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चंद्रमा की उत्पत्ति कैसे हुई?, पौराणिक कथा और वैज्ञानिक कारण

History of Origin of Moon in Hindi: वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से चंद्रमा पृथ्वी पर जीव अस्तित्व के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। चंद्रमा के कारण ही पृथ्वी पर 24 घंटे का दिन हो पता है, नहीं तो केवल 6 ही घंटे का दिन होता। क्योंकि चंद्रमा अपने गुरुत्वाकर्षण बल से पृथ्वी के घूर्णन गति को कम कर देता है।

धार्मिक दृष्टि से भी चंद्रमा का बहुत ही महत्व है। ज्योतिष में चंद्रमा का बहुत ही महत्व है। चांद का दर्शन पूर्णिमा के दिन करना शुभ माना जाता है। तीज त्योहारों में चंद्रमा की पूजा भी की जाती है।

History of Origin of Moon in Hindi

दिन-रात, महीना, साल से लेकर अमावस्या, पूर्णिमा सब तिथियां चंद्रमा पर निर्भर करती है। लेकिन क्या आपको पता है कि चंद्रमा की उत्पत्ति कैसे हुई थी (History of Origin of Moon in Hindi) और चंद्रमा कब अस्तित्व में आया? तो चलिए इस लेख में चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में जानते हैं।

चंद्रमा की उत्पत्ति कैसे हुई?

चंद्रमा सौरमंडल का पांचवा सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है और यह पृथ्वी के सबसे नजदीक है। पृथ्वी से लगभग यह 3,84,365 किलोमीटर की दूरी पर है। चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 1/6 भाग होता है। ऐसे में पृथ्वी पर जो वस्तु 60 ग्राम की होती है, वहीं चंद्रमा पर 10 ग्राम की हो जाती है।

चंद्रमा की उत्पत्ति के वैज्ञानिक और पौराणिक दोनों किस्से हैं। चंद्रमा के जन्म की कहानी पुराणों में अलग-अलग मिलती है। ज्योतिष और वेदों में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है। इसे सोम भी कहा जाता है और सोम का स्थान वैदिक साहित्य में प्रमुख देवताओं में मिलता है।

सूर्य, अग्नि, इंद्र जैसे देवों के समान ही सोम की स्तुति के भी मंत्र ऋषियों के द्वारा रचे गए हैं। तो चलिए सबसे पहले हम चंद्रमा की उत्पत्ति की पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं।

चंद्रमा की उत्पत्ति की पौराणिक कथा

चंद्रमा की उत्पत्ति की पौराणिक कथा अग्नि पुराण में लिखा गया है। अग्नि पुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना जब की थी तब सबसे पहले उन्होंने मानस पुत्रों को बनाया था और उन्ही मानस पुत्रों में से एक ऋषि अत्रि थे, जिनका विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनसूया से हुआ था।

कहा जाता है कि चंद्रमा उन्ही के संतान हैं। वंही पद्म पुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने मानस पुत्र अत्रि को जब सृष्टि का विस्तार करने की आज्ञा दी तो उन्होंने तप करना प्रारंभ कर दिया।

तप करने के दौरान ऋषि अत्रि के आंख से जल की कुछ बूंदे गिरी, जो काफी प्रकाशमय थी। उन बूंद को सभी दिशाओं ने स्त्री रूप में आकर पुत्र प्राप्ति की इच्छा से ग्रहण कर लिया।

लेकिन वह सभी दिशाएं उन बूंद को धारण नहीं कर सकी और उन्हें त्याग दी। तब भगवान ब्रह्मा ने उन त्यागे हुए गर्भ को चंद्रमा के नाम से प्रख्यात किया।

कहा जाता है कि जब देव और असुर ने सागर मंथन किया था तब 14 रत्न निकले थे और चंद्रमा उन्ही 14 रत्नो में से एक है, जिसे लोक कल्याण हेतु भगवान शिव ने अपने मस्तिष्क पर धारण कर लिया।

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चंद्रमा का विवाह 27 कन्याओं से हुआ

पुराणों में वर्णित है कि चंद्रमा का विवाद दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से हुआ था और उन 27 कन्याओं के नाम पर ही 27 नक्षत्र बताए गए हैं। जब चंद्रमा इन 27 नक्षत्र का चक्कर लगा लेता है तब जाकर एक मास पूरा हो जाता है।

इन 27 नक्षत्र का नाम निम्न है:

हस्ता, राधा, विशाखा, रोहिणी, रेवती, कृतिका, मृगशिरा, स्वाति, चित्रा, फाल्गुनी, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूला, सुन्निता, आद्रा, पुनर्वसु, मेघा, पुष्य अश्व्लेशा, सर्विष्ठ, सताभिषक, अषाढ़, अभिजीत, श्रावण, प्रोष्ठपदस, अश्वयुज और भरणी।

चंद्रमा की उत्पत्ति का वैज्ञानिक कारण

चंद्रमा की उत्पत्ति को लेकर कई सारे सिद्धांत वैज्ञानिकों ने दिए है। लेकिन इसके उत्पत्ति का सबसे मान्य सिद्धांत “बिग इंपैक्ट थिअरी” माना जाता है। आज हमारी पृथ्वी जिस तरह हरी भरी है जब सौरमंडल में पृथ्वी का जन्म हुआ था, उस समय यह इतनी हरी-भरी नहीं थी।

शुरुआत में पृथ्वी धड़कता हुआ आग का गोला थी। इस थ्योरी के अनुसार एक मंगल ग्रह के आकार का पिंड हमारी पृथ्वी से आकर टकराया था, जिसके कारण पृथ्वी के ऊपरी सतह टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गई थी।

लेकिन वह सभी बिखरा हुआ मलबा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने लगा। धीरे-धीरे वह सभी मालबे एक होकर एक बड़ा सा पिंड बन गया, जो कि आज का चंद्रमा है। इस तरीके से पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा का जन्म हुआ।

वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा का जन्म आज से 4.51 अरब साल पहले हुआ था। लेकिन कुछ नए शोध के अनुसार कहा जाता है कि पृथ्वी और उस पिंड के बीच वास्तविक टक्कर करीबन 4.425 अरब साल पहले हुई थी।

निष्कर्ष

इस लेख में पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की उत्पत्ति की पौराणिक कथा और वैज्ञानिक सिद्धांत के बारे में भी जाना।

हमें उम्मीद है कि इस लेख से आपको चंद्रमा की उत्पत्ति कैसे हुई (History of Origin of Moon in Hindi) उससे संबंधित सभी प्रश्नों का जवाब मिल गया होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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