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मेटावर्स क्या है और यह कैसे काम करेगा?

Metaverse Kya Hai: फेसबुक जो कि बहुत ही बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। फेसबुक प्लेटफार्म पर रोजाना लाखों लोग एक्टिव रहते हैं। इस प्लेटफार्म के माध्यम से रोजाना पैसा भी कमाया जा रहा है। लाखों लोग अपना पैसा कमाने का जरिया फेसबुक प्लेटफार्म को मानते हैं।

metaverse kya hai
Image: metaverse kya hai in hindi

फेसबुक का नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध है। लेकिन उसके बावजूद भी फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग इस नाम को बदलना चाहते हैं। आखिर क्या वजह है?, जिसकी वजह से फेसबुक के नाम को बदला जा रहा है।

मेटावर्स क्या है और यह कैसे काम करेगा? | Metaverse Kya Hai

फेसबुक के नाम को क्या बदला जा रहा है?

फेसबुक का नाम बदलने के पीछे मार्क जुकरबर्ग का मानना है, मेटावर्स जो भविष्य की एक अद्भुत तकनीक है। ऐसा माना जाता है कि आज से कुछ साल बाद दुनिया का अलग अंदाज रहेगा और दुनिया का हर व्यक्ति अलग अंदाज में अपना जीवन व्यतीत करना पसंद करेगा।

ऐसे में मार्क जुकरबर्ग जो फेसबुक प्लेटफार्म का नाम बदलकर उसे वर्चुअल दुनिया के भीतर ले जा रहे हैं। मार्क जुकरबर्ग द्वारा भविष्य की जिंदगी के अनुसार इस प्लेटफार्म का नाम बदला जा रहा है और इस प्लेटफार्म को उसी अनुसार पुनः सेट किया जाएगा। मार्क जुकरबर्ग जो फेसबुक के सीईओ है, उन्होंने फेसबुक का नया नाम मैटा निर्धारित किया है।

मेटावर्स का अर्थ क्या है?

यह दो शब्दों से मिलकर बना है, एक है मेटा और दूसरा है वर्स। यहां पर मेटा का मतलब बियोंड मतलब कि जो चीज हम सोच नहीं सकते हैं। वर्स का मतलब होता है, यूनिवर्स जिसे हम देख नहीं सकते हैं।

इसी तरह से मेटावर्से का अर्थ होता है, एक ऐसी दुनिया जो हमारी सोच और हमारी समझ से बहुत ही आगे है।

मेटावर्से शब्द की उत्पत्ति कब और किसने की?

मेटावर्से शब्द की उत्पत्ति 1992 में हुई थी। इसे नील स्टीफेन्सन ने अपने स्नो क्रश नामक नोबेल में की थी।

मेटावर्से उसकी कल्पना सबसे पहले एक राइटर के द्वारा की गई थी, किसी साइंटिस्ट के द्वारा नहीं। उस समय में सिर्फ भले ही कल्पना थी, पर अब भविष्य में कुछ सालों में यह हकीकत बनने जा रही है।

Metaverse क्या है और यह कैसे काम करेगा?

मेटावर्स एक तरह से ऐसी तकनीक है, जो टेक्नोलॉजी की दुनिया को वर्चुअल दुनिया की तरफ ले जा रही है। आपने पुराण और कथा में नारद का किरदार के बारे में अवश्य सुना होगा, जिस प्रकार से नाराज का किरदार भगवान नारायण और महादेव के बीच रहा था, उसी प्रकार से वर्तमान समय मे  यह मेटावर्स है। मेटावर्स शब्द का मतलब यह है कि ऐसी वर्चुअल दुनिया जिसमें आप खुद वर्चुअली प्रवेश कर जाते हैं।

