बारिश का मौसम सबसे सुहावना, सबसे खुशमिजाज और अच्छा मौसम होता है। वर्षा ऋतु (Varsha Ritu) के मौसम में प्रकति में चारों ओर बादल, बारिश और इन्द्रधनुष दिखाई देते हैं। इस कारण बारिश का मौसम हर किसी का पसंदीदा मौसम होता हैं। इस पोस्ट में हम वर्षा पर हिन्दी कविताएं (Poem on Rain in Hindi) शेयर कर रहे है।
वर्षा के मौसम में हर कोई इसका आनन्द लेना चाहता है। यदि आपको गरमा गरम चाय के साथ बारिश पर कविता सुनने को मिल जाए तो बात ही कुछ और हो जाएँ। इसलिए हमने यहां पर वर्षा पर कविता का संग्रह (Poem on Rain) आपके लिए लेकर आये हैं। हम उम्मीद करते हैं आपको यह सर्वश्रेष्ठ वर्षा ऋतु पर कविताएँ (Varsha Ritu Par Kavita) पसंद आयेंगी।
सर्वश्रेष्ठ वर्षा पर कविताएँ | Poems on Rain in Hindi
Best Poems on Rain in Hindi
वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 1
बादल घिर आए
बादल घिर आए, गीत की बेला आई।
आज गगन की सूनी छाती।।
भावों से भर आई।
चपला के पावों की आहट।।
आज पवन ने पाई।
डोल रहें हैं बोल न जिनके।।
मुख में विधि ने डाले।
बादल घिर आए, गीत की बेला आई।।
बिजली की अलकों ने अंबर।
के कंधों को घेरा।।
मन बरबस यह पूछ उठा है।
कौन, कहाँ पर मेरा।।
आज धरणि के आँसू सावन।
के मोती बन बहुरे।।
घन छाए, मन के मीत की बेला आई।
बादल घिर आए, गीत की बेला आई।।
-हरिवंशराय बच्चन
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वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 2
Barish Poem in Hindi
आज मुझसे बोल
आज मुझसे बोल, बादल!
तम भरा तू, तम भरा मैं,
ग़म भरा तू, ग़म भरा मैं,
आज तू अपने हृदय से हृदय मेरा तोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!
आग तुझमें, आग मुझमें,
राग तुझमें, राग मुझमें,
आ मिलें हम आज अपने द्वार उर के खोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!
भेद यह मत देख दो पल-
क्षार जल मैं, तू मधुर जल,
व्यर्थ मेरे अश्रु, तेरी बूंद है अनमोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!
-हरिवंशराय बच्चन
वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 3
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!
झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!
झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,
घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में,
सरित-तड़ित-गति-चकित पवन में,
मन में, विजन-गहन-कानन में,
आनन-आनन में, रव घोर-कठोर-
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!
अरे वर्ष के हर्ष!
बरस तू बरस-बरस रसधार!
पार ले चल तू मुझको,
बहा, दिखा मुझको भी निज
गर्जन-भैरव-संसार!
उथल-पुथल कर हृदय-
मचा हलचल-
चल रे चल-
मेरे पागल बादल!
धँसता दलदल
हँसता है नद खल्-खल्
बहता, कहता कुलकुल कलकल कलकल!
देख-देख नाचता हृदय
बहने को महा विकल-बेकल,
इस मरोर से- इसी शोर से-
सघन घोर गुरु गहन रोर से
मुझे गगन का दिखा सघन वह छोर!
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!
-सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 4
Varsha Ritu Poem in Hindi
आयी बरसात सुहानी
बरसात है ऋतुओं की रानी,
चारों तरफ बरसा है पानी,
लोगों ने है छतरी तानी।।
नभ में काले बादल छाये,
नाचे मोर पंख फैलाए,
कोयल मीठे गीत सुनाये।।
झूम उठे हैं सब किसान,
सब खाएं मीठे पकवान।
सबका हो इससे कल्याण,
क्या निर्धन क्या धनवान।।
वर्षा ख़ुशहाली फैलाती है,
कुछ देने का संदेश सुनाती है।
इसे सुने हम इसे गुने हम,
वर्षा जैसा सरस् बनें हम।।
-संतोष कुमारी वोहरा
मौसम की पहली बारिश (Monsoon Poem in Hindi) – 5
बारिश पर कविता हिंदी में
छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश।
गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश।।
जब तेरा आंचल लहराया
सारी दुनिया चहक उठी
बूंदों की सरगोशी तो
सोंधी मिट्टी महक उठी
मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश।।
रौनक़ तुझसे बाज़ारों में
चहल पहल है गलियों में
फूलों में मुस्कान है तुझसे
और तबस्सुम कलियों में
झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश।।
पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही
गर्मी से बेहाल थे कल
सबके ऊपर मेहरबान हैं
आज घटाएं और बादल
राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश।।
आंगन के पानी में मिलकर
बच्चे नाव चलाते हैं
छत से पानी टपक रहा है
फिर भी सब मुस्काते हैं
हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश।।
सरक गया जब रात का घूंघट
चांद अचानक मुस्काया
उस पल हमदम तेरा चेहरा
याद बहुत हमको आया
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश।।
-देवमणि पांडे
वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 6
बरसा बरस रही चहूँ ओर।
घन गरजत हरषत सखी जियरा, नाचत बन में मोर।।
पीहूं-पीहूं रटत पपैया प्यारा, हँसत-हँसावत श्याम हमारा।
श्यामा परम मनोहर मनहर, प्रीतम नंद किशोर।।
दादुर धुनि सुनी-सुनी सुख उपजत, कोयल मधुर स्वरन ते कूंकत।
राधा का राजा कृष्णा प्यारा, लेवे मन चित चोर।।
बिजरी चमकत हे गिरधारी, बीती पल-पल रैना सारी।
तू मन मोहन ईश्वर मेरा, मैं तेरी गणगौर।।
गोपीनाथ राधिका प्यारी, सुखी संत महिमा लखी भारी।
सदा सुखी शिवदीन भजन कर, होकर प्रेम विभोर।।
-शिवदीन राम जोशी
मनमोहक बादल (Poem on Rain in Hindi) – 7
देखो वर्षा के यह मनमोहक बादल,
जो लाते है बारिश का यह जल।
देख मन इन्हें होता प्रफुल्लित,
वर्षा ना हो तो मन हो जाता विचलित।।
किसानों को यह देती सिंचाई की सुविधा,
यदि वर्षा ना हो तो हो जाती है बड़ी दुविधा।
इस ऋतु में चारों ओर हरयाली लहलहाती,
इसकी मनोरम छंटा सबके मन को भाती।।
वर्षा ऋतु की यह छंटा निराली,
जो सबके लिये लाती खुशियों की झोली।
आओ संग मिलकर झूमे गायें,
वर्षा ऋतु का साथ मिलकर लुत्फ़ उठाये।।
वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 8
Rain Poem in hindi
बारिश जब आती है
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है,
प्यासी धरती की प्यास बुझाती है, मिटटी की भीनी सुगंध फैलाती है,
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है।
भीषण गर्मी से बचाती है, शीतलता हमें दे जाती है,
मुसलाधार प्रहारों से पतझड़ को भागाती है,
बहारो का मौसम लाती है।
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है,
चारो ओर हरियाली फैलाती है,
नदियों का पानी बढाती है,
तालाबो को भर जाती है।
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है
बारिश के चलते ही खेती हो पाती है,
किसानो के होठो पे मुस्कान ये लाती है,
रिमझिम फुहारों से सुखा मिटाती है,
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है।
मोरो को नचाती है,
पहाड़ो में फूल खिलाती है,
बीजो से नए पौधे उगाती है।
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है।।
रिमझिम बारिश (Rainy Day Poem in Hindi) – 9
बरसत बरषा परम सुहावन।
रिमझिम रिमझिम बरस रहा है,ये आया सखि सावन।।
बादर उमड़ी घुमड़ी सखि छाये, दादुर कोयल गीत सुनाये।
नांचत मोर पिहूँ पी रटि रटि, मौसम सुन्दर उर मन भावन।।
दामिनी दमकत चमकत चम-चम, नांच रही परियां सखि छम-छम।
साज बाज सुर ताल राग रंग,गंध्रिप* लगे गुनी जन गावन।।
नाना पक्षी हंस चकोरा, हरन करत मन चातक मौरा।
ये वृन्दावन लहर निराली, यमुना गंगा अनुपम पावन।।
कहे शिवदीन मनोहर जोरी, कृष्ण राधिका चन्द्र चकोरी।
धन्य-धन्य वृजराज छटा छवि, वृजजन जन के मन हर्षावन।।
-शिवदीन राम जोशी
मेघ आए कविता (Barish ki Kavita) – 10
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बांकीचितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरके।
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
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वर्षा/बारिश कविता (Rain Poem) – 10
Poem on Rain in Hindi
मेरे बचपन की बारिश बड़ी हो गयी..!
ऑफिस की खिड़की से जब देखा मैने, मौसम की पहली बरसात को….
काले बादल के गरज पे नाचती, बूँदों की बारात को…
एक बच्चा मुझसे निकालकर भागा था भीगने बाहर…
रोका बड़प्पन ने मेरे, पकड़ के उसके हाथ को…!
बारिश और मेरे बचपने के बीच एक उम्र की दीवार खड़ी हो गयी…
लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गयी..
वो बूँदें काँच की दीवार पे खटखटा रही थी…
मैं उनके संग खेलता था कभी, इसीलिए बुला रही थी..
.
पर तब मैं छोटा था और यह बातें बड़ी थी…
तब घर वक़्त पे पहुँचने की किसे पड़ी थी…
अब बारिश पहले राहत, फिर आफ़त बन जाती है…
जो गरज पहले लुभाती थी,वही अब डराती है….
मैं डरपोक हो गया और बदनाम सावन की झड़ी हो गयी…
लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गयी..
जिस पानी में छपाके लगाते, उसमे कीटाणु दिखने लगा…
खुद से ज़्यादा फिक्र कि लॅपटॉप भीगने लगा…
स्कूल में दुआ करते कि बरसे बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए…
अब भीगें तो डरें कि कल कहीं ऑफिस की छुट्टी ना हो जाए…
सावन जब चाय पकोड़ो की सोहबत में इत्मिनान से बीतता था,
वो दौर, वो घड़ी बड़े होते होते कहीं खो गयी..
लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गयी..
– अभिनव नागर
बारिश का मौसम आया (बादल और बारिश पर कविता) – 11
देखो एक बार फिर से बारिश का मौसम आया,
अपने साथ सबके चेहरों पर मुस्कान है लाया।
देखो वर्षा में हवा कैसी चल रही मंद-मंद,
क्या बच्चे क्या बूढ़े सब लेते इसका आनंद।।
देखो चारो ओर फैली यह अद्भुत हरियाली,
जिसकी मनमोहक छंटा है सबसे निराली।
जिसको देखो वह इस मौसम के गुण गाता,
बारिश का मौसम है ऐसा जो सबके मन को भाता।।
मेरे मित्रों तुम भी बाहर निकलो लो वर्षा का आनंद,
देखो इस मनमोहक वर्षा को जो नही हो रही बंद।
छोटे बच्चे कागज की नाव बनाकर पानी में दौड़ाते है,
वर्षा ऋतु में ऐसे नजारे नित्य दिल को बहलाते है।।
तो आओ हम सब संग मिलकर झूमे गाये,
इस मनभावी वर्षा ऋतु का आनंद उठाये।
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nice
Nice site
Samiksha Salgaonkar जी,
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!