Ganit Kise Kahate Hain: हमारे पाठ्यक्रम में कई सारे विषय हैं, जिसमें गणित एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे गणनाओं का विज्ञान कहा जाता है। हमारे आस पास जितनी भी चीजें हैं, उन सभी में गणित निहीत है। हम अपने आसपास मौजूद प्रत्येक चीजों में गणित को खोज सकते हैं। हमारे दैनिक जीवन में गणित का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है फिर चाहे वह माफ तोल हो या फिर आज के डिजिटल मशीनें।
हालांकि हम गणित को एक विषय की तरह पढ़ते हैं, जिसका जीवन पर्यंत उपयोग होता है। लेकिन क्या आपको गणित के इतिहास के बारे में पता है? क्या आप गणित की परिभाषा, गणित का महत्व और गणित का उद्देश्य जानते है?
यदि आप इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। आज के लिए हम आपको गणित से संबंधित सभी जानकारी देने वाले हैं।
गणित किसे कहते है?, गणित का अर्थ, उद्देश्य, और महत्व | Ganit Kise Kahate Hain
गणित का अर्थ (Mathematics in Hindi)
गणित विज्ञान की रानी है। यह घटनाओं का विज्ञान है। गणित माप, तौल, मात्रा, स्थान संख्या, दिशा का विज्ञान है। गणित तार्किक विचारों का विज्ञान है, जिसके अध्ययन से व्यक्ति के मस्तिष्क में तर्क करने की आदत उत्पन्न होती है। गणित ऐसी विधाओं का समूह है जिसमें संख्या, मात्रा, परिमाण, रूप उनके आपसी रिश्ते स्वभाव गुण इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।
गणित प्रकृति में निहीत है, गणित हमारे आस पास निहित है। हम जो भी कार्य करते हैं, उन हर कार्य में गणित हैं। यहां तक कि खाना बनाने में भी गणित का इस्तेमाल किया जाता है। खाने में कितना चम्मच नमक डालना है, कितने मात्रा में मसालों को डालना है, यह भी तो गणित में मात्रा के अंतर्गत आता है।
गणित का महत्व
गणित छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाता है। उसका मानसिक विकास करके उसकी बुद्धि को प्रखर बनाता है। उसके नियमित और शुद्धता, एकाग्रता इत्यादि गुणों को विकसित करता है। यही कारण है कि पाठ्यक्रम में गणित का महत्वपूर्ण स्थान है।
मात्र पाठ्य पुस्तक में हीं गणित नहीं है बल्कि हमारे आसपास, इस प्रकृति में भी गणित निहित है। सूर्य चंद्रमा की परिक्रमा, तारों का निकलने, छूपने का समय, उनकी स्थिति, दिशा आदि के ज्ञान में गणित समाहित है।
गणेश का महत्व केवल बाहरी व्यापार, उद्योग तक ही सीमित नहीं है बल्कि घर के कामों में भी गणित की आवश्यकता होती है। गणित के ज्ञान से घर को सही तरीके से चलाया जा सकता है। इसीलिए हर महिलाओं को भी गणित की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वह अपने सिमित बजट में भी घर को अच्छे से चलाने में सक्षम हो सकें।
मानसिक विकास के रूप में भी गणित का काफी महत्व है। गणित की कोई भी समस्या आते ही व्यक्ति का दिमाग क्रियाशील हो जाता है। व्यक्ति का दिमाग उस समस्याओं को हल करने में व्यस्त हो जाता है। इससे व्यक्ति के विचार करने, विश्लेषण करने, तर्क वितर्क करने की क्षमता का भी विकास होता है।
व्यवहारिक जीवन में गणित की भरपूर मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। चाहे सब्जी बेचने वाला व्यक्ति हो या फ़िर दफ्तर में बैठने वाला व्यक्ति हर किसी को गणित की आवश्यकता पड़ती है। हमारे आस पास जितने भी व्यापार चलते हैं, उन सभी व्यापारो में गणित संबंधी घटना होती है।
