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प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

Essay On Plastic Pollution In Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहां पर हमने प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध हिंदी में लिखे हैं। यह निबंध अलग-अलग शब्द सीमा को देखते हुए लिखे गये है, जिससे कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और उच्च शिक्षा के विद्यार्थियो को मदद मिलेगी।

Essay On Plastic Pollution In Hindi
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प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध | Essay On Plastic Pollution In Hindi

प्लास्टिक प्रदूषण पर 10 लाइन (10 Lines on Plastic Pollution in Hindi)

  1. प्लास्टिक प्रदूषण से जीव-जन्तु और इंसानों के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
  2. आज मानव विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित है लेकिन इसका कारण खुद मनुष्य ही है।
  3. भले ही प्लास्टिक काफी सस्ता हो और इसकी उपयोगिता भी बहुत ज्यादा हो लेकिन इसका नुकसान भी तो बहुत ज्यादा है।
  4. प्लास्टिक से सबसे अधिक प्रदूषण होता है और इसका कारण यह है कि प्लास्टिक का विघटन बिल्कुल भी नहीं होता।
  5. कुछ लोग प्लास्टिक को जलाकर खत्म करने की कोशिश करते हैं लेकिन प्लास्टिक को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलता है, जो वातावरण को प्रदूषित करता है।
  6. आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र को जो नुकसान पहुँचा रही है, उसकी कोई सीमा नहीं है।
  7. अभी हम इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करेंगे तो प्लास्टिक प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा।
  8. आज हर क्षेत्र में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है और निकलने वाले कचरो में प्लास्टिक की प्रचुरता भी काफी होती है, जो तालाब या लहरों में तथा जमीन पर फेंक दिया जाता है।
  9. आज के समय में लोग फ्रीज में पानी को बोतलों के अंदर रखते हैं और लंबे समय तक बोतल में रहा पानी हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
  10. पहले के समय में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता था, जिसके कारण पहले प्लास्टिक प्रदूषण नहीं होता था लेकिन वर्तमान में हर जगह प्लास्टिक ही प्लास्टिक नजर आता है।
Essay On Plastic Pollution In Hindi
Image: Essay On Plastic Pollution In Hindi

प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 250 शब्द (Plastic Pollution Essay in Hindi)

प्रस्तावना

प्लास्टिक से बनी चीजों का पानी और जमीन में एकत्र होना, प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। इस प्रदूषण से जीव-जन्तु और इंसानों के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण का मुख्य कारण प्लास्टिक ही है। जो दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। अभी कोरोना वायरस की वजह से ये थोड़ा कम हुआ था क्योंकि पूरी दुनिया 3 महीने के लिए रुक सी गई थी।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण

  • प्लास्टिक सोने जितनी महँगी ना होने के कारण आसानी से सब जगह मिल जाती है और उसका उपयोग किया जाता है। इसका घुलनशील ना होना ही प्लास्टिक प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
  • बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हम प्लास्टिक्स से घिरे हुये रहते है, जहाँ देखो वहाँ प्लास्टिक से निर्मित सामग्री दिख जाएगी। उसमें जो गलने वाली प्लास्टिक है वो तो कम और ना गलने वाली प्लास्टिक्स की मात्रा ज्यादा होती है। उन आइटम्स को बाहर फेंक देते है जो प्लास्टिक प्रदूषण का कारण बनते है।

प्लास्टिक प्रदूषण के रोकने के उपाय

हम मुख्यत: दो तरीके से प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकते है। जो निम्नलिखित है-

कम से कम उपयोग करके/उसकी जगह किसी और उत्पाद को यूज़ करके

मानव अपने जीवन में प्लास्टिक से बनी वस्तुओं को यूज़ करने में इतना आदि हो चुका है कि वो इसे अब छोड़ नहीं सकता है। क्योंकि बचपन में बच्चों के दूध की बोतल से लेकर बुढ़ापे में बुजुर्ग के पानी की बोतल तक सब प्लास्टिक से बनी हुई होती है। हम इसे कम उपयोग करें, ऐसी आदत डाले और प्लास्टिक से बनी वस्तुओं को अवॉइड कर सकते है। बाजार से सामान ले कर आने के लिए हम कपड़े, जुट या पेपर से बनी थैलियों का उपयोग कर सकते है।

रियूज़ या रिसाइकल करना

जो प्लास्टिक रिसाइकल होते है उसे रिसाइकल कर उससे बैग, पर्स बना सकते है और इसके साथ घुलनशील बैग बना सकते है, जो बेकार होने के बाद आसानी से घुल जाता है।

निष्कर्ष

अगर ऊपर बतायें उपाय को हम एक साथ ज़िंदगी में अमल कर ले तो हम प्लास्टिक प्रदूषण को धीरे-धीरे खत्म कर सकते है। ऐसा करके एक दिन हम प्लास्टिक पोलुशन से निजात पा सकते है।

