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संस्कृत में कारक प्रकरण (विभक्ति, भेद, चिह्न)

संस्कृत में कारक प्रकरण (विभक्ति, भेद, चिह्न) | Karak in Sanskrit

Karak in Sanskrit
Karak in Sanskrit

कारक प्रकरण

क्रिया के सम्पादकीय तत्व किसी न किसी रूप में ‘कारक’ कहलाते हैं। यही कारण है कि प्रत्येक कारक का क्रिया से सीधा संबंध होना चाहिए।

उदाहरण देखें

 तालव्य

 मूर्धन्य

 दंतव्य

 कण्ठ्य

कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों से उनका (किसी संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध बतलाया जाता है, वह (वह रूप) ‘कारक’ कहलाता है। कराक का अर्थ है कुछ करने वाला। अर्थात् जो कोई क्रिया करने में भूमिका निभाता है उसे कारक कहा जाता है।

विभक्ति

वह कारक जो गुणनखंड की विशेष अवस्था और उसकी संख्या बताती है, विभक्तियाँ कहलाती है। पदों में विभक्ति इंगित करते हैं कि वे विभिन्न कारक हैं और उनकी अलग-अलग संख्याएं हैं।

विभक्ति का शाब्दिक अर्थ है ‘विभाजित होने की क्रिया या भाव’ या ‘विभाग’ या ‘विभाजन’। व्याकरण में शब्द (संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण) के आगे उस प्रत्यय या चिह्न को विभक्ति कहते हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि उस शब्द का क्रिया से क्या संबंध है।

हिंदी के इन विभक्तियों को याद रखें जिन्हें परसर्ग कहा जाता है ताकि हिंदी को संस्कृत में अनुवाद करने की सुविधा हो।

कारक के भेद

कर्त्ता कारक

 प्रथमा विभक्ति

कर्म कारक

द्वितीया विभक्ति

करण कारक

 तृतीया विभक्ति

सम्प्रदान कारक

 चतुर्थी विभक्ति

अपादान कारक

 पंचमी विभक्ति

संबंध कारक

 षष्ठी विभक्ति

अधिकरण कारक

 सप्तमी विभक्ति

कर्त्ता कारक (प्रथमा विभक्ति)

जो व्यक्ति क्रिया करता है, उसे करने वाला कारक कर्ता कारक कहा जाता है। इसके प्रतीक ‘0’ और ‘ने’ हैं। शून्य का अर्थ है ‘ने’ चिन्ह का अभाव।

राधा गीतं गायति।राधा गीत गाती है।
सः गच्छति।वह जाता है।

कर्म कारक

जिस पर कर्म का प्रभाव पड़ता है, उसे ‘कर्म कारक’ कहते हैं।

उदाहरण के लिए, मोहन ने दिलकश को पीटा। इस वाक्य में दिलकश कर्म है।

करण कारक

जिस साधन से कार्य किया जाता है उसे ‘करण कारक’ कहते हैं।

जैसे: अर्जुन ने त्तीर से चिड़िया की आँख में मारा। अर्जुन ने त्तीर से चिड़िया को मारा। इस वाक्य में त्तीर करण कारक है।

सम्प्रदान कारक

जिसके लिए कार्य करना हो वह ‘सम्प्रदान कारक’ कहलाता है।

जैसे: वह सब्जी के लिए बाजार गया। इस वाक्य में सब्जी सम्प्रदान कारक हुआ।

अपादान कारक

जिससे अलगाव की भावना है, उसे अपादान कारक कहते हैं।

जैसे: पौधे से फूल गिर गया। इस वाक्य में पौधा अपादान कारक है।

सम्बन्ध कारक

जिससे कर्ता संबंधित हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं।

जैसे: मोहन का पुत्र आया। इस वाक्य में मोहन सम्बन्ध कारक है।

अधिकरण कारक

कहाँ या किस पर कार्य करना अधिकरण कारक कहलाता है।

जैसे: पेड़ पर पक्षी रहते हैं। इस वाक्य में पेड़ अधिकरण कारक हुआ।

संबोधन कारक

वह शब्द जिसके द्वारा किसी को पुकारा या पुकारा जाता है, सम्बोधन कारक कहलाता है।

जैसे: हे भगवान! यह कैसे हो गया। इस वाक्य में हे भगवान! सम्बोधन कारक है, क्योंकि यह सम्बोधन है।

यह भी पढ़े

संस्कृत शब्द रूपसंस्कृत वर्णमालासमास प्रकरण
संस्कृत में कारक प्रकरणलकारप्रत्यय प्रकरण
संस्कृत विलोम शब्दसंस्कृत में संधिउपसर्ग प्रकरण
संस्कृत धातु रुपहिंदी से संस्कृत में अनुवाद
Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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