बिना गणित के कोई भी व्यापार नहीं चल सकता क्योंकि हर व्यापार में क्रय विक्रय की प्रक्रिया होती है। इस तरह कह सकते हैं कि आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां गणित उपयोग नहीं होता। आज जिस आधुनिक युग में हम विज्ञान की मदद से मॉडर्न बनते जा रहे हैं, वह विज्ञान भी स्वयंम गणित पर आधारित है।
यदि घर से निकलने के बाद छोटे से काम में भी हमें गणित की आवश्यकता पड़ जाती हैं। गणित के बिना व्यक्ति का जीवन अंधे, बहरे और गूंगे के समान है। जिसे गणित का सामान्य ज्ञान भी नहीं उसे कोई भी मूर्ख बना सकता है।
नियमित और विविधता की दृष्टि से भी गणित का महत्व है। व्यक्ति जब गणित के समस्याओं को हल करता है और जब एक बार में हल नहीं होता तो वह दूसरी तरकीब का इस्तेमाल करता है। इस तरह गणित की समस्याओं को हल करने से व्यक्ति में विधिवत रूप से कार्य करने की क्षमता का विकास होता है।
शुद्धता और स्पष्टता की दृष्टि से भी गणित का अन्य विषयों की तुलना में काफी ज्यादा महत्व है। क्योंकि अन्य विषयों में आप अनुमान कर सकते हैं परंतु गणित में हनुमान नहीं शुद्धता की आवश्यकता होती है।
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गणित का इतिहास
जितनी पुरानी मानव सभ्यता है, उतनी ही पुरानी गणित भी है। प्राचीन कल से ही मनुष्य गणित का इस्तेमाल करते आ रहा है। हालांकि समय के साथ-साथ गणित में भी विकास हुआ, समय के साथ-साथ गणित में कई शाखाओं का निर्माण हुआ और यह और भी ज्यादा व्यापक होते गया।
प्राचीन काल में बनाई गई हर इमारतें गणित के प्रयोग का साक्ष्य है क्योंकि बिना गणित के कोई इमारत लंबे समय तक खड़ा नहीं रह सकता। प्राचीन काल में बनाई गई इमारतें जिस तरीके से आज भी मौजूद है, वह इस बात का साक्षी है कि प्राचीन काल के लोग भी गणित के उपयोगिता को जानते थे।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि गणित का इतिहास काफी पुराना है, जिसकी समय सीमा का आंकलन नहीं किया जा सकता।
गणित का उद्देश्य
पाठ्यक्रम में गणित विषय को पढ़ाने का उद्देश्य बालक का मानसिक विकास करना है। किसी भी बालक को शिक्षा इस उद्देश्य से दिया जाता है कि वह शिक्षा पूरा करने के बाद जीवन में सफल इंसान बन सके और अपनी जीवन को सही से जीने के लिए कुछ कमा सके।
बालक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह जिस भी कार्य में लगेगा, उसे वहां गणित की आवश्यकता पड़ेगी। इस तरह गणित का उद्देश्य बालक के जीवन को आसान बनाना भी है।
गणित का उद्देश्य बालक के तर्क वितर्क की शक्ति का विकास करना है। बालक में जब तर्क वितर्क करने की शक्ति का विकास होता है तो समाज में निहित गरीबी, अज्ञानता, बाल विवाह, अंधविश्वास जैसी कई कुप्रथा का नाश करने में मदद मिलता है। क्योंकि व्यक्ति की तर्क क्षमता उत्तम हो तो वह तर्क के आधार पर इन कुप्रथा पर सवाल उठा सकता है और इसे पूरी तरीके से खत्म कर सकता है।
गणित का उद्देश्य बालक में अनुशासन, निर्णय लेने की क्षमता क्रमबद्ध अध्ययन कठिन परिश्रम करने की क्षमता, शुद्धता, एकाग्रता, समय का पालन करना गंभीरता धैर्य आदि गुणों का विकास करना है।
गणित के सूत्र
आज हम गणित में जिन जिन सूत्रों को जानते हैं विभिन्न शाखाओं को सीखते हैं, उसकी खोज विद्वानों ने प्राचीन समय में हीं कर दिया था। उन विद्वानों को गणितज्ञ कहा जाता है, जो गणित के नई शाखाओं की खोज करते हैं, उस पर सिद्धांत देते हैं और सर्च करते हैं।
गणित की विभिन्न शाखाएं हैं जैसे कि अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, कलन, बीजगणित, सांख्यिकी इत्यादि। गणित के अंदर सीखे जाने वाली विभिन्न शाखाएं हमारे दैनिक जीवन में अलग अलग तरीके से इस्तेमाल होती है। जैसे कि त्रिकोणमिति के अंतर्गत दो वस्तुओं के बीच बनने वाले डिग्री और किसी एक वस्तु की लंबाई के माध्यम से हम दूसरी वस्तु की ऊंचाई ज्ञात कर सकते हैं।
वहीँ बीजगणित के माध्यम से बड़े बड़े सवालों का गुना कर सकते हैं, उनका जोड़ घटाव कर सकते हैं। क्षेत्रफल आयतन इत्यादि की सहायता से हम किसी भी वस्तु की क्षमता ज्ञात कर सकते हैं। गणित के अंतर्गत पाई काफी महत्वपूर्ण सूत्र है, जिसके खोज से प्राचीन समय में बिना किसी माध्यम के स्पष्ट रूप से वृत्ताकार खींचा जा सकता था।
इस तरह गणित के विभिन्न शाखाओं में कई सारे सूत्र है, जिससे बड़े-बड़े संख्याओं को हल करने में आसानी होती है। इन सूत्रों के कारण दैनिक जीवन में भी कई सारी समस्याओं का आसानी से हल हो जाता है।
FAQ
महान भारतीय खगोल शास्त्री आर्यभट्ट को गणित का जनक माना जाता है, जिन्होंने शून्य की खोज सबसे पहले की। इसके अतिरिक्त उन्होंने गणित की और कई सारे सूत्रों की भी खोज की। आर्यभट्ट प्रथम ने हीं यह सिध्द किया था कि पृथ्वी अपने धुरी पर प्रतिदिन घूमता है।
यूनान के महान दार्शनिक थेल्स को विश्व का सर्वप्रथम गणितज्ञ माना जाता है, जिन्होंने वस्तु की ऊंचाई को छड़ी द्वारा निक्षेपित परछाई से तुलना करके मापा था। इन्होंने गणितीय और भूगोल में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
आर्कमिडीज को गणित का पिता कहा जाता है, जिन्होंने क्षेत्रफल की गणना करने के लिए पूर्णता की विधि का उपयोग किया था। अर्कमिडीज ने पाइ का उल्लेखनीय सटीक मान दिया था। इसके अतिरिक्त उन्होंने सर्पिल को भी परिभाषित किया साथ ही घूर्णन की सतह के आयतन का भी सूत्र दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने बहुत बड़ी संख्याओं को व्यक्त करने के लिए सरल प्रणाली भी दी थी।
गणित का प्रयोग मेसोपोटामिया सभ्यता से ही माना जाता है।
आर्यभट्ट प्रथम ने त्रिकोणमिति को साइन सारणी सारणी वर्षा इन सारणी द्विघात समीकरण गोली त्रिकोणमिति बीज गणित अंकगणित खगोलीय से आज्ञा दी हमें दिए। आर्यभट्ट ही थे जिन्होने यह बात सिद्ध किया था कि पृथ्वी प्रतिदिन अपनी धुरी पर घूमती है।
गणित की कई सारी शाखाएं हैं, जिसमें बिज गणित, सांख्यिकी, त्रिकोणमिति, अंकगणित, रेखागणित कलन इत्यादि शामिल हैं।
गणित प्रकृति और भौतिकी की केवल भाषा ना होकर विज्ञान की भी भाषा है। यह मानव और प्रकृति के बीच संवाद का माध्यम है। गणित के माध्यम से मनुष्य को प्रकृति के कई रहस्य को जान पाने में मदद मिला है। तकनीकी विकास में भी गणित का सहयोग है। तकनीकी भाषा के रूप में गणित का ही प्रयोग किया जाता है जैसे कि कंप्यूटर की भाषा बायनरी नंबर पर आधारित है जो गणित के अंतर्गत है।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको शिक्षण पाठ्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण विषय गणित के अर्थ (Ganit ka Arth), गणित किसे कहते हैं, गणित की परिभाषा (Ganit ki Paribhasha), उसके महत्व और उसके उद्देश्य के बारे में बताया। हमें उम्मीद है कि यह लेख से आपको गणित से संबंधित बहुत सारी ज्ञान मिली होगी।
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