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प्यार पर बेहतरीन कविताएं

Love Poem in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज यहां पर आप मोहोब्बत के उन नगमों को पढ़ेंगे जो किसी बड़े शायर ने नहीं लिखे हैं, बल्कि मेरे और आप ही की तरह मुहोब्बत के एक परवाने ने लिखे हैं और किसी शायर ने भी क्या खूब कहा है कि “मुहोब्बत के परवाने जब कलम पकड़ते हैं तो कत्ले आम हो जाते हैं।”

Love Poem in Hindi

प्यार पर कविता | Love Poem in Hindi

कैसे और किस पे विश्वास करें…?

क्या अभिशाप था एक लड़की होना,
एक कली खिली थी मां के आंचल में,
उसे कन्या भ्रूण हत्या का शिकार बनाया गया,
पुरुष प्रधान समाज में बेटे की लालच में,
एक मासूम को अपनी महत्वाकांक्षा की बली चढाया गया।

जो बच गई वो मां की कोख में सलामत,
माना हुए कहीं जश्न भी, तो कहीं दरिंदो का मन ललचाया है,
क्या कसूर उस मासूम का जो उसे अपनी हवस का शिकार बनाया है।

कैसे विश्वास करे कोई किसी पे,
अपनों ने ही कई दफा उसपे हाथ आजमाया है,
क्या कोई खिलौना है लड़कियां, तुमने उन्हें अपना घिनौना खेल बनाया है।

आज वो सुरक्षित नहीं जन्मदाता के हांथो में भी,
जन्मदाता ने ही मौत की सय्या पे सुलाया है।

बांधा जिन हाथों में रक्षासूत्र, उसने भी उसे पराया बताया है,
दहेज के नाम पे न जाने कितनी बहुओं को जलाया है,
पवित्र अग्नि के समक्ष बंधी जिससे परिणय सुत्र में,
उसी ने उसे प्रताड़नाओं की अग्नि में जलाया है,
सोच हैवानि तुम्हारी और दौष उनके बदलते स्वरूप को बताया है,
लड़की हो, औरत हो, माता हो, स्त्री हो, बहू हो,
एक औरत ने ही औरत के अस्तित्व को दबाया है।

कैसे और किस पे विश्वास करे अब…?
सबने हर दफा उन्हे ही गलत ठहराया है।

-मीनल सांखला

इश्क़ का रंग कौनसा लाल या सफेद

कितना उचित इश्क़ में रंगों का ये भेद?
शादीशुदा तुम श्रृंगार तुम्हारा प्रेम का रूप,
विधवा जो हुई तुम क्यों मिला ये श्वेत स्वरूप?

क्या जरूरी था प्रेम का रंगों में विभाजन,
अगर नहीं तो क्यों तुमने अपने निश्चल, निर्मल प्रेम को बेरंग ही ना रहने दिया,
और जब अपना ही लिया था तुमने प्रेम का लाल रंग,
तो क्यों तुम अपने उस प्रेम से प्रेम नहीं कर पाई,
फिर क्यों अपनाया तुमने वह श्वेत रंग?

तुम्हारा प्रेम उसके जिस्म से था या उसकी अमर रूह से,
अगर रुह से, तो फिर क्यों…..?
उस जिस्म के रूह से बिछड़ जाने से,
तुमने अपने प्रेम की हत्या भी कर दी,
अगर जिंदा अब भी तुम्हारी रूह में उसका प्रेम,
तो क्यों लपेटा है तुमने ये श्वेत कफ़न खुद पे?

क्या प्रेम लिबासों का प्रतिरूप हो गया है?
गर नहीं तो देखो खुद को दर्पण में,
तुम्हारे प्रेम का प्रतिबिंब ये श्वेत लिबास तो न था?

