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रामनवमी क्यों मनाते हैं और रामनवमी का इतिहास

Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai

Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai: हमारे देश में हर एक भगवान के जन्मदिन को विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है। जैसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है ठीक उसी प्रकार भगवान राम जी के जन्म दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्रि की भी समाप्ति होती है।

इस लेख में रामनवमी का इतिहास, रामनवमी क्यों मनाते हैं (ram navami kyu manate hai), रामनवमी कब मनाई जाती है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

रामनवमी का इतिहास

रामनवमी का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार त्रेता युग में धरती पर रावण का अत्याचार बढ़ गया था, उसके अत्याचार को समाप्त करने के लिए और धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए धरती पर भगवान विष्णु एक सामान्य मनुष्य के रूप में अवतार लेते हैं, जिनका नाम राम रखा जाता है।

दशरथ की तीन पत्नियां थी लेकिन किसी को भी संतान नहीं हो रही थी। अपने वंश को बढ़ाने के लिए राजा दशरथ बहुत परेशान थे। तब पुत्र प्राप्ति के लिए वे ऋषि वशिष्ट के पास जाते हैं, जो उन्हें पुत्रकामेष्ठि यज्ञ कराने की सलाह देते हैं।

राजा दशरथ महर्षि ऋषि श्रंग से यज्ञ करवाते हैं और यज्ञ में भोग के रूप में बनी खीर को तीनों रानियों को खाने के लिए देते हैं। राजा दशरथ खीर की कटोरी अपनी रानियों को दे देते हैं।

कौशल्या और कैकई बारी-बारी से खीर खाती है, उसके बाद दोनों बारी-बारी से सुमित्रा को अपने हाथों से खीर खिलाती हैं। इसके पश्चात 9 महीने के बाद राजा दशरथ के घर पुत्र का जन्म होता है।

कौशल्या भगवान राम को जन्म देती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। कैकई भरत को और सुमित्रा जुड़वा बच्चे शत्रुघ्न और लक्ष्मण को जन्म देती है।

इस तरह भगवान श्री राम का जन्म धरती पर दुष्ट रावण का संघार करने के लिए होता है। वे अपने इस अवतार में रावण का वध करके धरती के लोगों को दुष्टों के अत्याचार से मुक्त कराते हैं। इस तरह भगवान राम के जन्म के शुभ अवसर को हर साल रामनवमी के रूप में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

रामनवमी क्यों मनाया जाता है? (Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai)

शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री विष्णु के साथ में अवतार भगवान राम के जन्म के उपलक्ष में त्रेता युग के समय से ही इस रामनवमी के त्यौहार को आयोजित किया जाता है।

भगवान श्री राम का जन्म रावण के अत्याचारों और उसकी बुराई के नाम को खत्म करने के कारण हुआ था। बुराई का नाश करने और पृथ्वी से दानवों को खत्म करने के लिए एक नये धर्म की स्थापना की गई थी।

भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का त्यौहार मनाया जाता है और इस त्यौहार का आयोजन इस नए धर्म की स्थापना के समय से ही किया जा रहा है।

शास्त्रों के द्वारा यह भी माना जाता है कि भगवान श्री राम रावण के महल लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात मां दुर्गा की उपासना की थी, जिसके कारण चैत्र मास की नवरात्रि के समापन होने के ठीक बाद ही राम नवमी का पर्व शुरू हो जाता है।

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रामनवमी कैसे मनाते हैं?

रामनवमी पूरे भारत में सभी हिंदू परिवार के घर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं। रामनवमी यानी की चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं और फिर भगवान श्री राम और माता जानकी को प्रणाम करते हुए घर की साफ सफाई में लग जाते हैं।

घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्ते का तोरण लगाया जाता है। रामनवमी के दिन सभी के घरों पर गैरवे रंग का ध्वज लग जाता है। पूजा की सारी तैयारी करने के बाद मध्यान्ह पूर्व गंगाजल युक्त पानी से स्नान करते हैं और फिर हाथ में जल लेकर व्रत्त संकल्प लेते हैं।

रामनवमी के दिन भक्तजन पीले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। भगवान राम को समर्पित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर भजन कीर्तन दिनभर आयोजित होता है। भक्त इकट्ठा होते हैं और भजन कीर्तन करते हैं।

रामनवमी के दिन हर कोई मंदिर जाता है और भगवान श्री राम से आशीर्वाद प्राप्त करता है। इस दिन भगवान राम की छोटी मूर्तियों को पालने में रखकर जुलूस भी निकाला जाता है।

कुछ जगह पर मंदिरों में हवन का भी आयोजन होता है। यह हवन अनुष्ठान मान, तन, आत्मा को शुद्ध करने के लिए होता है। मंदिरों में भगवान श्री राम की पूजा होती है। प्रसाद के रूप में मिठाइयां और फल लोगों में वितरित किए जाते हैं।

रामनवमी के दिन पर देश के विभिन्न हिस्सों में राम लीलाओं का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम के द्वारा रावण को पराजित करने और भगवान राम के जीवन से संबंधित कई नाटक के चित्रण का प्रदर्शन होता है।

अयोध्या, रामेश्वरम और सीतामढ़ी में रामनवमी के समय बहुत ज्यादा भीड़ दिखाई देती है। पूरे दिन भर लोगों के मुंह पर भगवान श्री राम का नाम रहता है। दिन भर उपवास रखने के बाद भक्त मिठाई या फल खाकर व्रत खोलते हैं।

कलियुग में राम नाम का महत्व

त्रेता युग के बाद कलयुग का प्रारंभ हुआ। कलयुग पूरे तरीके से हिंसा और अत्याचार से भरा हुआ है। पाप से भरे इस युग में भगवान राम के नाम के स्मरण से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।

माना जाता है भगवान राम के जाप से ही व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं, इसलिए रामनवमी के दिन समस्त भारतीय लोग भगवान राम की पूजा पाठ करते हैं।

रामनवमी त्योहार कब मनाया जाता है?

शास्त्रों में लिखे अनुसार हर वर्ष चेत्रा माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है।

इस तिथि को जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा की नवी शक्ति मां सिद्धिदात्री की भी पूजा होती है। रामनवमी को नवरात्रि का अंतिम दिन माना जाता है।

साल 2024 में रामनवमी 17 अप्रैल को है। भगवान राम की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 से दोपहर 1:38 तक है। इस तरह इस साल रामनवमी के पूजा के लिए 2 घंटे 35 मिनट का समय है।

निष्कर्ष

रामनवमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, जो हर साल भक्तों के द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल अयोध्या में नए मंदिर के निर्माण के बाद रामनवमी के दिन अयोध्या में एक अलग ही दृश्य देखने को मिलेगा। साल 2024 का रामनवमी देश भर के भक्त जनों में एक अलग ही जोश लेकर आएगा।

यहां पर रामनवमी का इतिहास, राम नवमी क्यों मनाया जाता है (Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai), रामनवमी कब मनाई जाती है आदि के बारे में विस्तार से जाना है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आएगी।

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Sawai Singh
Sawai Singh
मेरा नाम सवाई सिंह हैं, मैंने दर्शनशास्त्र में एम.ए किया हैं। 2 वर्षों तक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी में काम करने के बाद अब फुल टाइम फ्रीलांसिंग कर रहा हूँ। मुझे घुमने फिरने के अलावा हिंदी कंटेंट लिखने का शौक है।

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