संस्कृत में संधि, संधि विच्छेद (संस्कृत व्याकरण) | Sandhi in Sanskrit
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किसी दो निकटवर्ती वर्णों के आपस में मेल से जो विकार क्या परिवर्तन होता है, वह संधि कहलाता है। जैसे: शिव + अलाय= शिवालय, देव + इंद्र = देवेंद्र।
दोनों वर्णों के मिलन से उत्पन्न विक्षोभ को ‘संधि’ कहते हैं। इस तरह के एक समझौते के लिए, दो अक्षर करीब होने चाहिए, क्योंकि शब्दों या अक्षरों के बीच कोई गठबंधन नहीं है, जो बहुत दूर हैं। इस पात्र के पास की स्थिति को संधि कहते हैं। इसलिए संक्षेप में यह समझ लेना चाहिए कि दो वर्णों के मिलन में जो परिवर्तन या अनियमितता होती है, उसे संस्कृत व्याकरण में संधि कहते हैं। अर्थात
निकटवर्ती स्थित शब्दों के पदों के समीप विद्यमान वर्णों के परस्पर में से जो भी परिवर्तन होता है, वह संधि कहलाता है।
जब कोई दो शब्द आपस में मिलकर एक शब्द बनाते हैं तो पहले शब्द की अंतिम वाली ध्वनि और दूसरी शब्द की पहली वाली ध्वनि आपस में मेल करके जो विकार उत्पन्न करती है, उसे संधि कहते हैं।
अर्थात
संधि किए गए जिस किसी भी शब्दों के संधि किए गए हैं, उन शब्दों को अलग-अलग करके पहले की ही तरह संधि करना संधि विच्छेद कहलाती है। इसका मतलब है कि जब भी दो शब्द आपस में मिलकर के कोई तीसरा शब्द बनाते हैं, तब जो भी विकार उत्पन्न होता है, उस विकार को संधि विच्छेद कहते हैं।
संधि के भेद
Sandhi ke Bhed: संस्कृत व्याकरण में सामान्य रूप से संधि के तीन प्रकार होते हैं।
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
1. स्वर संधि
जब स्वर के साथ स्वर का मेल हो, तो वह परिवर्तन स्वर संधि कहलाता है। हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या 11 होती है, बाकी अच्छे व्यंजन कहलाती है। जब दो स्वर को आपस में मिला दिया जाता है तो जो भी तीसरा स्वर बनता है, उसे स्वर संधि कहते हैं।
- विद्या + आलय = विद्यालय
- रवि + इंद्र = रवींद्र
- मही + इन्द्र = महीन्द्र
- मही + ईश = महीश
- हिम + आलय = हिमालय
संस्कृत में स्वर संधि सात प्रकार की होती हैं
- यण सन्धि
- अयादि सन्धि
- गुण सन्धि
- वृद्धि सन्धि
- सवर्णदीर्घ सन्धि
- पूर्वरूप सन्धि
- पररूप सन्धि
2.व्यंजन संधि (हल् संधि)
जब किसी व्यंजन को स्वर या व्यंजन के साथ मेल कराने पर जो परिवर्तन होता है, वह व्यंजन संधि कहलाते हैं।
व्यंजन संधि (हल् संधि) के प्रकार
- जश्त्व सन्धि
- अनुस्वार
- श्चत्व सन्धि
- परसवर्ण सन्धिः
- ष्टुत्व सन्धि
- चर्व सन्धिः
व्यंजन संधि के उदाहरण
- दिक् + अम्बर = दिगम्बर
- सत् + आचार = सदाचार
- उत + उल्लास = उल्लास
3. विसर्ग संधि:
यदि विसर्ग में स्वर या व्यंजन का मेल हो, तो जो विकार उत्पन्न होता है, वह विसर्ग संधि कहलाते हैं।
विसर्ग संधि के प्रकार
- सत्व संधि
- उत्व् संधि
- रुत्व् संधि
- विसर्ग लोप संधि
विसर्ग संधि के उदहारण
- निः + सन्देह = निस्सन्देह
- निः + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
- निः + चय = निश्चय
- निः + शब्द = निश्शब्द
- निः + छल = निश्छल
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