जिस्मो के बिछड़ जाने से रूहानी प्रेम मर नहीं जाता,
उतारो इस श्वेत कफ़न को, खुद पे फिर अपने प्रेम को सजाओ,
तुम प्रेम को प्रेम ही रहने दो, इसे रंगों का खेल ना बनाओ,
देख तुम्हारी रूह को कैद कफ़न मे, वो आजाद रूह भी तड़प रही होगी,
कहीं न कहीं इसका गुनहगार खुद को समझ रही होगी,

सुनो उस रूह के प्रेम को तुम, वो यही कह रही होगी,
नहीं इश्क़ का कोई रंग लाल या सफेद,
तुम ये रंगों की रस्में नहीं, बस अपना प्रेम निभाओ,
उतारो ये श्वेत कफ़न खुद से, खुद पे फिर वो रूहानी प्रेम सजाओ।

-मीनल सांखला

दर्द तुम्हारे लौट आने का!

अलग हो जाने से इश्क़ खत्म नहीं हो जाता, मेरा भी नहीं हुआ।
बहुत कोशिश की थी तुम्हे रोकने की, कई दफा मिन्नते की लौट आने की,
पर मेरी की हर कोशिश में कमी रही, नहीं आए तुम,
और मुझे मिला एक लंबा इंतजार तुम्हारा।

बहुत मुश्किल दौर था वो, तुम्हारी कल्पना से परे मुश्किल,
मरना आसान था तब पर जीना मुश्किल,
और जानते हो मैं फिर भी जी रही थी हर रोज मरके,
ज़हर थे वो आंसू मैने उन्हे भी पिया,
तुम्हारी दी हर सजा काटी मैने,
मैने एक हसीन गुनाह किया था तुमसे इश्क़ करने का,
पर मैं तुमसे कभी नफरत नहीं कर पाई।

तुम्हारी इस सजा ने मुझे कहीं हुनर दिए,
बहुत कमजोर थी मैं साथ तुम्हारे,
और आज मैने दर्द छुपाना भी सीख लिया,
काश मैं इंतजार कर पाती तुम्हारा, पर नहीं कर पाई,
उस ज़हर ने मेरी हर उम्मीद को मारा पर मेरी हिम्मत नहीं मार पाया।

उस इंतजार को मैने नया मोड़ दिया,
मुश्किल था तुम्हे भुला के आगे बढ़ जाना,
मैंने यादों के साथ सफर किया,
और यकीन मानो मैं अब जी रही थी,
फिर तुम क्या सोच अब लौट आए हो।

क्या माफी मांगने या फिर मारने,
माफ़ नहीं किया मैंने तुम्हे में कभी खफा थी ही नहीं तुमसे,
पर अब लौटना भी नहीं चाहती मैं,
जिस दौर से निकली उसने फिर लौटना नहीं चाहती,
इश्क़ है तुमसे बेशक फिर भी अब इसे तुमसे बांटना नहीं चाहती।

मैं मिल तुमसे वापस खुद से नफरत करना नहीं चाहती,
तुम मत आना लौटकर,
मैं फिर अब तुम्हारे पास लौटना नहीं चाहती,
मुश्किल से निकली जिस दर्द से, वहां फिर लौटना नहीं चाहती।

-मीनल सांखला

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क्यों ना हम भी मेंढ़क ही बन जाएं?

काले आसमां में कड़कती श्वेत बिजलियां और शोर भरे मौसम में निर्मल जिसका कोई रंग भी नहीं,
गिरती शांत पानी की बूंदे, उस सूखे विरान हुए मन को भिगोना चाहती थी,
पर शायद वो बूंदे उसके मन को छू भी नहीं पा रही थी।
उसका मन उसकी आंखे बन एकटकी लगा किसी और को निहार रही थी,

अरे अरे वो तो एक मेंढक था,
जहां कुछ लोग उसे बरसाती मेंढक बुला भगा रहे थे,
तो कहीं बच्चे उसी के साथ बारिश का लुफ्त उठा रहे थे,
ऐसे में उसका जो खुद एक विरान खंडहर बन गया था,
उसका मेंढक को इस तरह एकटकी लगा देखना थोड़ा अजीब तो था।
पर यह क्या शायद उसके सूखे मन में कोई बूंद गिरी,
जिसकी ख़बर अचानक उसके चेहरे पे आई हल्की सी मुस्कान दे रही थीं।

यकायक ये बदलाव कैसे?
क्या उसका वो एकांत चिंतन रंग लाया था कोई?

