Home > Featured > रानी पद्मावती का इतिहास और कहानी

रानी पद्मावती का इतिहास और कहानी

Rani Padmavati History in Hindi: हमारे देश में अनेकों महान वीर रानियां हुई। उन रानियों की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। वे रानियां आज की नारियों के लिए शान है और नारी शक्ती के उदाहरण है। आज के पोस्ट में हम ऐसी ही भारत की एक रानी के इतिहास को लेकर आए हैं, जो इतिहास के पन्नों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह है रानी पद्मिनी।

इन्हें पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है, जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थी। इनका इतिहास बारहवीं और तेरहवीं सदी का हैं। उस समय दिल्ली के सिंहासन पर दिल्ली संतनत का राज हुआ करता था। इन सुल्तानों ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए कई बार मेवाड़ पर आक्रमण किया।

Rani Padmavati History in Hindi
Image: Rani Padmavati History in Hindi

इन आक्रमणों में से एक आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी ने सुंदर रानी पद्मिनी को पाने के लिए किया था और उनके पति की हत्या कर दी थी। फिर रानी अपनी आबरू बचाने के लिए चिता में कूद गई। रानी पद्मावती की इन कहानियों को कई इतिहासकारों ने अपने किताबों में लिखा।

यहाँ तक की कवी मलिक मुहम्मद जायसी ने इन पर एक कविता भी लिखी है। तो चलिए जानते हैं रानी पद्मावती की पूरी कहानी (rani padmavati ki kahani) के बारे में विस्तार से।

रानी पद्मावती का इतिहास और कहानी | Rani Padmavati History in Hindi

रानी पद्मिनी के बचपन के बारे में

रानी पद्मिनी का जन्म 12वीं से 13वीं सदी के मध्य श्रीलंका के सिंहल साम्राज्य में राजा गंधर्व सेन के यहां हुआ था। इनके माता का नाम चंपावती था। रानी पद्मिनी का बचपन में किसी भी व्यक्ति से मिलना जुलना मना था। इसीलिए वह हीरामणि नाम के एक तोते को अपना दोस्त बना लिया था और अपना पूरा बचपन उसी के साथ बिताया।

रानी पद्मिनी का रतन सिंह से विवाह

रानी पद्मिनी बचपन से ही काफी सुंदर थी, जिसके कारण इनके पिता इनके प्रति काफी सुरक्षात्मक भाव रखते थे।इसीलिए उनके पिता ने बचपन से ही उन्हें कहीं आने-जाने और किसी से मिलने-जुलने से मना कर दिया था। इसलिए रानी पद्मिनी ने एक तोता जिसका नाम हीरामणि था, उससे दोस्ती कर ली।

लेकिन यह दोस्ती काफी घनिष्ठ हो गई। लेकिन इतनी घनिष्ठता देखकर उनके पिता को चिंता सताने लगी। इसलिए उन्होंने इस तोते को मरवाने का आदेश दिया। लेकिन तोता अपनी जान बचाकर जंगल की ओर उड़ जाता है। लेकिन वहां पर किसी शिकारी के द्वारा पकड़ा जाता है। फिर वह शिकारी उस तोते को पकड़कर किसी ब्राह्मण को बेच देता है।

ब्राह्मण उस तोते को चित्तौड़ के राजा रतन सिंह को दे देते हैं। तोते के क्रियाकलापों को देखकर राजा बहुत प्रसन्न होते हैं, इसीलिए वे तोते को ब्राह्मण से खरीद लेते हैं। फिर वह तोता राजा रतन सिंह को बस रानी पद्मिनी की सुंदरता का बखान करता रहता है, जिसके कारण राजा को रानी पद्मिनी को देखने की तीव्र इच्छा होती हैं।

रानी पद्मिनी के सुंदरता के बारे में सुनकर राजा रतन सिंह उनसे मिलने के लिए व्याकुल हो जाते हैं और जब उन्हें पता चलता है कि रानी पद्मिनी के पिता ने उनके लिए स्वयंवर आयोजित किया है तब वे अपने 16000 सैनिकों के साथ सिंहल साम्राज्य पर आक्रमण कर देते हैं।

लेकिन रतन सिंह को हार का सामना करना पड़ता है और उन्हें कैद कर लिया जाता है। लेकिन बाद में जब पद्मिनी के पिता गोवर्धन सेन को राजा रतन सिंह के गायक द्वारा पता चलता है कि वह चित्तौड़ के राजा हैं तो अपनी बेटी का विवाह रतन सिंह से करवा देते हैं।

