Hariyali Teej in 2021: हरियाली तीज त्योहार हमारे हिन्दू धर्म में सबसे विशेष त्योहार माना जाता हैं। यह त्योहार सावन मास में मनाया जाता हैं और सावन के महीने में शिव जी की पूजा भी की जाती है।
हरियाली तीज त्यौहार आस्था, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार “शिव जी और पार्वती जी” के पुनः मिलन के उपलक्ष में मनाया जाता हैं। चारों तरफ हरियाली और हरियाली का मौसम होना से इस त्योहार को हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार को शादीशुदा महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है।
इस साल हरियाली तीज का त्योहार ११ अगस्त २०२१ को पड़ेगा। सावन में रक्षा बंधन का त्योहार भी आता है, मानसून के त्योहार पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है।
खासकर यह त्योहार उत्तर भारतीय के राज्यों में बड़े उत्सवों और धूम धाम के साथ मनाया जाता है, जैसे पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और आदि राज्यों में मनाया जाता है। आप लोग अगर नहीं जानते है, कि ये त्योहार कब मनाया जाता है? आपके लिए तीज का त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष चंद्रमा का पखवाड़ा के तीसरे दिन में मनाया जाता है।

हरियाली तीज क्या है, महत्व, कथा और पूजा विधि | Hariyali Teej in 2021
हरियाली तीज कब है?
हरियाली तीज त्योहार उस समय आता है, जब भारत में हरियाली ही हरियाली का मौसम होता है और जब मानसून भारत पर हावी होना लगता है, तीज में चारों तरफ हरियाली और हरियाली की चादर बिछी हुई होती है। अर्थात ऐसा कहते कि जब प्रकृति खुश होती है। पेड़ की शाखाओं पर झूले पड़े होते हैं।
हरियाली तीज को पूर्व उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के नाम से मनाते है। महिलाओं के लिए ये त्योहार का एक विशेष महत्व होता है। आसपास का वातावरण हरे-भरे हरियाली ही हरियाली से आच्छादित होता है। इस कारण वर्ष से भी है, इस त्योहार को हरियाली तीज (हरी-तीज) के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली तीज पर्व क्या होता है?
हरियाली तीज का त्योहार शादीशुदा महिलाओं के लिए, इस पर्व का बहुत महत्व होता है। तीज का त्योहार माता पार्वती जी और भगवान शिव जी को समर्पित है। ये भी कहा जाता है कि इस त्योहार में माता पार्वती जी ने शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अपने पूरे तन और मन से करीब १०८ वर्ष तक तपस्या की थी।
माता पार्वती के तप से खुश होकर भगवान शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था। हरियाली तीज ये पावन पर्व माता पार्वती जी को समर्पित किया गया है, इसलिए माता पार्वती जी को तीज माता भी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस शिव जी ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में कर लिया था। इसलिए माता पार्वती जी जो तीज माता भी कहते है।
इस त्योहार में शादी के बहुत खूबसूरत बंधन का जश्न मानते है। ऐसा माना जाता है कि जो महिला तीज त्योहार मनाती है, वह अपने पति के आस पास कभी भी किसी तरह कि नकारात्मकता को दूर कर देती है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो महिलाएं इस दिन तीज का व्रत रखती हैं। उनका अपने पति के साथ बहुत अच्छा संबंध मजबूत रहते है।
हरियाली तीज व्रत का महत्व
हरियाली तीज का व्रत बहुत महत्व माना गया है, ऐसा भी कहते है कि चारों तीजो में से हरियाली तीज के व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। प्राचीन काल के अनुसार माता पार्वती जी की सहेलियों ने उन्हे घने जंगल में ले जाकर छिपा देती है, जिनसे उनके पिता जी विष्णु जी से उनकी शादी नहीं करा पाए। शादीशुदा महिलाएं हरियाली तीज का त्योहार क्यों मनाया जाता है? वह एक गहरी आस्था है।
हरियाली तीज व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती है। इस व्रत की एक काश मान्यता है कि जो सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती है उन्हे माता पार्वती और शिव जी का उन्हे अखंड सौभाग्यवती होना का वरदान पर्यापत होता है।
वहीं अगर कुंवारी लड़की इस व्रत को करती है तो उन्हे मन चाहे वर की प्राप्ति भी होती है। जैसे माता पार्वती के तप से खुश होकर शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था। हरियाली तीज ये पावन पर्व माता पार्वती जी को समर्पित किया गया है इसलिए यह माना जाता है कि माता पार्वती जी को तीज माता भीं खा जाता है। इसलिए माता पार्वती जी जो तीज माता भी कहते है।
हरियाली तीज कैसे मनाए?
तीज वाले दिन महिलाएं सुबह सुबह अपने घरों का काम करने के बाद तैयार होती है और सुन्दर सा श्रृंगार करती हैं। विधि-विधान से भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करती है और हरियाली तीज की कथा सुनती हैं। सावन मास के महीने में चारों तरफ हरियाली और हरियाली होने के कारण हरे रंग का इस पर्व में विशेष महत्व है।
हरियाली तीज के पावन और शुभ दिन पर शादीशुदा महिलाएं नए नए कपड़े पहनती हैं, अधिमानतः हरी साड़ी और हरी चूड़ियाँ, झूले तैयार करती हैं और तीज गीत गाते हुए झूले का इस्तेमाल करती हैं। तीज वाले दिन कि एक मेहंदी की अहम भूमिका होती है, तीज से एक दिन पहले महिलाएं अपने हाथों में सुन्दर सुन्दर मेहंदी से सजाती हैं।
कुछ महिलाएं इस दिन अपने अपने पतियों के लिए वैसे ही व्रत रखती हैं, जैसा वो करवा चौथ पर करती हैं और कुछ इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं, जहां वे चांद देखने तक पूरे दिन कुछ भी नहीं ही खाती और नहीं ही कुछ पीती हैं।
हरियाली तीज के अवसर पर महिलाएं नाचती है और गाती है। मंदिरों में भी गीत गाये जाते है। इस दिन भक्तों को मान- सून को चिह्नित करने के लिए फूलों और पानी की वर्षा भी की जाती है। झुल्लन लीला भी कि जाती है और फूलों से लदे झूलों पर झूला झूलने का आनंद भी लिए जाता है और इस दिन सभी महिलाएं बहुत अच्छे सेलेती हैं। हालाँकि, इस बार महामारी के कारण वर्ष आप उन्हें इस वर्ष मंदिरों में नहीं पा सकते हैं।
हरियाली तीज त्योहार में ऐसा माना जाता है कि जिस-जिस महिला के हाथ में मेहंदी का रंग जितना गहरा और गहरा होता है, उसे उसका पति उतना ही ज्यादा से ज्यादा प्यार करता है। हरियाली तीज के पवन अवसर पर घर में नए और नए पौधे लाना को भी शुभ माना जाता है।
हरियाली तीज की सामग्री
हरतालिका तीज के व्रत में विभिन प्रकार की तीज व्रत में सामग्री लगती है। जैसा हरियाली तीज की पूजा में लकड़ी की चाैकी, कलश, फल, गीली मिट्टी या फिर रेत, केले का पत्ता, लाल व पीले रंग के फूल, धतूरा, नारियल, शमी पत्र, बेल पत्र, तुलसी की पत्ती, नया वस्त्र, अकांव का फूल, जनेउ, दीपक, कुमकुम, देशी घी, कपूर, तेल, चन्दन, अबीर, सुपारी, सिंदूर आदि को शामिल किया जाता है।
दही, पंचामृत, घी, दूध, शक्कर, मिठाई, शहद भी शिव जी और माता पार्वती जी को अपर्ण किया जाता है और इसके अल्वा माँ गौरी जी के लिए पूरा सुहाग का सामान भी लिया जाता हैं जैसा चूड़ी, काजल, बिछिया, बिन्दी, कुमकुम, शीशा, आलता, सिन्दूर, माहौर, कंघी,कंघा, लिपिस्टिक, मेहंदी आदि चढ़ाया जाता है।
हरियाली तीज की पूजा विधि विधान से की जाती हैं और तीज वाले दिन शिव जी और पार्वती जी की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं। तीज के पावन अवसर ये भी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व विधि और विधान से पूजन करने पर शिवजी और माता पार्वतीजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
हरतालिका तीज में क्या खाया जाता है?
आप अगर हरियाली तीज का व्रत रखने जा रही हैं, तो हम आपको कुछ महत्व बात बताने जा रहे हैं, उन विश्वास चीजों के बारे में जिन्हें अगर आप अपने व्रत को शुरू करने से पहले सरगी में खा लेंगी, तो आपको व्रत के दौरान पूरे दिन न तो आपको भूख लगेगी और ना ही प्यास लगा गई। तीज का व्रत बड़े ध्यान से करना होता हैं जभी आपको उसके फल की प्राप्ति होती हैं।
तीज को व्रत का शादीशुदा महिलाएं इस दिन निर्जला रखती हैं। माता पार्वती जी और शिव जी की पूजा करती हैं।
यह तीज त्योहार भी पति की लंबी उम्र की कामना और नकारात्मकता को दूर करने के लिए ही मनाया जाता है। लेकिन व्रत से एक दिन पहले शरू हो जाता है और जो सास अपनी बहू को देती है और जिसमें सुहाग की चीजों के अलावा खाने और पीने की भी कई तरह का सामान भी शामिल होता हैं।
आप व्रत शरू करने से पहले अनार खाएं या फिर उस का जूस पिएं तो अगर आप चाहें तो व्रत को शुरू करने से पहले ही, सरगी में अनार के दाने खा सकती हैं और या फिर अनार का जूस निकाल कर पी सकती हैं। इससे आपको दिन भर में बरपुर मात्रा में एनर्जी मिल जाए गी और आपको ये जान कर बहुत हैरानी होगी कि अनार और अनार के जूस से विटमिन सी की डेली जरूरत में भी 40 फीसदी हिस्सा पूरा हो जाता है।
ताजे फल खाएं और साथ में ताजे फलों में पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है और ऐसे में सरगी में ताजे फल ज्यादा खाने से आपको दिन भर शरीर में हाइ ड्रेशन की कमी बिकुल भी महसूस नहीं हो पायेगी और आप व्रत अच्छे से कर पायेगी। अगर खास तौर पर आप अपने चाहें तो फलों को सरगी में शामिल करें ले ताकि जिसे व्रत वाले दिन प्यास ही न लगे।
हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज का व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले ही उठ जाती हैं और स्नान करने के बाद पूरा श्रृंगार करती हैं। फिर पूजा करने के लिए केले के पत्तों से मंडप बना कर शिवजी और माता पार्वतीजी की प्रतिमा स्थापित की जाती है और फिर उसके बाद माता पार्वतीजी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। तीज के व्रत वाले पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
तीज वाले दिन सबसे पहले महिलाओं को जल्दी जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और अपना शीघ्र ही शृंगार करना चाहिए और इसके बाद शुद्ध और शांत मन से पूजा के लिए बैठ कर (उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये) मंत्र का जाप करना चाहिए।
तीज का व्रत करने से पहले एक बात को जरूर ध्यान रखे कि पूजा शुरू करने से पहले काली मिट्टी से शिवजी और पार्वतीजी और गणेशजी की मूर्ति को बना लेनी चाहिए और फिर एक सुन्दर थाली में सुहाग की सारी सामग्रियों को सजाकर पार्वती जी को चांदनी चाहिए। फिर उसके बाद शिव जी को वस्त्र चढ़ाना चाहिए और फिर तीज व्रत की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए।
हरियाली तीज कथा
हरियाली तीज की व्रत कथा एक पौराणिक कथाओं में से एक है। इस कथा में ऐसा बताया गया है कि माता पार्वती जी इस दिन सैकड़ों वर्षो की साधनाएं तप के बाद भगवान शिवजी से मिली थी और यह भी कहा जाता है कि भगवान शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती जी ने १०७ बार जन्म लिया था और फिर भी उसका बाद माता पार्वती जी को पति के रूप में शिवजी प्राप्त नहीं हुए था।
फिर जब १०८ जन्म पार्वती जी हुआ था और फिर उनका जन्म हिमालय राज जी के घर पार्वतीजी ने पुनर्जन्म लिया था। उन्हे बचपन से ही शिव जी को पति के रूप में पाने की कामना की थीं। काफी समय बीत जाने के बाद एक दिन नारद मुनी राजा हिमालय जीं से मिलने गए।
नारद मुनी ने राजा हिमालय जी को माता पार्वती जी की शादी के लिये विष्णु जी का नाम सुझाया। नारद मुनी ने राजा हिमालय जी को माता पार्वती जी की शादी के लिये विष्णु जी का नाम सुझाया। राजा हिमालय जी को बात बहुत ही अच्छी लगी। राजा हिमालय जी ने भगवान विष्णु जी को दामाद के रूप में स्वीकराने की सहमती दे दी।
या बात जब माता पार्वती को पता चली की उनकी शादी विष्णुजी से तय कर दिया गया है तो वह बहुत दुखी हुई और फिर वह शिवजी को पाने के लिये एकांत जंगल में चली गई, फिर वह उन्होने रेत से एक शिवलिंग बना दिया और फिर शिव जी की आराधना या तप करने लगी, जिससे फिर शिव जी बहुत खुश हो गए और माता पार्वती जी की मनोकामना पूरी कर दी।
जब पर्वत राज हिमालय जी को पार्वती जी के दिल की पता चली तो फिर उन्होने शिव जी और माता पार्वती जी शादी के लिये तैयार हो गए। जभी से शिवजी माता पार्वती जी को पति के रूप में मिल सके तभी से तीज का व्रत शुरू हो गया।
तभी से तीज वाले शादी शुदा महिलाएं व्रत रखती हैं और उनके पति की लम्बी उम्र की परतना करती है और साथ ही माता पार्वती जी के कहने पर शिव जी ने यह आशीर्वाद दिया था कि जो कुंवारी कन्या तीज का व्रत रखेगी, उसका शादी में आने वाली सारी मुश्किल दूर हो जाएगी और साथ में उसे अच्छा पति प्रताप होगा।
शादीशुदा महिलाओं को इस व्रत से सौभाग्य की प्राप्ति होगी और साथ ही उनके पति का साथ उनका विवाहित जीवन का सुख ले सकेंगी। इसीलिए इस व्रत को कुंवारी और सुहागन दोनों ही रखती हैं। इसलिए ये तीज का त्यौहार मनाया जाता है।
हरियाली तीज के विशेष मंत्र
- देवि देवि उमे गौरी त्राहि माम करुणा निधे, ममापराधा छन्तव्य भुक्ति मुक्ति प्रदा भव।
- गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया। मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।
- उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये
- श्री भगवते साम्ब शिवाय नमः
अंतिम शब्द
इस आर्टिकल में हमें पूरी कोशिश की है की आपको Hariyali Teej 2021:- कब है हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व, हरियाली तीज पर्व के बारे में संपूर्ण माहिती प्रदान हो। अगर आपको इस आर्टिकल के प्रति कोई भी सुझाव हो तो आप कमेंट करके जरुर बताएं।
Read Also