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ऋषि पंचमी व्रत कथा

ऋषि पंचमी व्रत कथा | Rishi Panchami Vrat Katha

ऋषि पंचमी की कथा – 1

प्राचीन समय में विदर्भ देश में एक ब्राह्मण देव रहते थे। जिनका नाम उत्तक था उनकी पत्नी का नाम सुशीला था। सुशीला पतिव्रता स्त्री थी। उनकी दो संताने थी एक पुत्र और एक पुत्री। पुत्री विवाह योग्य हो गई थी तो उसका विवाह कुशल वीर नामक एक युवक से हो गया।

देव योग से कुछ समय में ही वह विधवा हो गई थी। जिससे पूरा परिवार दुखी हो गया था। ब्राह्मण दंपति अपनी कन्या के साथ वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। एक दिन उनकी कन्या सो रही थी तो उसका संपूर्ण शरीर कीड़े मकोड़ों से भर गया। कन्या ने अगले दिन यह बात अपनी माता से कहीं।

Rishi Panchami Vrat Katha
Images :-Rishi Panchami Vrat Katha

सुशीला ने अपने प्राण नाथ को संपूर्ण बात बताते हुए इसका कारण पूछा। उत्तक ने अपनी समाधि से इस बात का कारण पता किया। उसने अपनी पत्नी को बताया की पिछले जन्म में हमारी पुत्री जब रजस्वला थी तब उसने बर्तन छू लिए थे और इस जन्म में अन्य लोगों की देखा देखी मैं हमारी पुत्री ने भाद्रपद शुक्ल पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया है इस कारण ऐसी गति हुई है।

तब सुशीला में अपने प्राणनाथ से पूछा कि अब इस गलती का कोई उपाय है क्या?

उत्तक ने बताया की पुराणों के अनुसार जब कोई स्त्री रजस्वला होती है तो वह पहले दिन चंडालिका का, दूसरे दिन ब्ब्रह्मघातिनी और तीसरे दिन धोबिन जितनी अपवित्र होती है। चौथे दिन स्त्री स्नान करके पुनः पवित्र होती है।

अब यदि हमारी पुत्री पूर्ण विधि-विधान पूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत रखे तो इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। पिता की आज्ञा के अनुसार कन्या ने विधि-विधान पूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत किया और सारी समस्याओं से छुटकारा पा लिया।
ऋषि पंचमी के व्रत रखने से अगले जन्म में अटल सौभाग्य मिलता है और सुखों की प्राप्ति होती हैं।

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ऋषि पंचमी की कथा – 2

सतयुग में एक नगरी जिसका नाम विदर्भ था। उस नगरी में सुमित्र नाम का कृषक रहता था। सुमित्र की पत्नी का नाम जयश्री था जो अत्यंत ही पतिव्रतास्त्री थी। एक दिन जयश्री खेत में काम कर रही थी तभी वह रजस्वला हो गई। उसे रजस्वला होने के पता लगाने के बाद भी घर के काम लगी रही। जब दोनों ने अपनी आयु भोग ली और मृत्यु को प्राप्त हो गए। अगले जन्म में जयश्री को कुत्तिया की और सुमित्र को बेल की योनि मिली क्योंकि दोनों ने ऋतु दोष के अलावा कोई भी पाप कर्म नहीं किया था।

इस कारण दोनों को अपने पूर्व जन्म का संपूर्ण ज्ञान था। कुत्तिया और बैल दोनों अपने पुत्र सुचित्र के यहां रहने लगे। सुचित्र बहुत ही धर्मात्मा व्यक्ति था। उसने अपने माता पिता के श्राद्ध के लिए ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलवाया। सुचित्र ने भोजन के लिए नाना प्रकार के पकवान बनाए। जब सुचित्र की पत्नी कोई काम से रसोई से बाहर गई तो पीछे एक विषैला सांप आया और उसने खीर के बर्तन में विश छोड़ दिया।

यह सब दूर खड़ी कुतिया रूपी सुचित्र की मां देख रही थी। अपने पुत्र को ब्रहम हत्या से बचाने के लिए रसोई में गई और बहू के सामने खीर को झूठा कर दिया। यह देख कर सुचित्र की पत्नी को बहुत ही गुस्सा आया और उसने पास पड़ी लकड़ी उठाकर उसे मरना सुरु कर दिया। किसी तरह से सुचित्र की मां ने अपनी जान बचाई। रोज कुतिया को सुचित्र की पत्नी बचा हुआ खाना देती थी लेकिन आज उस पर गुस्सा होने के कारण उसे कुछ भी खाने के लिए नहीं दिया और बचा हुआ खाना बाहर फिकवा दिया।

शाम के समय सुमीत्र और उसकी पत्नी आपस में बात कर रहे थे की देखो हमे पिछले जन्म के पापा की सजा मिल रही है आज बहु ने मुझे कुछ भी खाने के लिए नही दिया और मेरी भूख के मारे जान निकल रही है। सुमित्र ने कहा आज मुझे भी खेत में बहुत ज्यादा काम करवाया और पीटा भी था। इन दोनों की बात सुचीत्र सुन रहा था। अगली सुबह सुचित्र जगल में ऋषियों के पास गया और अपने माता-पिता को पिछले जन्मों के पापों से मुक्त कराने का उपाय पूछा।

ऋषियों ने कहा यदि तुम और तुम्हारी पत्नी एक साथ ऋषि पंचमी का व्रत करके पूर्ण विधि-विधान पूर्वक पूजा संपन्न करो और इस पूजा का फल अपने माता पिता को अर्पण कर दो तो वे पिछले जन्मों के पापों से मुक्त हो जाएंगे।

ऋषियों के कहे अनुसार सुचित्र एवं सुचित्र की पत्नी ने ऋषि पंचमी की पूजा पूर्ण विधि-विधान पूर्वक पूरी करके दान पुण्य दिया और पूजा का फल अपने माता पिता को अर्पण कर दिया। जिस कारण उन्हें पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिल गई।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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