Ram Kya Hai: इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको रैम से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देंगे। अक्सर जब आप दुकानदार के पास फोन या कंप्यूटर खरीदने जाते है तो आप उनसे यह जरूर पूछते होंगे कि इस कंप्यूटर या फोन में कितनी रैम है।
ऐसा आप इसलिए पूछते है क्योंकि आजकल के सभी युवा यह अच्छी तरह जानते हैं कि अगर हमारे कंप्यूटर या मोबाइल में ज्यादा रैम रहेगी तो बड़े से बड़े गेम भी बिना किसी रूकावट के खेल सकते है। केवल इतनी सी जानकारी से कुछ नहीं हो सकता, आपको रैम क्या है के बारे मे भी जानना चाहिए।
आज के इस पोस्ट में हम आपको रैम से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे है और आज मैं आपको बताने वाला हूँ कि रैम क्या है? (Ram Kya Hai) और यह कैसे काम करता है। इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़े ताकि आपको भी रैम से संबधित सभी जानकारी प्राप्त हो सके।
रैम क्या है? प्रकार, कार्य, विशेषताएं और फुलफॉर्म | Ram Kya Hai
रैम क्या है?
मेमोरी का नाम तो आपने सुना ही होगा, ठीक रैम भी मेमोरी की तरह है। अगर देखा जाए तो मेमोरी दो प्रकार की होती है पहला प्राइमरी मेमोरी दूसरा सेकेंडरी मेमोरी। अगर हम प्राइमरी मेमोरी की बात करें तो यह तीन प्रकार की होती है रोम, रैम और कैचे मेमोरी, अब आपको समझ में आ गया होगा कि रैम भी एक प्रकार की मेमोरी है।
लेकिन इसे प्राइमरी मेमोरी के अंतर्गत रखा गया है। क्योंकि रैम का कंप्यूटर में सबसे महत्वपूर्ण काम होता है। इसलिए इसे मेमोरी के नाम से भी जाना जाता है।
रैम का फुलफॉर्म
यदि हम रैम के फुल फॉर्म की बात करें तो इसको रेंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory) (RAM) कहा जाता है। रैम एक प्रकार से कंप्यूटर की मेमोरी होती है।
अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि कंप्यूटर की मेमोरी हार्ड डिस्क होती है तो फिर यह रैम कंप्यूटर की मेमोरी कैसे हो गया। हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो भी डाटा कंप्यूटर के अंदर सुरक्षित किया जाता है। वह सब हार्ड डिस्क में सेव होता है। लेकिन जब उसमें सुरक्षित मेमोरी को एक्जिक्यूट करना होता है।
यानी हम आसान भाषा में आपको समझाया तो जब मेमोरीज को चलाना होता है तब रैम उस एप्लीकेशन के मेमोरी को अपने अंदर एक्सेस कर उस प्रोग्राम को चलाने का कार्य करता है।
रैम का कार्य क्या है?
जब भी किसी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन को जब चलाना होता है तो रैम उस पार्टीकुलर एप्लीकेशन के डाटा को एक्जिक्यूट करता है और रैम उसी एप्लीकेशन के डाटा को अपने अंदर स्टोर कर रन करने में सहायता प्रदान करता है। मान लीजिए यदि कंप्यूटर में रैम ना हो तो कंप्यूटर को कैसे पता चलेगा की कौन से एप्लीकेशन को चलाना है।
इसलिए कंप्यूटर को चलाने में रैम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्योंकि कंप्यूटर के अंदर बहुत सारे फाइलें और डाटा स्टोर रहती है। यदि कंप्यूटर में रैम ना हो तो तो कंप्यूटर मेमोरी हमारे दिए हुए कमांड के अनुसार कार्य ही नहीं कर पाएगी।
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रैम के प्रकार
यदि हम रैम के प्रकार की बात करे तो मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
- स्टैटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (SRAM)
- डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM)
स्टैटिक रेंडम एक्सेस मेमोरी (SRAM)
जैसे कि स्टैटिक नाम से ही पता चलता है कि स्थिर। यानी इस रैम में जो भी एप्लीकेशन, डाटा या इंफॉर्मेशन रहता है, वह हमेशा स्थिर रहता हैं। हम आपको आसान भाषा में समझाएं तो इसमें डाटा तब तक ही सुरक्षित रहता है, जब तक कंप्यूटर में पावर रहेगी। यानी कि बिजली जाते ही कंप्यूटर में सेव डाटा खत्म हो जाता है।
आप इस रैम का इस्तेमाल बहुत दिनों तक कर सकते हैं और इसको बार-बार रिफ्रेश भी नहीं करना पड़ता है। इस रैम का उपयोग कैच मेमोरी स्टोर करने के लिए किया जाता है और यह DRAM से ज्यादा महंगा होता है।
डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM)
यह स्टैटिक रैम से बिल्कुल अलग होती है। क्योंकि इसे हर बार रिफ्रेश करने की जरूरत पड़ती है। इस रैम की स्पीड SRAM की तुलना में काफी कम होता है और डायनामिक रेंडम एक्सेस मेमोरी बहुत कम दिनों तक चलती है।
डायनामिक रैम जो भी डाटा अपने अंदर स्टोर करता है। वह बहुत धीरे-धीरे पावर को डिस्चार्ज कर देता है और पावर खत्म होते ही डाटा खत्म हो जाता है। अगर इसे आप आसाम शब्दों में समझें तो पावर कट किया तो सारा डाटा खत्म।
रैम कैसे कार्य करता है?
कंप्यूटर में रैम का क्या कार्य होता है यह तो हमने आपको बता दिया है। लेकिन चलिए अब हम आपको बताते हैं कि रैम आखिरकार कैसे काम करता है। आपके पास स्मार्टफोन या कंप्यूटर होगा, जिसमें आपने वीडियो, ऑडियो, फोटो, एप्लीकेशन एवं डॉक्यूमेंट इत्यादि डाउनलोड जरूर किया होगा।
जब आप इन सभी फाइलों को डाउनलोड करते हैं तब यहां मोबाइल या कंप्यूटर के इंटरनल या एक्सटर्नल डिवाइस में स्टोर हो जाता है। लेकिन इन सभी डाउनलोड किए गए एप्लीकेशन का उपयोग करते समय रैम में लोड हो जाता है। हम आपको बता दें कि रैम की स्पीड ज्यादा होती है। जिसकी वजह से कंप्यूटर या मोबाइल फोन इन सभी कार्यों को तेजी से करता है।
रैम से डाटा सीपीयू में जाता है, जिसके बाद प्रोसेस होता है और उसके बाद आपको परिमाण मिलता है। यदि आपके पास कम रैम क्षमता वाले कंप्यूटर या मोबाइल में एक साथ कई एप्लीकेशन चालू करते है तो तब कंप्यूटर हैंग होना शुरू हो जाता है।
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रैम की मुख्य विशेषताएं
- स्टोरेज डिवाइस की तुलना में रैम ज्यादा फास्ट होता है। यानी रैम की इतनी स्पीड किसी भी मेमोरी की नहीं होती है।
- रैम का उपयोग कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी या मेन मेमोरी के रूप में किया जाता है। किसी भी मेमोरी की तुलना में रैम बनाने की लागत ज्यादा होती है।
- सीपीयू का रैम मुख्य भाग होता है। सीपीयू रैम को डायरेक्ट एक्सेस कर सकता है। यदि हम आपको साधारण भाषा में समझाएं तो कंप्यूटर बिना रैम का स्टार्ट भी नहीं हो सकता।
कंप्यूटर की रैम कितनी होती है?
कंप्यूटर की रैम निश्चित नहीं होती है। इसके अलावा कंप्यूटर में कितना रैम होना चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कंप्यूटर पर क्या काम करना चाहते है। मुख्य रूप से घर में चलने वाले कंप्यूटर में 4 से 6 जीबी तक की रैम होती है।
लेकिन प्रोफेशनल कार्यों के लिए 8GB से ऊपर रैम वाले कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा जो ग्राफिक डिजाइन का काम करते है, वह 16 से 20GB रैम वाले कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं।
FAQ
LPDDR का फुल फॉर्म लौ पावर डबल डाटा सिंचरोंस रैम होता हैं।
रैम का फुलफार्म रेंडम एक्सेस मेमोरी होता हैं।
PCDDR का फुल फॉर्म स्टैण्डर्ड डबल डाटा सिंचरोंस रैम होता हैं।
ज्यादा रैम होने से कंप्यूटर की स्पीड बढ़ जाती है और बिना हैंग हुए हम कोई सा भी काम और वीडियो गेम खेल सकते हैं।
रैम के दो प्रकार होते हैं। स्टैटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी और डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को रैम क्या है? (Ram Kya Hai) के बारे में विस्तार पूर्वक से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की हुई है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई आज कि यह महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए काफी ज्यादा हेल्पफुल और यूज़फुल रही होगी।
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