यही नहीं बल्कि राजा रतन सिंह के साथ आए 16000 सैनिकों का भी विवाह सिंगह साम्राज्य के 16000 राजकुमारियों के साथ संपन्न करवा दिया जाता है।

राजा रतन सिंह के द्वारा संगीतकार राघव चेतन का अपमान

राजा रतन सिंह बहुत अच्छे शासक थे, साथ ही कला के संरक्षक भी थे। उनके दरबार में कई प्रतिभाशाली लोग थे। उन्हीं में एक संगीतकार राघव चेतन भी था, जो एक जादूगर भी था। लेकिन लोगों को इसके बारे में पता नहीं था। राघव चेतन अपनी जादू का उपयोग बुरे काम में करता था।

यहां तक कि एक बार उसे बुरी आत्माओं को बुलाते हुए लोगों ने देख लिया। इसके बाद राजा रतन सिंह ने उसे अपमानित करके अपने राज्य से बाहर निकाल दिया। उसके बाद से राघव चेतन रतन सिंह का दुश्मन बन जाता है। इसी दुश्मनी का बदला लेने के लिए राघव चेतन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की मदद लेने चला जाता है।

दिल्ली में राघव चेतन एक जंगल में रुकता है, जहां पर अलाउद्दीन खिलजी अक्सर अपने सैनिकों के साथ शिकार के लिए जाया करता था। एक बार जब सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी अपने सैनिक दल के साथ जंगल शिकार करने के लिए गया तब राघव चेतन बांसुरी से मधुर स्वर निकालता है, जिसे सुनकर राजा और बाकी सैनिक दल दंग रह जाते हैं कि जंगल में इतना मधुर बांसुरी कौन बजा रहा है?

सुल्तान अपने सैनिकों को उस आदमी को ढूंढने के लिए भेज देता है। सैनिक राघव चेतन को पकड़कर खिलजी के दरबार में पेश करते हैं। अलाउद्दीन खिलजी जब उस संगीतकार राघव चेतन के संगीत को सुनता है तब वह उसे अपने दरबार में आने को कहता है।

लेकिन राघव चेतन तो राजा रतन सिंह से बदला लेना चाहता था, इसलिए वह अलाउद्दीन खिलजी को उकसाते हुए कहता है कि मुझ जैसे साधारण संगीतकार को आप अपने दरबार में क्यों बुलाना चाहते हैं? जब इस दुनिया में इतनी सुंदर चीजें हैं।

अलाउद्दीन खिलजी कुछ समझ नहीं पाता। तब राघव चेतन रानी पद्मिनी की सुंदरता का बखान अलाउद्दीन खिलजी के सामने करता है। रानी की सुंदरता का बखान सुनकर सुल्तान की वासना जाग उठती है और वह रानी को पाने की लालसा करने लगता है।

यह भी पढ़े

अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मिनी को देखने चित्तौड़ पहुंचता है

राघव चेतन के द्वारा रानी पद्मावती की सुंदरता का बखान सुनकर अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती को देखने के लिए चित्तौड़ा पहुंचता है, जहां पर वह रतन सिंह को कहता है कि वो रानी को अपनी बहन के समान मानता है और वह उनसे एक बार मिलना चाहता है।

रतन सिंह सहमति दे देते हैं। लेकिन चित्तौड़ की रानियां किसी भी पराए मर्द के सामने अपना चेहरा नहीं दिखाती थी, इसीलिए रानी आईने में अपना चेहरा दिखाने के लिए राजी होती हैं। अलाउद्दीन खिलजी जब रानी पद्मावती के एक झलक को आईने में देखता है तो उसकी सुंदरता को देखकर वह उस पर मोहित हो जाता है और उसे पाने के लिए चाल चलता है।

वह अपने शिविर में वापस लौटता है और मौका देख रतन सिंह को अपना बंदी बना लेता है और फिर रानी पद्मावती की मांग करता है।

राजा रतन सिंह को बचाने गोरा और बादल पहुंचते हैं

अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा रतन सिंह को बंदी बनाने की खबर जब गोरा और बादल तक पहुंचती है तो वे अगले दिन भोर होते ही किले से 150 पालकियां खिलजी के शिविर की तरफ लेकर रवाना हो जाते हैं। पालकियों को देखकर रतन सिंह को लगा कि शायद पालकियों में उनकी रानी पद्मिनी और बाकी दूसरी दासियां है, जिसके वजह से उन्हें बहुत अपमानित महसूस होता है।

