Ilzaam Shayari in Hindi
इल्जाम शायरी | Ilzaam Shayari in Hindi
बेवफा तो वो खुद थी,
पर इल्ज़ाम किसी और को देती है.
पहले नाम था मेरा उसके लबों पर,
अब वो नाम किसी और का लेती है
कभी लेती थी वादा मुझसे साथ न छोड़ने का,
अब बही वादा किसी और से लेती है।
दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ
प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ
दिल में दर्द नहीं, उसकी यादें हैं
अब यादें ही दर्द दे तो उसे इल्ज़ाम क्या दूँ
उदास_ज़िन्दगी, उदास वक्त,
उदास मौसम…
न जाने कितनी चीज़ों पे #इल्ज़ाम
लग जाता है एक तेरे बात न करने से….
हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है,
हर खता कि सजा वो हमे सुना जाते है,
हम हर बार चुप रह जाते है,
क्योंकि वो अपना होने का हक जता जाते है।
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Ilzaam Shayari in Hindi
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गलतियों से अंजान_तू भी नहीं, मैं भी नहीं
दोनों #इंसान हैं, खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं,
तू मुझे और मैं तुझे “इल्ज़ाम” देता हूँ मगर,
अपने अंदर #झाँकता तू भी नहीं, मैं भी नही।
Ilzaam Shayari in Hindi
जिस के लिए सब कुछ लुटा दिया हमने,
वो कहते हैं उनको भुला दिया हमने,
गए थे हम उनके आँसू पोछने,
इल्ज़ाम दे दिया की उनको रुला दिया हमने।
दिल-ए-बर्बाद का मैं तुझे इल्ज़ाम नहीं देता,
हाँ अपने लफ़्ज़ों में तेरे जुर्म जरूर लिखता हूँ,
लेकिन तेरा नाम नहीं लेता।
दिल की “ख्वाहिश” को नाम क्या दूँ,
प्यार का उसे #पैगाम क्या दूँ,
दिल में ‘दर्द’ नहीं, उसकी यादें हैं,
अब यादें ही दर्द दे, तो उसे #इल्ज़ाम क्या दूँ…
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बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं,
पर इल्ज़ाम किसी और को देते हैं,
पहले नाम था मेरा उनके लबों पर,
अब वो नाम किसी और का लेते हैं.
सुना है वो जाते हुए कह गये,
के अब तो हम सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबो मे आएँगे,
कोई कह दे उनसे के वो वादा कर ले,
हम जिंदगी भर के लिए सो जाएँगे..
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दिल का हाल बताना नहीं आता,
किसी ऐसे तड़पाना नहीं आता,
सुनना चाहते हैं आवाज आपकी,
मगर बात करने का बहाना नहीं आता,
Ilzaam Shayari in Hindi
जानकर_भी वो हमें जान ना पाए,
आज तक वो हमें #पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली “बेवफ़ाई” हम ने उनसे
ताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई #इल्ज़ाम ना आए.
उल्फत में अक्सर ऐसा होता है
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी
हमसफर उनका कोई और होता है.
जान कर भी वो मुझे जान न पाए
आज तक वो मुझे पहचान न पाए
खुद ही कर ली वेबफाई हमने
ताके उन पर कोई इल्ज़ाम न आये
हम आपके प्यार में कुछ कर न जायें
बन के रूह बिछड़ ना जायें
भूलना मुमकिन नहीं है आपको
मरने से पहले कही मर ना जायें..
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,
दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,
मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
रिश्तें टूट कर चूर चूर हो गये,
धीरे धीरे वो हमसे दूर हो गये,
हमारी खामोशी हमारे लिये गुनाह बन गई,
और वो गुनाह कर के बेकसूर हो गये।
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कहीं अब #मुलाक़ात हो जाए हमसे,
बचा कर के “नज़र” गुज़र जाइएगा…
जो कोई कर जाए कभी ज़िक्र मेरा,
हंसकर फिर सारे #इल्ज़ाम मुझे दे जाइएगा
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!
गलती हुई हमसे मान हमने लिया
गलत हम थे जान हमने लिया अब ना
करेंगे कुछ ऐसा जो बुरा लगे आपको
अब ये दिल में ठान हमने लिया.
इतना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा,
हर दिल दीवाना है तुम्हारा,
लोग कहते है चाँद का तुकडा हो तुम,
लेकिन हम कहते है चाँद तुकडा है तुम्हारा.
गलतियों से अंजान तू भी नहीं,
मैं भी नहीं दोनों_इंसान हैं,
खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं, तू मुझे
और मैं तुझे “इल्ज़ाम” देता हूँ मगर,
अपने अंदर ‘झाँकता’ तू भी नहीं, मैं भी नही।
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हर प्यार में एक एहसास होता है,
हर काम का एक अंदाज होता है,
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर,
हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है.
झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो,
दिल हैं नाजूक इसे तुम_ऐसे दुखाया ना करो,
झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो…
Ilzaam Shayari in Hindi
अफसोस होता हैं उस पल का,
जब अपनी पसंद कोई और चुरा
लेता हैं, ख्वाब हम देखते रहते हैं,
और हकीकत कोई और बना लेता हैं.
“इल्ज़ाम” लगा दो लाख चाहे,
लेकिन सच तुम_खुद निगल नही पाती।
अगर उस दिन मैं छू देता तो,
फिर तुम आज इस #कदर जल नही पाती।
जिंदगी के लिये जान ज़रूरी है,
जीने के लिये अरमान ज़रूरी है,
हमारे पास हो चाहे कितना भी गम,
लेकिन तेरे चहरे पर मुस्कान ज़रूरी है।.
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होठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आते,
साहिल पर समंदर के खजाने नहीं आते,
पलकें भी चमक उठती हैं सोते हुए हमारी,
आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।.
तू ना निभा सकी तो क्या मै अपनी मोहब्बत को
अंजाम दूंगा तुझसे मिलना ना हुआ नसीब में तो क्या
हुआ मै अपनी औलाद को तेरा नाम दूंग.
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।..
मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम ना दे
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम ना ले
तेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझे
मेरी एक सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले
मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना
जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर
किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना
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जानकर भी वो हमें जान ना पाए,
आज तक वो हमें_पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली#बेवफ़ाई हम ने उनसे,
ताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई ‘इल्ज़ाम’ ना आए…
खुदा_तूने भी क्या खूब #मुकम्मल ये
दुनिया करी है, बेगुनाह “सजा”
काट रहे हैं
और गुनेहगार बा-इज़्ज़त बरी है।
कोई_प्यार करे और उस पर
कोई “इल्ज़ाम” ना लगे, यह मुमकिन नहीं
हौसला हो और फिर भी
प्यार ना मिले यह #मुमकिन नहीं.
Ilzaam Shayari in Hindi
हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू
हाथ से छूके इसे रिश्तों का #इल्ज़ाम न दो सिर्फ़ #एहसास है
ये रूह से महसूस करो प्यार
को प्यार ही रहने दोकोई नाम न दो
मेरे दिल की मजबूरी को कोई
“इल्ज़ाम” ना दे मुझे याद रख बेशक मेरानाम ना ले
तेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझे
मेरी एक_सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले
हर “इल्ज़ाम” का हकदार वो हमे बना जाते है,
हर खता कि #सजा वो हमे सुना जाते है,
हम हर बार_चुप रह जाते है,
क्योंकि वो अपना होने काहक जता जाते है।
दिल-ए-बर्बाद का मैं तुझे #इल्ज़ाम नहीं देता,
हाँ अपने लफ़्ज़ों में तेरे जुर्म जरूर लिखता हूँ,
लेकिन तेरा_नाम नहीं लेता।
धूर्तपन” की सारी हदें पार हो
गई मैंने एक_गलती क्या किया
उन्होंने सारी “गलतियों”
का आरोप #मुझपर ही मढ़ दिए।
जानकर भी वो मुझे जान न पाए,
आज तक वो मुझे #पहचान न पाए, खुद ही कर ली
‘बेवफाई’ हमने,
ताकिउन पर कोई इलज़ाम न आये।
बात बिगड़ जाएगी_अगर देखोगे यूं
ही तुम कातिल निगाहों से, फिर “इल्ज़ाम”
आएगा कि लगा दिया है
रोग #इश्क का लेकर अपनी बाहों में।
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