ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी, किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।
ये जो पत्थर है आदमी था कभी, इस को कहते हैं इंतज़ार मियां।
इंतज़ार के इन लम्हों में, ज़माना ना जीत जाए, इंतज़ार करते-करते कहीं, ज़िन्दगी ना बीत जाए।
तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है, यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे, तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है।
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये, हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन, उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी, इंतज़ार तेरा…मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।
राह चलते तू औरों का दामन थाम ले, मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले, कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने, जरा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले।
वादा है खुद से अगर तुम ना मिली इतना दूर चला जाऊंगा तुझसे, फिर इंतजार करती रह जाओगी, कभी ना मिल पाऊंगा तुझसे।
तुम देखना यह इंतज़ार रंग लायेगा ज़रूर, एक रोज़ आँगन में मौसम-ए-बहार आएगी ज़रूर।
आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया, चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया, दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए, कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
Intezaar Shayari in Hindi
हम इस इंतज़ार में रह गए कि वो हमें इंतज़ार नही करवाएँगे, हमें क्या खबर थी कि वो खुद ही हमारा इंतज़ार कर रहे थे।
उनकी आवाज़ सुनने को बेकरार रहते हैं, शायद इसी को दुनिया में प्यार कहते हैं, काटने से भी जो ना कटे वक्त, उसी को मोहब्बत में इंतज़ार कहते हैं।
इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा, यादें कटती हैं ले ले कर नाम तेरा, मुद्दत से बैठे हैं यह आस पाले, कि कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।
मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो, इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा, तुम मेरे रूह में समाये हुए हो, तुमको कैसे मैं भुलाऊँगा।
हाथ कि लकीरों पर ऐतबार कर लेना, भरोसा हो तो किसी से प्यार कर लेना, खोना पाना तो नसीबों का खेल है, ख़ुशी मिलेगी बस थोड़ा इंतज़ार कर लेना।
फिर आज कोई ग़ज़ल तेरे नाम न हो जाये, कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाये, कर रहे हैं इंतज़ार तेरी मोहब्बत का, इसी इंतज़ार में ज़िन्दगी तमाम न हो जाये।
उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख, हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
जान देने का कहा मैंने तो हँसकर बोले, तुम सलामत रहो हर रोज के मरने वाले, आखिरी वक़्त भी पूरा न किया वादा-ए-वस्ल, आप आते ही रहे मर गये मरने वाले।
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया, चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया, दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए, कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
Intezaar Shayari in Hindi
बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले, कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
मेरे मरने के बाद मुझे जलाना मत दफ़ना देना, जो अगर खोली उसने कभी कब्र मेरी तो उसे इंतज़ार करता मिलुंगा।
उनकी अपनी मरजी हो, तो वो हमसे बात करते है, और हमारा पागलपन देखो क़ि सारा दिन उनकी मरजी का इंतजार करते है।
दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर, वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
यूँ पलके बिछा कर तेरा इंतज़ार करते है, यह वो गुनाह है जो हम बार बार करते है।
पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का, कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का।
रात भर जागते रहने का सिला है शायद, तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़, किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
उसी तरह से हर एक ज़ख्म खुशनुमा देखे, वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे, गुजर गए हैं बहुत दिन रफाकत-ए-शब में, एक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे।
न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद, मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
तेरे हिज्र के गम में हम यूँ ज़ार ज़ार होते जा रहे हैं, इंतज़ार करते करते ख़ुद इंतज़ार होते जा रहे हैं।
मुझे हर पल तेरा इंतज़ार रहता है, हर लम्हा मुझे तेरा एहसास रहता है, तुझ बिन धडकनें रुक सी जाती हैं, कि तू दिल में धड़कन बनके रहता है।
तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा, मैं राह देखता रहा वो रास्ता बदल गया।
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आँखों से नूर बह गया किसी के इंतज़ार का, पथराई आँखों में अब ग़म भी नहीं प्यार का।
एक आरज़ू है पूरी अगर परवरदिगार करे, मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।
एक उम्र गुज़ार दी हमने तेरे इंतज़ार में, कि अब तो वक्त़ भी हमसे इजाज़त ले-लेकर गुज़रता है।
उठ-उठ के किसी का इंतज़ार करके देखना, कभी तुम भी किसी से प्यार करके देखना।
किसी रोज़ होगी रोशन मेरी भी ज़िंदगी, इंतज़ार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है।
सर्द शाम की निग़ाह में भी किसी का इंतज़ार था, मुड़ मुड़ के वो भी देखती रही रास्ता किसी का।
Intezaar Shayari in Hindi
वो इंतज़ार भी क्या जिसमें कोई बेसब्री ना हो, वो प्यार भी क्या जिसमें कोई दिलचस्पी ना हो।
कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए, हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए, आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर, बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यूँ है, इन्कार करने पर चाहत का इकरार क्यूँ है, उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद, फिर भी हर मोड़ पर उसका इंतजार क्यूँ है।
आदतन तुमने कर दिये वादे, आदतन हमने भी ऐतबार किया, तेरी राहों में हर बार रुककर, हमने अपना ही इंतजार किया।
लगता है हमारे इम्तिहान की घड़ी आ गई है, शायद इसलिए इंतज़ार करने को कहा है उन्होंने।
अब तेरी मोहब्बत पर मेरा हक तो नहीं सनम, फिर भी आखिरी साँस तक तेरा इंतजार करेंगे।
तुम एतबार की बात करते हो, हमे तुम्हारे इंतज़ार से भी प्यार है।
रात क्या होती है हमसे पूछिए, आप तो सोये सवेरा हो गया।
आप करीब ही न आये इज़हार क्या करते, हम खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते, साँसे साथ छोड़ गयीं पर खुली रखी आँखें, इस से ज्यादा किसी का इंतज़ार क्या करते।
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।