लेकिन बाद में अचानक से पालकी से सभी सशस्त्र सैनिक निकलते है और रतन सिंह को छुड़ाकर अलाउद्दीन के खिलजी के घोड़े को चुराकर घोड़े पर बैठकर तेजी से किले की ओर भागते हैं। लेकिन बीच में लड़ाई के दौरान घोड़ा वीरगति प्राप्त हो जाता है लेकिन बादल रतन सिंह को सुरक्षित किले पर पहुंचा देता है।

अलाउद्दीन खिलजी ने किया चित्तोड़ पर आक्रमण

जब अलाउद्दीन खिलजी को पता चलता है कि रतन सिंह उसके कैद से बाहर निकल चुके है। तब वह गुस्से में आकर अपनी सेनाओं को लेकर चित्तौड़ पर आक्रमण करने के लिए निकल पड़ता है। सुल्तान के सैनिक किले में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं लेकिन वे नाकाम रहते हैं।

जिसके बाद सुल्तान के सैनिक किले के चारों तरफ घेराबंदी कर लेते हैं, जिसके बाद अंत में रतन सिंह को किले का द्वार खोलना पडता है और फिर रतन सिंह के साथ युद्ध करते है। लेकिन लड़ते हुए रतन सिंह अंत में मारे जाते हैं।

रानी पद्मिनी और बाकी दासियों को जब राजा के मौत के बारे में पता चलता है तब उन्हें लगता है कि अब चित्तौड़ के सभी पुरुष सुल्तान के सैनिकों द्वारा मारे जाएंगे और वहां की नारियों को उनकी गुलामी करनी पड़ेगी। इसीलिए अब इन रानी और दासियों के पास केवल दो ही विकल्प रह जाते हैं या तो वे जौहर कर ले या सुल्तान का निरादर सहे।

अपनी आबरू बचाने के लिए रानी पद्मिनी करती है जौहर

जब चित्तौड़ की महिलाओं के पास जौहर करने या फिर सुल्तान का निरादर सहने जैसे दो ही विकल्प रह गए तब उन्होंने अपनी आबरू बचाने के लिए जौहर करना ही सही समझा। रानी और बाकी सभी महिलाएं विशाल चिता जलाती है और अग्नि कुंड में खुशी से कूद जाती है।

चित्तौड़ के बाकी पुरुषों को जब इसके बारे में पता चलता है तब उन्हें लगता है कि अब उनके पास जीने का कोई मकसद नहीं है, इसीलिए वे केसरी वस्त्र और पगड़ी पहन के मरते दम तक अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों का सामना करते हैं।

अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी विजय पाकर किले में प्रवेश करता है तो वहां पर आग और जली हुई हड्डियों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं बचता। इस प्रकार चित्तौड़ की नारियां अपनी आबरू बचाने के लिए अग्नि कुंड में कूद कर एक महान उदाहरण पेश करती है। आज भी चित्तौड़ के लोग उन औरतों के बलिदान को गर्व से याद करते हैं।

FAQ

रतन सिंह की कितनी रानियां थी?

इतिहास के अनुसार रतन सिंह की दो रानियां थी नागमती और पद्मावती।

क्या रानी पद्मावती का कोई संतान था?

इतिहास के किसी भी पन्नों में इसके बारे में उल्लेखित नहीं है।

क्या अलादीन खिलजी ने रानी पद्मावती को सही में देख पाया था?

मोहम्मद जायसी के अनुसार अलादीन खिलजी ने रानी पद्मावती को कभी नहीं देख पाया, वह मात्र आईने में एक प्रतिबिंब पद्मावती का देख पाया था।

पद्मावत किसने लिखा था?

सन 1540 में सूफी कवि मोहम्मद जायसी के द्वारा पद्मावत लिखा गया था।

पद्मावत कौन सी भाषा में लिखा गया है?

पद्मावत हिंदी भाषा में लिखा गया है।

अलाउद्दीन खिलजी की भाषा कौन सी थी?

अलाउद्दीन अरबी भाषा बोला करता था।

रानी पद्मावती कौन से देश की थी?

रानी पद्मावती श्रीलंका की थी।

चित्तौड़ के अंतिम राजा कौन थे?

राजा अमर सिंह को चित्तौड़ के अंतिम राजा माना जाता है।

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख रानी पद्मावती की कहानी (History of Rani Padmavati in Hindi) पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह लेख कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

यह भी पढ़े

रानी कमलापति का जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास और जीवनी

राजपूतों का इतिहास

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment