भारत विशाल जनसंख्या वाला देश है, जहां पर विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं। हालांकि इस देश में जो धर्म या संप्रदाय के लोग रहते हैं, वह अन्य देशों में भी रहते हैं।
लेकिन जिस धरती पर आप रहते हैं, जिस भूमि पर आप अपना जीवन बिता रहे हैं, वही धरती आपकी माता है और उसी धरती के हित में सब कुछ करना हर एक व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है।
विभिन्न धर्म संप्रदाय के लोगों की अलग-अलग विशेष विचारधारा व संकल्प धारणाएं हो सकती हैं। लेकिन सबकी विचारधाराए देश हित में होना जरूरी है तभी देश का विकास हो सकता है।

संस्कृत में कहा गया है माता भूमि: पुत्रोहम पृथिव्या: अर्थात यह धरती मेरी माता है और मैं इसका पुत्र हूं। अपने देश हित के लिए अपने देश के विकास के लिए हर एक धर्म और संप्रदाय के लोगों को इस विचारधारा के साथ एकजुट होकर रहना जरूरी है।
इस विचारधारा को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से ही इस लेख में हम स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना निबंध लेकर आए हैं।
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स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना 600 शब्द में निबंध
प्रस्तावना
अब समय आ गया है कि हम गहन निंद्रा से उठ जाएं और सभी मतभेदों को भूलकर एक हो जाए। छोटे बड़े सब के विचारों को आपस में मेल करके हमें अपने इस देश को जगाना है।
अपने इस देश के विकास के लिए सोचना है। हर एक धर्म और संप्रदाय के लोगों को संगठित करना है, सबके विचार और भावनाओं को सम्मान देते हुए राष्ट्रहित के लिए सोचना है।
हमें अपने राष्ट्रीय भक्ति के लिए उत्तम कार्य करना है। हमारा राष्ट्रीय एक हो यही हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
देश हित के लिए शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है
हमारे देश का आने वाला भविष्य आज के युवा आज के विद्यार्थियों से जुड़ा हुआ है। इस देश का विकास का दायित्व इन नाजुक कंधों पर है। ऐसे में इन कंधों को मजबूत करने की जरूरत है।
इन युवाओं को इन विद्यार्थियों को सफल, सशक्त और शिक्षित होने की जरूरत है। क्योंकि आगे चलकर यह एक शिक्षित नागरिक होंगे और एक शिक्षित नागरिक के जरिए ही देश का विकास हो सकता है।
गलत विचारों को खत्म किया जा सकता है और एकजुट होकर देश हित के लिए उत्तम कार्य किया जा सकते हैं। हमारे समाज में कई कुरीतियां, कुप्रथा व्याप्त है, जो समाज के विकास को रोकते हैं।
देश का विकास समाज के विकास के साथ ही होता है। ऐसे में इन कुप्रथाओं को रोकने के लिए शिक्षा ही एक मात्र हथियार है।
इसीलिए हर एक नागरिक को शिक्षा का महत्व बताना जरूरी है ताकि वे अपने बच्चों को शिक्षित करें, जो आगे चलकर हमारे देश के उत्तम नागरिक बनेंगे और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अतः आज के विद्यार्थियों को अत्यंत बलवान और दूरदर्शी बनाने की जरूरत है।
जागरूक करने की है जरूर
देश के हर एक नागरिक हर एक युवा को देश की उन्नति और उसके विकास के लिए उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। जब वह इसके प्रति जागरूक होंगे तभी वह देश हित के लिए सोच पाएंगे।
युवाओं को प्रयत्नशील, शारीरिक शिक्षा, व्यायाम और परिश्रम के द्वारा उन्हें हष्ट पुष्ट व बलवान बनना है। महापुरुषों के जीवन चरित्र के जरिए उन्हें देश हित को लेकर सोचने के लिए प्रेरित करना है।
आज की युवा आधुनिकरण की ओर जा रही है। वह अपने संस्कृति, अपने रीति रिवाज, परंपराओं से दूर हो रहे हैं। उन्हें अपने संस्कृति से ज्यादा दूसरे देश की संस्कृति पसंद आ रही है।
लेकिन उन्हें यह बताना जरूरी है कि हमारे देश की पहचान हमारी संस्कृति से है और इन युवाओं से ही यह संस्कृति जीवित रहेगी।
हमारे देश की संस्कृति ही हमारे देश को विश्व में श्रेष्ठ देश बनाती है। इसीलिए इस संस्कृति का जीवंत रहना जरूरी है और यह तभी हो सकता है जब आज की युवा भी हमारे देश की संस्कृति को महत्व देंगे।
इनमें भी अपने देश के प्रति वही प्रेम जगाना है, जिस देशभक्ती और देश प्रेम की भावना से हमारे महापुरुषों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने जान न्योछावर किए थे।
ऊंच नीच की भावनाओं को खत्म करना है
जिस देश में विभिन्न धन संप्रदाय के लोगों के साथ विशाल जनसंख्या रहती हो, ऐसे देश के विकास के लिए सबसे पहले आपसी मतभेद को दूर करना जरूरी है।
उन्हें समझाना जरूरी है कि वह धर्म संप्रदाय से परे अपने देश के लिए सोचे। सबका धर्म संप्रदाय अलग हो सकता है लेकिन सबका राष्ट्र एक है और सबको केवल राष्ट्र हित के लिए सोचना है।
विचार चाहे अलग हो लेकिन उद्देश्य केवल राष्ट्र की उन्नति होनी चाहिए। राष्ट्रहित धर्म, जाति, संप्रदाय से ऊपर होती है।
अत: हर किसी को उस राष्ट्रहित के लिए कार्य करना है, जिस धरती पर वह रहकर अनाज उपजा रहे हैं और जो उनके अस्तित्व का कारण है।
राष्ट्रीय हित के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करना है
भ्रष्टाचार उस दीमक की तरह है, जो हमारे राष्ट्र को अंदर ही अंदर से खोखला कर देती है। भ्रष्टाचार का दोषी केवल वह इंसान नहीं है, जो घुस या रिश्वत ले रहा है। वह व्यक्ति भी है, जो घुस और रिश्वत दे रहा है।
देश के नागरिक अपने कार्यों को जल्दी करवाने के लिए घूस या रिश्वत अधिकारियों को देते हैं और वह भी लालच में आकर इसे बढ़ावा देते हैं। एक व्यक्ति को देखकर दूसरा व्यक्ति भी रिश्वत देता है और खाता है।
ऐसे में हर उन नागरिकों को समझने की जरूरत है, जो आर्थिक रूप से संपन्न है और अपने कार्य को जल्दी करवाने के लिए वह घुस या रिश्वत को बढ़ावा देते हैं और इससे देश में भ्रष्टाचार बढ़ता है।
इसके साथ ही उन हर अधिकारियों को भी ईमानदारी पूर्वक काम करना चाहिए और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।
हर एक नागरिक को संविधान का ज्ञान होना चाहिए
देश के उन्नति व विकास नागरिकों के हाथ में है। हमारे देश में जो भी कानून बनते हैं, जो भी कायदे कानून है, सब संविधान के आधार पर हैं।
हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक प्रजातंत्रात्मक देश है। यहां पर वास्तविक शक्ति नागरिकों के हाथ में है।
ऐसे में हर एक नागरिक को मताधिकार दिया गया है, जिसके जरिए वे उचित जनप्रतिनिधि का चयन कर सके, जो सत्य, निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करके देश का विकास करें, जनहित के बारे में सोचें।
उपसंहार
हमारा देश आज धर्म-संप्रदाय, जाति के कुछचक्र में फंसा हुआ है। हमें अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग करके देश की रक्षा, देश के विकास और देश के सम्मान के लिए तन मन और धन से न्योछावर होने की जरूरत है।
देश के विकास, इसके उन्नति के लिए आज के युवाओं से ही हम अपेक्षा कर सकते हैं। ऐसे में हर एक व्यक्ति को स्वयं जाग कर अपने देश को जगाने की जरूरत है ताकि हमारा देश एक विकसित देश बन सके।
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है पर प्रस्तुत किए गए 600 शब्दों में निबंध आपको पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें।
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