नगर शब्द के रूप | Nagar Shabd Roop in Sanskrit
जैसा कि आप सभी को पता होगा कि वाक्य शब्द की सबसे छोटी इकाई को कहा जाता हैं और संस्कृत व्याकरण में इन्ही शब्द पद बनाया जा सकता हैं। संज्ञा और सर्वनाम के शब्दों को पद बनाने लिए तीन विभक्तियों का किया जाता हैं। जैसे: प्रथमा, द्वितीया आदि।
इन्ही शब्दरूपों और पदों का उपयोग पुल्लिङ्ग्, स्त्रीलिङ्ग और नपुसकलिङ्ग इसके अलावा एकवचन, द्विवचन और बहुवचन रूपों में किया जाता हैं।
नगर शब्द एक अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द के शब्द हैं, नगर शब्द के अंत में “अ” की मात्रा होती हैं, इसलिए यह अकारान्त शब्द अंतर्गत आता हैं।
अतः नगर शब्द के की तरह नगर और सभी अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञापदों के रूपों को इसी तरह लिखा जाता हैं।
नगर शब्द के रूप (Nagar Shabd Roop in Sanskrit)
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
नगरम् |
नगरे |
नगराणि |
द्वितीया |
नगरम् |
नगरे |
नगराणि |
तृतीया |
नगरेण |
नगराभ्याम् |
नगरैः |
चतुर्थी |
नगराय |
नगराभ्याम् |
नगरेभ्यः |
पंचमी |
नगरात् |
नगराभ्याम् |
नगरेभ्यः |
षष्ठी |
नगरस्य |
नगरयोः |
नगराणाम् |
सप्तमी |
नगरे |
नगरयोः |
नगरेषु |
सम्बोधन |
हे नगरम् ! |
हे नगरे ! |
हे नगराणि ! |
नोट: नगर शब्द रूप स्त्रीलिंग या पुल्लिंग में नहीं होता। फल, जल, वन, नगर, ज्ञान, धन, गृह, बल, पुस्तक, दुग्ध, मित्र, पुष्प, पत्र, कमल, कलत्र (स्त्री), मुख, नक्षत्र आदि के शब्द रूप भी नगर शब्द रूप के अनुसार ही बनाए जाते है।
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