History of Babar in Hindi: भारत पर मुगल सल्तनत ने तकरीबन 300 साल तक राज किया था। इस दौरान मुगल सल्तनत में कई ऐसे शासक भी हुए जिन्होंने मुगलों की शान को हमेशा बना के रखा। हम बात कर कर रहे है मुगल शासक बाबर की जो अपने शौर्य के लिए इतिहास में जाने जाते है।

बाबर को एक शासक के साथ एक योद्धा के रूप में भी जानते है। इस लेख में आपको इतिहास के इसी शासक बाबर के बारे में ही बताया जा रहा है। अतः आप इस लेख को अंत तक पढ़े ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके।
बाबर का इतिहास और जीवन परिचय | History of Babar in Hindi
विषय सूची
बाबर का जन्म
बात करें बाबर के जन्म स्थान की तो बाबर का जन्म उज़्बेकिस्तान फरगना घाटी फ्नुकड़ मेंबी 23 फरवरी 1483 को हुआ था। बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था जो स्वयं फरगना घाटी के एक शासक थे और माता का नाम कुतलुग निगार खानम था।
बाबर का आरम्भिक जीवन
भारत के इतिहास में मुगल सम्प्रदाय काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी मुगल संप्रदाय की नींव रखने वाले बाबर ने भारत में में करीब 300 साल तक राज किया है। बाबर ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका पूरा काम संभाला था, बाबर ने जब अपने पिता की मृत्यु के बाद काम संभाला था तब बाबर की उम्र मात्र 12 साल थी। बाबर को बचपन से ही काफी महत्वाकांक्षी माना जाता था।
बाबर ने तुर्किस्तान के फरगन प्रदेश को जीत कर उस राज्य के राजा बन गया था। बाबर सिर्फ एक ही बात पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता था वह था उनका लक्ष्य। बाबर स्वयं चंगेज का परिवार का ही बताते है। बाबर की माने तो चंगेज खान उनकी माता साइड के वंशज थे।
बाबर के खून में दो महान शासकों का खून था, जिस वजह से वह एक महान शासक बने। ऐसा माना जाता है बाबर एक महान योद्धा था। बाबर अपनी कम उम्र से ही भूमि में उतर गये थे और उन्होंने अपने जीवन में कई सारे युद्ध, हार-जीत और कई संधि विच्छेद देखे थे।
बाबर का भारत आना
भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने से पहले बाबर मध्य एशिया में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था परन्तु वहाँ उसे कोई विशेष सफलता नहीं मिली तो वह भारत की और बढ़ा और भारत आकर यह पर अपना साम्रज्य स्थापित किया।
बाबर जब पहली बार भारत आया था, उस समय भारत की राजनीति उसके एकदम अनुकूल थी। बाबर जब भारत आया था, उस समय दिल्ली के सुल्तान लड़ाईया हार रहे थे तब बाबर को यह मौका अच्छा लगा और उसने भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करना आरम्भ किया। उस समय दिल्ली और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों पर राजपूतों का राज था और उस क्षेत्र के आसपास के क्षेत्र स्वतंत्र थे।
बाबर जब भारत आया था, उस समय दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोदी था जो कि शासन करने में असमर्थ था। इस बात से नाराज आलम खान ने बाबर को भारत आने के न्योता भेजा और उन्हें भारत बुलाया। बाबर को यह न्योता बहुत पसंद आया और उसने फिर भारत की और रुख किया। भारत आने के बाद बाबर ने दिल्ली में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
बाबर का शारीरिक जीवन
शारीरिक सुरक्षा करने के लिए बाबर काफी सचेत था। बाबर को योग करना काफी पसंद था। बाबर के बारे में कहा जाता है कि यह अपने दोनों कंधे पर दो लोगों को बैठा कर भागा करता था। इतना ही नहीं, बाबर ने दो बार गंगा नदी तैर के पार की हैं।
बाबर का वैवाहिक जीवन
भारत के इतिहास को पढ़े तो बाबर की कुल 11 पत्निया थी। बाबर की उन 11 पत्नियों से उसको कुल 20 बच्चे उत्पन्न हुए थे। आयशा सुल्तान बेगम, जैनाब सुल्तान बेगम, मौसम सुल्तान बेगम, महम बेगम, गुलरूख बेगम, दिलदार बेगम, मुबारका युरुफजई और गुलनार अघाचा इत्यादि औरतों को उसकी बेगम के तौर पर जाना जाता था। बाबर ने अपने बड़े बेटे हुमायूं को बाबर ने अपना उत्तराधिकारी बनाया था, जिसने उसकी मृत्यु के बाद भारत में शासन किया था।
बाबर की प्रजा
फारसी भाषा में मंगोल जाति के लोगों को मुगल कहकर पुकारा जाता था। बाबर की प्रजा में मुख्य रूप से फारसी और तुर्की लोग शामिल थे। बाबर की सेना में खासतौर पर फारसी लोग शामिल थे। तुर्क, मध्य एशियाई कबीले के अलावा बाबर के राज्य और उनकी सेना में पश्तो और बर्लाव जाति के लोग शामिल थे।
बाबरका भारत पर पहला आक्रमण
