Holi Kyu Manaya Jata Hai: भारत त्योहारों का देश है। यहां हर महीने कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। वैदिक काल में होली के पर्व को नवात्रेष्टि यज्ञ कहा जाता था।
उस समय लोग खेत में आधे पके हुए अनाज को यज्ञ में दान करते थे और उस अन्न को होला कहा जाता था। उसी से इसका नाम होलिकात्सव पड़ा। चैत्र महीने में होली होती है और चैत्र महीने को भारतीय महीने का आरंभ माना जाता है। यह वसंत आगमन का प्रतीक है।
यहां पर होली कब मनाई जाती है और क्यों मनाई जाती हैं (Holi Kyu Manaya Jata Hai) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
होली कब मनाई जाती है?
होली हर साल फागुन महीने की बसंत पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस साल होली 25 मार्च 2024 को मनाई जाएगी।
होली मनाने की प्रचलित कथा
होली मनाने की प्रचलित कथा हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि सतयुग में हिरण कश्यप नाम का राक्षसों का एक राजा हुआ करता था, जिसे भगवान ब्रह्मा से आशीर्वाद मिला था कि उसे ना कोई इंसान, ना कोई जानवर, ना घर के अंदर, ना घर के बाहर, ना दिन में ना रात में, ना शस्त्र से, ना अस्त्र से, ना पानी से ना हवा से, ना जमीन पर ना आसमान पर कोई मार पाएगा।
हिरण कश्यप अपने इसी वरदान का फायदा उठाते हुए लोगों पर अत्याचार करता था। चारों तरफ हाहाकार मचा दिया था। लेकिन उस राक्षस के घर में प्रह्लाद जैसे भगवान के भक्त ने जन्म लिया।
प्रह्लाद राक्षस कुल का होने के बावजूद वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात भगवान विष्णु का पूजा पाठ किया करता था। लेकिन उसके पिता हिरणकश्यप को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उसने प्रह्लाद को समझाने की लाख कोशिश की लेकिन प्रह्लाद नहीं माना।
तब अंत में हिरणकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को क्रूर सजा देने का मन बनाया। हिरण कश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की बहुत कोशिश की लेकिन हर एक प्रयास में नाकामयाब रहा। तब अंत में उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली।
होलिका को भगवान से वरदान में एक चमत्कारी चादर मिली थी, जिसे ओढ़ कर वह अग्नि से भी बच सकती थी। अपने भाई के कहने पर वह चादर ओढ़ कर प्रह्लाद को अपने गोद में लेकर अग्निकुंड में बैठ गई।
लेकिन भगवान विष्णु के कृपा से तेज आंधी आई, जिससे होलिका की चादर उड़ गई और वह अग्नि में जलकर राख हो गई और प्रह्लाद भगवान की कृपा से बच गए।
उसके बाद भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेकर हिरणकश्यप का वध करने पहुंचे। उनके उस अवतार में आधा शरीर इंसान का और शरीर का ऊपरी भाग शेर का था।
उन्होंने हिरणकश्यप को अपने गोद में लेटाते हुए गोदिल बेला (दिन खत्म होने और रात शुरू होने से पहले का पहार) में अपने नाखूनों से उसके पेट को चीर कर उसका वध कर दिया।
इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत हुई। उसी दिन से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है।
होली कैसे मनाई जाती है?
यूं तो होली का त्योहार दो दिन का होता है लेकिन इसकी तैयारी लोग एक महीने पहले से ही कर देते है। होली के एक दिन पूर्व होली त्यौहार की शुरुआत होती है। एक दिन पहले होलिका दहन होता है और दूसरे दिन धुलेंडी होती है।
होलिका दहन के लिए लोग महीनों भर लकड़ी इकट्ठा करते हैं और होली के 1 दिन पहले संध्या में लड़कियों को इकट्ठा करके ढेर बनाते हैं। उसके बाद शुभ घड़ी में लकड़ी के ढेर यानी कि होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है।
उस अग्नि के चारों ओर लोग घूमते हैं और रक्षोघ्न मंत्र का उच्चारण करते हैं। यह मंत्र भारतीय वैदिक संस्कृत स्त्रोत ऋग्वेद में लिखा हुआ है। इस मंत्र का जाप करने से बुरी आत्मा हमसे दूर रहती है।
इस अग्नि में लोग नए अनाज गेहूं, जौ आदि की बालियां भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं। इसके साथ ही अग्नि के चारों ओर घूमते हुए अग्नि देव को जल भी अर्पित करते हैं।
होलिका दहन के बाद दूसरे ही दिन लोग धुलेंडी का त्यौहार मनाते हैं। इस दिन बच्चे, बूढ़े, स्त्री पुरुष सभी लोग अपने जात धर्म आपसी मतभेद को छोड़कर एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं, एक दूसरे पर रंग डालते हैं और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।
इस दिन युवकों की टोलिया गली-गली गाति बजाती हुई घूमती है। इस दिन सभी के घर पर अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं। होली के दिन ठंडाई पी जाती है।
महाराष्ट्र प्रांत में पूरन पोली नामक मीठा व्यंजन होली के दिन बहुत ही प्रचलित है। उत्तर भारत में होली के दिन गुजिया मीठा व्यंजन काफी ज्यादा प्रख्यात है।
देश के अलग-अलग हिस्से में होली के अलग-अलग रूप
होली हिंदुओं का त्यौहार है और यह त्योहार पूरे भारत भर में मनाया जाता है। लेकिन देश के अलग-अलग कोने में होली को मनाने का तरीका भी अलग-अलग होता है। कहीं फुल भरी होली मनाई जाती है तो कहीं लठमार होली मनाई जाती है।
हालांकि होली मनाने का तरीका भले ही अलग हो लेकिन रंगों से भरा यह त्यौहार सभी को हर्ष और उल्लास से भर देता है। देश के अलग-अलग राज्यों में होली मनाने के कुछ विशेष तरीकों इस प्रकार है:
वृंदावन और मथुरा की होली
यूं तो होली पूरे भारत भर में मनाया जाता है लेकिन वृंदावन और मथुरा की होली की बात ही अलग है, जिसे देखने के लिए दुनिया भर के लोग मार्च महीने में आते हैं।
मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि है और भगवान श्री कृष्ण का होली से बहुत गहरा संबंध रहा है। इसीलिए यहां पर होली का उत्सव एक भव्य प्रसंग है।
होली के दिन मथुरा में मंदिरों को सजाया जाता है, घाट के चारों तरफ संगीतमय जुलूस निकाले जाते हैं, लोग लठमार होली, फूलों वाली होली में भाग लेते हैं।
इसके साथ ही वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर भी होली के दिन आकर्षण का केंद्र होता है। यहां पर लोग फूलों से होली खेलते हैं और तकरीबन एक सप्ताह तक यहां होली मनाई जाती है।
महाराष्ट्र और गुजरात की होली
गुजरात और महाराष्ट्र क्षेत्र में मटकी-फोड होली काफी ज्यादा प्रचलित है। इन राज्यों में औरतें मटकी में मक्खन भर के उसे ऊंचाई पर बांधती है।
सभी मर्द लोग पिरामिड का आकार बनाकर मटकी को फोड़ने का प्रयास करते हैं। उस समय सभी महिलाएं बाल्टियों से रंग उन पर फेंकती है और होली के गीत गाती है।
बंगाल में होली
बंगाल में होली को “ढोल पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है। उस दिन यहां पर भगवान की अलंकृत प्रतिमा की झांकियां निकाली जाती है, जिसमें सभी भक्तजन पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और भगवान की उपासना करते हैं।
यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन वैष्णव संत महाप्रभु चैतन्य का जन्म हुआ था। ढोल पूर्णिमा के दिन बंगाल में रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा स्थापित शांति निकेतन में “वसंत उत्सव” के रूप में होली को पूरे उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पंजाब की होली
सिख धर्म में भी होली का त्योहार काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। पंजाब में होली के दिन “होला मोहल्ला” नामक त्यौहार मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत सिखों के दसवें व अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह ने की थी।
यह तीन दिन का त्यौहार होता है, जिसमें सभी सिख धर्म के लोग अपने सैनिय शैली और साहस का प्रदर्शन देते हैं। इस दिन लोग घुड सवारी, भांगड़ा, संगीत बजाना, रंगों के साथ खेलना और कविता पाठ जैसी कई मजेदार कृतियां करते हैं।
मणिपुर में होली
होली का त्योहार भारत के हर एक कोने को रंगों से रंग देता है। भारत का पूर्वी राज्य मणिपुर में भी होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से और 6 दिनों तक मनाया जाता है। होली के दिन यहां पर पारंपरिक नृत्य “थाबल चोंगबा” का आयोजन होता है।
राजस्थान की होली
राजस्थान हिंदू राजघराने का घर है, इसीलिए यहां पर होली का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। राजस्थान का उदयपुर, अजमेर, बीकानेर, पुष्कर और जयपुर शहर होली के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।
यहां पर सभी लोग हर्ष और उल्लास के साथ इस उत्सव की शुरुआत होली का के पुतले को जलाने से करते हैं और होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाते हैं। अगले दिन लोग संगीत का आनंद लेते हुए लोग रंगों से खेलते हैं।
केरल की होली
केरल में होली “मंजुल कुली” के नाम से प्रख्यात है। इस दिन यहां पर होली के पूर्व संध्या पर अलाव जलाना या फिर मिट्टी से मगरमच्छ का निर्माण करके देवी दुर्गा को अर्पित किया जाता है और अगले दिन ये लोग एक साथ मिलकर रंग से खेलते हैं और नृत्य करते हैं।
निष्कर्ष
होली का त्योहार चारों तरफ रंगीन माहौल बना देता है, लोगों में हर्ष उल्लास भर जाते हैं। लोग अमीर-गरीबी, रंगभेद, जात-धर्म सब कुछ भूल कर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं।
लेकिन दुख की बात है कि आज के इस समय में कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो इस त्यौहार को कुछ लोगों के लिए भयानक बना देते हैं।
इस लेख से हम लोगों से यही निवेदन करना चाहेंगे कि होली का त्यौहार बिना किसी केमिकल वाले रंगों के इस्तेमाल किये शुद्ध अबीर से और आनंद के उद्देश्य से मनाए।
हमें उम्मीद है कि इस लेख से आपको होली कब और क्यों मनाई जाती है? (Holi Kyu Manaya Jata Hai) की जानकारी मिल गई होगी। इसे आगे शेयर जरुर करें आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
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