प्लास्टिक पर निबंध 500 शब्दों में

प्रस्तावना

आज मानव विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित है लेकिन इसका कारण खुद मनुष्य ही है। पहले के समय में वर्तमान की तुलना में बहुत कम बीमारियां होती थी। यहां तक कि जो बीमारियां होती थी, उसे घरेलू इलाज से ही ठीक कर लिया जाता था। लेकिन आज ऐसा नहीं होता है।

आज ऐसी ऐसी खतरनाक बीमारी आ गई है, जिस पर लाखों रुपए खर्च कर दिया जाए तब भी वह बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती। आज मनुष्य का सेहत खराब होने का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है। प्रदूषण का कारण मनुष्य खुद ही हैं। मनुष्य कई प्रकार से प्रदूषण फैलाता है, उन्हीं में से एक प्लास्टिक प्रदूषण भी हैं।

प्रतिदिन टेक्नोलॉजी काफी विकसित हो रही है। इंसान अपने कार्यों को आसान बनाने और जीवन निर्वाह सस्ते में करने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है। पहले के समय में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता था, जिसके कारण पहले प्लास्टिक प्रदूषण नहीं होता था लेकिन वर्तमान में हर जगह प्लास्टिक ही प्लास्टिक नजर आता है।

आप एक छोटा सा चॉकलेट भी खरीदेगें तो वह भी प्लास्टिक के कवर में ही आता है। यहां तक कि खाने पीने वाली चीजें प्लास्टिक से ही कवर होती है।

प्लास्टिक के नुकसान

भले ही प्लास्टिक काफी सस्ता हो और इसकी उपयोगिता भी बहुत ज्यादा हो लेकिन इसका नुकसान भी तो बहुत ज्यादा है। खाने पीने की चीजों को प्लास्टिक में पैक करके बेचा जाता है। लेकिन यही खाने पीने वाली चीजें लंबे समय तक प्लास्टिक के पैकेट में रहने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। उदाहरण के लिए आज के समय में लोग फ्रीज में पानी को बोतलों के अंदर रखते हैं और लंबे समय तक बोतल में रहा पानी हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

प्लास्टिक से सबसे अधिक प्रदूषण होता है और इसका कारण यह है कि प्लास्टिक का विघटन बिल्कुल भी नहीं होता। एक पॉलिथीन करोड़ों साल तक जमीन में धंसी रहने के बावजूद भी वह उसी अवस्था में रहती है।

आज हर क्षेत्र में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है और निकलने वाले कचरो में प्लास्टिक की प्रचुरता भी काफी होती है, जो तालाब या लहरों में तथा जमीन पर फेंक दिया जाता है। इस तरीके से प्लास्टिक के कचरे पानी को भी प्रदूषित करते हैं और जमीन को भी प्रदूषित करते हैं।

कुछ लोग प्लास्टिक को जलाकर खत्म करने की कोशिश करते हैं लेकिन प्लास्टिक को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलता है, जो वातावरण को प्रदूषित करता है।

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के उपाय

प्लास्टिक जमीन, जल और वायु तीनों को ही प्रदूषित करता है। इसलिए बहुत जरूरी प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना। हालांकि प्लास्टिक को पूर्ण रूप से उपयोग करना बंद तो नहीं किया जा सकता। क्योंकि आज इसकी उपयोगिता हर छोटी से छोटी चीज में हो गई है और यह काफी सस्ता भी होता है। लेकिन हम प्लास्टिक के उपयोगिता को कम करने की कोशिश कर सकते हैं।

  • बाजार में कुछ सामानों की खरीदी करने के लिए प्लास्टिक बैग के बाजाय कागज या पेपर के थैली का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • शादियों या विभिन्न पार्टी में प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करने के बजाए कागज या स्टील के बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए प्लास्टिक को पुनः उपयोग कर सकते हैं।
  • कपड़ों की दुकानों में सभी कपड़े प्लास्टिक में पैक होकर आते हैं, उसके बजाय कागज के पैकेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

दिन प्रतिदिन प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ते जाने के कारण प्लास्टिक प्रदूषण ने विकराल रूप ले लिया है, जो जनजीवन के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहा है, कई प्रकार की बीमारी उत्पन्न कर रहा है। इसीलिए हम सभी लोगों को जल्द से जल्द प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ना कुछ कदम लेने की जरूरत है।

प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 800 शब्द (Plastic Pradushan Par Nibandh)

प्रस्तावना

आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र को जो नुकसान पहुँचा रही है, उसकी कोई सीमा नहीं है। भविष्य में और कितना नुकसान पहुँचा दे, इसका कोई अंदेशा नहीं है। अभी हम इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करेंगे तो प्लास्टिक प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा पोलिथीन हानिकारक वस्तु हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण

  1. सस्ता और आसानी से मिलने वाला: पोलिथीन के बैग आसानी से बनते है और सस्ते होते हैं। इसलिए सब जगह इसी का उपयोग ज्यादा होता है। इसी पोलिथीन की वजह से नदी नाले अटक जाते है और भयंकर बीमारी का फैलाव करते हैं।
  2. अघुलनशील पदार्थ: प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कचरा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि प्लास्टिक एक अघुलनशील पदार्थ है। इसका सीधा सा मतलब होता है कि यह पानी और धरती पर गलता नहीं है। इसी कारण से प्लास्टिक से प्रदूषण कुछ ज्यादा ही होता है।
  3. प्लास्टिक के टुकड़े होना लेकिन घुलना नहीं: प्लास्टिक के चाहे मर्जी कितने भी टुकड़े कर लो हो जायेंगे, लेकिन वो घुलते नहीं है, जिससे समस्या उत्पन्न होती है। ये टुकड़े जब पानी के स्त्रोत में मिलते है तो उस समय कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन कहीं पानी के बहाव में कमी आती है और कहीं पर पोलिथीन अटक जाती है तो समस्या खड़ी कर देती है।

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव

जल प्रदूषण: प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ अधिकांशत: घुलनशील प्रवृत्ति की नहीं होती है। इसलिए सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान प्लास्टिक ही देता है। एक अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक से बनी बोतल में बार-बार पानी पीने से अपने शरीर में एक गंभीर बीमारी का निर्माण हो जाता है। जब प्लास्टिक से बना कचरा पानी के सबसे बड़े भंडार नदी, सागर और महासागर में मिल जाता है तो उसे अपन कितना भी छान ले लेकिन वो हानिकारक पदार्थ नहीं घुलता है।

भूमि प्रदूषण: कचरे के ढेर में सबसे ज्यादा कूड़ा प्लास्टिक का ही देखने को मिलता है। धरती पर इसका निस्तारण नहीं होता है तो ये कचरा एक पहाड़ के रूप में शक्ल ले लेता है। इस कचरे से जमीन बंजर भी पड़ जाती है।

वायु प्रदूषण: जब मानव को प्लास्टिक के कचरे का निपटान नजर नहीं आता है, तब वो इसे जलाने का विचार करता है। जब प्लास्टिक को जलाया जाता है तो उसके अंदर जो कार्बन होते है वो बाहर निकल कर हवा में घुल जाते है। जिससे उन हानिकारक रसायनो की जो गैस होती है उससे आँखों में जलन पैदा होती है।

समुद्री जंतुओं के जीवन को खतरा: जब प्लास्टिक से बने बर्तन और डिस्पोजल में लोग खाना खाते है और बाद में जब ये बर्तन या डिस्पोजल का निस्तारण करने के लिए पानी में फेंका जाता है तो समुद्री जीव-जन्तु उसे खाने की वस्तु समझ कर खा लेते हैं, जिससे वो बीमार पड़ जाते है। और उनके बीमार होने से पूरा पनि गंदा हो जाता है।

पशु-पक्षी के जीवन को भी खतरा: अधिकतर पशु-पक्षी कचरे में फेंके गए खाने को खाते है तो जब पोलिथीन में कोई खाने की वस्तु फेंकी जाती है तो सीधा ही खा लेती है, जिससे वो प्लास्टिक उनके आंतों में भी फंस सकते हैं या कोई और गंभीर बीमारी उत्पन्न कर देती है।

प्लास्टिक प्रदूषण से बचने के उपाय

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए अपने घर से ही शुरुआत करनी होगी और फिर घर-घर जाकर अलख जगानी होगी। कुछ उपाय नीचे लिख रहा हूँ उसे देखे, समझे और समझ कर अमल में लाएँ।

  • पहले तो हमें पोलिथीन का उपयोग कम करना होगा। जब भी घर से कोई सामान लेने के लिए निकले तो अपने साथ एक कपड़े का थैला या जुट का थैला साथ में ले कर निकले। जिससे दुकानदार पोलिथीन में सामान नहीं देगा।
  • सभी दुकानदारों और शॉपिंग मॉल में कागज या कपड़े के थैले रखने चाहिए, जिससे पोलिथीन का उपयोग कम से कम हो जाएगा।
  • प्लास्टिक के कचरे के ढेर का सही से निपटारा होना चाहिए, ऐसे ही पानी में या जमीन में नहीं डालना चाहिए।
  • जिस प्लास्टिक का रिसाइकलिंग हो सकती है, उसकी रिसाइकलिंग कर ऐसे उत्पाद बनने चाहिए जो प्लास्टिक प्रदूषण कम करें।
  • डम्पिंग ज़ोन भी सही जगह बनाना चाहिए, जिसे वो नाले में ना अटके।
  • कभी भी प्लास्टिक को जलाना नहीं चाहिए, इससे प्रदूषण का फैलाव ज्यादा हो जाता है।

सरकार द्वारा कौनसे कड़े फैसले लेने चाहिए

भारत सरकार द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाने होंगे, तभी थोड़ा सा प्लास्टिक प्रदूषण रोकने में मदद मिलेगी। कुछ निम्नलिखित फ़ैसलों पर अमल करना चाहिए-

  • प्लास्टिक के उत्पादन पर थोड़ा सा नियंत्रण करें।
  • जो अघुलनशील प्लास्टिक है उसकी वस्तुओं पर रोक लगाएँ।
  • नुक्कड़ नाटक के द्वारा जागरूकता फैलाएँ।
  • लोगों से अपील करें कि वो प्लास्टिक बैगों का उपयोग कम करें, बोतलबंद पानी का उपयोग कम करें, बाहर से खाना मंगायें तो प्लास्टिक के डिस्पोजल का उपयोग कम करें। जो कंपनियाँ रिसाइकल करती है उन्हें अपना कचरा दें।

उपसंहार

देखा गया है कि पिछले कुछ दशकों से प्लास्टिक प्रदूषण बड़ी तेजी से बढ़ रहा है, अभी इसक निपटान नहीं किया तो भविष्य अंधकार में चला जाएगा। क्योंकि इस प्रदूषण से तीन प्रदूषण और होते है जो और भी हानिकारक होते है। मतलब कि प्लास्टिक प्रदूषण से जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और वायु प्रदूषण भी होता है। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द इस प्रदूषण का हल निकालना होगा।

प्लास्टिक प्रदूषण पर एक छोटी-सी कहानी

“मम्मा, ये क्या है? ये इतना बड़ा क्या है?”

अंकुर की माँ नलिनी मुँह ढ़क और नाक दबा कर जल्दी-जल्दी अंकुर को ले कर जा रही थी, और अंकुर उससे बार-बार एक ही सवाल पूछे जा रहा था।

“मम्मा, क्या इसे ही पहाड़ कहते है? मम्मा, बताओ ना, बताओ ना।”

थोड़ी दूर जा कर नलिनी पहले अपना ढका हुया चेहरा हटाती है और एक गहरी साँस लेती है। फिर अंकुर को कहती है, “बेटा, वो पहाड़ ही था लेकिन कचरे का”।

“लेकिन वो इतना बड़ा कैसे बना, माँ। और और और उसके अंदर इतनी सारी ये रंग-बिरंगी थैलियाँ ही क्यों दिख रही थी?”

“बेटा, तेरी सारी बातों का जवाब दूँगी। चलो पहले हम सब्जी ले लेते है फिर घर चल कर जवाब देती हूँ।”

“ठीक है, माँ।”

नलिनी अपने जूट वाले थैले में फल और सब्जी डाल कर अंकुर को साथ लेकर वापस उसी कचरे के पहाड़ से होते हुये अपने घर जाती है। घर जा कर अंकुर को उसके सारे सवालों का एक ही जवाब देती है और वो है प्लास्टिक

अंकुर अचरज भरी नजर से नलिनी को देखता है और कहता है कि माँ प्लास्टिक से इतना बड़ा पहाड़ कैसे बन गया।

नलिनी कहती है कि “अंकुर बेटा, अभी हम सब्जी और फल लेकर आ रहे है तो आपने देखा होगा कि सब्जीवाले के पास प्लास्टिक की थैलियाँ थी, जिसमें वो सब्जी या फल पैक कर के ग्राहक को दे रहे थे। बहुत ही कम ग्राहक थे जो अपने घर से जूट का या कपड़े का थैला लेकर आए थे। देखा था या नहीं।”

“हाँ देखा था, मम्मा।”

“वो प्लास्टिक की थैलियाँ ही इतने बड़े पहाड़ बनने की मूल जड़ है, बेटा। वो ना तो गलती है और ना ही खत्म होती है।”

“अच्छा, अब समझ आया। मतलब कि अगर हम प्लास्टिक का उपयोग कम करेंगे तो ऐसा पहाड़ देखने को नहीं मिलेगा, है ना?”

“हाँ, बेटा। सही समझा।”

आपको इस कहानी से इतना तो समझ आ ही गया होगा कि प्लास्टिक से धरती को बहुत से नुकसान होते है। क्योंकि प्लास्टिक जिस पदार्थ से बनता है वो ना तो गलता है और ना ही उसका कही वापस उपयोग कर सकते है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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