दिल्ली के सुल्तान बाबर ने भारत पर अपना पहला आक्रमण 1519 ई० में बाजौर पर किया था और इस आक्रमण में बाबर ने भेरा के किले को जीता था। इस युद्ध और इस घटना का वर्णन इतिहास के स्त्रोत बाबरनामा में भी मिलता है। इतिहास के स्त्रोत के अनुसार बाबर ने इस युद्ध मेंपहली बार बारूद और तोपखाने का इस्तेमाल किया था।
बाबर का पानीपत का युद्ध
बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई हुई थी। इतिहास की यह लड़ाई अप्रैल 1526 ई० में बाबर और भारत के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच हुई थी, यह युद्ध पानीपत के मैदान में हुई थी। कई इतिहासकार इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस युद्ध से पहले बाबर ने करीब 4 बार जांच पड़ताल की थी ताकि उसे इस युद्ध में जीत मिल सके।
इस युद्ध के साथ मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह भी यह चाहते थे कि बाबर इब्राहिम लोदी से युद्ध करें और इस युद्ध में विजय प्राप्त करें क्योंकि इब्राहिम लोदी राणा सांगा का शत्रु था। आपको इस बात का पता होगा कि मेवाड़ के राजा राणा सांगा ने भी अफगान से बाबर को भारत आकर इब्राहिम लोदी से युद्ध करने का निमंत्रण दिया था। इन दोनों के युद्ध में बाबर को जीत मिली थी और इसी के साथ इब्राहिम लोदी खुद को हारता देख कर खुद से स्वयं मौत को गले लगा लिया था।
पानीपत युद्ध के बाद
भारत के हिन्दू राजाओं को लगता था कि बाबर पानीपत का युद्ध जीत कर भारत से चला जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ, बाबर ने इसके बाद भारत में ही अपने साम्राज्य की नींव रखने की सोची और यही रह गया।
खानवा की लड़ाई
जिस राणा सांग ने कभी बाबर को भारत आकर इब्राहीम लोदी से युद्ध लड़ने के लिए आमंत्रित किया था, इब्राहीम लोदी से युद्ध लड़ने और जितने के बाद बाबर भारत में ही रह गया और यहां रह कर राणा सांगा को युद्ध के लिए चुनोती दी। परिणाम स्वरूप दोनों के बीच खानवा का युद्ध हुआ। खानवा वर्तमान में राजस्थान के भरतपुर में के छोटी सी जगह है।
इतिहास का यह युद्ध बाबर और राणा सांगा के बीच 17 मार्च 1557 को हुआ था। इतिहासकार ऐसा मानते हैं बाबर के खिलाफ इस युद्ध में राजपूत पूर्ण वीरता से लड़े थे वही बाबर ने इस युद्ध में तोपखाने का इस्तेमाल किया था और इस युद्ध और साम्प्रदायिक युद्ध बना दिया था।
घाघरा का युद्ध
इब्राहिम लोदी और बाबर को हारने के बाद भी बाबर के सामने चुनौतियों कम नहीं थी। बंगाल और बिहार के शासक बाबर को देश से बाहर भगाना चाहते थे। इस समय बंगाल और बिहार में अफगानी शासक शासन करते थे जो बाबर को देश से भगाना चाहते थे।
इसी विषय को लेकर बाबर और अफगान शासकों के बीच घाघरा ने मैदान में भयंकर युद्ध हुआ था। बाबर को इस युद्ध में जीत मिली और इसके बाद बाबर ने भारत के राज्यों को लूटना चालू कर दिया, इसके भविष्य में कई परिणाम हुए।
बाबर की क्रूरता
बाबर ने घाघरा के युद्ध के बाद तो देश में लूटमार चालू कर दी और देश में कई राज्यों को बुरी तरीके से लूटा। बाबर ने हिन्दुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया। बाबर को एक अय्याश प्रकार का आशिक माना जाता था। भारत में बाबर ने पंजाब, दिल्ली और बिहार राज्यों में अपने साम्राज्य की स्थापना की। बाबर की किताब बाबरनामा में उसके इतिहास की कई कहानियां लिखी मिलती है।
बाबर की मृत्यु
26 दिसम्बर 1530 ई० को बाबर की मृत्यु आगरा में हुई थी। बाबर की मृत्यु के समय आगरा मुगल साम्राज्य में हिस्सा था। बाबर ने मरने से पहले उसके बड़े पुत्र हुमायूं को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
बाबर का जन्म उज़्बेकिस्तान फरगना घाटी फ्नुकड़ मेंबी 23 फरवरी 1483 को हुआ था
बाबर ने मरने से पहले उसके बड़े पुत्र बाबर नेहुमायूं कोअपना उत्तराधिकारी बनाया था।
मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी
पानीपत का युद्ध इब्राहिम लोदी के साथ.
26 दिसम्बर 1530 ई० को बाबर की मृत्यु आगरा में हुई थी।
निष्कर्ष
हमारे इस लेख “बाबर का इतिहास और जीवन परिचय (History of Babar in Hindi)” में हमने आपको बाबर की जीवनी और बाबर के इतिहास के बारे में बताया हैं। इस लेख में बाबर के जीवन से जुड़े किस्सों को और भी बताया है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा। आपको यह लेख कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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