Charminar History in Hindi: चारमीनार हैदराबाद में स्थित भारत का ऐतिहासिक इस्लामिक मीनार है, जो चार खंबो के आधार पर स्थित है। कहते हैं हैदराबाद निजामो का शहर है और यह शहर अक्सर दो कारणों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है पहला चारमीनार और दूसरा हैदराबादी बिरयानी।
माना जाता है जो भी लोग हैदराबाद घूमने आते हैं यदि वे चारमीनार नहीं देखते तो उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती हैं। इस तरह चारमीनार हैदराबाद में पर्यटन की दृष्टि से एक प्रमुख स्थान है, जो हैदराबाद को अपनी एक अलग पहचान देता है। यह मीनार आगरा के ताजमहल और पेरिस के एफिल टावर के समान ही हैदराबाद शहर के लिए स्थापत्य का प्रमुख प्रतीक है।
यहां तक कि गूगल पर भी हैदराबाद से संबंधित सबसे ज्यादा इसी ऐतिहासिक स्थल के बारे में खोजा गया है। यह मीनार मुसी नदी के किनारे स्थित है, जो उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का नायाब नमूना है। इस मीनार के निर्माण के पीछे भी काफी लंबा इतिहास है, जिसके बारे में आज के इस लेख में हम जानेंगे। इसके साथ ही हम इस मीनार से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में भी जानेंगे। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
चारमीनार के बारे में संक्षिप्त विवरण (Charminar History in Hindi)
चारमीनार कहां है | हैदराबाद, तैलंगगान |
किसने निर्माण किया | मोहम्मद कुली कुतुब शाह |
कब निर्माण किया | 1591 इसवी में |
ऊंचाई कितनी है | 48.7 मीटर |
प्रयोग किया गया वास्तुकला | इंडो इस्लामिक वास्तुकला |
चारमीनार का अर्थ
चारमीनार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है “चार” और “मीनार”। हिंदी में चार एक संख्या है एवं मीनार का अर्थ खंभा या टावर होता है। इस प्रकार इसका शाब्दिक अर्थ 4 चार खंबे होता है। इस ऐतिहासिक चार खंभे वाले टावर में भी चार चमक-दमक वाली मीनारें हैं, जो 4 मेहराबों से जुड़ी हुई है और इन्हीं मेहराब के सहारे यह मीनार खड़ा है।
यह मीनार ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी रखता है। यह इमारत ना केवल भारत में इस्लामिक वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है बल्कि इसे कुतुब शाह और भागमती के अटूट प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
चारमीनार का निर्माण कब और किसने करवाया?
हैदराबाद में स्थित ऐतिहासिक चार मीनार का निर्माण इब्राहिम कुली कुतुब शाह के तीसरे पुत्र मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 इसवी में करवाया था। मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने लगभग 31 सालों तक गोलकुंडा पर राज किया था। उसके बाद उन्होंने गोलकुंडा से अपनी राजधानी हैदराबाद में शिफ्ट कर ली। उसी समय उन्होंने भारत की इस शानदार कृति का निर्माण करवाया था।
मोहम्मद कुली कुतुब शाह के द्वारा इस मीनार के निर्माण करने के पीछे कई सारे कारण बताए जाते हैं। उनमें से एक कारण यह भी बताया जाता है कि इन्होंने इस मीनार का निर्माण गोलकुंडा और पोर्ट शहर मछलीपट्टनम के व्यापार मार्ग को एक साथ जोड़ने के लिए किया था।
इसके अलावा कुछ इतिहासकारों का यह भी तर्क है कि मोहम्मद कुली कुतुब शाह के शासन काल के समय गोलकुंडा में पानी की कमी के कारण भयंकर फ्लैग/हैजा बीमारी फैल चुका था। इस बीमारी पर काबू पाने के लिए कुली कुतुब शाह ने अल्लाह से इबादत किया था कि यदि इस बीमारी से लोगों को निजात मिल जाती है तब वे एक मस्जिद बनाएंगे।
