अव्यय (परिभाषा, भेद और उदाहरण) | Avyay Kise Kahte Hai
अव्यय किसे कहते हैं?
अव्यय ऐसे शब्द क्यों कहते हैं जिन शब्दों में लिंग, कारक, वचन आदि के कारण कोई भी परिवर्तन नहीं आता हो, उन्हें अव्यय अविकारी शब्द के नाम से जाना जाता है। यह शब्द हमेशा परिवर्तित होते हैं।
संस्कृत भाषा की एक उक्ति “न व्ययेती इति अव्ययम” के अनुसार जिस किसी भी शब्दों में लिंग, वचन या विभक्ति आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होती है, वह अवयव कहलाती है।
जैसे: लेकिन, किंतु, परंतु, यद्यपि, अंदर, बाहर, कब, कल, आज।
अव्यय के भेद
अव्यय के पांच प्रकार होते हैं।
- क्रिया-विशेषण
- समुच्चय बोधक
- संबंध बोधक
- विस्मयादि बोधक
- निपात
क्रिया-विशेषण किसे कहते हैं?
ऐसे शब्द जो क्रिया की विशेषता को बताता है, वह क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे कि:
- राधा प्रतिदिन पत्र लिखती है।
- गाय प्रतिदिन घास खाता है।
- राधा धीरे धीरे चलती है।
- हिरन तेज दौड़ता है।
- राम बहुत अच्छा बोलता है।
ऊपर दिए गए उदाहरण में लिखना प्रतिदिन, बहुत, अच्छा, खाना जैसे शब्द चलना, दौड़ना की विशेषता भी कर प्रकट करता है, इसलिए इन शब्दों को क्रिया-विशेषण कहते हैं।
क्रिया विशेषण के मुख्य चार प्रकार हैं।
- काल वाचक
- स्थान वाचक
- परिणाम वाचक
- रीति वाचक
1. कालवाचक
कालवाचक ऐसी भी क्रिया विशेषण हैं, जो किसी शब्द के क्रिया के होने के बारे में बताएं या उस शब्द के क्रिया की विशेषता बताता है, उन्हें काल वाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैसे कि:
- सीता प्रतिदिन खेलती है।
- श्याम कल आएगा।
- आज दिन भर वर्षा होगी।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में प्रतिदिन, कल, दिन, भर आदि काल वाचक क्रिया विशेषण है, इनके अलावा आज, तुरंत, अभी, हर बार, आदि भी कालवाचक क्रिया विशेषण है।
2.स्थान वाचक
स्थान वाचक क्रिया विशेषण ऐसे शब्द हैं, जो शब्द क्रिया के स्थानीय दिशा का पता लगाएं, उन्हें स्थान वाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। जैसे कि:
- तुम इधर उधर मत जाया करो।
- राम ऊपर जा रहा है।
- मेरे आगे कौन है।
इन वाक्यों में इधर, ऊपर, आगे आदि शब्द स्थान को बताते हैं, इसलिए इन्हें स्थान वाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। इसके अलावा यहां, वहां, दाएं, बाएं, सामने, बाहर, भीतर आदि भी स्थान वाचक क्रिया विशेषण के शब्द हैं, जो स्थान वाचक क्रिया-विशेषण के साथ इस्तेमाल किए जाते हैं।
3.परिणाम वाचक
परिणाम वाचक क्रिया-विशेषण ऐसे शब्द है, जो परिमाण या किसी नाप तोल के बारे में बताते हो, ऐसे शब्द परिणाम वाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं। जैसे कि:
- राजू तेज बाइक चलाता है।
- राधा बहुत बोलती है।
- श्याम खूब लिखता है।
- खाना उतना खाओ जितना तुम खा सकते हो।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जितना, उतना, खूब, तेज, बहुत जैसे शब्द किसी परिणाम को बताते हैं, इसलिए यह सब क्रिया परिणाम वाचक क्रिया-विशेषण शब्द कहलाते हैं। इसके अलावा परिणाम वाचक क्रिया विशेषण के कुछ शब्द जैसे अति, खूब, कुछ, काफी, थोड़ा, उतना, कम आदि परिणाम वाचक क्रिया विशेषण के शब्द हैं।
4.रीति वाचक
रीति वाचक क्रिया विशेषण ऐसे शब्द को कहा जाता है, जिसमें क्रिया की नीति या ढंग का पता चलता हो, ऐसे शब्दों को रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे कि:
- ट्रेन अचानक से प्लेटफार्म पर आ गई।
- घनश्याम ने अपना होमवर्क फटाफट कर लिया।
- राम शीघ्रता से घर जा रहा है।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में अचानक, फटाफट, शीघ्रता और जल्दी जैसे शब्द को रीति को बताने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसलिए इसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। इन शब्दों के अलावा रीतिवाचक क्रिया विशेषण में कुछ और भी शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे कि अवश्य, धीरे, इसलिए, जल्दी, ध्यानपूर्वक, हां, यथा-संभव, बेशक, नि:संदेह, धरा-धर आदि शब्द रीतिवाचक क्रिया विशेषण के शब्द हैं।
समुच्चयबोधक किसे कहते हैं?
समुच्चयबोधक का इस्तेमाल दो वाक्यों को परस्पर जोड़ने के लिए किया जाता है। ऐसे वाक्यों को जोड़ने के लिए लगा शब्द को ही समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे कि:
- राजू अपने कक्षा में अव्वल आया इसलिए सभी उसको बधाई दे रहे हैं।
- राजू का भाई बहुत बड़ा निकम्मा है इसलिए उसका आदर कोई नहीं करता।
- यदि सीता गीत गाती है तो वह जरूर बहुत बड़ी गायक बन जाएगी।
- मोहन मेहनत करता है इसलिए वह अमीर है।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में यदि और इसलिए जैसे शब्द दो शब्दों को जोड़ रहे हैं, इसलिए इन शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय कहेंगे।
समुच्चयबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं।
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक
- व्यतिकरण समुच्चयबोधक
1.समानाधिकरण समुच्चयबोधक
समानाधिकरण समुच्चयबोधक ऐसे अव्यय है, जो किसी भी वाक्य या वाक्यांशों को परस्पर जोड़ने का कार्य करते हैं। वह समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं
जैसे कि:
- सीता और गीता गीत गाती है।
- मैं और मेरा भाई और मेरे सभी मित्र एक साथ एक कक्षा में पढ़ते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में एवं, और जैसे शब्द एक वाक्य या वाक्यांशों को परस्पर जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। इसलिए इन शब्दों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहेंगे। इन शब्दों के अलावा समानाधिकरण समुच्चयबोधक के और भी बहुत सारे शब्द है, जैसे कि तथा, किंतु, परंतु, बंधु, लेकिन, तथा, अथवा, इसलिए, अतः, एवं आदि शब्द भी समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
2. व्यतिकरण समुच्चयबोधक
व्यतिकरण समुच्चयबोधक एक से अधिक आश्रित उपवाक्य को प्रधान उपवाक्य से मिलाते हैं, इन वाक्यों अव्यय को व्यतिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे कि:
- राम बीमार है इसलिए वह घूमने नहीं जाएगा।
- यदि तुम स्कूल जाना चाहते हो तो आगे से अदाएं मोड़ना और सीधा चले जाना।
- मैंने उसे कल ही कॉल करके बता दिया है ताकि वह आज समय पर आ सके।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में यदि, ताकि, इसलिए जैसे शब्द व्यतिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं। इन शब्दों के अलावा तो यद्यपि, तथापि, जिससे, क्योंकि, की, यानी, आदि शब्द भी व्यतिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं।
संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
संबंधबोधक अव्यय संज्ञा अथवा सर्वनाम के बाद जुड़कर उस संज्ञा और सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों में दिखाते हैं। इस तरह के अव्यय को हम संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे कि: के पास, के ऊपर, से दूर, के कारण के लिए, की ओर, की जगह, के अनुसार, के आगे, के साथ, के सामने आदि संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण है।
संबंधबोधक अव्यय के भेद
- कारणवाचक संबंधबोधक
- सीमावाचक संबंधबोधक
- हेतुवाचक संबंधबोधक
- विरोधसूचक संबंधबोधक
- समतासूचक संबंधबोधक
- कालवाचक संबंधबोधक
- साधनवाचक संबंधबोधक
- सहचरसूचक संबंधबोधक
- विषयवाचक संबंधबोधक
- संग्रवाचक संबंधबोधक
- स्थानवाचक संबंधबोधक
- दिशाबोधक संबंधबोधक
स्थानवाचक संबंधबोधक
ऐसे शब्द जो किसी संख्या या सर्वनाम का किसी स्थान से संबंध उत्पन्न करते हो, उन्हें स्थान वाचक संबंधबोधक कहते हैं। जैसे कि आगे, पीछे, सामने, जहाँ पर बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच आदि।
उदाहरण
- वह मेरे घर के बाहर खड़ा था।
- वह नदी के दूसरी और देख रहा है।
दिशावाचक संबंधबोधक
दिशावाचक संबंधबोधक शब्दों से दिशा का बोध होता है यानी कि इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम का किसी दिशा की ओर संबंध बताता है। जैसे कि तरफ, प्रति, समीप, ओर, सामने आदि।
- वे दोनों एक-दूसरे की ओर खड़े थे।
- गीता तुम्हारे सामने खड़ी थी।
कालवाचक संबंधबोधक
कालवाचक संबंधबोधक शब्दों में काल का भाव उत्पन्न होता है जैसे कि आगे, पीछे, पश्चात, पहले, बाद, उपरांत आदि।
- गीता के आने से पहले वह वहां पर आ चुकी थी।
- वे उसके आने के पश्चात वहां जाने वाले थे।
साधनवाचक संबंधबोधक
साधन वाचक संबंधबोधक शब्दों में किसी माध्यम या साधन का भाव उत्पन्न होता है जैसे कि द्वारा, जरिये, सहारे, माध्यम, निमित्त आदि।
- वह रोहन के माध्यम वहां जा सका।
- वह गीता के सहारे मोहन से मिल सका।
कारणवाचक संबंधबोधक
कारण वाचक संबंधबोधक शब्द से कारण का भाव उत्पन्न होता है। जैसे कि खातिर, क्योंकि, वास्ते, हेतु।
- मैं उसके वास्ते यहाँ आया था।
- वह तुम्हारे खातिर कुछ भी कर सकता है।
सीमावाचक संबंधबोधक
सीमा वाचक संबंधबोधक अव्यय ऐसे शब्द होते हैं, जिनसे सीमा की भावना उत्पन्न होती है जैसे कि भर, मात्र, जहाँ पर, तक, पर्यन्त आदि।
- वहां मरणोपर्यंत तुम्हारी सेवा करते रहेगा।
- जहां तक तुम्हारी नजर जा सकती है, वह पूरा क्षेत्र मेरे पिताजी का है।
विरोधसूचक संबंधबोधक
विरोधसूचक संबंधबोधक शब्दों से हमेशा विरोध या प्रतिकूलता की भावना उत्पन्न होती है जैसे कि विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत।
- वह तुम्हारे विरुद्ध कभी नहीं जा सकता है।
- तुम्हारा नाम तो उसके विपरीत है।
समतासूचक संबंधबोधक
समता सूचक संबंधबोधक शब्द किसी भी 2 वस्तु या 2 प्राणी के बीच उनके गुणों की समानता बताता है जैसे कि जैसा, वैसा, तरह, तुल्य आदि।
- तुम बिल्कुल अपने पिताजी की तरह दिखते हो।
- जैसे तुम वैसे तुम्हारा भाई है।
हेतुवाचक संबंधबोधक
अथवा, सिवा, रहित, अतिरिक्त आदि हेतुवाचक संबंधबोधक का उदाहरण है।
सहचरसूचक संबंधबोधक
समेत, संग, साथ आदि सहचरसूचक संबंधबोधक के उदाहरण है।
विषयवाचक संबंधबोधक
जहाँ पर विषय या लेख आए वहां विषयावाचक संबंधबोधक शब्द का प्रयोग होता है।
संग्रवाचक संबंधबोधक
समेत, भर, तक आदि संग्रवाचक संबंधबोधक अव्यय का उदाहरण है।बोधक अव्यय का पहचान करने के लिए उस इस वाक्य में (!) का प्रयोग होता है, जिस
- राम दसवीं के बाद कॉमर्स लेगा।
- श्याम दिन भर पढ़ता रहेगा।
- मोहन छत के ऊपर पतंग उड़ा रहा है।
- सुशीला चंदामामा की ओर देख रही है।
- मोहन के कारण सोहन बीमार पड़ गया।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में के ऊपर, की ओर, बाद में, भर, या कारण आदि शब्द संबंधबोधक अव्यय का काम करते हैं।
विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
विस्मयादिबोधक शब्द से लेखक के हर्ष या वक्ता के हर या किसी शोक, घृणा करना, विस्मय या ग्लानि करना आदि तरह के भावों को प्रकट करते हैं। इस तरह के शब्द को विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे कि:
- हां यह मेरा दिल चुराके ले गया।
- अरे पीछे हट जाओ नहीं तो मार खाओगे।
- छी छी यह कैसी दुर्गंध आ रही है।
- वाह श्याम तुम्हारा घर कितना सुंदर है।
- हाय यह कैसा एक्सीडेंट हो गया।
ऊपर दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट है कि विस्मयादिबोधक अव्यय कैसे होते हैं।
विस्मयादिबोधक की पहचान कैसे करें?
विस्मयादिबोधक अव्यय का पहचान करने के लिए उस इस वाक्य में (!) का प्रयोग होता है, जिससे वह वाक्य विस्मयादिबोधक कहलाता है।
विस्मयादिबोधक के अलग-अलग भावों के अनुसार इसके सात प्रकार है:
- शोकबोधक
- आश्चर्यबोधक
- हर्षबोधक
- तिरस्कारबोधक
- संबोधनबोधक
- स्वीकारबोधक
- अनुमानोबोधक
तिरस्कार बोधक
तिरस्कार बोधक शब्द विस्मयादिबोधक अव्यय के ऐसे प्रकार हैं, जिसमें किसी के प्रति तिरस्कार, अपमान और घृणा की भावना उत्पन्न होती है। जैसे कि धिक्!, धत!, छि:!, थू-थू, धिक्कार!, हट!, चुप! आदि।
उदाहरण
- तुम पर धिक्कार है! तुम जरूरत में काम नहीं आ सके।
- छि: ! तुम जैसे बेईमान लोग दुनिया में सब को धोखा देते रहते हैं।
- हट! मैं तुमसे बात नहीं करता।
- चुप! कब से तुम्हारी बकवास सुनरहा हूं।
शोक बोधक
शौक बोधक ऐसे शब्द होते हैं, जिनसे शोक, दूख का भाव उत्पन्न होता है। जैसे कि हे राम! बाप रे! ओ मां! आह! हाय!, ओह!, उफ़!, आह!, हा! आदि श।
उदाहरण
- हाय! यह मेरे बेटे के साथ क्या हो गया।
- हे राम! अब उसका क्या होगा।
- बाप रे बाप! उसको बहुत पीटा गया था।
स्वीकृति बोधक
स्वीकृति बोधक ऐसे विस्मयादिबोधक अव्यय के प्रकार हैं, जिनमें स्वीकार और हामी के भाव का बोध होता है जैसे कि जी हां! अच्छा!, ठीक!, हाँ!, !, बहुत अच्छा!, जी! आदि।
उदाहरण
- ठीक! मैं लौटते वक्त आपके लिए गरम गरम जलेबियां लेते आऊंगा।
- जी हां! मैं वहां पर गया था।
- अच्छा! तुम ही हो जिसे देखने के लिए कल बाजार में भीड़ लगी थी।
संबोधन बोधक
संबोधन बोधक शब्दों में किसी के प्रति संबंध होने का भाव उत्पन्न होता है जैसे कि अरे!, अरी!, हैलो!, हो!, अजी!, ओ!, रे!, री!, ऐ! आदि। यह शब्द अक्सर अपनों के लिए है, जिन्हें हम जानते हैं, उनके लिए प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण
- अरे! तुम यहां पर क्या कर रहे हो?
- हेलो! आप कहां से बोल रहे हैं?
- अजी! मैंने आपको लौटते वक्त बाजार से सब्जियां लाने बोली थी।
हर्षवर्धन बोधक
हर्ष बोधक शब्द में खुशी, उमंग, उल्लास जैसे भाव उत्पन्न होते हैं। जैसे कि अहा!, शाबाश!, वाह-वाह!, धन्य!, अति सुन्दर!, ओह! आदि।
उदाहरण
- ओह! कितना प्यारा बालक है।
- शाबाश! तुमने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
- वाह! मैं इसी चीज का इंतजार कर रहा था।
विस्मयादि बोधक
विस्मयादिबोधक शब्दों में विस्मय का भाव उत्पन्न होता है जैसे कि ओह!, सच!, अरे!, क्या!, हैं!, ऐ!, ओहो!, वाह! आदि।
उदाहरण
- सच! कह रहे हो तुम आज की दुनिया में भलाई नाम की चीज ही नहीं है।
- ओहो! तुम्हीं ने लॉटरी की टिकट जिती है।
- वाह! तुम तो बहुत अच्छी चित्रकला करते हो।
भय बोधक
भय बोधक शब्दों में डर, भय जैसे भाव उत्पन्न होते हैं जैसे कि ओह!, हाय!, बाप रे बाप!, उई माँ! आदि।
उदाहरण
- उई माँ! यह सांप कहां से आ गया?
- बाप रे बाप! तुम्हारा सामना इतने भयंकर हाथी से हो गई थी फिर भी तुम बचकर निकल आए।
आशीर्वाद बोधक
आशीर्वाद बोधक शब्दों में किसी के प्रति आशीर्वाद, प्रेम भाव उत्पन्न होता है जैसे कि जीते रहो!, दीर्घायु हो! आदि।
उदाहरण
- जीते रहो! तुम परीक्षा में अव्वल आओ।
- भगवान करे! तुम इस मुसिबत से जल्दी निकल जाओ।
- दीर्घायु हो! बहू तुम दूधो नहाओ पूतो फलो।
विदास बोधक
विदास बोधक शब्दों में विधा का भाव उत्पन्न होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को विदाई देता है या एक दूसरे से अलग होते हैं तो वे ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे कि अच्छा!, अच्छा जी!, टा-टा! आदि।
उदाहरण
- टा-टा! तुम्हारे भाई की शादी में फिर मिलेंगे।
- अच्छा! अब मेरे जाने का समय हो गया है हम फिर मिलेंगें।
अनुमोदन बोधक
अनुमोदन बोधक शब्दों में अनुरोध का भाव उत्पन्न होता है जैसे हाँ, हाँ!, बहुत अच्छा!, अवश्य! आदि।
उदाहरण
- हां हां! मैं तुम पर भरोसा कर रही हूं।
- अवश्य! भगवान हमारे साथ हैं।
बहुत अच्छा! तुम भगवान पर ऐसे ही विश्वास बनाए रखो।
विवशता बोधक
विवशता बोधक शब्दो में मजबूरी, विवशता, भूतकाल की इच्छा का भाव उत्पन्न होता है। जैसे कि हे भगवान! काश! कदाचित! आदि।
उदाहरण
- काश! कल तुम मेरे साथ उस फिल्म का आनंद ले पाते।
- कदाचित! तुम सही हो लेकिन बिना किसी सबूत के कोई भी तुम्हारे बातों पर विश्वास नहीं कर सकता।
- हे भगवान! उसने खुद के ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली।
निपात अव्यय किसे कहते हैं?
निपात अव्यय किसी शब्द के सहायक पद होते हैं, जो वाक्य को इस वाक्य को नवीनता या चमत्कार उत्पन्न की तरह बना देते हैं। निपात अव्यय का कार्य शब्द समूह में बल प्रकट करना होता है।
जैसे कि:
- कृष्ण ने ही कंस को मारा था।
- राधा भी रमेश के साथ कल राजस्थान जा रही है।
- राधा तो राजस्थान के जयपुर शहर में जाने वाली थी।
ऊपर दिए गए हैं उदाहरणों में तो, भी, ही आदि शब्द का प्रयोग उस वाक्य निपात अव्यय बना देता है। निपात अव्यय का कार्य इन शब्दों को इस्तेमाल करके सहायक पद वाक्य का अंग नहीं होता है, बल्कि वह सिर्फ शब्द समूह को बल प्रदान करता है।
निपात अव्यय के और भी शब्द हैं जैसे कि मत, सा, जी, ही, भी, तो आदि शब्द निपात शब्द कहलाते हैं।
निपात अव्यय के भेद
निपात अव्यय के 9 भेद हैं।
- प्रश्नबोधक निपात
- निषेधात्मक निपात
- सकारात्मक निपात
- आदरबोधक निपात
- नकारात्मक निपात
- तुलनात्मक निपात
- अवधारणबोधक निपात
- विस्मयादिबोधक निपात
- बलदायक निपात
- प्रश्नबोधक निपात के उदाहरण: क्या, क्यों, कैसे
- विस्मयबोधक निपात के उदाहरण: क्या, काश
- तुलनाबोधक निपात के उदाहरण: सा
- आदरबोधक निपात के उदाहरण: जी
- बल प्रदायकबोधक निपात के उदाहरण: सिर्फ, केवल, तो, ही, भी, तक, भर
- नकारबोधक निपात: जी नहीं, नहीं
- निषेधबोधक निपात के उदाहरण: मत
- अवधारणाबोधक निपात के उदाहरण: ठीक, करीब, लगभग, तकरीबन
संस्कृत के अव्ययो का उदाहरण
पुनः (फिर), न (नहीं), वा (या), अद्य (आज), ह्यः (बीता हुआ कल), श्वः (आने वाला कल), परश्वः (परसों), सह (साथ), कुतः (कहाँ से), तदा (तब), अधुना, अत्र (यहां), तत्र (वहां), कुत्र (कहां), सर्वत्र (सब जगह), यथा (जैसे), (कभी भी), अथवा (या), कथम् (कैसे), सदा (हमेशा), कदा (कब), यदा (अब), कदापि, अपि (भी), शीघ्रम् (जल्दी)।
FAQ
अव्यय के कुल पांच भेद हैं: संबंधबोधक अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय, क्रिया विशेषण अव्यय, विस्मयादिबोधक अव्यय, निपात अव्यय
जब तक कालवाचक क्रिया-विशेषण अव्यय का उदाहरण है।
अब, कल, फिर, कभी, आजकल, जब, तब, हमेशा, तभी, तत्काल, निरंतर, शीघ्र, पूर्व, बाद, पीछे, घड़ी-घड़ी, प्रतिदिन, दिनभर इत्यादि कालवाचक क्रिया विशेषण के उदाहरण है।
ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम का किसी अन्य संज्ञा और सर्वनाम के साथ संबंध बताते हो उसे ही संबंध बोधक अव्य कहते हैं। संबंधबोधक अब हमेशा संज्ञा या सर्वनाम के बाद में प्रयोग किए जाते हैं और इनके साथ किसी ना किसी प्रत्यय का भी प्रयोग किया जाता है। की ओर, के अनुसार, के आगे, की जगह इत्यादि संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण है।
प्रयोग की दृष्टि से संबंधबोधक के तीन भेद हैं। सविभक्तिक संबंधबोधक, निर्विभक्तिक संबंधबोधक, उभय विभक्ति संबंधबोधक
इस लेख में आपने जाना अव्यय किसे कहते हैं और अव्यय के कितने भेद होते हैं। उसके साथ आप लोगों ने अव्यय के कुछ उदाहरण भी देखें। जिससे कि आपको समझ में आ गया होगा, यह कितने प्रकार के होते हैं और किस तरह से अव्यय शब्द मिलकर किसी वाक्य को परिवर्तित कर देते हैं। अव्यय संस्कृत अव्यय संस्कृत वाक्य अव्यय के मीनिंग आदि सभी की जानकारी इस लेख में दी गई है।
अन्य महत्वपूर्ण हिंदी व्याकरण