Home > Festivals > गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है? (महत्व, पूजा विधि, इतिहास और कहानी)

गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है? (महत्व, पूजा विधि, इतिहास और कहानी)

गायत्री जयंती को संपूर्ण भारत के सनातन धर्म के लोग श्रद्धा से मनाते हैं। इस दिन महिलाएं और लड़कियां व्रत करती हैं और पूजा अर्चना करके गायत्री माता से मनोकामना पूर्ण होने की कामना करते हैं। सनातन धर्म में गायत्री माता को एक विशिष्ट महत्व दिया गया है, क्योंकि गायत्री माता सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी की पत्नी है।

गायत्री माता के मंत्र सनातन धर्म में अत्यंत प्रसिद्ध है। विशेष कार्य हेतु तथा शुभ कार्य के समय गायत्री मंत्र पढ़े जाते हैं। धर्म शास्त्रों में गायत्री माता को “वेदमाता” भी कहा गया है।

gayatri jayanti kyon manai jaati hai

हमारे सनातन धर्म के वेदों में गायत्री माता के नाम का एक शब्द है, जिसका मंत्र गायत्री मंत्र कहलाता है। गायत्री मंत्र की शुरुआत सनातन धर्म के अनुसार ऋग्वेद से हुई थी। गायत्री माता को वेदमाता इसीलिए कहते हैं, क्योंकि गायत्री माता के पास वेदों का ज्ञान है।

गायत्री जयंती का महत्व कुंवारी कन्या और महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है। क्योंकि कुंवारी कन्या अच्छे वर और ससुराल की कामना करती है। अच्छे पति की कामना करती हैं तथा महिलाएं अपने सुहाग को अमर रखने की प्रार्थना करती है। इसी संदर्भ में माता गायत्री उनकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं।

गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है? (महत्व, पूजा विधि, इतिहास और कहानी)

गायत्री माता

देवी गायत्री सृष्टि के रचयिता भगवान धर्मा की पत्नी है। देवी गायत्री को भगवान ब्रह्मा के सभी अभूतपूर्व गुणों की अभिव्यक्ति कहा गया है। उन्हें त्रिमूर्ति देवी के रूप में पूजा जाता है‌। गायत्री देवी को सभी देवताओं की माता कहा जाता है। इसके अलावा देवी पार्वती देवी, लक्ष्मी और देवी सरस्वती का स्वरूप भी गायत्री माता में दिखाई देता है। गायत्री माता को विशेष रुप से वेदों की देवी के रूप में पूजा जाता है।

गायत्री जयंती को निर्जला एकादशी भी कहा जाता है। यह पर्व गंगा दशहरा के अगले दिन होता है।‌ कहा जाता है कि इसी दिन गायत्री माता ने अवतार लिया था। इसीलिए गायत्री जयंती को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

धर्म शास्त्र कहते हैं कि जब ऋषि विश्वामित्र ने पहली बार गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था, तब वेदों की देवी नाम से विख्यात गायत्री माता पृथ्वी पर प्रकट हुई थी। इसलिए उस दिन गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। गायत्री मंत्र को सनातन धर्म के शास्त्रों पुराना और वेदों में सर्वोच्च मान्यता दी गई है। वैदिक काल से ही गायत्री मंत्र को महत्वता और महानता दी गई है।

गायत्री को देवी और माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि जो भी सच्चे दिल से माता गायत्री का व्रत रखकर उनकी पूजा और आराधना करता है, देवी गायत्री उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस दौरान गायत्री मंत्र का उच्चारण करना होता है।

गायत्री जयंती कब है?

हर वर्ष गायत्री जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 11 जून को शनिवार के दिन गायत्री जयंती हैं। इस दिन महिलाएं लड़कियां गायत्री पूजा करती है और गायत्री माता की आराधना की जाती है, जिससे प्रसन्न होकर माता गायत्री मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद देती है।

गायत्री जयंती का शुभ मुहूर्त

गायत्री जयंती का शुभ मुहूर्त ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दसवीं के दिन 10 जून शुक्रवार प्राप्त 7:25 पर शुरू होता है जो एकादशी के दिन शनिवार 11 जून को प्राप्त 5:45 पर समापन होता है। इसके अलावा गायत्री जयंती का मुहूर्त अलग-अलग काल में नीचे दर्शाया गया है।

  • अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:30 से शुरू होकर 12:25 पर समापन।
  • विजय मुहूर्त : दोपहर 2:15 से शुरू होकर 3:09 पर समापन।
  • गोधूलि मुहूर्त : शाम 6:35 से शुरू होकर 6:00 बज कर 59 मिनट पर समापन।
  • अमृत काल मुहूर्त : संध्याकाल 5:51 से शुरू होकर 7:21 पर समापन।
  • सायाह्न संध्या मुहूर्त : रात को 11:37 से शुरू होकर 12:18 पर समापन।

गायत्री जयंती की पूजा विधि

  • गायत्री जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना एवं साफ-सुथरे न‌ए वस्त्र पहनने चाहिए।
  • घर के या मंदिर के सभी देवी देवताओं को साफ वस्त्र से स्वच्छ करना चाहिए।
  • पीले वस्त्रों पर सभी देवी देवताओं की मूर्ति रखें, विशेष रूप से माता गायत्री की मूर्ति को रखकर साफ करें।
  • गायत्री माता और सभी देवी देवताओं की मूर्तियां तस्वीर के ऊपर गंगाजल, गोमूत्र का छिड़काव कर के पवित्र करें।
  • अब पूजा स्थल पर साफ लाल वस्त्र को बिछाकर उसके ऊपर देवी देवताओं को विराजमान करें।
  • अब घी से दीपक जलाएं और धुपबति जलाएं।
  • गायत्री माता को पुष्प, चंदन, घी, माला, हल्दी, कुमकुम इत्यादि अर्पित करें।
  • अब पवित्र मन से घी के दीपक से गायत्री माता की आरती उतारे।
  • सच्चे मन से 108 बार गायत्री मंत्र “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्” का जाप करें।
  • गायत्री माता की आरती और पूजा विधि संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरण करें।

गायत्री जयंती का महत्व

सनातन धर्म में गायत्री माता का विशेष महत्व माना गया है क्योंकि गायत्री माता को वेदों का ज्ञान है। इसीलिए उन्हें वेदों की देवी भी कहा गया है। गायत्री माता के मंत्र का सदियों से जाप किया जाता है। धर्मगुरु ऋषि मुनि तथा धर्म को मानने वाले लोग गायत्री माता को और उनके मंत्र को अत्यंत महत्वता देते हैं।

धर्म शास्त्रों के अनुसार गायत्री माता की पूजा करना, उनकी आराधना करना तथा उनके मंत्रों का जाप करना, यह सभी वेदों के अध्ययन के समान ही है। सनातन धर्म में देवी देवताओं का बहुत बड़ा महत्व है। विशेष रूप से सनातन धर्म में देवताओं की पूजा की जाती है। देवियों की पूजा लड़कियां और महिलाएं विशेष रूप से अच्छे पति की कामना और अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर उपहासना करती हैं।

गायत्री मंत्र का जाप करने से मस्तिष्क मजबूत होता है और बुद्धि का विकास होता है। इसीलिए शिक्षा के क्षेत्र में भी गायत्री मंत्र का अत्यंत महत्व रखा गया है। ताकि विद्यार्थियों को याद रखने की क्षमता हो और शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें सहयोग मिले।

सनातन धर्म की संस्कृति में प्राचीन काल से ही सभी देवी देवताओं को अलग-अलग स्वरूप और अलग-अलग कार्य के लिए अलग-अलग कामनाओं के लिए पूजा जाता है। गायत्री जयंती के दिन विशेष रूप से मनोकामना को पूर्ण करने के लिए गायत्री माता का व्रत रखा जाता है और गायत्री माता की उपासना की जाती है।

कहा जाता है कि इसी दिन गायत्री माता ने अवतार लिया था, जिससे मनुष्य का कल्याण हुआ और लोगों को जीवन जीने की राह मिली। उसी दिन से सनातन धर्म में हर्षोल्लास से आस्था के साथ गायत्री जयंती मनाई जाती है।

निष्कर्ष

गायत्री जयंती को सनातन धर्म में विशेष महत्व दिया गया है, क्योंकि गायत्री माता को वेदों का ज्ञान है तथा गायत्री माता सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी की पत्नी है। इसीलिए सनातन धर्म में गायत्री माता और गायत्री मंत्र को विशेष महत्व दिया गया है।‌ सनातन धर्म में लोग अपनी आस्था से गायत्री माता का जाप करते हैं और माता गायत्री की पूजा करते हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि गायत्री जयंती का इतिहास क्या है?, गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है?, गायत्री जयंती कब मनाई जाती है?, गायत्री जयंती की पूजा पद्धति क्या है?, गायत्री जयंती का महत्व क्या है? इत्यादि।

गायत्री जयंती से संबंधित संपूर्ण तरह की जानकारी इस आर्टिकल में बताई है। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

यह भी पढ़ें

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? (महत्व, इतिहास और कहानी)

मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है और क्यों मनाई जाती है?

हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है?

दुर्गा अष्टमी की कहानी

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment