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विद्यालय की स्वच्छता पर निबंध

एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है। स्वच्छ माहौल में इंसान ताजगी और शांति महसूस करता है। हम जब मंदिर जाते हैं, तो वहां पर हमें बहुत शांति का अहसास होता है क्योंकि मंदिर के आसपास का वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है, वहां चारों तरफ स्वच्छता होती है।

विद्यार्थी जीवन में ज्यादातर समय विद्यालय में व्यतीत होता है, ऐसे में विद्यालय का भी स्वच्छ होना बहुत जरूरी है। क्योंकि विद्यालय भी तो मंदिर के समान ही है, यह ज्ञान का मंदिर है, मां सरस्वती का मंदिर है। ऐसे में जब हम मंदिरों की सफाई रखते हैं, तो विद्यालय की भी सफाई रखनी चाहिए।

vidyalaya ki swachata par nibandh

विद्यालय साफ रहेगा तभी बच्चों का पढ़ाई में मन लगेगा और बच्चे स्वस्थ रहेंगे। इसके लिए विद्यालय के शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह बच्चों को हमेशा से ही स्वच्छता के महत्व को बताएं ताकि बच्चे वर्कर का सहयोग करें और विद्यालय को स्वच्छ रखें।आज के इस लेख में हम विद्यालय के स्वच्छता पर निबंध लेकर आए हैं। इस निबंध के जरिए बच्चों को स्वच्छता का महत्व सिखाया जा सकता है, तो इस लेख को अंत तक जरूर करें।

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विद्यालय की स्वच्छता पर निबंध

विद्यालय की स्वच्छता पर निबंध (250 शब्द)

गंदगी व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से ग्रसित करते हैं। ऐसे में यदि विद्यालय अस्वच्छ रहेगा तो बच्चों के मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ेगा। बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग पाएगा। साथ ही बच्चे कई तरह की बीमारियों से भी ग्रसित हो जाएंगे। इसलिए विद्यालय कि स्वच्छता पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

हालांकि विद्यालय की स्वच्छता के लिए हम कर्मचारियों को नियुक्त कर देते हैं लेकिन वे निश्चित समय में आकर विद्यालय की सफाई करके चले जाते हैं। लेकिन फिर बच्चे विद्यालय को गंदा कर देते हैं। ऐसे में स्वच्छता के महत्व को सबसे पहले बच्चों को बताना बहुत जरूरी है।

बच्चों को स्वच्छता का महत्व पता होगा, तो वह विद्यालयों को स्वच्छ रखने में सहयोग देंगे। इसकी जिम्मेदारी विद्यालय के शिक्षकों की होती है, वह बच्चों को जैसा बताएंगे बच्चे वैसा ही करेंगे। इसलिए विद्यालय के शिक्षकों को बच्चों को स्वच्छता से जुड़ी आवश्यक जानकारी देनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि किस तरीके से विद्यालय को स्वच्छ रख सकते हैं।

इसके अतिरिक्त विद्यालयों के प्रिंसिपल को भी विद्यालय को साफ-सुथरा रखने में सहयोग देना चाहिए। निरंतर कुछ सालों में विद्यालयों को पेंट करवाना चाहिए ताकि विद्यालय साफ सुथरा और आकर्षक दिखें। इसके अतिरिक्त विद्यालय के आसपास पेड़ पौधे जरूर लगाने चाहिए और बच्चों को भी पेड़ पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

पेड़-पौधे से वातावरण साफ सुथरा होता है और ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है। समय समय पर विद्यालय के द्वारा स्वच्छता अभियान चलाना चाहिए, जिसमें सभी बच्चों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। विद्यालय में प्रत्येक क्लास में डस्टबिन की सुविधा होनी चाहिए और बच्चों को इधर-उधर कचरा ना फेंककर डस्टबिन में ही कचरा फेंकने का निर्देश देना चाहिए।

आजकल बहुत खतरनाक खतरनाक बीमारी फैल रही है और बच्चे इन बीमारियों के बहुत जल्दी शिकार हो जाते हैं। इसीलिए विद्यालय का माहौल हमेशा साफ सुथरा होना चाहिए। क्योंकि बचे अपना ज्यादा समय विद्यालय में बिताते हैं। विद्यालय के शिक्षक बच्चों के अभिभावकों को भी स्वच्छता के महत्व के बारे में बता सकते हैं ताकि वे अपने घरों में भी स्वच्छता रखें।

विद्यालय की स्वच्छता पर निबंध (850 शब्द)

प्रस्तावना

अपने घरों की साफ-सफाई हर कोई करता है क्योंकि हम वहां पर रहते हैं और गंदगी में किसी को भी रहना पसंद नहीं। इसके अतिरिक्त हम सभी को पता है कि गंदगी से कई तरह की बीमारियां फैलती है। लेकिन अपने घरों के अतिरिक्त हमे अपने विद्यालयों के सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए।

हम अपने घरों की सफाई में अपने मां का सहयोग करते हैं। एक छात्र होने के नाते में विद्यालय की सफाई में भी सहयोग देना चाहिए क्योंकि विद्यालय में हम ज्यादातर समय बिताते हैं और विद्यालय ज्ञान का मंदिर भी है। विद्यालय साफ रहेगा तो विद्यालय में जाने का मन करेगा और विद्यालय में पढ़ाई में मन लगेगा।

विद्यालय को स्वच्छ कैसे रखें?

बच्चे विद्यालय की दीवारों पर बहुत बार स्केच बनाकर दिवालों को खराब कर देते हैं। ऐसे में विद्यालय की दीवार बहुत भद्दी दिखती है। इसीलिए विद्यालयों को निश्चित वर्षों में रंग और पूताई करवाना चाहिए ताकि विद्यालय स्वच्छ दिखें और आकर्षक लगे।

विद्यालयों के आसपास पेड़ पौधे लगाने चाहिए और प्रत्येक बच्चों को पेड़ पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके लिए शिक्षक एक योजना बना सकते हैं कि विद्यालय में जिस भी बच्चे का जन्मदिन हो वह हर बच्चे अपने जन्मदिन पर चॉकलेट बांटने की बजाय एक-एक पौधा विद्यालय के बगीचे में लगा सकते हैं।

ज्यादातर बीमारी मच्छरों से होती है और मच्छर जमे हुए पानी के कारण उत्पन्न होते हैं। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि विद्यालय के आसपास और छतों पर पानी जमा नहीं होना चाहिए।

विद्यालय के पानी की टंकी की सफाई प्रत्येक महीने में एक बार होना चाहिए क्योंकि ज्यादातर बीमारी पानी के कारण ही होता है। यदि पानी स्वच्छ नहीं होगा तो उसे पीने वाले बच्चे बीमार पड़ेंगे। इसीलिए पानी की पाइप और टंकियों की सफाई पर सख्त रूप से ध्यान रखना जरूरी है।

विद्यालय के प्रत्येक क्लासरूम में कूड़ेदान की सुविधा होनी चाहिए और बच्चों को कूड़ेदान में ही कचरा फेंकने के लिए कहा चाहिए। विद्यालय में शौचालय की स्वच्छता पर भी खास करके ध्यान देना चाहिए। विद्यालय के प्ले ग्राउंड की भी सफाई होनी चाहिए। बच्चे वहां पर खेलते हैं इसीलिए वहां पर कूड़ा कचरा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त शिक्षकों को विद्यालय में सप्लाई किए जाने वाले पानी की शुद्धता की जांच करनी चाहिए और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव समय-समय पर करते रहना चाहिए ताकि पनप रहे किटानू और मच्छरों का नाश करके बीमारियों को फैलने से रोका जा सके।

शिक्षकों को बच्चों के अभिभावक को उनके विद्यालय की ड्रेस को नियमित रूप से साफ करने और बच्चों को साफ-सुथरे तरीके से विद्यालय भेजने का निर्देश देना चाहिए। क्योंकि यदि एक भी बच्चा बीमार पड़ा तो उस से संक्रमित होकर विद्यालय का हर एक छात्र बीमार पड़ सकता है।

विद्यालय की सफाई के लिए प्रतियोगिता का आयोजन करना चाहिए

विद्यालय की सफाई बहुत जरूरी है और यह जिम्मेदारी केवल शिक्षक और कर्मचारियों की ही नहीं होनी चाहिए बल्कि बच्चों की भी होनी चाहिए और बच्चों को उनकी जिम्मेदारियों से अवगत कराने की जिम्मेदारी शिक्षक की है। इसके लिए शिक्षक विशेष प्रकार के प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं, जिसका थीम वे विद्यालय की स्वच्छता रख सकते हैं।

जिस पर निबंध लेखन, कविता, चित्रकला, नाटक इत्यादि प्रतिस्पर्धा के जरिए बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया जा सकता है। साथ ही विद्यालय द्वारा स्वच्छता अभियान चलाना चाहिए, जिसमें बच्चों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और इस अभियान द्वारा वे विद्यालय की साफ-सफाई करने में सहयोग दे सकते हैं।

सरकार द्वारा विद्यालय की स्वच्छता के लिए शुरू की गई अभियान

विद्यालय की स्वच्छता छात्रों के स्वास्थ्य, उनकी उपस्थिति और सीखने की क्षमता प्रभावित करती है। विद्यालय स्वच्छ होता है तो छात्रों को विद्यालय आने में मन लगता है और उन्हें पढ़ाई में भी मन लगता है। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए सरकार समय-समय पर विद्यालय की स्वच्छता के लिए नए नए अभियान शुरु करती है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी भारतीयों को स्वच्छता का महत्व बताने के लिए स्वच्छता अभियान की शुरुआत की ताकि भारत का हर एक नागरिक भारत को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे सकें।

इसके अतिरिक्त साल 2014 को मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान का उद्घाटन किया था, जिसके तहत सभी विद्यालयों में साफ-सफाई अनिवार्य कर दिया गया था। हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भी स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की शुरुआत की।

जिसके तहत स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार उन विद्यालयों को प्रेरणा और पुरस्कार देता है, जो विद्यालय की स्वच्छता में अनुकरणीय कार्य किए हैं। इस अभियान के कारण अन्य विद्यालयों को भी स्वच्छ रखने में शिक्षकों को प्रेरणा मिलेगी। इस तरह बच्चों के बेहतरीन शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर  विद्यालय की सफाई से संबंधित नई-नई अभियान चलाई जाती हैं।

निष्कर्ष

विद्यालय बच्चों के उज्जवल भविष्य देने में मदद करता है। यहां पर विद्यार्थी को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वच्छ होना बहुत जरूरी है। तभी बच्चे शिक्षक द्वारा सिखाई जाने वाली चीजों को आसानी से ग्रहण कर पाएंगे। बच्चे स्वस्थ रहेंगे तो हर एक प्रकार की बीमारियों से मुक्त रहेंगे।

इसीलिए विद्यालयों को स्वच्छ बनाने में शिक्षक, बच्चों और उनके अभिभावकों को भी सहयोग देना चाहिए। बच्चों को शिक्षक और उनके माता-पिता द्वारा बचपन से स्वच्छता की आदत डालनी चाहिए और उन्हें हमेशा से शिक्षा के महत्व को बताना चाहिए। 

अंतिम शब्द

तो हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में विद्यालय की स्वच्छता पर लिखे गए निबंध आपको पसंद आए होंगे। इस लेख को हो सके तो ज्यादा से ज्यादा अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए दोस्तों में शेयर करें ताकि हर कोई विद्यालय की स्वच्छता का महत्व जान सके। यदि लेख से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव हो तो कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं।

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