History of Russia in Hindi: रूस 1,70,75,400 किलो मीटर स्क्वेयर के साथ दुनिया का सबसे बड़ा देश है। यह यूरोप महाद्वीप में स्थित है। रूस की राजधानी मॉस्को है, जो दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है। रूस का क्षेत्रफल इतना विशाल होने के बावजूद जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में पांचवें स्थान पर आता है, जिसके कारण इसका जनसंख्या घनत्व भी काफी कम है।
रूस की सीमा 14 देशों से सटी हुई हैं। इस तरह फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, नार्वे, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया रूस के पड़ोसी देश है। रूस की अधिकांश जनसंख्या यूरोपिय भाग में बसती है।
येकाटेरिनबर्ग, निज्हनी, पीटर्सबर्ग, नोवोसिबिर्स्क, नोव्गोरोड़ और सामरा रूस के मूख्य शहरों में आते है। रूस यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल का स्थाई सदस्य के अतिरिक्त, शंघाई को-ऑपरेशन आर्गेनाईजेशन (SCO), आर्गेनाईजेशन फॉर सिक्यूरिटी एंड को-ऑपरेशन इन यूरोप (OSCE), कौंसिल ऑफ़ यूरोप, एशिया-प्रशांत इकॉनोमिक को-ऑपरेशन (APEC), और वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन (WTO) का भी सदस्य हैं।
रसिया पांच मुख्य न्यूक्लियर शक्ति वाले देशों में आता है, जिसके पास विशाल मात्रा में हथियारों का भंडार है। रूस में मिनरल्स और उर्जा स्त्रोतों का भंडार भी बहुत है, जो एक तेल और प्राकृतिक गैस का मुख्य उत्पादक भी बनाता है। तो चलिए आगे रूस के इतिहास के बारे में जानते हैं।
रूस का इतिहास और रोचक तथ्य | History of Russia in Hindi
रूस का इतिहास
आधुनिक रूस की आधारशिला को भी 9वीं सदी में कीवी साम्राज्य के द्वारा स्थापित किया गया माना जाता है, जो स्लाव जाति का सबसे पुराना गढ़ था। आज यह स्लाव जाति पूर्वी यूरोप में बसते हैं। यह लोग उत्तर पश्चिम से आए थे। हालांकि इनके पहले भी यवन और खजर तुर्क जातियों का साम्राज्य रहा था, जो आज भी रूस में रहते हैं। आज रूस में कई मूल के लोग रहते हैं जैसे कि रूसी, पोल, कज़ाख, खज़र, तातर, कोस्साक।
हालांकि रूसी मूल के लोगों का इतिहास पूर्वी स्लावों के समय से आरम्भ हुआ है। स्लाव साम्राज्य तीसरी से आठवीं सदी तक अपने चरम पर था। 10वीं सदी में कीवी रूसो ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया था। तेरहवीं सदी में मंगोला ने उनके साम्राज्य पर आक्रमण किया, जिससे उनका साम्राज्य खत्म हो गया। लेकिन 1380 के दशक में मंगोला का भी पतन आरंभ होते गया और मास्को का उदय हुआ।
रूसी साम्राज्य की स्थापना दमित्री ने सन 1380 में मास्को में किया था, जिसके बाद फिर जारों का शासन आया। उस समय तक यूरोप और पूर्व की तरफ रूसी साम्राज्य शक्तिशाली हुआ करती थी। रूसी सेना ने उत्तरी चीन के मंगोलों को अधीन करने के बाद जापान के तट तक जा पहुंचे, जिसके बाद उनके साम्राज्य का और भी ज्यादा विकास हुआ। 17 से 19 वीं सदी के बीच रूसी साम्राज्य का काफी विस्तार होने लगा, जो प्रशांत महासागर से लेकर बाल्टिक सागर और मध्य एशिया तक फैला।
हालांकि उस समय तक रूस वैज्ञानिक रूप से पिछड़ा था। 19वीं सदी में साहित्य और यंत्रों की स्थिति में काफी सुधार आया लेकिन रूस पश्चिमी यूरोप से तकनीकी रूप से पिछड़ा हुआ था। सन 1905 में नवजागरण के बाद जापान ने रूस को लड़ाई में हरा दिया, जिसके बाद रूस की जनता का उनके शासक जार के प्रति विद्रोह की भावना उत्पन्न हो गई, जिससे सन 1917 में यहां पर बोल्शेविक क्रांति हुई, जिससे साम्यवादी शासन का उदय हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध तक रूसी साम्राज्य मध्य एशिया तक फैल चुका था। जर्मनी को हराने के बाद यह शक्ति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मामले में काफी आगे निकल चुका था। इस तरीके से रूस प्रथम विश्वयुद्ध के बाद दुनिया का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना और फिर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह सामाजिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरा।
अपनी साम्यवादी निती, कृषि, अंतरिक्ष और विभिन्न यंत्रों में होने वाले अभूतपूर्व प्रगति के कारण रूस तकनीकी और आर्थिक मामले में भी दुनिया में बड़ी शक्ति बन कर उभरा। अमेरिका रूस का प्रतिस्पर्धी बना रहा जो तकनीकी और शस्त्रों के मामले में दोनों में स्पर्धा चलती रही कई वर्षों तक निशास्त्र शीतयुद्ध होने के बाद साल 1991 में सोवियत संघ विघटित हो गया और उसका उत्तराधिकारी देश रूस बन गया, उसके बाद यहां एक जनतांत्रिक सरकार का शासन आ गया।
लेकिन रूस आज भी उसी शक्तिशाली रुतबे को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जो कभी शीत युद्ध के दौरान उसके पास था। शुरू से ही रूस एक लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहा है।
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रूसी क्रांति से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें
द्वितीय विश्वयुद्ध
1940 में शुरू हुआ विश्वयुद्ध का परिणाम हम सभी लोग जानते हैं। भले ही हम इसे द्वितीय विश्वयुद्ध कहते हो परंतु रूस इसे देशभक्ति युद्ध के नाम से पुकारता है। शुरुआत में रूस इस युद्ध में शामिल नहीं होना चाहता था। लेकिन 1941 में जर्मनी के साथ रूस का सौहार्द समझौता हुआ था। लेकिन जब बाद में हिटलर ने रूस पर आक्रमण किया तो रूस को बहुत बड़ा झटका लगा।
जर्मनी सेना ने लेनिनग्राद को घेरकर रूस के पश्चिमी प्रदेशों पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद रूस का अप्रत्याशित प्रतिरोध और संघर्ष शुरू हुआ, जिसने इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया। लगभग 900 दिनों तक रूसी सेना जर्मनी सेनाओं से घिरी हुई थी।
यहां तक कि रूस के पास सैन्य और शास्त्र बल की भी कमी थी। लेकिन इसके बावजूद भी रूसी सेना ने जर्मनी के सेना के सामने समर्पण नहीं किया। कठिन सर्दी और भूख में भी इन्होंने अपना मनोबल कायम रखा। अंततः 6 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत के बावजूद भी उन्होंने जर्मनी सेना का प्रतिरोध जारी रखा। इस तरीके से इन्होंने अपनी सेना का दृढ़ता और अजयता का नमूना पेश किया।
1941 तक जर्मनी सेना मॉस्को पहुंच गई और वे मॉस्को पर भी कब्जा करने वाले थे। लेकिन अपनी राजधानी को बचाने के लिए रूस की सेनाओं में युवाओं की भर्ती होना शुरू हो गई। 7 नवंबर को बोल्शेविक क्रांति की 25वीं वर्षगांठ पर मॉस्को में परेड निकलवाई गई। सौभाग्यवश उस दिन कोई भी बमबारी नहीं हुआ। इस परेड में वहां के नौजवानों में एक मनोबल का संचार लाया, जिसके बाद सैनिक वंही से मोर्चे के लिए रवाना हो गए।
जर्मनी सेनाओं का स्तालिनग्राद पर घेराबंदी
स्तालिनग्राद रूस के वोल्गा नदी के दक्षिण में बसा एक शहर था, जो औद्योगिक क्रांति की देन था। इस शहर का नाम जोसेफ़ स्तालिन के नाम पर रखा गया था। अब इस शहर का नाम स्तालिनग्राद बदलकर वोल्गोग्राद रख दिया गया है। इसीलिए स्तालिन को हराने के लिए जर्मनी सेनाओं द्वारा हिटलर के नेतृत्व में स्तालिनग्राद पर कब्जा किया गया।