जिसके बाद जब शहर में हैजा जैसी भयंकर बीमारी पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। तब लिए गए संकल्प के अनुसार मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने इस अनूठी स्मारक चार मीनार का निर्माण हैदराबाद में करवाया था। उस समय इस मीनार का निर्माण एक मस्जिद और मदरसा के रूप में सेवा देने के उद्देश्य से किया गया था।
हालांकि इसके अतिरिक्त एक और यह भी कारण बताया जाता है कि यह मीनार कुतुब शाह और उनकी पत्नी भागमती के प्रेम का प्रतीक है। दरअसल कुतुब शाही राजवंश के पांचवें शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह अपनी पत्नी भागमती से पहली बार इसी स्थान पर मुलाकात किए थे।
उसके बाद जब इनकी पत्नी भागमती ने इस्लाम धर्म को अपनाया था। तब उस समय कुली कुतुब शाह ने इस शहर का नाम हैदराबाद रख दिया और अपने अटूट प्रेम के प्रतीक के रूप में इस विशाल स्मारक का निर्माण करवाया था।
चार मीनार की सुंदर संरचना एवं वास्तुकला
इस खूबसूरत और ऐतिहासिक चारमीनार के निर्माण में संगमरमर, ग्रेनाइट और मोर्टार के चुना पत्थरो का प्रयोग किया गया है। इस भव्य मीनार के निर्माण के लिए पार्शियन वास्तुकार को बुलाया गया था।
कुतुबमीनार को इंडो इस्लामिक वास्तुकला के प्रयोग से निर्माण किया गया है लेकिन इसमें फारसी वास्तुकला के भी तत्व देखने को मिलते हैं। इस मीनार में स्थित भव्य चारमीनार कमल के पतियों के आधार के संरचना पर खड़ी हुई है, जो काफी ज्यादा आकर्षक लगते हैं और इनके दीवारों पर भी बेहद सुंदर और आकर्षक नक्काशी किए गए हैं।
यह चारमीनार वर्गाकार आकार में बनाई गई है, जो चौकोर खंभों से बने गए हैं और इस मीनार के हर कोने में महराबनुमा शाही दरवाजे बनाए गए हैं। कुतुब मीनार के प्रत्येक मेहराब और आकर्षक गुंबद में इस्लामी वास्तुकला का प्रभाव देखने को मिलता है।
क़ुतुब मीनार करीबन 28 मीटर ऊंची भव्य स्मारक है। जिसके सिर पर छोटे-छोटे गुंबद बने हुए हैं, जो इस स्मारक की शोभा को और भी बढ़ा देते हैं। इसमें दो बालकनी अभी लगाई गई है, जहां से इस शहर के आसपास का दृश्य बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगता है।
चारमीनार के जो भव्य मेहराब है, वे अलग-अलग सड़कों पर खुलते हैं। इन मेहराबों की चौड़ाई करीबन 11 मीटर है एवं ऊंचाई 20 मीटर है। कुतुब मीनार के हर मेहराब के दीवारों पर घड़ी लगी हुई है। बताया जाता है यह घड़ी साल 1889 में लगाया गया था।
इस मीनार के अंदर एक छोटा सा फवारा भी है, जो मीनार की खूबसूरती को और भी ज्यादा आकर्षक बनाते हैं। इस स्मारक के अंदर मुख्य गैलरी में करीबन 45 प्रार्थना स्थल है। यहां के नामाज स्थान काफी खुला है, जहां हर शुक्रवार के दिन बहुत से इस्लाम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करने आते हैं।
मीनार के बाकी के हिस्से में कुतुब शाही दरबार हुआ करते थे और यह अपनी अनूठी वास्तुशिल्प और शाही बनावट के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। मीनार के ऊपरी हिस्से पर एक मस्जिद बना हुआ है, जिसका मुंह इस्लाम के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का मदीना की दिशा यानी पश्चिम की ओर किए हुए स्थित है।
क़ुतुब मीनार हर कोने पर एक छोटी छोटी मीनार बनी हुई है और उनमें नारों की ऊंचाई करीबन 24 मीटर है। इस तरह उन्हें लेकर इस मीनार की कुल ऊंचाई 54 मीटर हो जाती है। कुतुब मीनार के अंदर 149 घुमावदार सीढ़ियां बनी हुई है, जिसके जरिए ऊपर तक पहुंच सकते हैं। चार मीनार के अंदर indo-islamic वास्तुकला से एक गुप्त सुरंग का निर्माण भी किया गया है, जिन से जुड़ी कई सारी कहानियां और रहस्य हैं।
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चार मीनार की विशेषता
हैदराबाद में स्थित चारमीनार हैदराबाद की पहचान है और हैदराबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। मोहम्मद कुली कुतुब शाह के द्वारा बनाई गई इस भव्य इमारत के चारमीनारो को इस्लाम के पहले चार खलीफा का प्रतीक माना जाता है। इन प्रत्येक मीनारों को एक बेहद विशिष्ट रिंग से मार्क किया गया है, जिसे बाहर से आसानी से देखा जा सकता है।
कुली कुतुब शाह के शासन काल के समय में इस मीनार को मस्जिद एवं मदरसे के रूप में बनाया गया था। इस भव्य इमारत के अंदर हर वक्र पर 1889 में लगाए गए घड़ी भी हैं। इस मीनार के छत से पूरे हैदराबाद का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। इस मीनार की अद्वितीय संरचना और अनूठी वास्तु कला हर साल लाखों की संख्या में सैलानियों को आकर्षित करती हैं, जिस कारण विश्वभर से इस मीनार को देखने के लिए सैलानी यहां पहुंचते हैं।
चार मीनार में भाग्यलक्ष्मी जी का मंदिर
चारमीनार एक प्रमुख इस्लामिक स्थल है, जिसकी पूरी संरचना में इस्लामिक वास्तुकला का तत्व दिखता है। लेकिन इसके बावजूद इस मीनार के निचले तल पर एक छोटा सा भाग्य लक्ष्मी जी का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को लेकर काफी समय से विवाद होते आ रहे हैं।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण कुतुब मीनार के निर्माण के समय नहीं किया गया था। क्योंकि साल 1957 से लेकर 1962 में जितनी भी तस्वीरें कुतुब मीनार की ली गई है, उन तस्वीरों में यह मंदिर नहीं दिखाई देता है। हालांकि यह मंदिर भी इस भव्य इमारत का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल बन चुका है, जिसे देखने के लिए भी लोग दूर-दूर से आते हैं।
चार मीनार में चूड़ी और मोती का शानदार मार्केट
हैदराबाद का चारमीनार प्रमुख पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त शॉपिंग के लिए भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां आस-पास लगने वाले बाजार यहां आने वाले सैलानियों को बहुत ज्यादा आकर्षित करते हैं, जहां से सैलानी यात्रा की याद में बहुत सारी शॉपिंग करते हैं।
चारमीनार के पास स्थित पत्थर गट्टी बाजार मोतियों के लिए बहुत ज्यादा मशहूर है। यहां पर अलग-अलग देशों से लोग मोती खरीदने के लिए आते हैं और यहां पर मोतियों के करीबन 14000 से भी ज्यादा दुकान है हैं। हालांकि यहां पर मोतियों की शॉपिंग करते समय ग्राहकों को सतर्क रहने की जरूरत पड़ती है। क्योंकि यहां पर बहुत से दुकानों में असली मोती बताकर नकली मोती के समान बेचे जाते हैं।
ऐसे में सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त दुकानों से ही मोती खरीदने चाहिए ताकि उनके साथ धोखा ना हो। चारमीनार के पास स्थित लॉर्ड बाजार लाख की सुंदर चुडि़या, हैदराबादी कांजीवरम साड़ियां, आकर्षक गहने, खुबसूरत दुपट्टे, कलामकारी चित्रों, बिद्री वर्क, गोलकोंडा पेंटिंग और गोंगुरा अचार के लिए मशहूर हैं।
चारमीनार के आसपास लगने वाला रविवार बाजार जो खासकर रविवार के दिन ही लगता है काफी ज्यादा मशहूर है। इस दिन यहां पर भर भर के लोग शॉपिंग करने के लिए आते हैं और इस बाजार में घरेलू सजावट के बहुत से सामान बेचे जाते हैं। इसके साथ ही पुराने सिक्कों के कलेक्शन भी यहां पर बेचे जाते हैं।
चारमीनार के आसपास के बाजार में हर दिन रौनक बनी रहती है। खास करके ईद, दीपावली और अन्य त्योहारों के मौके पर यहां की शोभा और भी ज्यादा बढ़ जाती है। चारमीनार के आस-पास लगने वाले बाजार में शॉपिंग के अतिरिक्त लजीज पकवान का सैलानी आनंद उठाते हैं।
यहां के बाजार खाद पदार्थों के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां का मशहूर ईरानी चाय देश भर में प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त यहां आने वाले सैलानी हैदराबादी बिरयानी, हलीम, मिर्ची का सालन आदि का लजीज स्वाद चख सकते हैं।
चार मीनार के बारे में कुछ रोचक तथ्य
चारमीनार को लेकर एक रहस्यमय तथ्य ऐसा बताया जाता है कि चार मीनार के अंदर एक भूमिगत गुप्त सुरंग है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी हुआ करती थी। कुछ इतिहासकार इस सुरंग को लेकर यह तर्क देते हुए कहते हैं कि यह सुरंग एक गुप्त भागने का मार्ग हुआ करता था, जो दुश्मन राजाओं के द्वारा घेराबंदी के समय में शाही परिवारों को यहां से भागने में मदद करता था। वह गुप्त सुरंग चारमीनार को गोलकुंडा किले से जोड़ता है।
हालांकि इस सुरंग को लेकर अभी तक कोई भी उसका सबूत नहीं मिला है। क्योंकि अभी तक लोगों को पता नहीं है कि यह सुरंग आखिर कहां पर स्थित है। कुतुब शाही द्वारा निर्माण किए गए इस चारमीनार को हर शाम तरह-तरह के रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है, जिस कारण शाम के समय यह मीनार की खूबसूरती देखने लायक होती हैं।
चार मीनार का निर्माण कुतुब शाही साम्राज्य के पांचवें शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा निर्माण किया गया था, उस समय इस मीनार के निर्माण का उनका उद्देश्य मस्जिद और मदरसा के रूप में सेवा देना था। चारमीनार के नाम से एक एक्सप्रेस ट्रेन भी हैदराबाद और चेन्नई के बीच में चलाई जाती हैं।
चारमीनार को कुली कुतुब शाह और उनकी पत्नी भागमती के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं इसी जगह पर कुली कुतुब शाह ने अपनी पत्नी को पहली बार देखा था। कुली कुतुब शाह ने चारमीनार के निर्माण के लिए इस्लाम समुदाय के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का से पत्थरो को मंगवाया था।
चारमीनार के सबसे ऊपरी हिस्से में पश्चिम की तरफ एक मस्जिद का निर्माण किया गया है जिसे मक्का मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। यह मस्जिद हैदराबाद के सबसे प्राचीन चीजों में से एक है जहां पर हर शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग आते हैं।
बताया जाता है कि चार मीनार के पूर्वी हिस्से में एक मेहराब को करीब से देखने पर उसमें एक बिल्ली का सिर खुदा हुआ दिखाई देता है, जो फ्लैग जैसी भयंकर बीमारी के अंत को चिन्हित करता है। बताया जाता है कि इस मीनार का निर्माण कुली कुतुब शाही ने तब किया था जब उनके शासनकाल में एक समय फ्लैग बीमारी फैली थी और उस बीमारी को खत्म करने के लिए उन्होंने अल्लाह से दुआ की थी कि यदि बीमारी ठीक हो जाती है तो वे एक मस्जिद का निर्माण करेंगे।
चुंकी फ्लैग जैसी संक्रमित बीमारी चूहा बिल्लियों को मार कर फेलाया जाता है, इसलिए इस बीमारी को मिटाने के लिए और लोगों को जागृत करने के लिए यह छोटा सा नक्काशी चारमीनार के एक मेहराब पर की गई है।
चारमीनार देखने कैसे जाएं?
चारमीनार हैदराबाद का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे देखने के लिए हर दिन हजारों की संख्या में सैलानी आते हैं। यदि आप भी इस सुंदर और भव्य इमारत को देखने की इच्छा रखते हैं तो आप सड़क, रेलवे एवं हवाई तीनों में से किसी भी मार्ग से पहुंच सकते हैं।
यदि आप चारमीनार देखने के लिए ट्रेन मार्ग को चुनना चाहते हैं तो बता दें कि चारमीनार का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हैदराबाद डेक्कन रेलवे स्टेशन है, जिससे नामपल्ली रेलवे स्टेशन के रूप में भी जाना जाता है। यह रेलवे स्टेशन चारमीनार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए टैक्सी या ऑटो रिक्शा की मदद ले सकते हैं। इस रेलवे स्टेशन से बहुत सी ट्रेन हैदराबाद के अन्य शहरों एवं हैदराबाद के आसपास के राज्यों के रेलवे स्टेशन से जुड़ी हैं।
बात करें सड़क मार्ग के जरिए चारमीनार पहुंचने की तो चारमीनार से लगभग 800 मीटर की दूरी पर जहां तक पहुंचने के लिए 10 से 12 मिनट का समय लगता है, वहां पर चारमीनार रोड के पंच मोहल्ले में मक्का मस्जिद के पास चारमीनार बस स्टॉप है, जो चारमीनार का सबसे नजदीकी बस स्टैंड है।
इस बस स्टैंड से आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की कई सारी बसें हैदराबाद के अन्य छोटे-बड़े शहरों से बस से आती जाती हैं। यहां से आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा से चारमीनार तक पहुंच सकते हैं।
यदि आप चारमीनार देखने जाने के लिए हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो चारमीनार तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चारमीनार से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसका नाम राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा शमशाबाद में स्थित है। यहां तक पहुंचने में लगभग 45 मिनट का समय लगता है। इस हवाई अड्डे से घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं संचालित होती है।
FAQ
चारमीनार भारत का एक मशहूर और ऐतिहासिक इस्लामिक इमारत है, जो 4 खंभों के आधार पर निर्माण किया गया है। इन 4 खंभों को चार खलीफा का प्रतीक माना जाता है। इसके अतिरिक्त इसे कुतुब शाही युग का हॉल मार्क भी कहते है।
चार मीनार का निर्माण करने के लिए इंडो- इस्लामिक वास्तुशैली का प्रयोग किया गया है। लेकिन इसके अतिरिक्त इस मीनार में फारसी वास्तुकला के भी तत्व देखने को मिलते हैं।
यदि आप चारमीनार घूमने जाना चाहते हैं तो बता दे कि चारमीनार पर्यटकों के लिए सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम के 5:30 बजे तक खुला रहता है। यहां प्रवेश शुल्क मात्र ₹5 है। हालांकि विदेशियों के लिए ₹100 होता है। बता दे चार मीनार के अंदर कैमरे ले जाने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन यदि कोई टूरिस्ट कैमरा ले जाना चाहता है तो उसे अलग से चार्ज देने पड़ते हैं।
यदि आप चारमीनार घूमने जाना चाहते हैं तो वैसे तो चारमीनार की खूबसूरती देखने के लिए साल भर टूरिस्ट का आना-जाना बना रहता है। लेकिन यदि आप चारमीनार और इसके अतिरिक्त हैदराबाद के अन्य टूरिस्ट प्लेस को घूमने का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो अक्टूबर से मार्च तक का महीना बेहतर माना जाता है। क्योंकि इस समय हैदराबाद का मौसम घूमने के लिए बहुत सुखद होता है।
चारमीनार घूमने जाने के लिए वहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो शमशाबाद में स्थित है। यहां से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए विभिन्न विमान सेवाएं संचालित होती है। यह हवाई अड्डा चारमीनार से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
चारमीनार का संडे बाजार खरीदारी करने के लिए टूरिस्ट के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। यहां हर रविवार को बाजार लगता है जो पूरे शहर में प्रसिद्ध है। इस बाजार में मोती और डैंटी क्रोकरी, ताजे फूल और महत्वपूर्ण पारंपरिक चीजें देखने को मिलती है, जिसकी खूबसूरती यहां कि टूरिस्ट को खूब आकर्षित करती है। इसके अतिरिक्त इस बाजार में मिलने वाली रंग बिरंगी और डिजाइनर चूड़ियां औरतों को बहुत ज्यादा पसंद आता है। इसके अतिरिक्त यहां का कबाब और ईरानी चाय भी काफी ज्यादा मशहूर है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको भारत के ऐतिहासिक इस्लामिक स्मारक चारमीनार जो हैदराबाद में स्थित है इसके इतिहास (Charminar History in Hindi), इसकी वास्तुकला एवं इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताया। चारमीनार भारत के प्राचीन और इंडो इस्लामिक वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना है, जिसे देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में सैलानी दूर-दूर से आते हैं।
हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आपको इस भव्य इमारत के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक इत्यादि के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें ताकि अन्य लोगों को भी इस भव्य और ऐतिहासिक मीनार से जुड़ी इतिहास के बारे में पता चल सके।
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