और बलबूते पर यह कंपनी इतना आगे निकल गई कि मानो मार्केट में टाटा के अलावा और कोई कंपनी हो ही ना। रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इस्यु जारी किया, उसके बाद टाटा मोटर्स को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टड किया गया।

साल 1998 में टाटा ग्रुप ने टाटा इंडिका नाम की पहली भारतीय कार तैयार की। उसके बाद भी आगे टेटली, जैगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसे कई अन्य कारों को तैयार किया गया, जिसके बाद इस कंपनी का नाम भारतीय उद्योग के सूची में दर्ज हो गया।

साल 2008 में नई दिल्ली में आयोजित ऑटो एक्सपो में टाटा ग्रुप के द्वारा नैनो कार का उद्घाटन किया गया। नैनो भी रतन टाटा के ही सोच का एक हिस्सा थी। इस कार की कीमत मात्र ₹1 लाख थी। इस कार को लॉन्च करके रतन टाटा ने उन लोगों के सपनों को पूरा कर दिया, जो कार को खरीदना सपने की तरह समझते थे। इस कार को लोगों के द्वारा खूब पसंद किया गया।

28 सितंबर 2012 को रतन टाटा टाटा ग्रुप से रिटायरमेंट ले लिया, जिसके बाद उन्होंने इस कंपनी की सारी जिम्मेदारी 44 वर्ष के साइरस मिस्त्री को दे दी। उन्होंने इस कंपनी के नए उत्तराधिकारी के रूप में साइरस मिस्त्री को घोषित किया। हालांकि कंपनी की सारी जिम्मेदारी उन पर देने से पहले उन्हें 1 साल के साथ काम करने को भी कहा गया और उन्होंने यह स्वीकार भी किया।

बता दे कि रतन टाटा का अपनी कोई भी संतान नहीं है क्योंकि उन्होंने शादी नहीं की थी। इसीलिए उन्होंने कंपनी के नए अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को नियुक्त किया। साइरस मिस्त्री रतन टाटा के सौतेले भाई के साले हैं, जिनके पिता का नाम पलौनजी मिस्त्री हैं। इनके पिता शपूरजी-पलौनजी के प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं। साइरस मिस्त्री साल 2006 से ही टाटा ग्रुप के साथ काम कर रहे थे, इन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी।

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रतन टाटा भले ही टाटा ग्रुप रिटायरमेंट ले लिए हो लेकिन यह अभी भी संस के 2 ट्रस्टों के चेयरमैन बने हुए हैं और आज भी वे इस कंपनी के कई कामकाज पर ध्यान देते हैं। इन्होंने कुछ ही समय पहले इकॉमर्स कंपनी स्नैपडील में भी इन्वेस्ट किया।

इस कंपनी के अतिरिक्त रतन टाटा कई अन्य कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी हैं। में अन्य देशों के संगठन में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। यहां तक कि वे प्रधानमंत्री के व्यापार उद्योग परिषद और राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मक परिषद के सदस्य भी हैं।

रतन टाटा को मिली उपलब्धि और सम्मान

  • 26 जनवरी 2000 को भारत के 50 में गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर भारतीय उद्योगपति रतन टाटा को भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
  • साल 2008 में 26 जनवरी को रतन टाटा को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया था।
  • साल 2008 में रतन टाटा ने टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कार्नेगी पदक प्राप्त किया था।
  • 14 फरवरी 2008 को रतन टाटा को मुंबई में आयोजित एक समारोह में नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • साल 2007 में नवंबर में फार्च्यून पत्रिका में संपादित व्यापार के क्षेत्र में दुनिया के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में रतन टाटा के नाम को भी शामिल किया था।
  • साल 2008 में रतन टाटा का नाम टाइम पत्रिका के विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल था।
  • साल 2001 में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के द्वारा रतन टाटा बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के मानद डॉक्टर की उपाधि प्राप्त हुई।
  • साल 2004 में इन्हें उरुग्वे की सरकार के द्वारा उरुग्वे के ओरिएंटल गणराज्य की पदक प्राप्त हुई थी। इसी साल एशियन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के द्वारा इन्हें प्रौद्योगिकी के मानक डॉक्टर की उपाधि भी प्राप्त हुई थी।
  • साल 2006 में भी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास से इन्हें साइंस की मानद डॉक्टर की उपाधि प्राप्त हुई और साल 2008 में इंडियध इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुंबई से साइंस की मानद डॉक्टर की उपाधि हासिल हुई।
  • साल 2008 में इन्हें लीडरशिप अवार्ड से भी नवाजा गया, वहीं इसी साल कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने लॉ की मानद डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। इसी साल सिंगापुर के सरकार के द्वारा रतन टाटा को मानद नागरिक पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • अगले साल 2009 में रतन टाटा को यूनाइटेड किंग्डम से ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट कमांडर से सम्मानित किया गया था। इसी साल रतन टाटा को इंजीनियरिंग इंडियन नेशनल एकेडमी के द्वारा साल 2008 के लिए इंजीनियरिंग में लाइफटाइम योगदान पुरस्कार से नवाजा गया था। इसी साल इटली की सरकार से रतन टाटा को ‘ग्रैंड अधिकारी’ का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • साल 2010 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने लॉ की मानद डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। साल 2010 में ही हैड्रियन पुरस्कार भी मिला। इसी साल इन्हें शांति पुरस्कार के रूप में ओस्लो प्राप्त हुआ। इसी साल रतन टाटा को येल विश्वविद्यालय के द्वारा लीडरशिप अवार्ड में लीजेंड प्राप्त हुआ।
  • साल 2010 में ही रतन टाटा ने पेपरडाइन विश्वविद्यालय से कानून की मानक डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। इसी साल एशियाई पुरस्कार संगठन के द्वारा इन्हें साल 2010 के बिजनेस लीडर से सम्मानित किया गया।
  • साल 2012 में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय से व्यापार मानव डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की।
  • साल 2013 में नेशनल अकैडमी आफ इंजीनियरिंग से इन्हें विदेश एसोसिएट से सम्मानित किया गया। इसी साल कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय से व्यापार व्यवहार के मानक डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की।
  • साल 2013 में रतन टाटा को अर्नस्ट और वर्ष का सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी – लाइफटाइम अचीवमेंट से नवाजा गया था।
  • साल 2013 में हीएम्स्टर्डम विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की।
  • साल 2014 में सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी से व्यापार के मानक डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। इसी साल बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन के द्वारा इन्हें सयाजी रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था।
  • सन 2014 में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय कनाडा से उन्होंने कानून की मानक डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। इसी साल इन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट ग्रैंड क्रॉस प्राप्त हुआ।
  • साल 2015 में क्लेमसन विश्वविद्यालय से आटोमोटिव इंजीनियरिंग की मानद डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की।
  • साल 2016 में फ्रांस की सरकार के द्वारा रतन टाटा को कमांडर ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया।

रतन टाटा के के बारे में रोचक तथ्य

  • टाटा ग्रुप में टाटा चाय, टाटा स्टील, कार और हवाई जहाज, 5 स्टार होटल शामिल है। इस तरीके से यह सौ कंपनियों के साथ पूरे विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी है।
  • रतन टाटा को पालतू जानवरों बेहद पसंद है। इन्होंने पालतू कुत्ते की देखभाल के लिए मुंबई में स्थित इनके 400 करोड़ के बंगले को दे दिया है।
  • रतन टाटा के काम करने का तरीका ही बहुत अलग है। कर्मचारियों के साथ भी बहुत सामान्य तरीके से व्यवहार करते हैं, जिस कारण सभी कर्मचारियों को टाटा ग्रुप के साथ काम करना बेहद ही पसंद आता है।
  • खबरों के अनुसार बताया जाता है कि हार्परकॉलिंस ने टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा की बायोग्राफी को छापने के डील पर साइन किया था। इस बायोपिक किताब में रतन टाटा के जीवन से जुड़ी कई ऐसे तथ्यों के बारे में बताया गया है, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
  • टाटा कंपनी की सुमो कार मार्केट में काफी ज्यादा बिकी थी। कहा जाता है कि सुमो कार का नाम टाटा के पूर्व एमडी का शार्ट नाम है। उनके पूर्व एमडी का पूरा नाम सुमंत मूलगांवकर था और उन्हीं के नाम पर इस कार का नाम सुमो रखा गया था, जो टाटा के लिए बहुत ही लकी रहा। क्योंकि यह मार्केट में खूब चला।
  • रतन टाटा ना केवल एक सफल उद्योगपति हैं बल्कि दिल से भी एक बहुत अच्छे इंसान हैं। उनके इंसानियत को आप इसी बात से समझ सकते हैं कि एक बार रतन टाटा की फैक्ट्री में काम करने वाला मजदूर 2 सालों से बीमार था। रतन टाटा ना केवल उसके इलाज का खर्चा उठा रहे थे बल्कि एक बार तो उस मजदूर को देखने के लिए खुद उसके घर पर चले गए।
  • साथ 2008 में मुंबई के ताज होटल में 26/11 हमले में जितने भी कर्मचारियों को नुकसान हुआ था, टाटा ग्रुप में उन सभी के नुकसान का मुआवजा 20 दिनों के अंदर प्रदान करवाया। यहां तक कि उन लोगों के घर जा जाकर हरसंभव उनकी मदद की।
  • टाटा ग्रुप ने ना केवल टाटा कंपनी से जुड़े कर्मचारियों की आर्थिक मदद की बल्कि होटल के आसपास ठेले पर बेचने वाले लोग जो इस आतंक में घायल हो गए थे, जिनकी दुकानें जल गई, उन सभी लोगों को नए ठेले प्रदान किया और आर्थिक मदद की। यहां तक कि पुलिस, यात्री, रेलवे कर्मचारी जिनका टाटा से कोई संबंध नहीं था, उन लोगों को भी टाटा ग्रुप ने 6 महीने तक 10 हजार देने का वादा किया। यहां तक कि उस आतंक से पीड़ित 46 बच्चों के शिक्षा का भी जिम्मा खुद टाटा ग्रुप ने उठाया।
  • इतना ही नहीं, कहा जाता है कि ताज होटल में झब आतंकी हमला हुआ था तो होटल के पास एक वेंडर की पोती को चार गोली लगी थी। तब खुद रतन टाटा ने उस लड़की को मुबंई के बड़े हॉस्पिटल में भर्ती करा कर लाखों रुपए खर्च करके उस लड़की का अच्छा इलाज करवाया था। इस तरीके से रतन टाटा ने कई मौकों पर इंसानियत दिखाएं।

रतन टाटा से जुड़े प्रेरणादाई कहानी

रतन टाटा बहुत आत्मासमान वाले व्यक्ति है। कहा जाता है कि 1998 में जब इन्होंने टाटा इंडिका लांच की थी, उस समय शुरू शुरू में इंडिया के प्रदर्शन बेहतर नहीं थे। जिसके कारण रतन टाटा को किसी ने टाटा इंडिका को फोर्ड के हाथों बेच देने की सलाह दी थी। जिसके बाद अगले ही साल रतन टाटा अपनी टीम के साथ फोर्ड के पास पहुंचे और उन्होंने टाटा इंडिका को बेचने की बात की।

लेकिन फोर्ड ने इंडिका कंपनी की खूब बेज्जती की, जिसके कारण रतन टाटा बिना कोई निर्णय लिए ही अपनी टीम के साथ भारत वापस लौट आए और यहां पर इन्होंने इस कंपनी को बेचने का प्लान कैंसिल करके इसे सफल बनाने के लिए लग गए। अंत: उन्होंने इस कंपनी को सफल बनाया।

उसके बाद साल 2008 में जब आर्थिक मंदी के कारण फोर्ड की बिक्री 50 हजार यूनिट से भी नीचे पहुंच गया और यह कंपनी दिवालिया की स्थिति तक पहुंच चुकी थी। उस समय स्वयं टाटा मोटर्स ने ही फोर्ड को खरीदा। इस तरीके से रतन टाटा ने जैगुआर, लैंड रोवर को अपनी उदारता दिखाई।

रतन टाटा जैसे शख्सियत जो जीवन में सफलता की ऊंचाई पर हैं। लेकिन, इसके बावजूद वे अपनी अमीरी पर कभी घमंड नहीं करते। यहां तक कि जरूरत पड़ने पर खुद वैसे काम भी करने को तैयार हो जाते हैं, जो उनके पर्सनैलिटी के साथ मैच नहीं करती है।

ऐसी ही एक घटना तब हुई थी जब नेल्को की सीनियर ऑफिसर की टीम रतन टाटा के साथ मुंबई से नासिक की तरफ जा रही थी। लेकिन आधे रास्ते में ही कार की 1 टायर पंचर हो गई, जिसके बाद गाड़ी में सभी सवार ऑफिसर्स नीचे उतर गए और ब्रेक का आनंद लेने के लिए एक तरफ सड़क पर खड़े होकर सिगरेट जला कर टाइम पास करने लगे।

उसके बाद उन्होंने देखा कि रतन टाटा तो उनके बीच है ही नहीं। पहले तो उन्हें लगा कि शायद रतन टाटा चाय पीने या किसी से बात करने के लिए कहीं रुक गए होंगे लेकिन बाद में देखा कि रतन टाटा शर्ट के बाहों को ऊपर कर, टाई को गले से कंधे पर डालकर और माथे से पसीने की बूंदे टपकते हुए हल्की मुस्कान के साथ जैक से स्पेनर को घुमा रहे थे।

यह घटना उन सभी सीनियर ऑफिसर्ह के लिए बहुत ही प्रेरणादायक थी और यह घटना हमारे लिए भी प्रेरणा दायक है। इससे हमें भी शिख मिलती है कि जीवन में आप चाहे कितने भी मुकाम को क्यो ना हासिल कर लो, लेकिन कभी घमंड नहीं करना चाहिए।

रतन टाटा की कुल संपत्ति

एक रिपोर्ट के मुताबिक रतन टाटा की कुल संपत्ति को 117 billion-dollar यानी कि 8.25 लाख करोड़ से भी ज्यादा बताया गया है। लेकिन रतन टाटा अपने कमाई के 65% पैसा लोगों की मदद में दान कर देते हैं। यही कारण है कि भले ही में दुनिया के टॉप अमीरों की सूची में शामिल ना हो, लेकिन दिल के सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते हैं।

FAQ

टाटा ग्रुप में रतन टाटा के आने से क्या बदलाव हुआ?

टाटा ग्रुप का कमान जैसे ही रतन टाटा के हाथ में आया 21 साल के कार्यकाल में टाटा ग्रुप की आमदनी 40 गुना बढ़ गई। यहां तक की रतन टाटा के उपलब्धि में टाटा ग्रुप ने टाटा मोटर्स और टाटा टी ब्रांड के साथ टीटले को खरीद लिया।

मुकेश अंबानी और रतन टाटा में सबसे बेहतर कौन है?

मुकेश अंबानी और रतन टाटा दोनों ही बहुत बड़े भारतीय उद्योगपति हैं। लेकिन बात करें उन दोनों के कुल संपत्ति की तो एक रिपोर्ट के अनुसार मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 96 अरब डॉलर बताई जाती है। वहीँ उनकी रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड की कुल आय 233 अरब डॉलर है जबकि रतन टाटा की कुल संपत्ति केवल $1 अरब है। हालांकि साल 2022 में भी तक टाटा समूह की कुल आय 350 बिलियन डॉलर थी।

रतन टाटा मुकेश अंबानी से अमीर क्यों नहीं है?

रतन टाटा मुकेश अंबानी से ज्यादा अमीर नहीं है। इसका कारण बताया जाता है कि रतन टाटा बहुत से चैरिटेबल संस्था चलाते हैं और वे अपने आय का काफी ज्यादा हिस्सा गरीब और निस्सहाय लोगों के मदद के रूप में दान दे देते हैं।

रतन टाटा को कैसा भोजन पसंद है?

रतन टाटा एक पारसी परिवार से हैं, इसीलिए इन्हें पारसी खाना बहुत ही पसंद है। हालांकि इन्हें दुनिया का हर डिश पसंद है।

टाटा ग्रुप के वारिस कौन है?

जैसा सभी लोग जानते हैं कि रतन टाटा ने विवाह नहीं किया, जिसके कारण उनकी कोई भी वारिस नहीं है। साल 2012 में जब रतन टाटा टाटा ग्रुप के अध्यक्ष के पद से रिटायरमेंट ले लिए उस समय उन्होंने साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का अगला वारिस के रूप में घोषित किया था। साइरस मिस्त्री उनके सौतेले भाई के साले हैं।

रतन टाटा की पत्नी का नाम क्या है?

रतन टाटा ने शादी नहीं है।

रतन टाटा के पास कितना पैसा है?

एक रिपोर्ट के मुताबिक रतन टाटा की कुल संपत्ति को 117 billion-dollar यानी कि 8.25 लाख करोड़ से भी ज्यादा बताया गया है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने जाने-माने भारत के उद्योगपति रतन टाटा जीवनी (Ratan Tata Biography in Hindi) के बारे में जाना। इस लेख में रतन टाटा के प्रारंभिक जीवन से लेकर उनकी शिक्षा एवं टाटा ग्रुप में उनके योगदान, भारत सरकार एवं अन्य देशों के विभिन्न संगठन के द्वारा मिले गए सम्मान एवं इनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जाना।

हमें उम्मीद है कि रतन टाटा के जीवन परिचय आपके लिए प्रेरणादायक रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव होने पर आप कमेंट में लिख कर बता सकते हैं।

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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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