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राधा अष्टमी व्रत कथा

राधा अष्टमी व्रत कथा | Radha Ashtami Vrat Katha

श्री राधा रानी श्री कृष्ण के साथ गोलोक में निवास करती थी। एक दिन राधा रानी गोलोक में नहीं थी। उस समय श्री कृष्ण जी एक सखी विराजा के साथ विहार कर रहे थे। जब राधा रानी को यह पता चला तो उन्होंने श्री कृष्ण को बहुत भला बुरा कहा, राधा रानी श्री कृष्ण से बहुत ज्यादा कुपित हो गई थी।

Radha Ashtami Vrat Katha
Images:- Radha Ashtami Vrat Katha

राधा जी को इस प्रकार को कुपित देखकर विराजा वहां से नदी के रूप में निकल गई। श्री कृष्ण को भला बुरा कहने के कारण श्री कृष्ण के मित्र श्रीदामा ने राधा जी को पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे दिया। राधा जी को इस बात पर क्रोधित होकर श्रीदामा को राक्षस कुल में जन्म लेने का श्राप दे दिया। राधा जी के श्राप से श्रीदामा शंख चूर राक्षस के रूप में जन्म लिया, जो आगे जाकर भगवान विष्णु का परम भक्त बना।


श्रीदामा के श्राप के कारण राधा जी ने पृथ्वी पर वृषभानु के घर में उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। वृषभानु वृषभानुपुरी के उदार राजा थे। वृषभानु महाकुल में जन्मे थे, चारों वेदों और पुराणों का संपूर्ण ज्ञान था उन्हें। वह आठ सिद्धियां से युक्त थे श्रीमान धनी उदारचितथा थे।

वे संयमी, कुली, सदाचार से युक्त और भगवान विष्णु के आराधक थे। उनकी भारिया श्रीकीर्तिधा थी, वह रूप सौंदर्य में श्रेष्ठ थी और महाकुल में उत्पन्न हुई थी। वह सर्वगुण संपन्न और महालक्ष्मी की तरह पतिव्रता स्त्री थी। राधा जी वृषभानु और श्रीकीर्तिधा के पुत्री के रूप में अवतरित हुई ना कि उनकी कोख से जन्म लिया।


जब राधा जी और श्रीदामा एक दूसरे को श्राप दे दिया तो श्री कृष्ण राधा जी से बोले आपको अब पृथ्वी पर वृषभानु की पुत्री के रूप में रहना होगा। वहां आपका विवाह रायाण नमक वैश्य से होगा जो मेरा ही अंशावतार होगा। पृथ्वी पर भी आप मेरी प्रियतमा के रूप में ही रहोगे। उस रूप में हमे बिछड़ने का दुख सहन करना होगा। अब आप पृथ्वी पर अवतरित होने की तैयारी कर लीजिए। सांसारिक दृष्टि से देवी श्रीकीर्तिधा गर्भवती तो हुई किंतु जोगमाया की कृपा से उनके गर्भ में केवल वायु ही प्रवेश की ओर उन्होंने वायु को ही जन्म दिया। प्रसव के पीड़ा के दौरान राधा रानी उनकी पुत्री के रूप में वहां प्रकट हुई।


जिस दिन राधा जी प्रकट हुई वह भाद्रपद शुक्ल अष्टमी का दिन था। इसलिए भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को राधा अष्टमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से हमें सभी सांसारिक सुख आनंद प्राप्त होते हैं।

ऋषि पंचमी व्रत कथा

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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