हां उसने भी सोचा, क्या वो भी एक बरसाती मेंढक ही बन जाए,
जो मात्र बरसात में खुशियां मनाए या वो उन लोगो में शामिल हो जाए
जिन्हें मेंढक तक की पल भर की खुशियां बर्दाश्त नहीं,
और फिर उसने सोचा, क्यों ना वो मेंढक ही बन जाए,
जिसने सुना होगा खुद को बरसाती मेंढक हर दफा,
फिर भी उसकी खुशियां बरसात के लिए कम ना हुई,
फिर क्यो वो भी अपनी खुशियों में खुश नहीं होता,
क्यो उसने भी अपनी खुशियों से परे लोगो की बातो को सुनना जरूरी समझा
और अपनी ही खुशियों को किनारे कर दिया,
क्यो वो भी पल भर के लिए ही अपने लिए खुश न हो सका?

और फिर वो उठा और उस मेंढक के पास गया,
आज वो भी नाच रहा था उस मेंढक के साथ ही अपनी उस आजादी के जश्न में
जो आजादी भी उसे उसी की कैद से मिली थी,
एक ऐसा जश्न जिसने उसको जीने का नया अंदाज़ दिया था
और वो मेंढक भी अपनी खूबियों से बेखबर उसके इस जश्न में शामिल था।

तो क्यों हम सब भी बरसाती मेंढक ही नहीं बन जाते,
जिसे अपनी खुशियों में खुश होने को लोगो की तारीफों की जरूरत नहीं,
कभी तो हम भी सिर्फ खुद के लिए जीना सीखे, ज़िन्दगी बेहद आसान हो जाएगी।

-मीनल सांखला

Love Poem in Hindi

अक्सर देखा था उसे कुमकुम को निहारते हुए,
जब भी वो किसी के मांग में सजता वो मुस्कुराया करती थी,
सुना था उसने सुहाग का प्रतीक था ये कुमकुम का लाल रंग,
जबसे समझा था उसने प्रेम को एक ख़्वाब देखा था कि,
उसका इश्क़ उसे जब भी मिले उसकी मांग में सिंदूर बन सजे,
आज वो लाल सुर्ख रंग उसकी आंखो में सजा देखा है,
वो रंग कह जाता है दास्तां उसके अनन्य प्रेम की,
जिस कुमकुम को सजा न सकी मांग में उसे आज आंखो में सजाए है वो।

-मीनल सांखला

Love Poem in Hindi

एक ऐसी आखिरी मुलाकात जिसका ख़्वाब तक न देखा हो

वो तन्हा से लम्हे, धड़कती हुई कभी थमती हुई सांसे
गूंजते शोर के बीच पसरा सन्नाटा, नम उम्मीदों से भरी आंखें
उनके आखिरी मुलाकात का हिस्सा बन रही थी
एक ऐसी आखिरी मुलाकात जिसका ख़्वाब तक उनकी आंखो ने नहीं देखा था।।

वो आंखे तो आज से ही उनकी अगली मुलाकात के इंतजार में लगी थी
जो उस आखिरी मुलाकात का शायद खौफ मिटा रही थी
छुटते हाथ, मुड़ती हुई राहे, बार बार थमते कदम
फिर एक बार मूड देख लेने की अदा,
बिछड़न का एहसास दिला रही थी।।

इससे बेखबर वो दिलो में फिर मिलने की आस थी
पर उनकी राहें अब उनकी मंजिल अलग बना रही थी
वो निरंतर चलती सुइयां अलविदा की घड़ियां बना रही थी
उस पल रुका सब था आंखे नदियां बहा रही थी
वो मिलन की खुशियां आखिरी मुलाकात भुला रही थी।।

-मीनल सांखला

Love Poem in Hindi

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क्या करोगे एक मुलाकात फिर से?