1942 में जर्मनी सेना वोल्गा नदी के पश्चिमी तट पर आ पहुंची। चारों तरफ जर्मनी सेनाओं द्वारा बम की वर्षा हो रही थी। जर्मन के युद्ध विमान ने रूस के भी सैनिकों पर गोलीबारी की। रूस अपनी सैन्य साधनों की कमी से जूझ रहा था। लेकिन इस दौरान रूस की सैनिकों ने दो बड़े कारनामे कर दिखाएं, जो रूस के विजय के लिए अहम साबित हुआ।
पहला पावलोव भवन। रूसी सेना, जर्मन सेनाओ से घिरे एक घर में कैद 2 महीने तक अड्डा डाले रखे थे, जो जर्मन सेनाओं पर जवाबी कार्यवाही कर रहे थे। याकूव पावलोव के नेतृत्व में भीषण घेराबंदी और आक्रमण सहकर भी रूसी सेनाओं की इस टुकड़ी ने जर्मन सेना के सामने एक प्रेरणाप्रदायक संघर्ष किया।
दूसरी घटना स्नाइपर वसिली जाइत्सेव की निशानेबाजी थी। मध्य एशिया से आए नौजवानों ने लगभग छुपकर गोली मारने की कला से 200 जर्मन सैनिकों सेनाओं को गोली मार दिए। इस घटना का रूसी प्रेस में प्रचार हुआ, जिसके कारण उनकी सेनाओ का मनोबल और भी ज्यादा मजबूत हुआ।
इस तरह लगभग 200 दिनों तक सेनाओं की घेराबंदी में रहने के बाद रूसी सेना विजय हुई। कहा जाता है इस युद्ध में दोनों ओर से लगभग 1500000 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। गलियों में सैनिकों की शवों का ढेर लगा हुआ था। 1945 तक रूसी सेना ने जर्मनी को धकेलते धकेलते बर्लीन तक ले आए और फिर मई 1945 तक जर्मनों की हार हो गई।
इस तरीके से 9 मई 1945 को जर्मन सेना ने समर्पण कर दिया। अनुमानित आंकड़ों से बताया जाता है कि उस युद्ध में रूस के करीब ढाई सौ करोड़ से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। इसीलिए आज भी द्वितीय विश्वयुद्ध को रूसी लोग विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।
रूस से जुड़े रोचक तथ्य
- रूस का इतिहास स्लाव जाती से जुड़ा है।
- स्टालिन को आधुनिक रूस का निर्माता माना जाता है।
- रोबर्ट ओवेन ने सबसे पहले समाजवादी शब्द का इस्तेमाल किया था।
- कार्ल मार्क्स को वैज्ञानिक समाजवाद का संस्थापक माना जाता है। इन्होंने दास कैपिटल और कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो नामक दो पुस्तक लिखी थी।
- रॉबर्ट ओवेन को ही आदर्शवादी समाजवाद का प्रवक्ता माना जाता है।
- प्लेखानोवा को रूसी साम्यवादी का जनक माना जाता है।
- रूस के शासकों को जार कहा जाता था।
- नवंबर 1917 को वोल्शेविक की क्रांति हुई थी। जिसके नेता लेनिन था, जिन्होंने चेका का संगठन किया था। इन्होंने 1921 में रूस में नई आर्थिक नीति भी लागू की थी।
- एलेक्स जेंडर द्वितीय रूस के जार शासक थे। इनकी हत्या बम विस्फोट से हुई थी।
FAQ
रूस भारत से 5 गुना अधिक बड़ा है। यह विश्व का सबसे बड़ा देश है।
रूस की राज्य भाषा रूसी है।
इसका फुल फॉर्म यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक होता है, जिसे सोवियत संघ के रूप में भी जाना जाता है।
USSR की स्थापना 1922 से 1991 तक रूस एशिया और यूरोप के कई आसपास के देशों से मिलकर बना हुआ था।
रूस की मुद्रा रूसी रूबल है।
रूस में कुल 83 प्रांत है।
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि यह लेख रूस का इतिहास और रोचक तथ्य (History of Russia in Hindi) आपको अच्छा लगा होगा। यदि लेख से संबंधित कोई भी समस्या हो तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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