हालांकि दुनिया में अलग-अलग प्रकार की कंपनियां टेक्नोलॉजी को अलग-अलग दिशा में आगे बढ़ाने का काम कर रही है। फेसबुक कंपनी जो सोशल नेटवर्किंग की दिशा में काम कर रही एक लोकप्रिय कंपनी मानी जाती है। सोशल नेटवर्किंग कंपनी की बात करें तो सबसे पहले फेसबुक नंबर फेसबुक कंपनी ने अपने सोशल नेटवर्क फैलाने के लिए हजारों इंजीनियर लगा रखे हैं।

फेसबुक कंपनी के मालिक द्वारा सोशल नेटवर्क को भविष्य नहीं माना जा रहा है और उनका कहना है कि जो मौजूदा जीवन है, वह भविष्य में नहीं रहने वाला है। इसलिए सिस्को कंपनी के मालिक मार्क जुकरबर्ग जो अपने इस प्लेटफार्म को पूरी तरह से वर्चुअल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। फेसबुक प्लेटफार्म को वर्चुअल बनाने के लिए मार्क जकरबर्ग ने करीब $10 अरब की राशि खर्च करने का पैसा दिया है।

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मेटावर्स क्या है?

मार्क जुकरबर्ग के द्वारा इसे एक प्रकार का वर्चुअल एनवायरमेंट बताया जा रहा है। इस इन्वायरमेंट पर मार्क जुकरबर्ग खुद एंट्री करना पसंद करते हैं। आज की दुनिया जिसे आप अपने आसपास देख रहे होंगे। लेकिन दूसरी तरफ मेटावर्स जिसको भविष्य की दुनिया माना जा रहा है।

मार्क जुकरबर्ग के अनुसार बताया जा रहा है यह एक प्रकार की ऐसी वर्चुअल कम्युनिटी है, जिसके माध्यम से दुनिया भर के लोग आपस में मिल सकते हैं और एक साथ काम कर सकते हैं, एक साथ खेल सकते हैं। इसके अलावा इस वर्चुअल टेक्नोलॉजी के माध्यम से व्यक्ति हर प्रकार की डिवाइस यहां तक की गाड़ियां और मकान भी इसी प्लेटफॉर्म के माध्यम से खरीद पाएंगे।

ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य की दुनिया जिसमें लोगों की पलक झपकते ही उनके सामने हर प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध हो सकेगी और यह भी बताया जा रहा है कि जिस प्रकार से वर्तमान की जिंदगी लोगों की निकल रही है, उसी प्रकार से वर्चुअल लाइफ में भी लोग आसानी से जी पाएंगे।

मेटावर्स कब तक संभव होगा?

वर्तमान में इसकी वर्चुअल दुनिया के बारे में सिर्फ अनुमान लगाया जा रहा है। यह अनुमान हकीकत में कब तक बदल पाएगा, इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। अनुमान के तौर पर फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी बताया है कि इस टेक्नोलॉजी को आने में काफी साल लग सकते हैं। फेसबुक को कब तक पूरी तरह से वसूल किया जाएगा, इसमें भी काफी साल लगने का अंदेशा है।

मेटावर्स के पश्चात जीवन में क्या बदलाव आएगा?

वर्तमान समय में देखा जाए तो जिंदगी साकार रूप से हर व्यक्ति की गुजर रही है। मेटावर्स टेक्नोलॉजी को लेकर सिर्फ वर्चुअल दुनिया की कल्पना की जा रही है। यह टेक्नोलॉजी जिसके बारे में बताया जा रहा है कि व्यक्ति अपने घर बैठे अपने पसंद की दुनिया और अपनी पसंद की हर वस्तु के पास पहुंचकर उसका लाइव आनंद ले पाएगा।

मेटावर्स जिसको वसूल दुनिया इसलिए माना जा रहा है। क्योंकि इस टेक्नोलॉजी के पश्चात लोगों के पलक झपकते ही उनकी पसंदीदा चीज उनके सामने उपलब्ध होगी। वर्तमान समय में आप मोबाइल फोन के माध्यम से वीडियो कॉल के जैसी लाइव शो का आनंद ले रहे हैं। लेकिन मेटावर्स के पश्चात लोग अलग अंदाज में अपने जीवन यापन कर पाएंगे।

डिजिटल क्लोथिंग का जमाना भी इस वर्चुअल दुनिया में देखा जाएगा। इसका मतलब यह है कि आप फिजिकली रूप से अपने घर पर बैठे हैं। लेकिन आपको डिजिटल उपकरणों की सहायता से वर्चुअल दुनिया में घुमाया जाएगा।

वर्क फ्रॉम होम जैसी स्थिति में बेहद अच्छा

वर्तमान समय में भी घर बैठे ऑनलाइन कार्य बढ़ते जा रहे है हर कार्य को घर पर ही ऑनलाइन माध्यम से किया जाना संभव हो गया है। लेकिन वर्चुअल दुनिया आने के पश्चात लगभग सभी प्रकार के कार्य work-from-home के रूप में ही किए जाएंगे।

मेटावर्स टेक्नोलॉजी जो work-from-home की स्थिति के लिए एक पूरी तरह से नया बदलाव है। वर्चुअल दुनिया में व्यक्ति वीडियो कॉल और मीटिंग के माध्यम से कार्य करने की बजाय एक साथ कार्य करके एक दूसरे को देख पाएंगे और वीडियो कॉल से भी अच्छा अनुभव महसूस करेंगे।

मेटावर्से के उदाहरण

हम आपको कोई ऐसे उदाहरण बताने वाले हैं, जहां पर इस तकनीक का प्रयोग होते हुए आपने देखा होगा। जैसा कि आप जानते हैं, वर्तमान समय में बहुत सारी ऑनलाइन गेम आ गई हैं, जिसमें आपको एपिक और fortnite गेम प्रयोग की जाती है।

इस गेम को खेलने वाला व्यक्ति पूरी तरह से वर्चुअल दुनिया में चला जाता है और गेम को खेलता है। कुछ ही समय पहले एपिक गेम के द्वारा एक म्यूजिक कंसल्ट करवाया गया था, जिसमें वर्चुअल तरीके से बहुत सारे लोगों ने हिस्सा भी लिया था। इसका मतलब है वह अपने घर और ऑफिस से बैठकर इसका मजा ले पा रहे थे।

इसी तरह से मेटावर्से भी काम करेगा और आप घर बैठे ही पूरी दुनिया घूम पाएंगे। दुनिया का कोना कोना तक देख पाएंगे, वहां से शॉपिंग कर पाएंगे और ना जाने कितने ही काम आप घर बैठे आराम से कर पाएंगे।

मेटा वर्स के लाभ

जैसा कि इंटरनेट आया था तब से हमारी लाइफ का एक्सपीरियंस चेंज हो गया था। हमें अलग-अलग चीजें देखने को मिलती थी। पहले के समय में सिर्फ फोन पर ही बातें की जाती थी, परंतु इंटरनेट आने से वीडियो कॉल होने लगी, आमने सामने बैठ कर आराम से बात की जा सकती है।

ऐसे ही जब मेटावर्से आएगा, उसके द्वारा हम एक रियल वर्ल्ड की तरह जी पाएंगे। हम दूर होकर भी एक दूसरे के आमने सामने बैठ कर बात कर पाएंगे, एक दूसरे को छू पाएंगे, हाथ मिला पाएंगे, इसी के साथ गले भी लग पाएंगे।

यह सब वर्चुअल वर्ल्ड के द्वारा संभव है। यह लोगों से हमारा कनेक्शन और भी अच्छा बढ़ा देगा और भी अन्य कई फायदे भविष्य में हमें मेटावर्से के जरिए मिलने वाले हैं।

मेटावर्से के नुकसान

आप जानते ही होंगे जैसे किसी चीज के कई फायदे होते हैं तो उसके कुछ नुकसान भी होते हैं। जैसे कि इंटरनेट के बहुत सारे फायदे हैं, उसी के साथ साथ इंटरनेट के जरिए बहुत सारे नुकसान भी हो रहे हैं। इंटरनेट की वजह से लोगों के साथ कई तरह के फ्रॉड होने लगे हैं।

इसी के साथ साइबर क्राइम में बढ़ोतरी हुई है। लोगों की पर्सनल इंफॉर्मेशन चोरी होने लगी है, उसका मिस यूज होता है और भी कई अन्य नुकसान है, जिनकी वजह से इंटरनेट के माध्यम से घटनाएं बढ़ गई हैं।

इसी तरह से मेटा वर्स अपने शुरुआती समय में बहुत ही महंगे होंगे और यह हर कोई उपलब्ध नहीं करवा पाएगा। जैसे-जैसे इसकी जगह से ज्यादा डेवलपमेंट होगी, उसी के हिसाब से यह सस्ता होता जाएगा और सभी लोगों तक पहुंच भी पाएगा।

क्या मेटावर्से सेफ होने वाला है?

बहुत सारे लोगों के मन में यही सवाल उठ रहा है, क्या यह से होगा?, क्या इससे कोई खतरा तो नहीं होगा। बहुत समय से प्राइवेसी को लेकर सरकार और फेसबुक टि्वटर अन्य बड़ी-बड़ी कंपनियों के बीच मुद्दे उठ रहे हैं। इस प्रकार वर्चुअल दुनिया की बात आते ही सबसे पहले दिमाग में प्राइवेसी को लेकर बहुत सारे सवाल आते रहते हैं।

क्योंकि हर कोई व्यक्ति अपनी प्राइवेसी रखना चाहता है, कोई नहीं चाहता है कि दूसरा व्यक्ति उसकी प्राइवेसी को जाने या किसी भी प्रकार का उस को नुकसान पहुंचाए।

देखा जाए तो मेटावर्से एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसके जरिए वर्चुअल और रियल लाइफ दुनिया के बीच कोई भी फर्क नहीं रहेगा। ऐसे में अगर प्राइवेसी की बात की जाए तो उसका खतरा तो बढ़ेगा ही क्योंकि इसके जरिए लोग आमने-सामने बैठकर और ना जाने कितनी ही चीजें के बारे में बात करेंगे।

इस तरह से कंपनी हमारी निजी बातचीत और निजी डेटा पर भी नियंत्रण कर पाएगी, इसीलिए यह पूरी तरह से सेफ़ नहीं है।

FAQ

फेसबुक का नाम कब बदला गया था?

28 अक्टूबर 2021 को फेसबुक का नाम बदला गया था और उसका नाम मेटा रखा गया।

क्या मेटावर्से के जरिए हम गेट टूगेदर कर पाएंगे?

जी हां, इस तकनीक के जरिए आप दूर होकर भी एक दूसरे के साथ रह पाएंगे।

मेटावर्से शब्द कौन से नोबल से लिया गया है?

स्नो क्रैश नॉवेल से।

मेटावर्से के उदाहरण कौन से हैं?

मेटावर्से का सबसे बढ़िया उदाहरण सेकंड लाइफ गेम है, जिसमें प्लेयर घर बना सकता है, शादी कर सकता है।

क्या मेटावर्से सेफ है?

अभी के स्वरूप से देखा जाए तो यह सेफ़ नहीं है, इसके जरिए आपकी प्राइवेसी लीक होने का डर है।

निष्कर्ष

आज के आर्टिकल में हमने फेसबुक का नाम मार्क जुकरबर्ग ने क्यों बदला?, फेसबुक का नाम बदलने के पीछे क्या राय है?, मेटावर्स क्या है और यह कैसे काम करेगा (metaverse technology kya hai), इसके बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह मेटावर्स क्या है और यह कैसे काम करेगा? (Metaverse Kya Hai) जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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