Home > Essay > प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध

Pradushan Par Nibandh: आज हम आप सभी लोगों के साथ शेयर करने जा रहे हैं, प्रदूषण पर निबंध। प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है, क्योंकि हिंदी साहित्य के ज्यादातर परीक्षा में निबंध के रूप में प्रदूषण पर ही निबंध (Essay on Pollution in Hindi) लिखने को कहा जाता है।

Pradushan Par Nibandh
Image: Pradushan Par Nibandh

आज आप सभी लोगों को इस लेख के माध्यम से पर्यावरण के प्रदूषित होने और प्रदूषण से बचाने के कारण जानने को मिलेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं, यह निबंध।

Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

प्रदूषण पर निबंध | Pradushan Par Nibandh

प्रदूषण पर निबंध (250 शब्दों में)

प्राकृतिक संतुलन में दोष का उत्पन्न होना ही, प्रदूषण कहलाता है। पर्यावरण में शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध खाद्य पदार्थ और शुद्ध वातावरण का न मिलना प्रदूषण का ही एक कारण है। वर्तमान समय में प्रदूषण काफी तेजी से फैल रहा है। प्रदूषण उद्योगों और घरों इत्यादि से निकले धुएं, गंदे पानी का जमाव, उद्योगों से निकले कचरे इत्यादि से फैल रहा है। यह सभी कारक ही प्रदूषण को और भी ज्यादा उत्प्रेरित कर देते हैं और प्रदूषण काफी तेजी से फैलने लगता है।

वायु का प्रदूषण महानगरों में काफी ज्यादा फैल चुका है। महानगरों में वायु प्रदूषण फैलने का मुख्य कारण है कि वहां पर पूरे दिन और पूरी रात कारखानों से और उद्योगों से धुआं निकलता रहता है, इतना ही नहीं इसके साथ साथ मोटर वाहनों का भी आवागमन काफी ज्यादा है, जिसके कारण मोटर वाहनों से निकले काले हुए माननीय स्वास्थ्य और पर्यावरण को दूषित करने के लिए उत्तरदाई है। यही कारण है कि शहरों में लोग काफी ज्यादा बीमार हो जाते हैं, क्योंकि वहां की हर सांस में यही काला जहरीला धुआं उनके फेफड़े तक पहुंच जाता है और उन्हें रोगों से ग्रसित कर देते हैं।

जल प्रदूषण भी वर्तमान समय में काफी तेजी से फैल रहा है, क्योंकि कल कारखानों से निकले दूषित जल और कचरे को समुद्र और नदी नालों में फेंक दिया जाता है, जो कि वायु जल प्रदूषण होने का सबसे प्रमुख कारण बन जाता है। इसके बाद जब कभी भी बाढ़ आती है तो समुद्रों का जल और नदी नालों का जल गांव और नदी तालाबों के जल से घुलमिल जाते हैं और उन्हें दूषित कर देते हैं जिससे कि मानवीय रहन-सहन काफी प्रभावित हो जाता है और अनेकों प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।

मानव को लंबे समय तक अपना जीवन यापन करने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है, परंतु आजकल कल कारखानों के शोर और यातायात के शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण काफी तेजी से फैल रहा है। ध्वनि प्रदूषण फैलाने का मुख्य कारण लाउडस्पीकर और मोटर वाहनों के शोरगुल को माना जाता है। ध्वनि प्रदूषण से बहरापन और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रदूषण पर निबंध (800 शब्दों में)

प्रस्तावना

आधुनिक विज्ञान के इस युग में मानव का रहन सहन काफी उच्चस्तरीय हो गया है, अतः विज्ञान के आगमन के कारण मानव को काफी उपलब्धि प्राप्त हुई है। जहां मनुष्य को विज्ञान के आ जाने से वरदान मिले हैं, वही इन्हें कुछ अभिशाप भी मिले हैं। इन्हीं अभिशाप में से एक प्रदूषण भी है।

प्रदूषण के जन्म का कारण विज्ञान को ही माना जाता है। वर्तमान समय में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि ज्यादातर जनता प्रदूषण से जूझ रही है। हालांकि अभी महानगरों में ही प्रदूषण का कहर काफी ज्यादा है, क्योंकि वहां पर कल कारखाने और मोटर गाड़ियों का आवागमन काफी ज्यादा होता है।

प्रदूषण क्या होता है?

पर्यावरण के संतुलित अवस्था में जो कोई भी दोष उत्पन्न होते हैं, उन्हें प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण जितना अधिक बढ़ता जा रहा है, उतना ही मानवीय जीवन का रहन-सहन प्रभावित होता जा रहा है। प्रदूषण का अर्थ होता है, प्राकृतिक संतुलन में दोष उत्पन्न होना। शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध खाद्य पदार्थ, शांत वातावरण इत्यादि का न मिलना प्रदूषण का ही कारण है।

प्रदूषण के प्रकार

हालांकि प्रदूषण अनेकों प्रकार के होते हैं, परंतु तीन प्रकार के प्रदूषण को काफी वरीयता दी गई है, क्योंकि यही तीन प्रदूषण वर्तमान समय में काफी ज्यादा हो चुके हैं। ये तीनों प्रदूषण वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण है।

  • वायु प्रदूषण: वर्तमान समय में वायु प्रदूषण महानगरों में काफी ज्यादा विकास कर चुका है, क्योंकि महानगरीय क्षेत्रों में कल कारखानों से निकलने वाले काले जहरीले धुएं और यातायात की वृद्धि के कारण मोटर वाहनों से निकलने वाले काले जहरीले धुएं से वायु प्रदूषण काफी ज्यादा हो रहा है। वायु प्रदूषण हमारे जीवन पर काफी बुरा असर डालता है, क्योंकि यह प्रदूषण वायु के प्रत्येक कण में होता है और जब हम शान से लेते हैं, तो यह हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को क्षीण कर देते हैं।
  • ध्वनि प्रदूषण: ध्वनि प्रदूषण भी मानवीय जीवन को काफी अस्तव्यस्त कर देता है, क्योंकि ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव में बहरापन और तनाव आ जाता है, जिसके कारण मानवीय जीवन काफी प्रभावित हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण फैलने का मुख्य कारण कल कारखानों से निकलने वाले शोर, वाहनों के शोरगुल और लाउडस्पीकर से निकलने वाली आवाजें है।
  • जल प्रदूषण: जल हमारे जीवन के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी है, जिसके कारण यदि जल प्रदूषित हो जाता है, तो हमारा जीवन नष्ट भी हो सकता है। जब जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ जाता है, तो मनुष्य की जीवन शैली काफी अस्त-व्यस्त हो जाती है। जल प्रदूषित होने का मुख्य कारण कल कारखानों से निकलने वाले दूषित जल और कचरे है। जब यह दूषित जल नदी एवं तालाबों के संपर्क में आते हैं, तो वहां के जल को दूषित कर देते हैं, अतः कभी बाढ़ आने की स्थिति में यह जल गांव के तालाब से मिलकर उन्हें भी दूषित कर देते हैं, जिससे जल प्रदूषण हो जाता है।

प्रदूषण से होने वाले दुष्परिणाम

  • मनुष्य के लिए वायु काफी आवश्यक है, अतः मनुष्य प्रदूषण के कारण एक शुद्ध और लंबी सांस लेने से भी डरते हैं।
  • गंदे जल और वायु प्रदूषण के कारण फसलों को भी काफी नुकसान होता है।
  • जब फसलों में गंदे जल चले जाते हैं तो फसलों के माध्यम से यही प्रदूषित जल हमारे शरीर में भी आता है, जो कि हमें नुकसान पहुंचाता है।
  • गैस कारखानों से निकले गैस के कारण बहुत से लोग अपनी जान गवा बैठते हैं या अपंग हो जाते हैं।
  • भोपाल के गैस कारखाने से निकली रिसी गैस के कारण लगभग 1000 से भी ज्यादा लोग मर चुके हैं।

प्रदूषण से बचाव एवं सुधार

  • प्रदूषण से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।
  • पेड़ पौधे जितने अधिक होंगे, वायु का प्रदूषण उतना ही कम हो जाएगा क्योंकि पेड़ पौधे प्रदूषण को कम कर देते हैं।
  • आबादी वाले क्षेत्रों को सदैव खुला छोड़ना चाहिए अतः वहां पर कुछ निशित दूरी पर घने वृक्षों को लगाना चाहिए, जिससे कि ठंडी छाया और शुद्ध वायु प्राप्त हो सके।
  • कारखानों और उद्योगों को घनी आबादी वाले क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए क्योंकि इनसे निकले प्रदूषित जल और कचरे मानव जीवन को बहुत ही प्रभावित करते हैं।

उपसंहार

आज के समय प्रदूषण निरतंर बढ़ता ही जा रहा है, इसे रोकना हमारे लिए और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है। प्रदूषण से सभी को नुकसान का सामना करना पड़ता है चाहते मनुष्य हो या फिर प्रकृति। प्रदूषण से कई प्रकार की बीमारियाँ जन्म लेती है, जिसमें तनाव और बहरापन मुख्य है। हमें निरंतर प्रदूषण को रोकने का प्रयास करना चाहिए।

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह “प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh)” पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबंध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Read Also

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment