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छठ पूजा पर निबंध

छठ पूजा हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। सामान्यतयः यह त्योहार बिहार, झारखण्ड और पूर्वी उत्तर-प्रदेश में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाने वाली छठ पूजा महापर्व घोषित कर दी गई है।

पहले छठ पूजा के त्यौहार को लेकर सरकारी छुट्टियां नहीं की जाती थी, परंतु अब छठ पूजा के दिन सरकारी छुट्टी भी लागू कर दी गई है। क्योंकि छठ पूजा को उत्तर प्रदेश और बिहार में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी मनाया जाने लगा है और इसी कारण से छठ पूजा को महापर्व भी घोषित कर दिया गया है।

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हम यहां पर छठ पूजा पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में छठ पूजा के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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छठ पूजा पर निबंध 250 शब्दो में (Essay on Chhath Puja in Hindi)

हमारे हिंदू धर्म में छठ पूजा प्रमुख त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

इस पूजा में छठ माता की पूजा और सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है। इसके पहले दिन नहाने खाने की विधि होती है।

दूसरे दिन इस छठ पूजा को खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं, वह खीर बनाते हैं। खीर में चीनी की जगह गुड का प्रयोग करते हैं। शाम को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद में उस प्रसाद को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं।

उस के तीसरे दिन छठ माता की पूजा किसी नदी या तालाब के किनारे पर की जाती है। पूजा के बाद छठ माता को शाम के समय गाय के दूध और जल से सूर्य के सामने अर्ध्य देकर अपनी मनोकामना हेतु इस व्रत को पूरा किया जाता है।

छठ पूजा का व्रत किसी कठिन तपस्या से कम नहीं होता है क्योंकि छठ पूजा का व्रत पति और संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। किसी भी कामना से जो भी महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी अपने काम की सफलता के लिए और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करते हैं।

Chhath Puja Par Nibandh
Image: Chhath Puja Par Nibandh

छठ पूजा पर निबंध 400 शब्द (Chhath Puja Essay in Hindi)

प्रस्तावना

भारत में हर एक हिंदू उगते सूर्य की तो पूजा करता है। परंतु हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग डूबते हुए सूर्य की भी पूजा करते हैं, क्योंकि इनका ऐसा मानना होता है, कि सूर्य इस संसार को दिनभर अपने प्रकाश से प्रकाशित करते हैं।

इसलिए वह डूबते हुए सूर्य को देखकर ऐसा मानते हैं कि सूर्य पर कोई संकट आया है और इसलिए वह सूर्य की पूजा करते हैं ताकि सूर्य पर आया हुआ संकट दूर हो सके और हमें पुनः प्रकाश मिले।

छठ पूजा कब मनाया जाता है?

छठ पूजा दिवाली के पर्व से लगभग 6 दिनों बाद मनाया जाता है और शायद इसी वजह से इसे छठ पूजा के नाम से भी जानते हैं। छठ पूजा दीपावली के 3 दिन बाद से ही शुरू कर दी जाती है और इसी दिन से लोग पूजा करना शुरू कर देते हैं।

छठवें दिन लोग डूबते हुए भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और अगले दिन प्रकाशित हो रहे अर्थात उगते हुए सूर्य की पूजा करते हैं।

छठ पूजा व्रत की विधि

छठ पूजा दीपावली के 3 दिन बाद से ही शुरू हो जाती है। इसके पहले दिन की रात को लोग कद्दू की सब्जी और चावल बनाते हैं। दूसरे दिन की रात को लोग खीर एवं पूरी बनाते हैं और तीसरे दिन छठ पूजा का आरंभ हो जाता है और लोग सूर्य की पूजा शुरु कर देते हैं।

जल में खड़े रहकर लोग सूर्य को प्रणाम करते हैं और जब तक सूर्य डूब न जाएं, तब तक लोग बस उन्हें ही देखते रहते हैं और गीत गाते हैं। सूर्य के डूबने के बाद लोग उन्हें अर्ग देते हैं।

छठ पूजा का महत्व एवं मान्यता

ऐसा मानना है कि छठ पूजा का त्यौहार करने से व्यक्ति सभी प्रकार के दुख दर्द एवं बीमारियों से दूर रहता है। इसके साथ साथ उस व्यक्ति के परिवार के सभी लोग सुरक्षित रहते हैं।

अतः इस त्यौहार को करने की प्रमुख मान्यता यह है कि उसके बच्चों पर कोई भी संकट नहीं आता और माता छठ एवं भगवान सूर्य की कृपा उस व्यक्ति के परिवार पर सदैव बनी रहती है।

छठ पूजा का त्योहार हमारे भारत के बिहार राज्य से शुरू हुआ था और आज भारत के कई राज्यों में छठ पूजा का आयोजन किया जाता है। छठ पूजा हमारे बिहार से शुरू होकर भारत के कई राज्य तक पहुंची और जिसमें से उत्तर प्रदेश दिल्ली इत्यादि जगह मशहूर है, क्योंकि वहां पर बिहारी एवं उत्तर प्रदेश के निवासी रहते हैं।

उपसंहार

इस वर्ष छठ पूजा का त्यौहार 30 अक्टूबर एवं 31 अक्टूबर को है। छठ पूजा प्रतिवर्ष दीपावली के छठवें दिन शुरू होती है। भारत के अनेकों राज्य से लोग छठ पूजा का आनंद उठाने के लिए उत्तर प्रदेश एवं बिहार आते हैं।

छठ पूजा पर निबंध 850 शब्दों में (Chhath Puja Par Nibandh)

प्रस्तावना

छठ पूजा का व्रत हिंदू धर्म का एक मुख्य त्यौहार है। इस दिन भगवान सूर्य और छठ माता की पूजा की जाती है। छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से पड़ता है। छठ पूजा के दिन जो भी श्रद्धालु है, वह गंगा नदी के तट पर आकर पवित्र जल से स्नान करते हैं और छठ माता की पूजा करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि इस दिन छठ माता की पूजा होती है और उसी के द्वारा सूर्य भगवान को भी धन्यवाद देते हैं और उनसे हम अपने अच्छे स्वास्थ्य रोग मुक्त होने की भी कामना करते हैं। इस त्यौहार की सबसे अधिक जो रौनक देखने को मिलती है, वह बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश में मिलती है।

छठ पूजा कब मनाते हैं?

भगवान सूर्य देव के प्रति सभी भक्तों के अटूट आस्था और श्रद्धा का अनूठा पर्व छठ पूजा है। हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।

वैसे तो छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है, चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि को ओर कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को। इन दो तिथियों में ही इस पर्व का महत्व माना जाता है। हालांकि कार्तिक शुक्ल पक्ष की तिथि को छठ पूजा विशेष तौर से मनाई जाती है और कार्तिक छठ पूजा का ही ज्यादा विशेष महत्व भी माना गया है।

छठ माता को किस किस नाम से जाना जाता है?

यह पूजा चार दिन तक बहुत धूमधाम से मनाने वाला त्योहार है। इसको डाला छठ, छठी मइया, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि नाम से जाना जाता है।

छठ पूजा क्यों करते हैं?

यह मुख्यतः बिहार का प्रमुख त्योहार है। छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य देवता का धरती पर धन्य धान की प्रचुरता के लिए मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। इस दिन लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपनी जो भी मनोकामना है, उसकी प्रार्थना करने के लिए इस पर्व को मनाते हैं। इस पर्व का आयोजन ज्यादातर गंगा के तट पर या तालाब पर ही होता है।

कुछ गांव में तो महिलाएं छोटे छोटे तालाब हो तथा पोखरा के किनारे ही इस त्यौहार को धूमधाम से मनाती है। सूर्य देव की कृपा से सभी की सेहत अच्छी रहती है। सूर्य देव की कृपा से ही घर में धन धन के भंडार भरे रहते हैं और छठ माता का व्रत संतान प्राप्ति के लिए तथा पति की लंबी आयु के लिए भी इस व्रत को किया जाता है।

छठ माता की उत्पति

सूर्य देव की बहन छठ माता को माना गया है। छठ पूजा की कहानी के अनुसार छठ माता भगवान की पुत्री देवसेना बताई गई है। प्रकृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई है, इसी वजह से उनको छठ कहा गया है। जो भी मनुष्य संतान की चाहत रखने वाले इस व्रत को सच्चे मन से करते हैं, उनको बहुत लाभ प्राप्त होता है।

पौराणिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार रामायण काल में भगवान श्री राम के अयोध्या वापस आने के बाद सीता माता जी के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य उपासना करने से भी इस त्यौहार को जोड़ा गया है।

छठ व्रत की विधि

यह चार दिन तक चलने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि तक होता है।

  • पहला दिन – नहाय खाय

सबसे पहले दिन इस व्रत में नहाना और घर की साफ-सफाई प्रमुख होती है। इसके अलावा इस व्रत में शुद्ध शाकाहारी भोजन ही किया जाता है।

  • दूसरा दिन- खरना

इसके दूसरे दिन खरना की विधि होती है। खरना में व्यक्ति को पूरे दिन का उपवास रखकर शाम के समय गन्ने का रस या गुड़ में बने हुए व्यंजन से चावल की खीर को प्रसाद के रुप में खाना होता है। इस दिन बनी गुड़ की खीर बेहद स्वादिष्ट होती है।

  • तीसरा दिन – अर्ध्य

इसके तीसरे दिन उपवास रखकर शाम के समय में डूबते हुए सूरज को पानी चढ़ाया जाता है, जो भी पूजा की सामग्री है, उनको लकड़ी के पिटारे में रखकर घाट पर लेकर जाते हैं और शाम को जब सूरज को अध्य देकर उन सामानों को घर पर ले आते हैं और प्रसाद के रूप में सभी को बांट देते हैं। इस दिन रात के समय में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और कथा भी सभी लोग सुनते हैं।

  • चौथा दिन – सुबह का अर्ध्य

फिर अगले दिन सुबह जल्दी ही सूर्य कि निकलने वाली पहली किरण को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद जो छठ माता है, उनको प्रणाम कर उनसे संतान की रक्षा का भी वर मांगते हैं। अर्घ्य देने के बाद सभी लोगों को प्रसाद वितरण किया जाता है।

इस प्रकार से इस त्यौहार को दिवाली के बाद पूरे हर्षोल्लास के साथ और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने वाले लोग बिहार में ही नहीं बल्कि हमारे देश के सभी प्रांतों में जहां भी रहते हैं, वहां सभी लोग बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार को बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

उपसंहार

छठ पूजा से संबंधित बहुत ही प्रचलित और पौराणिक कथाएं हैं, वह यह साबित करती है कि छठ पूजा कितनी महत्वपूर्ण होती है। छठ पूजा का व्रत बहुत ही कठिन होता है, इसमें जो भी व्रत करता है, उसको सभी सुख-सुविधाओं का त्याग करना पड़ता है।

इस व्रत में जमीन पर एक कंबल और चादर बिछाकर सोना होता है, जिस में किसी प्रकार की कोई सिलाई नहीं होती है। ज्यादातर व्रत महिलाएं करती हैं, परंतु अब वर्तमान समय में पुरुष भी इस व्रत को रखने लग गए। छठ पूजा सभी समाज के लोग करते हैं। छठी मैया सभी लोगों पर अपनी कृपा दृष्टि बना कर रखती है।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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