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दुर्गा अष्टमी की कहानी

                    

Durga Ashtami ki Kahani: नमस्कार दोस्तों, हम आपके सामने एक ऐसी कथा लेकर आ रहे हैं जो पौराणिक और धार्मिक है, जिसे शायद बहुत कम ही लोगों को पता होता है। लेकिन न पता होने के कारण भी हम उस को मानते है। हम जिस त्यौहार को मनाते, उसके विषय मे जानकारी जरूर होनी चाहिए तभी त्यौहार भी अच्छा होता है और खुशी मनाने में भी अच्छा लगता है।

साल में 365 दिन होते है, उनमें से कुछ खास महीनों में 9 दिन ऐसे है आते है, जो माता रानी के होते है। जिनमें 9  देवियों की पूजा की जाती है। इस 9 दिन को ही नवरात्रि कहा जाता है। भारत मे लोग इस समय को बड़े ही सुंदर ढंग से मनाते है। इसमें झाँकीय सजाई जाती है, माता की आरती की जाती है, पूजा भी होती है और लोग अपनी मनोकामना के लिए उपवास भी रखते है।

durga ashtami ki kahani
Image: durga ashtami ki kahani

नवरात्रि ग्रीष्म के समय अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में होती है और शीतकालीन समय मे यह अक्टूबर माह में पड़ती है। इस 9 दिनों में किये गए कार्य बड़े ही शुभ माने जाते है, जो अत्यंत ही सुंदर ढंग से मनाए जाते है। लोग इस नवरात्रि में ही घर के लिए समान खरीदते है।

इस समय के बीच 8वें दिन एक ऐसे दिन माना जाता है, जो एक ऐसी देवी की पूजा की जाती है। जिन्होंने ने इस जीवन जगत में असुरों का नास किया था और इस दिन को अष्टमी के नाम से जाना जाने लगा था। तो चलिए जानते है इसे क्यों मानते है।

दुर्गा अष्टमी की कहानी | Durga Ashtami ki Kahani

प्राचीन समय मे जब स्वर्ग पर असुरों ने अपना कब्जा जमाने का सोच और उस पर चढ़ाई करके स्वर्ग के राजा इंद्र से युद्ध किया। उन असुरों में से सबसे शक्तिशाली असुर महिसशुर था, जिसमें स्वर्ग के राजा इंद्र की हार हो जाती है। तब इंद्र तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव के पास जाते है और उनसे प्रार्थना करते है। फिर वे भगवान विष्णु के पास जाते है तथा ब्रम्हा के पास जाते है। तब तीनों देवता मिल कर एक ऐसी आदिशक्ति को प्रकट करते है, जो अत्यंत ही शक्तिशाली होती है।

जब आदि शक्ति का जन्म होता है तभी सभी देवता वही उपस्थित होते है, जिन्होंने आदि शक्ति को अपनी ही  इच्छानुशार शक्ति देते है, जिससे आदि शक्ति और भी शक्तिशाली हो जाती है।

महिषासुर सभी जगह अपना आधिपत्य जमा रहा था, उसने ऋषि मुनियों को भी असुर बना दिया था और अगर जो इसकी बात नहीं मानता था, वह उसे मार देता था। जगह-जगह पर हो रहे यज्ञ को उसने भंग कर दिया था। बहुत ही दुष्ट था, वह बहुत अत्याचार कर रहा था।

तभी महिसशुर और माँ दुर्गा के बीच लड़ाई होती है, जिसमें मां दुर्गा सभी असुरों का नाश कर देती है। अपने त्रिसूल से महिषाशुर का वध कर देती है और इसी दिन को दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा। इसे लोग बहुत ही धूम धाम से मनाते है। अच्छे अच्छे पकवान भी बनाते है और गीत संगीत होता है लोग ढोल मंजीरा से नाच गाना करते है।

सभी देवियों में दुर्गा को ही सबसे सर्वोपरी माना गया है, जिन्होंने असुरों का वध करने के साथ ही अपने भक्तों के द्वारा प्रसंसा करने पर उन्हें वरदान देती है और मुसीबतों से बचाती है। आप सबको इन सबका उदाहरण फिल्मों में देखने को मिल ही गया होगा, लेकिन यह सभी घटना सत्य है।

इनकी आरती में भी कहा गया है कि “सूदन को आंख दे कोढ़िन को काया, मझींन को पुत्र दे” अर्थात अन्धो को आंखे दे और जो व्यक्ति गरीब होते है, उनको धन से भर दे, मंझिन को पुत्र दे अर्थात जिन स्त्रियों को पुत्र नसीब नहीं होता है, उन्हें पुत्र देती है।

नवरात्रि में नव देवियों की पूजा की जाती है। नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी (दुर्गा) का नाम दिया गया है।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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