Gangubai Kathiawadi Biography in Hindi: 24 फरवरी 2021 की शाम को एक टीजर लाँच होता है, उस टीजर लाँच के बाद सारे फिल्म जगत के मीडिया वालों और सोशल मीडिया वालों में एक तूफान सा आ जाता है। उस तूफान का नाम है, संजय लीला भंसाली। जी हाँ, इस दिन संजय भंसाली अपना जन्मदिन मना रहे थे।
अपने जन्मदिन पर उन्होंने अपनी आने वाली मूवी गंगूबाई काठियावाड़ी का टीजर लाँच किया। उससे पहले उन्होंने इस फिल्म के दो पोस्टर लाँच किये गए थे जिसे जनता का पूरा प्यार मिल था। इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस आलिया भट्ट है और वो ही गंगूबाई का किरदार निभाते हुए नजर आएगी।

उस टीजर लाँच के बाद जनता द्वारा प्यार, नफरत मिलने के साथ-साथ संजय लीला भंसाली की फिल्म विवादों से भी घिर गई। आज हम बहुत सारे सवालों के जवाब तलाशेंगे जो हमारे मन में इस फिल्म से जुड़े हुए है।
जैसे कि यह फिल्म काल्पनिक है या वास्तविक, वास्तविक है तो किसके ऊपर है, टीजर के बाद विवाद किस बात का हो रहा है, आलिया भट्ट के अलावा और कौन-कौन है इसमें, अगर गंगूबाई के जीवन से प्रेरित होकर यह फिल्म बनी है तो गंगू बाई का वास्तविक जीवन कैसा था (Gangubai Kathiawadi ki Real Story in Hindi) और भी बहुत कुछ। चलिए एक-एक करके सारे सवालों के जवाब खोजते है।
तो आइये जानते हैं कि गंगूबाई काठियावाड़ी की कहानी (Gangubai Kathiawadi Real Story in Hindi) पूरे विस्तार के साथ।
गंगूबाई काठियावाड़ी का जीवन परिचय – Gangubai Kathiawadi Biography in Hindi
विषय सूची
गंगूबाई काठियावाड़ी का जीवन एक नजर में
नाम | गंगा हरजीवनदास (Gangubai Harjivandas) |
उपनाम | गंगूबाई, गंगू |
जन्म और स्थान | 1939, काठियावाड़ (गुजरात) |
पेशा | कोठा चलाना, लेडी डॉन |
ग्रह नगर | काठियावाड़ |
शिक्षा | – |
स्टेटस | विवाहित |
पति का नाम | रमणीक लाल |
पसंद | फिल्म अभिनेत्री बनना |
मृत्यु | – |
गंगूबाई काठियावाड़ी कौन थी (Gangubai Kathiawadi Kon Thi)
गंगूबाई का जन्म 1939 में हुआ था और असली नाम गंगा हरजीवनदास था जो गुजरात के काठियावाड़ में रहती थी। गंगूबाई का परिवार बड़ा ही सम्पन्न परिवार था, लेकिन गंगा के सपने कुछ और थे।
गंगूबाई काठियावाड़ी का प्रारम्भिक जीवन
जाने-माने लेखक और पत्रकार एस हुसैन जैदी की किताब ‘माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई’ के मुताबिक गुजरात की रहने वाली भोली-भाली 16 साल की लड़की जो अपने से अधिक उम्र के लड़के के प्यार में पागल हो जाती है। घरवालों के खिलाफ जा कर शादी कर लेती है। ये सारी बातें गंगूबाई के जीवन की है।
गंगूबाई जो पहले गंगा हरजीवनदास के नाम से जानी जाती थी, गंगा का परिवार धनाढ्य था। उसके पिताजी कि एक दुकान थी, उस दुकान पर उनके पिताजी ने एक नया अकाउंटेंट रखा था। वो अकाउंटेंट बॉम्बे रहा हुआ था। अकाउंटेंट का नाम रमणीक लाल था।

गंगा पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ अपने मन में एक सफल अभिनेत्री का सपना पाले हुए थी। उसे बस कैसे भी करके बॉम्बे जाना था और अपना सपना पूरा करना था। जैसे ही उसे ये पता चला कि उसके पिता ने एक नया बाबू रखा है और वो बॉम्बे भी रह चुका है तो उसके मन में रमणीक लाल से दोस्ती करने का विचार आया।
गंगा ने रमणीक से दोस्ती कर ली और धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई, प्यार इतना हो गया कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। जब गंगा ने अपने पिता को यह बात बताई कि वो और रमणीक दोनों आपस में बहुत प्यार करते है और शादी करना चाहते है तो उनके पिता जी ने साफ शब्दों में मना कर दिया। लेकिन प्यार के आगे किसी की भी नहीं चली तो पिता के शब्द भी कैसे चल सकते थे। दोनों ने भाग कर शादी करने का फैसला कर लिया।
काठियावाड़ जैसे छोटे से गाँव की रहने वाली लड़की में पता नहीं इतनी हिम्मत कहाँ से आई कि वो भाग कर शादी कर लेगी। लेकिन जो भी था, उसके मन में उसने रमणीक के साथ भाग कर शादी कर ली और सीधा बॉम्बे को निकल गए।
बॉम्बे यह ही वो जगह जहाँ गंगा अपना सपना पूरा करने के लिए कब से आना चाहती थी और वो शादी करके बॉम्बे में थी, उसे यकीन नहीं हो रहा था। गंगा को अपने पति का चेहरा धीरे-धीरे साफ दिखाई देने लगा था, क्योंकि उनके बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होता रहता था।
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गंगा से गंगूबाई तक का सफ़र (Gangubai Kathiawadi Ki Kahani)
जब जेब में पैसे ना हो तो आदमी टूट जाता है और वो ही रमणीक के साथ हो रहा था। बॉम्बे तो भाग कर आ गए लेकिन आगे पूरी जिंदगी निकले कैसे? हाथ में नौकरी नहीं और रहने को छत नहीं, इस सोच में आदमी कोई भी काम करने के लिए तैयार हो जाता है। रमणीक ने केवल 500 रुपयों में अपनी पत्नी गंगा को मुंबई के एक मशहूर स्थान रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा के एक कोठे वाली को बेच देता है।
रमणीक गंगा को कहता है कि काम ढूँढने के लिए बॉम्बे से बाहर जा रहा है इसलिए कुछ दिन वो अपनी मौसी के साथ उनके घर पर रहना, काम मिलने के बाद मैं तुझे मौसी के घर से ले जाऊंगा। रमणीक ने जो कहा गंगा वैसे-वैसे करती रही, उसे क्या पता था कि वो रमणीक के मौसी का घर नहीं बल्कि एक वैश्यालय है।
कुछ दिन रहने के बाद उसे पता चल गया कि रमणीक उस कभी भी लेने नहीं आएगा और अब इस हालात के बाद वो अपने गाँव भी नहीं जा सकती है। फिर बेमन से रहने वाली गंगा ने इस वैश्यालय को ही अपना घर मान लिया। जब से गंगा उस कोठे पर आई थी तब से ही वो चर्चे में थी, उसे वहाँ सब गंगू कह कर बुलाते थे।
गंगू का कोठा कमाठीपुरा में पड़ता था और वहाँ का एक खूंखार गुंडा जिसका नाम शौकत खान था, उसे भी जब पता चला कि कोठे में एक नई लड़की आई है और बहुत ही सुंदर है। तो अगले दिन वो कोठे में पहुँच कर गंगा को घसीटते हुए उसकी मर्जी के बिना शारीरिक संबंध बनाता है। उसे नोचता है, मारता है और पीटता भी है। उसके ऊपर बिना पैसा दिए भी चला जाता है।
पहली बार तो गंगा को कुछ समझ नहीं आया लेकिन दूसरी बार भी जब उसके साथ जबरदस्ती करी तो उसने ठान लिया कि वो शौकत खान को सजा दिलवा कर रहेगी। अपने आस-पास से पता किया तो उसे उसका नाम और उसके मालिक करीम लाला (Gangubai Kathiawadi Karim Lala) का नाम मालूम हुआ। करीम लाला के अड्डे पर पहुँच कर न्याय की गुहार की, पहली बार किसी महिला ने करीम लाला से ऐसे बेखौफ हो कर न्याय की मांग की थी।
करीम लाला ने उसे आश्वाशन दिया कि अगली बार शौकत आए तो मुझे बताना मैं उसका इलाज कर दूँगा। इस आश्वाशन पर गंगा ने करीम लाला के हाथ में एक धागा बाँध कर उसे अपना भाई बना लिया। तीसरी बार जब शौकत कोठे पर आया तो करीम लाला भी खबरी की खबर सुनकर पहुँच गया था, करीम ने शौकत को इतना मारा कि वो अधमरा हो गया।
साथ में ये ऐलान कर दिया कि गंगू मेरी मुँह बोली बहिन है इसके साथ किसी ने भी आज के बाद जबरदस्ती की तो अपनी जान गंवा बैठोगे। उस घटना के बाद से गंगू ‘गंगूबाई’ बन गई।

गंगूबाई का दबदबा इतना हो गया कि कमाठीपुरा का वो कोठा (Gangubai Kathiawadi Kamathipura) उसके नाम कर दिया गया। फिर अपने दबंग अवतार के साथ उसने कोठे में काम करने वाली वेश्याओं के लिए बहुत सारे अच्छे काम किये। गुंडे उस कोठे में आने से डरने लगे थे। वेश्याओं के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया। बिना अपनी मर्जी के आई लड़कियों को वो अपने कोठे में नहीं रखती थी।
कोठे पर रहने वाली लड़कियों के लिए गंगूबाई ‘गंगूमाँ’ थी, उनके हक की बात करने के लिए उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से भी मिली थी।
गंगूबाई का धमाका इतना था कि कमाठीपुरा में कोई भी काम उसके पूछे बिना नहीं होता था, मतलब कि कोई भी छोटा सा काम करने के लिए उसके कोठे तक आना पड़ता था।
इसी धाक को भुनाने के लिए उसे किसी ने राजनीति में उतरने को कहा उसका भाषण सुनने के लिए पूरा आजाद मैदान भर गया था और 1960 के सभी अखबारों के फ्रंट पेज पर उनके भाषण का कवरेज था। भाषण भी दमदार दिया था, उस भाषण से पूरा बॉम्बे थर्रा गया था।

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गंगूबाई काठियावाड़ी की मृत्यु (Death of Gangubai Kathiawadi)
गंगूबाई की मृत्यु साधारण तरीके से ही हुई थी और जब इनकी मौत हुई थी तब पूरे भारत के कोठों में मातम छा गया था। आज भी किसी भी कोठे में चले जाएंगे तो गंगूबाई की तस्वीर जरूर मिलेगी, क्योंकि वेश्यालय वाले इन्हे अपना भगवान मानते है।
फिल्म की पूरी जानकारी (Gangubai Kathiawadi Movie Cast & Release Date)
संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित फिल्म का नाम गंगूबाई काठियावाड़ी है और उसके मुख्य किरदारों (Gangubai Cast) में आलिया भट्ट, अजय देवगन और इमरान हाशमी नजर आयेंगे। जहाँ आलिया भट्ट गंगूबाई का और अजय देवगन करीम लाला का किरदार निभाते हुए दिखाई देगी। इसके अलावा अजय देवगन का भी किरदार बाद रोचक होगा। इसका टीजर 24 फरवरी 2021 को आ गया था और इस फिल्म की रिलीज डेट (Gangubai Release Date) 30 जुलाई 2021 बताई जा रही है।
टीजर और पोस्टर में जो जनता ने प्यार दिया है वो ही प्यार फिल्म रिलीज के समय मिल जाएगा तो इनकी बनाई फिल्म हिट हो जायेगी।
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फिल्म से जुड़ा विवाद
संजय लीला भंसाली का विवादों से कभी पीछा नहीं छुड़ता है, पहले इनकी फिल्म पद्मावती के समय विवाद उत्पन्न जिसे उन्होंने एक सीन और फिल्म का नाम बदल कर विवाद को शांत किया।
इस बार भी इनकी फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी से एक विवाद उत्पन्न हो गया है। बात यह है कि गंगूबाई के बेटे बाबूजी रावजी शाह ने 20 दिसंबर को बॉम्बे सिविल कोर्ट में फिल्म की शूटिंग रोकने का मामला दर्ज कराया था। उनके मुताबिक हुसैन जैदी ने अपनी किताब के पेज 50 से लेकर 69 के बीच जो लिखा है वो बिल्कुल गलत लिखा है। उन पेजों में उन्होंने प्राइवेट मामलों में दखलंदाजी की।
संजय लीला भंसाली इसी किताब के ऊपर ही फिल्म बना रहे थे तो उनके खिलाफ भी केस कर दिया गया कि फिल्म की शूटिंग रोक दी जाए।
उसके बाद काँग्रेस के एक राजनेता ने फिल्म के नाम में काठियावाड़ी को हटाने की मांग रख दी, उनका कहना था कि काठियावाड़ी नाम रखने से उनके गाँव और रहने वाले निवासी की निजता को खतरा है।
भाई जो भी हो, मामला दर्ज हो चुके है अब संजय भंसाली को निर्णय लेना है, क्योंकि उन्होंने नाम तो पहले भी बदल चुके है।
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