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गुरु पूर्णिमा पर निबंध

वर्तमान समय में हम लोग गुरु पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को गुरु पूर्णिमा के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं हैं।

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हम यहां पर गुरु पूर्णिमा पर निबंध (essay on guru purnima in hindi) शेयर कर रहे है। इस निबंध में गुरु पूर्णिमा के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है।

यह गुरु पूर्णिमा निबंध (guru purnima essay in hindi) सभी कक्षाओं तथा उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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गुरु पूर्णिमा पर निबंध 250 शब्द में (Guru Purnima Par Nibandh)

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।

इस श्लोक का अर्थ “गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है, गुरु ही साक्षात् परब्रह्म का रूप है; अर्थात उन सद्गुरु को प्रणाम”। संसार में गुरु को एक बहुत विशेष प्रकार का दर्जा दिया गया है।

माता पिता हमारे प्रथम शिक्षक है। इसलिए गुरु को सबसे ऊँचा स्थान प्राप्त है और यह त्यौहार संसार के अलग-अलग जगहों पर मनाया जाता है।

हम लोगों के जीवन गुरु बहुत बड़ी भूमिका रहती है, बिना गुरु के किसी दिशा क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करना नामुमकिन है।

मान लो हम रेगिस्तान में खड़े है और पानी ढूंढ रहे है, पर विवश है। हमें पानी नहीं मिल रहा है, उसी तरह जीवन भी बिना गुरु के रेगिस्तान में पानी ढूंढने के समान है।

गुरु में गु का अर्थ “अन्धकार” एवं रू का अर्थ “रौशनी” है। अतः जो अंधकार में रौशनी के दीपक जला दे।

खासकर विद्यार्थी के जीवन में गुरु की अहम् भूमिका होती है। गुरु विद्यार्थी को हर एक परिस्थिति में जीना एवं हर एक मुश्किलों से लड़ना सिखाता है। गुरु के बिना जीवन में किसी चीज की कल्पना करना व्यर्थ है।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है की गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यानि अंग्रजी महीने के अनुसार लगभग जून-जुलाई में मनाया जाता है।

यह त्यौहार प्राचीन काल से मनाया जाता है। अतः इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 03 जुलाई 2023 को मनाया जा रहा है।

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गुरु पूर्णिमा पर निबंध 800 शब्दों में (Guru Purnima Nibandh)

प्रस्तावना

गुरु पूर्णिमा के दिन ही संसार का सबसे बड़े ग्रन्थ ‘महाभारत’ के रचयिता श्री गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ, जिसे गुरु पूर्णिमा या व्यास दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने पुराणों एवं वेदो की रचना की है, जिसमें पुराणों की कुल संख्या 18 है। हिन्दू धर्म के अनुसार सभी देवताओ एवं सभी ग्रहो के देवता ‘बृहस्पति देव’ को माना जाता है।

यह त्यौहार हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि बौद्ध, जैन एवं कई धर्मो में मनाया जाता है। दुनियाभार में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही धूम -धाम से मनाया जाता है। यह पूरी श्रद्धा एवं लगन से मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा की कथा

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु श्री वेद व्यास का जन्म हुआ था। हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा को दो घटना से जोड़कर देखा जाता है।

एक भगवान शंकर की पूजा गुरु के रूप में की जाती है। क्योंकि हिंदी पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर ने अपने सप्त ऋषियों यानि की सात अनुनायियों को योग एवं कई प्रकार के ज्ञान का उपदेश दिया और इसलिए वह गुरु के रूप में माने जाने लगे।

दूसरी तरफ बौद्ध धर्म का अपना मानना है कि भगवान बुद्ध को बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसीलिए उनके सम्मान के रूप में पूरे देश में गुरु पूर्णिमा मनाया जाने लगा।

हालाँकि भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार करने के लिए बहुत प्रयास किये और दुनिया भर में बौद्ध धर्म का प्रचार अपने शिष्यों द्वारा करवाया।

गुरु पूर्णिमा कैसे मानते है

भारतीय सांस्कति के अनुसार गुरु को देवता तुल्य माना गया है इसलिए गुरु को भगवान विष्णु, भगवान शंकर एवं भगवान ब्रह्मा के समान तुल्य माना गया है।

पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। अर्थात लोगों का मानना है इस दिन पूजा करने से कोई भी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

इस दिन का लोगों को उत्सुकता से इंतज़ार रहता है क्योंकि यह दिन मुहूर्त के लिए अथवा कोई नया काम शुरू करने के लिए बहुत खास होता है।

इस दिन घरों एवं मंदिरों में पूजा पाठ होती है तथा गुरु अपने शिष्यों की सफलता एवं उज्जवल भविष्य में अपना सहयोग देते है।

हर एक गुरु को अपना शिष्य की उच्चतम शिखर तक जाएं, यह उसके गुरु के लिए गर्व की बात होती है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

श्री वेद व्यास ने उपनिषद एवं पुराणों की रचना की है तथा उनके इस जन्म दिवस के अवसर का लोगों को बड़ी उत्सुकता से  इन्तजार रहता है तथा गुरु एवं शिष्य के बीच ख़ुशी का माहौल रहता है।

हर एक गुरु को अपने शिष्य की सफलता को लेकर बड़ी उत्सुकता रहती है। वैसे अगर देखा जाए तो व्यक्ति के सबसे पहले गुरु उसके माता पिता एवं अभिभावक होते हैं, जो शुरू-शुरू में उसका मार्गदर्शन करते है।

इसीलिए व्यक्ति अपने प्रथम गुरु अपने माता पिता को मानता है। इसी दिन व्यक्ति अपने गुरु की अपने अपने घरो में पूजा करते है।

हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि गुरु के बिना आपको ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती तथा ज्ञान की प्राप्ति ही जीवन में सारे अन्धकार को दूर कर सकती है।

गुरु पूर्णिमा में पूजा करने की विधि

जिस प्रकार हर किसी पूजा को करने की एक विधि होती है, उसी प्रकार गुरु पूर्णिमा के लिए पूजा करने की विधि निम्नलिखित है:

  • आप सुबह जल्दी उठे एवं स्वच्छ कपड़े पहने तथा ध्यान रहे सफ़ेद कपडे ही धारण करें।
  • अपने गुरु का ध्यान करें तथा भगवान विष्णु की मूर्ती के सामने बैठकर उनकी आराधना करें।
  • हल्दी का चन्दन, फूल एवं आटें की पंजीरी का भोग लगाए।
  • जरूरतमंद लोगों को अपनी क्षमता के अनुसार मदद करें। जिससे आपका मन शांत रहेगा और कोई नया कार्य करने में आपकी रूची भी लगेगी।

निष्कर्ष

हमारे जीवन में गुरु का बहुत विशेष योगदान है। बिना गुरु के दिशा निर्देश के बिना किसी सफलता को हासिल करना नामुमकिन है।

इसलिए संसार के सभी लोगों को अपने अपने गुरु प्रति आदर भाव एवं सम्मान के साथ रहना चाहिए। जिससे गुरु को अपने शिष्य पर गर्व हो सके।

इस प्रकार से बच्चों को भी अपने माता पिता एवं गुरुजनो का सम्मान करना चाहिए।

“सब धरती पर कागज करूं, लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय।।”

शिष्य के लिए उसके गुरु के आशीर्वाद से कीमती चीज़ कुछ नहीं हो सकती है तथा गुरुजनों का सम्मान करना आपका कर्तव्य है।

जैसा कि इस दोहे गुरु की महिमा बताई गयी है। इसलिए हम लोगों को गुरु का सम्मान करना चाहिए।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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