माना अब राहें हमारी जुदा जुदा है,
जहां मिलना अब मुक्कदर नहीं,
पर फिर एक ऐसी मुलाकात जिसमें
मिलने के वादे नहीं, कोई शिकायते नहीं,
क्या करोगे एक मुलाकात फिर से?
इस बार जब मिलने आओ, तुम आलिंगन मत करना,
आंखो में देख मेरी, तुम धीमे से मुस्कुरा देना,
मैं तुम्हारी मुस्कुराहट को आंखो में समेट लूंगी,
इसे इंतजार से सुनी पड़ी आंखो की चमक बनानी है,
करने आजाद मुझे इस इंतजार से,
क्या करोगे एक मुलाकात फिर से?
मेरी रूह चुरायी थी तुम्हारे आलिंगन ने,
अब वो मुझे लौटा जाना,
मुस्कुराहट चल दी थी मेरी तुम्हारे साथ,
उसे फिर लबो पे सजा जाना,
आंखो का काजल बिखरा है, उसे भी मिटा जाना,
दिल माना ही नहीं अब तक की हम बिछड़ गए, इसे भी समझा जाना,
अलविदा नहीं कहा तुमने कभी, इस बार यह भी कह जाना,
करोगे ना तुम आजाद मुझे अपने प्यार से,
बोलो करोगे ना एक मुलाकात फिर से?

-मीनल सांखला

अब तुम कम याद आते हो

ना अब तुम प्यार जताते हो,
ना अब तुम वादे निभाते हो,
ना अब अपनी बातों से हंसाने आते हो,
ना अब अब यादों में रुलाने आते हो,
ना ख़्वाबों में नींद चुराने आते हो,
ना सुबह अपनी आवाज से उठाने आते हो,
आँखों का काजल अब भी बिखरता है,
पर अब कहा तुम उसे मिटाने आते हो,
रिश्ता आज भी उलझा हुआ है तुमसे,
अब कहा तुम सुलझाने आते हो,
बेशक मोहब्बत के दर्द में आज भी तड़पाते हो,
पर शायद अब तुम कम याद आते हो।।

-मीनल सांखला

Latest Poem on Love in Hindi

सफर निर्बल से सबल का

सहम सा गया दिल, मात्र खोने के ख्याल से,
सांसे थम रही थी, धड़कने बढ़ रही थी,
आंखे नम थी पर छलकी नहीं थी,
खौफ उसका उसमे ही, शोर मचा रहा था,
पर चेहरे पे सन्नाटा पसरा था,
लड़खड़ाते क़दमों से भी आज वो अडिग खड़ी थी,
चिल्लाती खामोशी उसकी आज उसकी हिम्मत बनी थी,
तूफान मचा था अन्दर उसके भी,
और वो शांत लहरों सी दिख रही थी,
जो संभाल न सकी थी खुद को कभी,
आज वो हालात सारे संभाल रही थी,
कभी पहले न देखी थी ऐसी हिम्मत उसमे,
पर वो बेटी थी ना, अपनो के खातिर
आज उसकी हिम्मत, किस्मत से भी लड़ रही थी।

-मीनल सांखला

वादा है मोहबत तब भी होगी जब तुम साथ ना होंगे

एक वादा हम करते है बिछड़ के भी सारी उम्र इश्क करने का
एक वादा तुम कर दो बस साथ निभाने का
दिल में भले तुम मत रखना
पर यादों में मुझे जिन्दा रखना
तुमारी नफ़रत भी मंजूर होगी हमें
बस नाराजगी को हमसे खफा रखना
तुमारा साथ मुकदर नहीं
पर दोस्ती जरूर मुक्कमल करना
इस रिश्ते को अपनी इबादत माना है
तुम इस पर अपनी दोस्ती की इंनायत रखना।।

-मीनल सांखला

Best Love Poem in Hindi

क्या ख़ूब इश्क़ किया जाता है

क्या ख़ूब इश्क़ किया जाता है
ना जाने क्यू हर बार इश्क़ को ही जलील किया जाता है
जो करते थे ता उम्र साथ निभाने का वादा
अब क्यूँ हर बार उन्हीं से हर वादा तोड़ दिया जाता है
जो जीते थे कभी हमारे लिए
अब क्यूँ हर बार उन्हीं हाथो हमारा दिल मार दिया जाता है।

-मीनल सांखला

Hindi Poetry About Love

Hindi Love Poem

इलज़ाम थे जो लगे उनपे कभी
उन्हें हमने अपना बना दिया।

कठघरे में थी वफा उनकी तब
हमने खुद को बेवफा बता दिया।

मुस्कुरा के अपनी झूठी जीत पे
उन्होंने अपना दामन छूडा लिया।

फिरभी जब आएं वो सामने कभी
इश्क़ हमारा आंखों से बह
होंठो से होले से मुस्कुरा दिया।।

-मीनल सांखला

Kavita in Hindi for Love

मौसम की पहली बारिश में तुम्हारा साथ

माना कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे
अब सब भूलना चाहती हूं
फिर तुम संग जीना चाहती हूं
नए सपने बुनना चाहती हूं
मौसम की पहली बारिश में तुम संग भींगना चाहती हूं
थाम के तेरा हाथ भीगी सड़क पे चलना चाहती हूं
बेफिक्र जो तुझ में खोना चाहती हूं
कभी रूठना कभी मनाना चाहती हूं
जो खो गए है पल खुशियों के
उन्हें तुम संग फिर जीना चाहती हूं।

-मीनल सांखला

love Poetry

Love by Luck – Love Poetry in Hindi

उसका मिलना मुकद्दर नहीं था
ऐसा नहीं कि उसे इश्क़ नहीं था।
शायद उसका अलग होना समय की जरूरत था
ऐसा नहीं कि उसे कोई गम नहीं था।
उसका अब किसी और का होना जरूरी था
ऐसा नहीं कि उसे प्यार ही नहीं था।
शायद उसका इश्क़ भूलना भी जरूरी था
ऐसा नहीं कि उसे कोई अफ़सोस ही नहीं था।

-मीनल सांखला

Hindi Love Poem

Poem on Love in Hindi

ना तुम्हारे लिए बातें जरूरी
ना कोई मुलाकातें जरूरी
ना ही कोई यादे जरूरी
ना ही कोई वादे जरूरी
ना मेरा इश्क़ जरूरी
ना ही मेरे अश्क जरूरी
फिर कैसा यह रिश्ता मुझसे
क्या में भी हूं जरूरी
या हूं सिर्फ एक मजबूरी।

-मीनल सांखला

Love Poem in Hindi

Poem in Hindi on Love Sad

जो टूटा था उस दिन
उस दिल को तलाश तेरी थी
जो सुनी थी आवाज तुमने
वो मोहब्बत की आवाज मेरी थी
जो गुजरी थी तन्हा राते कभी
वो बातें अब कल की सारी थी
लिखी जिनसे से नई ये कहानी
वो बाते इश्क़ की हमारी थी।

-मीनल सांखला

Latest Poem on Love in Hindi

फिर भी तुमसे प्यार करती हूँ

वक्त बेवक्त तुम्हे याद करती हूँ,
जो ना मिलो तो फरियाद करती हूँ,
माना तुम्हे ऐतबार नहीं हम पर
मैं फिर भी तुमसे प्यार करती हूँ,
तुम जब आते हो ख़्वाबों में
वहीं तुम्हारा दीदार करती हूँ,
तुम लाख करो इनकार हम से
मैं हर दफा तेरा इंतजार करती हूँ,
माना तुम्हें यकीन नहीं बातों पर
पर मैं फिर भी तुमसे प्यार करती हूँ।

-मीनल सांखला

Best Love Poem in Hindi

Best Love Poem in Hindi

तेरे मिलने का दस्तूर समझ नहीं आया
मेरा था क्या कसूर मुझे समझ नहीं आया
खता मेरी थी या गुनहगार तुम मुझे तुम्हारा ये अंदाज समझ नहीं आया
झूठा था इश्क़ या थी कोई मजबूरी
तेरे यूँ चले जाने का राज समझ नहीं आया
झूठी हकीकत थी या बहाने थे सच्चे
तेरा ये दोहरा मिज़ाज समझ नहीं आया।

-मीनल सांखला

love Poetry

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प्रेम पर कविता

कहाँ पर बोलना है, और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है, वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।

कटा जब शीश सैनिक का, तो हम खामोश रहते हैं।
कटा एक सीन पिक्चर का, तो सारे बोल जाते हैं।।

नयी नस्लों के ये बच्चे, जमाने भर की सुनते हैं।
मगर माँ बाप कुछ बोले, तो बच्चे बोल जाते हैं।।

बहुत ऊँची दुकानों में, कटाते जेब सब अपनी।
मगर मज़दूर माँगेगा, तो सिक्के बोल जाते हैं।।

अगर मखमल करे गलती, तो कोई कुछ नहीं कहता।
फटी चादर की गलती हो, तो सारे बोल जाते हैं।।

हवाओं की तबाही को, सभी चुपचाप सहते हैं।
च़रागों से हुई गलती, तो सारे बोल जाते हैं।।

बनाते फिरते हैं रिश्ते, जमाने भर से अक्सर हम
मगर घर में जरूरत हो, तो रिश्ते भूल जाते हैं।।

कहाँ पर बोलना है, और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है, वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।

रुलाने वाली कविता

ऐ उम्र?
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीं!
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं!

हर बात का कोई जवाब नही होता,
हर इश्क का नाम खराब नही होता!
यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले,
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता!

खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है!
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है!
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है!

किसी ने खुदा से दुआ मांगी!
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दें मगर!
उसे क्या कहूँ जिसने तेरी जिंदगी मांगी!

हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता,
हर एक इन्सान बुरा नही होता.
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से!
हर बार कसूर हवा का नही होता!

Pyar par Kavita

एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था
खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का ठिकाना था
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था
माँ की कहानी थी,
परीयों का फसाना था
बारीश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था
रोने की वजह ना थी,
ना हँसने का बहाना था
क्युँ हो गऐ हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था
वो बचपन का जमाना था

Love Poems in Hindi

तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए लोग हैं।

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए लोग हैं।

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए लोग हैं।

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए लोग हैं।

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए लोग हैं।

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए लोग है।

Short Love Poem in Hindi

ये जो हम अकेले है, तुम्हारे रवेये बदल रहे हैं,
भूलने की कोशिश है ना हमें, कुछ कुछ हम भी समझ रहे है,
तुम्हे लगता है ना रह लोगे हमारे बिना तुम,
आज जितना हम तड़प रहे है, इस तड़प से तुम कैसे बचोगे,
भूलने की कोशिश कर रहे हो, यकीन मानो एक दिन हमसे ज्यादा रोयोगे।

मौत हमारी देखोगे एक दिन तुम और सांसे तुम्हारी उखड़ेगी,
जलेगा जिस्म मेरा तब विरह की आग में तुम्हारी रूह तड़पेगी।

Hindi Poetry About Love

Hindi Poem on Love

समन्दर का पानी शराब होता तो
सोचो कितना बवाल होता,
हक़ीक़त, ख़्वाब होते तो सोचो
कितना बवाल होता!

किसी के दिल में क्या छुपा हैं ये
बस ख़ुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो
कितना बवाल होता!

थी ख़ामोशी हमारी फ़ितरत में तभी
तो बरसो निभाई लोगों से,
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो
सोचो कितना बवाल होता!

हम तो अच्छे थे पर लोगों की
नजर में हमेशा बुरे ही रहें,
कहीं हम सच में बुरे होते तो सोचो
कितना बवाल होता!

प्यार पर कविता

“रब” ने नवाजा हमें जिंदगी देकर,
और हम “शौहरत” मांगते रह गये,
जिंदगी गुजार दी शौहरत के पीछे,
फिर जीने की “मौहलत” मांगते रह गये।

ये कफन ये जनाज़े, ये “कब्र”
सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त,
वरना मर तो इंसान तभी जाता है।
जब याद करने वाला कोई ना हो!!

ये समंदर भी तेरी तरह खुदगर्ज़ निकला,
जिंदा थे तो तैरने न दिया और
मर गए तो डूबने न दिया!

क्या बात करे इस दुनिया की
“हर शख्स के अपने अफसाने हैं”
जो सामने हैं उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नहीं उसे सब “खुदा” कहते हैं!!

-हरिवंश राय बच्चन

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Love Poetry in Hindi

ना ख्वाहिश अब तुझे चाहने की
ना अब कोई फरमाइश तेर लौट आने की
अब बार है तेरी बेवफ़ाई से भी वफ़ा निभाने की
हां अब मैंने भी कसम खाई है तुझे भूल जाने की।

Kavita in Hindi for Love

Hindi Love Poem

नफरते भी हमें अब सबकी कबूल है
पर अब हम इश्क़ करे कोई मंजूर नहीं,
इश्क़ का हक़ जो उन्हें दिया था
उन योदों में भी अब कोई और मंजूर नहीं।

Hindi Love Poem

अब वो भी पूछने लगे हमसे कि भूल गये क्या
जिनकी यादें लिए हम जिया करते हैं।

Love Poem in Hindi

Love Poem in Hindi

लिखना बहुत कुछ चाहती हूँ पर जब भी लिखने
बैठती हूँ आंसू से फैली कागज पे स्याही बताती
हैं कि हमारा रिश्ता भी यूँ ही फेल गया है जो अब
कभी शायद नहीं जुड़ सके।

Latest Poem on Love in Hindi

वो जूठ था या सच नहीं जानना चाहती
मैंने तो बस तुमसे इश्क़ किया था और आज
मैं बस तुम्हे याद क्र रही हूँ
I Miss You या कुच्छ यूँ कहूँ जरूरत है आज भी तुम्हारी।

Best Love Poem in Hindi

मेरी मंजिले तो गम ही गई थी तेरे साथ ही
फिर भी मेरी आँखे तेर इंतजार से थकती नहीं
हां है अब तुझे तुमसे बेशुमार इश्क़
पर इजहार भी अब मैं भी करती नहीं।

Hindi Poetry About Love

मैंने भी एक गुनाह किया हैं
हां मैंने भी किसी से इश्क़ बेपनाह किया है।

Kavita in Hindi for Love

Best Love Poetry in Hindi

तुम संग अगर इश्क़ ना हुआ होता तो
नफ़रत तक का रिश्ता ना रखते तुमसे।

love Poetry

बातों को दिल से लगाया तन्हा इसलिए नहीं हूँ
बल्कि बातों बातों में दिल गलत लगा दिया
इसलिए तन्हा हूँ।

Hindi Love Poem

इश्क़ वाली कुछ बात तो उनमें भी थी
हिस्से में तन्हाइयों की रात उनके भी थी
जब जब आई हिचकियाँ तब समझें
कुछ यादें हमारी साथ उनके भी थी।

Love Poem in Hindi

बस इतना समझा दो
तुम संग ये रिश्ता इश्क़ का है या अश्क का।

Latest Poem on Love in Hindi

जिसने बेपनाह मोहब्बत की हो
बेहिसाब दर्द भी उन्हें ही मिलते हैं।

Best Love Poem in Hindi

Best Love Poem in Hindi

ना तुम गुनहगार थे ना हम वफादार
तुम्हारा क्या कसूर तुमसे इश्क़ में हमने
ही खुद से वफ़ा नहीं निभाई।

Hindi Poetry About Love

उनसे फासले दिल बेशक दुखाते हैं
मगर याद दिला जाते हैं
कि हमने खता-ए-इश्क़ किया था।

Kavita in Hindi for Love

उनसे ज्यादा उनके साथ पे गुमान था और
वो साथ महज एक बात के लिए छोड़ गये।

love Poetry

Hindi Love Poetry

तेरे मतलबी साथ से तो मेरा तन्हा
इंतजार ज्यादा अच्छा है।

Hindi Love Poem

जब कह नहीं पाती दर्द अपना
उसे पन्नो पे छुपाती हूँ
जब दर्द अश्क बन जाता है
उससे कविता बनाती हूँ।

Love Poem in Hindi

तुम क्यों हर रोज दिल दुखाते हो
छोड़ जाने की बात करते हो
और खुद को यार बताते हो।

Love Poem in Hindi

Latest Poem on Love in Hindi

हम तो तुम्हें देख ही मुस्करा देते है
जैसे हसने का फरमान ले आये हो तुम
तुम हो कितने जरूरी बताएं कैसे
जीने का नया अरमान लाए हो तुम
इलजाम तो सबने खूब लगाए
बस वापस सच सुनने की हिम्मत
किसी में ना थी।

*****

ज़िन्दगी सीधे साधे चलना ठीक नही
उबड़ खाबड़ पड़ाव भी जरूरी है,

तैरते तैरते बाजू थक जाएंगे
एक पल के लिए नाव भी जरूरी है,

बदलाव भी जरूरी है
ये घाव भी जरूरी है,

इतनी धूप अच्छी नही
थोड़ी छांव भी जरूरी है!

*****

हम ना रूठे है ना तुम्हे रूठने देंगे
ताउम्र साथ निभाने का वादा किया है तुमने
ऐसे केसे तुम्हे कहीं जाने देंगे।

*****

प्यार पर कविता

उनकी हर अदायगी पसंद आती हैं
पर जब वो रुठते है
उनकी बेरुखी वो रुठते है
उनकी बेरुखी दिल तोड़ जाती है।

*****

लगता है मेरा रब भी मुझसे रूठा है
क्योंकि आज जिसका साथ टूटा है
वो प्यार नहीं मेरा यार है।

*****

Hindi Poetry About Love

शक उसके प्यार पे नहीं है बस
उसकी बेरुखी तकलीफ देती है।

*****

दिल उनकी बातों ने उनके
बदले रवैये ने तोड़ा
यकीन था जिस एक पे खुद से
ज्यादा आज उसने भी साथ छोड़ा।

*****

अलविदा तो महज एक दिखावा मात्र था
वरना तो उसकी यादों कू भी रुंह
में समा के बैठे है।

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दर्द दिल का हो तो सहना आसान नहीं होता
और जब जख्म अपनों के दिए हो तो
भूलना मुमकिन नहीं होता।

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Kavita in Hindi for Love

जज्बात खूब थे पर अल्फ़ाज नहीं
प्यार बेपनाह था पर दिल को करार नहीं
आँखें भी तड़प रही थी दीदार में
दिल रो रहा था इंतजार में
और वो दर्द-ए-जुदाई लिख गए प्यार में।

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ना जाने क्यूँ लोग इश्क़ को
बदनाम करते है
वर्ना तो दिल दोस्ती में भी
टूटता है।

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Love Kavita in Hindi

खुद से खुद को छिपती हूँ
बेवजह आंसू बहाती हूँ
तस्वीरों से मन बहलाती हूँ
बेवफ़ाई से वफ़ा निभाती हूँ।

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कुच्छ यादें ऐसी होती है जो आँखों में आंसू और
होठों पर मुस्कराहट दोनों एक साथ ले आती है।

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मैं तो एक सफर हूँ उनका
मंजिल तो उनकी कोई और हैं।

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ना फरियादें ना शिकायतें
हैं कहीं ऐसी भी मोहबतें।

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कैसे कह दूँ कि वो भी भूल गये हर बात
उनकी तो याददाश्त अच्छी है
और मैं भूल जाऊं कैसे प्यार
मेरी भी तो मोहबत सच्ची हैं।

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फरियाद करूं मैं किससे जो
आँखों में देख ना समझ पाएं
वो मेरे खामोश अल्फ़ाज कैसे
समझ पायेंगे।

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अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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